भयानक यात्रा - 21 - वैध आलोकनाथ नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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भयानक यात्रा - 21 - वैध आलोकनाथ

पिछले भाग में हमने देखा की ....
सतीश झाड़ियों के अंदर से कहीं गायब हो जाता है , उसको ढूंढने हितेश यहां वहां घूमता है लेकिन उसको सतीश नही मिलता । वो वापिस जगपति के घर की तरफ आ जाता है , थोड़ी देर में सतीश झाड़ियों की तरफ से वापिस आता दिखता है । लेकिन इस बार सतीश का हुलिया देख के हितेश डर जाता है । सतीश वहां थोड़ी देर में बेहोश हो जाता है और वही सो जाता है । सतीश का ध्यान रखते हितेश की आंख लग जाती है , लेकिन उसको कहीं से हंसने की आवाज आती है । वो उठ के देखता है तो सतीश अपने खाट पे नही होता है , जब वो टॉर्च घूमाता है तो उसी के खाट पे सतीश मुस्कुराता हुआ उसके सामने देख रहा होता है । ये देख के हितेश डर जाता है और हड़बड़ी में गिर जाता है और बेहोश हो जाता है । जगपति सुबह उठाता है तब वो बाहर का नजर देख के अंदर से हिल सा जाता है । सब लोग हितेश और सतीश की हालत देखने के बाद डर जाते है । जगपति हितेश को रात को जो हुआ उसके बारे में पूछता है लेकिन हितेश उनको अभी कुछ नही बताने का निर्णय लेता है और बहाना बना लेता है । उसका बहाना सुनकर जगपति समझ जाता है की हितेश अभी कुछ बताना नही चाहता ।

अब आगे....
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हितेश को जब जगपति सहारा दे के उठाता है तब उसकी पहली नजर सतीश पे जाती है , जिसके हाथों पे लगा हुआ खून अभी भी सुशीला साफ कर रही होती है ।
जगपति के पूछने के बाद भी हितेश उसको रात के बारे में ये सोचकर नही बताता की , पहले से सब लोग डरे हुए है अगर उसने रात की घटना को सबके सामने रख दिया तो सब लोग और ज्यादा डर जायेंगे । इसीलिए वो कुछ न बताकर चुप रहने का नाटक करने लग जाता है ।

तभी विवान हितेश से कहता है – हितेश तुम दोनो की हालत ऐसी कैसे हुई , ये हमे नही पता लेकिन अब हमे और ज्यादा डर लगने लगा है की हमारे साथ ही ये चीज क्यू हो रही है ?
हितेश विवान से कहता है – विवान , तुम सब खामखा डर रहे हो , अब गांव है तो हो सकता है किसी जानवर ने हमे घायल किया है ? यहां तो ये सब होना सामान्य बात है । तुम लोग डरो मत ये कह कर हितेश ने अपना मुंह जगपति की तरफ कर लिया जैसे वो उसे कुछ बाते बताना चाहता हो ।
हितेश की बात सुनकर डिंपल , विवान और जूली एकदम से भ्रांत हो रहे थे , उनको ये समझ नही आ रहा था की हितेश सच में वही कह रहा है जो वो कहना चाहता है या फिर कुछ बात है जो वो सबसे छिपा रहा है ।
डिंपल ने हितेश से कहा – देखो हितेश , हमे लगता है की तुम हमसे कुछ बात है जो छुपाना चाहते हो , और क्यू छिपाना चाहते हो वो हमे नही पता है । लेकिन अस्पष्ट बातों से हम और ज्यादा भ्रमित हो जायेंगे तो हमे सच बात की जानकारी होना आवश्यक है ।
जूली ने भी कहा – हां , हितेश ! तुमको कुछ छिपा ने की जरूरत नही है जो बात है वो हम सबसे बता पाओगे तो अच्छा ही रहेगा ।
तभी विवान ने भी जूली और डिंपल की बातों में अपना सूर रख दिया ।

ये बाते सुनकर जगपति ने हितेश से कहा – भाई साहब , अगर आपको हमसे कुछ कहना है तो आप बेजिजक कह सकते है , जिसके कारण हम विपदा को खतम कर सकते है या तो फिर उसको साथ मिलके मिटाने की कोशिश कर सकते है ।

हितेश अब थोड़ी देर के लिए चुप हो गया । जहां सब खड़े थे वहीं कही से कोई मधुर ध्वनि आ रही थी , जो मन को शांत और प्रफुल्लित करती जा रही थी । हितेश ने झांक कर देखा तो उसको २ चिड़िया साथ में बैठी हुई थी जो अपनी भाषा में कुछ गाना गा रही हो ऐसा प्रतीत हो रहा था , और वो जैसे हितेश को कहना चाहती हो की , मन को खोल दो और दिल से सबके सामने अपने विचार और बात रख दो । जिसके कारण मुसीबत सबमें बंट जायेगी और मन हल्का हो जायेगा ।
विभ्रांति में खोए हितेश के मन में विचार चल ही रहे थे तभी जगपति बोला – भाई साहब , कहां खो गए आप ?

हितेश उदासीन भाव के साथ वहां सबके सामने देखने लग गया , और फिर उसने रात को घटित घटना का वर्णन सहशब्द सबको बताया । वो सतीश के बारे में बताते बताते कांप रहा था , लेकिन उसको जगपति ने सम्हाल लिया । उसके सिर पे हाथ रखकर जगपति बोला – तो ये बात है , ये कोई मामूली बात नही है भाई साहब । अच्छा हुआ जो आपने मुझे इन सब बातों से अवगत करवाया ।
डिंपल ,जूली और विवान अब सतीश के नजदीक जाने से भी डरने लग गए । वो लोग उसके हाथ के नाखूनों को तरफ देखने लगे जो अभी भी दिखने में काफी विचित्र और गंदे से दिख रहे थे ।

उसी दौरान जगपति हितेश को कहता है – आज से आप दोनो नही आपके साथ में भी बाहर ही सोऊंगा , और जब ये वारदात होती है तब हम उसके पीछे कौन है उसका पता लगा ने की कोशिश करेंगे ।
हितेश ने भी अपना सिर भारी मन से हिलाया और हाथ को अपने सिर पे रख के अपना मुंह नीचे की तरफ कर लिया ।
सुशीला ने अपने मन को प्रश्न रहित करने के लिए पूछा – क्या आप को सतीश ने कहीं चोट पहुंचाई है ?
हितेश ने ना में अपना सिर हिला दिया और चिंतित स्वर में बोला – रात को मेरे मूर्छित होने के बाद क्या हुआ मुझे सच में कुछ नही पता । जब मेरी आंखे सुबह खुली तब आप सब मेरे आसपास ही खड़े हुए थे ।
सुशीला ने फिर सबको संबोधित करते हुए कहा – आप सब यहां थोड़ा बैठिए , मैं आप सबके लिए चाय पानी का इंतजाम करती हूं ।
सबने सुशीला को देख के हृदय से आभार व्यक्त करते उसकी तरफ देखा ।
सुशीला सबके सामने देख कर अपनी खोली की तरफ चली जाती है , और सब अब बैचेन से बैठे हुए होते है । तभी कोई हलचल सी होती है ।

सब के कान खड़े हो जाते है , सब आवाज की दिशा की दिशा में देखने लगते है । आवाज सतीश की खाट से आ रही होती है । सतीश की आंखे खुल चुकी होती है और वो उठ ने की कोशिश करता है और फिर वो फिर से खाट में ही वॉमिट कर देता है । उसको देख के जगपति उसकी तरफ जाता है और इसके पास जाके खड़ा हो जाता है और बोलता है – भाई साहब , अभी आप आराम करिए , आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है ।
ये सुनकर सतीश जगपति के सामने देखता है और आंखे बंद करने की कोशिश करता है तभी उसको अपने शरीर में बहुत ज्यादा दर्द का आभास होता है , और वो अपने दोनो हाथों से जहां दर्द हो रहा होता वहां छूने की कोशिश करता है । तभी उसकी नजर अपने दोनो हाथों पे जाती है और वो डर जाता है उसके हाथो पे पट्टी लगी हुई होती है जिसके कारण उसको अभी हाथों में दर्द महेसुस नही हो रहा होता है लेकिन उसको समझ आ जाता है की हाथो पे घाव ज्यादा हुए है ।
वो सबकी तरफ एक नजर घुमाता है और पूछता है – क्या हुआ है मुझे ? इतनी सारी चोट कैसे लगी है मुझे ?

जगपति कुछ बोले उससे पहले हितेश ने कहा – रात को तुम सोते समय गिर गए थे और गिरने के कारण तुमको चोट लग गई है ।
उसकी नजर हितेश पे जाती है हितेश को भी पट्टी लगाए हुए देख , वो उसे तुरंत एक और सवाल पूछ लेता है – तो तुम्हे चोट कैसे लगी हितेश ?
हितेश को तुरंत कोई जवाब नही मिलता है तब वो एक टक सतीश को देख ने लग जाता है ।
हितेश को ऐसे देखते हुए देख जगपति बोल देता है – वो है ना भाई साहब , सुबह में उठते उनका पैर खाट के अंदर फंस गया था और वो गिर गए ।
जगपति की बातों में और चेहरे के हावभाव में कोई मेल ना देख सतीश जगपति को घूर के देख ने लगा और उसके बाद उसकी आंखे सबकी तरफ नाचने लगी ।

वो फिर से उठने की कोशिश करने लगा , और खाट से अपने पैरो को ज़मीन पर रखा और जैसे ही खड़ा होने की कोशिश करी वो घुटनों के बल गिर गया और उसके उसके मुंह से एक दर्द–नाक चीख निकल गई । उसकी आंखों से आंसू आ गए और वो सिर के बल जैसे कोई चीज ज़मीन में धंस जाए वैसे लुढ़क गया ।
ये देख कर हितेश उसकी तरफ बढ़ा और उसका हाथ पकड़कर उसे उठा ने लगा लेकिन सतीश चिल्ला कर बोला – मेरे पैर ! हितेश मेरे पैर बहुत ज्यादा दर्द कर रहे है ।
हितेश को सतीश अपने पैर की तरफ इशारा करके बोला – ये कैसा दर्द हो रहा है मुझे , क्या हुआ है मेरे पैरों में ?
हितेश जल्दी से उसके पैरो से पतलून काट कर उसके पैर देखता है और उसके एक घुटने में बड़ा सा फफोला हुआ होता है , और वो फफोला पूरा खून से भरा हुआ होता है । वो दूसरे पैर का घुटना देख ने के लिए वहां की भी पतलून फाड़ देता है उसे वहीं पर भी वैसा ही फफोला नजर आता है जैसे किसी ने पैरों पे गरम गरम लोहे की छड़ लगा दी हो ।

सब लोग सतीश के ये फफोले को देखकर सहम से जाते है , और उनको भी सतीश का दर्द महसूस होने लगता है । अपने दोस्त की ये हालत देखकर सबका दिल अब दर्द से भर जाता है , अभी तो उनको सतीश का हर एक घाव अपना लग रहा था ।
जगपति हितेश को कहता है – भाई साहब , इनको इलाज की जरूरत है , और यहां नजदीक में कोई अस्पताल भी नहीं है ।
हितेश कहता है – तो और कोई उपाय है जिससे सतीश का इलाज हो पाए ?
जगपति कुछ देर सोचता रहता है और फिर कहता है – हां , हमारे गांव में एक वैध है , जो लगभग ८० साल के होंगे । उनके पास शायद इलाज हो सकता है ।
हितेश जगपति से कहता है – तो फिर सतीश को वहीं पे ले चलते है ! इलाज हो जायेगा तो इसका दर्द भी थोड़ा कम हो जायेगा ।
हितेश की बात सुनकर जगपति कुछ सोचता है और वो सबको वही पे रुक ने को बोल कर जल्दी से गांव की तरफ चल देता । थोड़ी देर बाद वो अपनी गाड़ी को ला कर अपने घर के सामने खड़ी कर देता है ।
जगपति विवान और हितेश की मदद से सतीश को दर्द न हो वैसे गाड़ी में बिठा देता है ।
जगपति , हितेश और सतीश गाड़ी में बैठकर वहां से वैध के घर की तरफ चल देते है । विवान , डिंपल और जूली वहीं पर जगपति के घर पे रुक जाते है ।
सुशीला गाड़ी के जाने के बाद बाहर बैठे बच्चों के लिए वो चाय लेके आती है और उनसे बाते करने लग जाती है ।
दूसरी तरफ जगपति अपनी गाड़ी को धीरे धीरे चला रहा होता है , ताकि सतीश को गाड़ी के हिलने की वजह से ज्यादा दर्द ना हो । गांव के दूसरे छोर पर गाड़ी के पहुंच जाने के बाद जगपति गाड़ी को एक मकान के सामने लाके रोक देता है । जो दिखने में थोड़ा बड़ा होता है और वो मकान पे एक चौखटा लगा हुआ और उसके ऊपर नाम–पट्टी लगाए हुई होती है ।
उसके ऊपर लिखा होता है – " वैध आलोकनाथ " ।
सतीश , हितेश और जगपति गाड़ी से उतर जाते है , जगपति और हितेश , सतीश को दोनो कंधो से उठा ने के बाद मकान की चौखट की और चल देते है ।

क्या होगा आगे ? सतीश क्या फिर से गायब हो जाएगा रात को ? क्या होगा जब सतीश को खुद का सच पता चलेगा तो ? जगपति सतीश का राज़ ढूंढ पाएगा क्या ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।