भयानक यात्रा - 32 - अनजान तांत्रिक। नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • प्रेम और युद्ध - 5

    अध्याय 5: आर्या और अर्जुन की यात्रा में एक नए मोड़ की शुरुआत...

  • Krick और Nakchadi - 2

    " कहानी मे अब क्रिक और नकचडी की दोस्ती प्रेम मे बदल गई थी। क...

  • Devil I Hate You - 21

    जिसे सून मिहींर,,,,,,,,रूही को ऊपर से नीचे देखते हुए,,,,,अपन...

  • शोहरत का घमंड - 102

    अपनी मॉम की बाते सुन कर आर्यन को बहुत ही गुस्सा आता है और वो...

  • मंजिले - भाग 14

     ---------मनहूस " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ कहानी है।...

श्रेणी
शेयर करे

भयानक यात्रा - 32 - अनजान तांत्रिक।

हमने पिछले भाग में देखा की....
जगपति के अंदेशे के कारण हितेश जगपति के साथ जाने के लिए तैयार होता है , लेकिन वहां पर विवान भी उनके साथ जाने के लिए जिद करता है । थोड़ी आना कानी के बाद हितेश उसको अपने साथ ले जाने तैयार होता है । वो लोग वहां जाकर देखते है तो उन्हे वहां मरे हुए जानवरों के शव पड़े दीखते है और वहां दुर्गंध आ रही होती है । थोड़े नजदीक जाने पर उनको किसी के बात करने की आवाज सुनाई देती है , लेकिन हितेश के गिर जाने की वजह से सतर्क हो कर वो लोग वहां से भाग जाते है । ये देख जगपति अपना सिर पीट लेता है । लेकिन जगपति जब वहां पर पड़े हुए चीजों को देखता है अचानक से उसको गुस्सा आ जाता है । वहां पर हाथ दांत , इंसानी खोपड़ी , मेढक माला और जनावरों की आंखो के अलावा उसको बहुत कुछ दिखता है । फिर वो वहां बैठ जाता है और कुछ गुनगुनाने लग जाता है । वहां पर तभी पेड़ों पर बैठे पक्षियों के चहकने की आवाज आती है और फिर सब पक्षी वहां से चले जाते है । तभी जगपति बेहोश हो जाता है ।
कुछ समय पश्चात जगपति होश में आता है लेकिन अब उसका रूप कुछ अलग होता है। ये देखकर हितेश और विवान अचरज में पड़ जाते है ।

अब आगे ....
*******************************
जगपति के बेहोश सा होने के बाद हितेश उसको मुंह पर जल छिड़क के उठाता है , तब जगपति एकदम शांत और सरल दिखता है । ये देखकर हितेश और विवान उसको देखते रह जाते है , थोड़ी देर पहले का जगपति का रूप उग्र और कठोर था और अभी वो एकदम शांत दिख रहा था ।

ये देखने के बाद हितेश जगपति को त्वरित पूछता है – जगपति चाचा , अब आप कैसा महेसुस कर रहे हो ?
जगपति ने अपना एक हाथ हितेश की तरफ उठाकर कहा – मैं ठीक हूं भाई साहब , बस थोड़ा सिर भारी लग रहा है ।
हितेश जगपति को पीठ पे हाथ का सहारा दे कर बिठाता है और उसके सामने देखने लग जाता है जैसे कुछ पूछना चाहता हो ।
लेकिन जगपति अभी जैसे बोलने की क्षमता खो चुका हो वैसे मूक सा बैठा हुआ था । अभी भी उसके चेहरे पे कहीं न कहीं अफसोस के भाव थे । उसकी बहुत हानि हो गई हो वैसे उसका हृदय उदास था ।

वहां पर पड़े हुई चीजों को हितेश उठाकर गाड़ी में रखता है और विवान जगपति के साथ बैठकर उसको सम्हालने की कोशिश कर रहा था । वहां हितेश अभी हाथीदांत और मेढक माला को देखता है , तो उसको लगता है की वो माला नकली है लेकिन तभी वहां पर एक मेढ़क माला से अलग होकर नीचे गिरता है । ये देखकर हितेश के शरीर में जैसे बिजली दौड़ने लगती है ।

सब चीज़ गाड़ी में रख लेने के बाद हितेश भी जगपति के पास वहीं पर आकर बैठ जाता है जहां पर जगपति और विवान बैठे हुए थे ।
तभी जगपति को हितेश पूछता है – चाचा , क्या हम वापिस घर चले ?
जगपति उसका उत्तर देते हुए कहता है – नही भाई साहब , अभी जो हमने देखा वो एक छोटा सा पूर्वावलोकन था , अभी आपको शायद इससे भी खतरनाक चीज़े देखने मिलेगी जिसके कारण आप डर भी जाओगे ।
अब हमे यहां आगे की तरफ जाना है , जहां एक रास्ता सुनसान है , और दूसरा रास्ता जंगल से होकर पर्वतों की तरफ जाता है । वहीं जहां जंगल है वो रास्ते पे हमे शायद कुछ सुराग मिल जाए ।

ये सुनकर हितेश को ये आश्चर्य हुआ की अगर ये छोटा सा पूर्वावलोकन था तो अभी इससे भी बुरा क्या देखना है !
लेकिन हितेश और विवान अभी जो घटना बनी थी उसके बारे में सही से जान नही पाए थे , तो अब आगे क्या होगा उसके बारे में कैसे जाने जानेंगे ?

उन्होंने जगपति के चेहरे की तरफ नजर दौड़ते हुए पूछा – चाचा , अभी जो हमने देखा हमे उसका रहस्य तो बता दो , जिसके कारण हम सारी घटना को अच्छे से समझ पाए ।
जगपति ये सुनकर वहां से उठा और अपनी गाड़ी की तरफ चल दिया , जगपति को ऐसे चुप देख उसके पीछे वो दोनो भी चल दिए ।
गाड़ी में बैठकर वो हितेश और विवान के बैठने का इंतजार कर रहा था , लेकिन वो दोनो तो जैसे कहीं और ही खोए हुए थे । ये देख जगपति ने गाड़ी का इंजन चालू कर दिया , उसके साइलेंसर से काला धुंआ निकला और गर गराटी के साथ उसकी गाड़ी चालूं हो गई ।
गाड़ी को आवाज सुनकर हितेश और विवान जल्दी से गाड़ी की पीछे की सीट में बैठ गए । तभी जगपति ने अपने पांवों को गाड़ी के त्वरक पे दबा कर गाड़ी को जंगल की तरफ बढ़ा दिया । जगपति का अनुपस्थित मन कहीं और घूम रहा था और वर्तमान मन गाड़ी को चला रहा था ।

आप यहां जो भी देख रहे हो वो सब नकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए अलग अलग तरीके है , जो गांव में सबको परेशान करने के लिए किए जाते है , कई सालों से ऐसे प्रयोग और विधियां हमारे यहां वर्जित की गई है । लेकिन कुछ लोग आज भी आत्माओं को अपने वश में करने के लिए गांव के सुनसान जगहों पर ऐसी हरकते करते रहते है । जो एक तांत्रिक होते है या कोई विद्याओं के जानकार होते है । – एक रूखी और बैठी हुई आवाज में जगपति ने कहा ।
तभी विवान ने जगपति से पूछा – तो कल रात को जो हुआ वो भी एक तांत्रिक की हरकत थी ? क्या कोई इंसान ऐसे हवामान और पक्षियों को काबू में कर सकता है ?
जगपति ने कहा – हां भाई साहब , यहां सबको ये पता है की ये गांव बुरी आत्माओं से भरा हुआ है , इसीलिए कई लोग तो यहां गांव के आसपास भी भटकना पसंद नहीं करते है । लेकिन जो ये बुरी चीजों का इस्तेमाल करना जानते है उनके लिए ये गांव एक महंगे हीरे से कम नहीं है । किंतु अगर यहां पर ऐसे लोग पकड़े जाते है तो उन लोगो को हमेशा के लिए गांव की पंचायत जैल में बंद कर दिया जाता है ।

फिर हितेश ने जगपति की तरफ झुकते हुए पूछा – तो फिर चाचा , कल ऐसा क्या हुआ था जिसके कारण इतने सारे गगनचर चिल एक साथ आए थे , और वहां पर इतने सारे जीवों को गगनचर ने मार दिया था ।
जगपति ने गाड़ी की गति को धीमी करते हुए कहा – वो जीव तो पहले से ही मरे हुए थे , चिल तो सिर्फ उनको अपना भोजन बनाने लेकर गए ।

अच्छा तो वो जीव पहले से ही कैसे मरे थे ? या उनको किसी और ने मारा था ? – विवान ने व्याकुलता से पूछा ।

ये वो जीव होते है जिनको गांव के बाजार में बड़े ही सस्ते दामों में बेचा जाता है , क्योंकि यहां पर ऐसे पालतू जीव बहुत ज्यादा मात्रा में पाए जाते है । बाहर से आए हुए लोग उनको खरीदना पसंद करते है और उनको अपने पास खरीद के लेकर जाते है । – जगपति ने कहा ।

अच्छा ! तो ये खरीद कर लाए गए है , लेकिन उनको एक साथ ऐसे मारा क्यूं ? जीवों को खरीद कर मारने के लिए कौन खरीदता है ? अगर उनको मारना ही है तो खरीदते क्यूं है ? – विवान एक ही सांस में सब एक साथ बोल गया ।
जगपति विवान की बात सुनकर थोड़ी देर चुप रहा फिर बोला – ये एक तांत्रिक विधि होती है , जिसमे बुरी आत्माओं को अपने साथ रखने के लिए तांत्रिक अलग अलग विधियां करते है । जिसमे ये विधि बहुत ही कठिन होती है , ये विधि को "आत्मबंधना विधि" कहते है । जिसके शरीर के चक्र भले ही जाग्रत न हो वो लोग ये विधि करके आत्माओं को बांधने की सिर्फ कोशिश कर सकते है ।
ये लोग विधि के दौरान आत्माओं से संधि करते है , और फिर तांत्रिक के कहे अनुसार आत्मा उनका कार्य करती है ।
कल रात को जो विधि हुई थी वो बहुत कठिन और शक्तिशाली विधि है , जिसमे एक तांत्रिक अपने मंत्रों के सहारे आत्मा को बुलाने की कोशिश करते है , लेकिन आत्मा को बुलाने के लिए उन्हें बलि चढ़ानी पड़ती है ।

तो कल रात जो जानवर मारे गए थे वो उसी कारण मारे गए थे ? – जगपति की बातों को कर कर विवान बीच में ही बोल पड़ा ।

उसकी तरफ एक नजर करके जगपति बोला – नही भाई साहब , तांत्रिक अपनी शक्तियों को और ज्यादा बढ़ाने के लिए भी बलि चढ़ते है , लेकिन ये जो जीवों को मारा गया था वो चिल के लिए मारा गया था और उनका मांस भी चिल के लिए वहां पर रखा गया था ।

तांत्रिक चीलों को बुलाने के लिए अपने मंत्रों का इस्तेमाल करता है , जिसमे कई बार चिल आसमान से ही चले जाते है , लेकिन जब उनके लिए भोजन रखा जाए तब चिल नीचे की तरफ आती है । उसमे से तांत्रिक एक चिल को पकड़ कर उसकी बलि चढाता है बुरी आत्माओं को खुश करने के लिए ।

तो पेड़ों से जो चीख की आवाज आई थी वो किसकी थी जगपति चाचा ? – हितेश ने कहा ।

वही तांत्रिक की जो चीलों को बुलाने के लिए उनके जैसी ही आवाज में चिल्लाते है । – जगपति ने कहा ।

तो क्या चिल की बलि से आत्मा को तुरंत वश में किया जा सकता है ? – विवान धीरे से बोला ।

नही भाई साहब , मैंने आपसे पहले ही कहा की ये विधि कठिन भी है और शक्तिशाली भी है । – जगपति बोला ।
ये विधि के अनुसार चिल की बलि चढ़ाकर उसके हृदय को निकाला जाता है , वो हृदय को जहां पर आत्मा को बंदी बना ना होता है वहां जाकर दफनाना पड़ता है , फिर कई दिनों तक उसके ऊपर मंत्रोच्चार करके वहां मिट्टी पे अभिमंत्रित जल छिड़कना पड़ता है । जब वहां की ज़मीन काली हो जाती है तब वहां से वो मिट्टी को लेकर कंकालों के बीच रखनी पड़ती है । फिर कई अलग अलग तरह से वो आत्मा को बंदी बना ये रखने की क्रिया करते रहते है । उसके बाद वो लोग आत्मा को बंदी बना पाते है ।
ये सुनकर हितेश अभी भी संतुष्ट नहीं था , उसने पूछा – तो फिर हाथीदांत और मेढ़क माला किस चीज के लिए काम आते है ?
हाथीदांत के अंदर एक तरह की ऊर्जा रहती है , जिसके कारण बुरी आत्मा उनका कुछ नही बिगड़ पाती , और वो लोग विधि के दौरान ही चारो तरफ से हाथीदांत की चौकड़ी बना देते है । जिससे विधियों का असर उनके ऊपर कहीं गलत ना पड़ जाए । और बात रही मेढ़क माला को तो वो चिल के मृतदेह के ऊपर चढ़ाने हेतु बनाया जाता है ।

ये सुन कर हितेश को कुछ याद आता है और वो बोलता है – लेकिन चाचा रात को मेने देखा था तब तो वो चिल का मृतदेह वहीं पर था लेकिन अभी वहां चिल का मृतदेह गायब है , मतलब वो लोग उसको वहां से लेकर चले गए है ।

हां , जबतक उसका मृतदेह उनके पास है , तब तक वो तांत्रिक ये विधि को अभी भी पूर्ण कर सकता है । उसी के सुराग ढूंढने के लिए हम जंगल की तरफ जा रहे है ।

ये सुनकर विवान बोला – हम्म ! मतलब ये की अगर ये तांत्रिक सफल हो जाता है तो वो भी किसी आत्मा को बंदी बनाकर अपने मन मर्जी का कार्य करवायेगा ।

हां, भाई साहब ! लेकिन विधि करने के दो प्रहर तक उसको बलि का हृदय निकाल कर सब प्रकार की मंत्रविद्या करनी पड़ती है , अगर वो इसमें अब सफल नहीं रहा तो वो विद्या तांत्रिक के ऊपर ही बुरा असर डालेगी । विधि वो लगभग पूर्वान्ह में कर चुका है , मतलब अब उसके पास मध्यान्ह का समय शेष है ।

इतनी बात करके हितेश जगपति को आश्चर्य की नजर से पूछता है – लेकिन चाचा , इस विधि के बारे में आपको इतना गहरे तरीके से कैसे पता है ? और आपने तांत्रिक का बंधन कैसे तोड़ा ?

ये सुनकर जैसे जगपति को गहरा धक्का लगा हो , वो कबसे यही सवाल के कारण चुप रहना चाहता था । लेकिन हितेश के पूछने पर अब वो हड़बड़ा गया था ।

कौनसा राज़ अभी भी जगपति के दिलों में कैद है ? क्या तांत्रिक को जगपति पकड़ पाएगा ? क्या जगपति हितेश के सवालों का जवाब देगा या फिर हितेश की बातों को अनसुना कर देगा ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा .