भयानक यात्रा - 20 - बेसुध हितेश । नंदी द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

भयानक यात्रा - 20 - बेसुध हितेश ।

हमने पिछले भाग में देखा की ...
जगपति हितेश को कहता है की पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है तो अब वो लोग गांव से जा सकते है । अगर गांव में उनके दोस्त के बारे में कुछ भी चीज पता चलेगी तो वो हितेश को अवगत करवा ही देगा । ये सुनके हितेश और सबको जगपति सही लगता है लेकिन वो जगपति को कहता है की बर्मन को ऐसे छोड़ के नही जा सकते इसीलिए वो वहीं रुकने का फैसला करते है ।
रात को खाना खाने के बाद जगपति सुशीला को कहता है की अगर उनके बच्चे होते तो हितेश और उसके दोस्त जितने की बड़े होते तब सुशीला उदास हो जाती है , ये देखकर हितेश उनको कहता है की वो भी तो उनके बच्चे की ही तरह है । जबसे गांव से बर्मन गायब हुआ है तब से उनको जगपति और सुशीला तो सम्हाल रहे है । उसके थोड़ी देर बाद सब लोग सोने के लिए चले जाते है , तब हितेश और सतीश बाहर की तरफ सोए रहते है अचानक से सतीश उठ के चलने लगता है , हितेश उसके पीछे पीछे जाता है लेकिन सतीश कहीं अंधेरों में घूम हो जाता है ।

अब आगे ....
*******************************
सतीश अंधेरे की तरफ चलने लगता है जहां अचानक से वो कहीं मुड़ के दूसरी दिशा में चलने लग जाता है ।
उसके पीछे आ रहे हितेश को सतीश दिखना अचानक से बंद हो जाता है , वो सतीश को यहां वहां ढूंढने की कोशिश करता है लेकिन वो ढूंढ नही पाता है । वो अपनी जेब में मोबाइल ढूंढने की कोशिश करता है लेकिन उसको याद आता है की मोबाइल तो वो खाट पे ही छोड़ आया था ।

सतीश का कहीं अंधेरे में चले जाने के बाद हितेश झाड़ियों में यहां वहां देखता है लेकिन उसको सतीश आसपास में तो कहीं पर नही दिखता है । वो सोचता है की रात को जगपति को जगाकर उसको सतीश के बारे में सूचित किया जाए लेकिन फिर सोचता है की जगपति के साथ साथ सबकी नींद खराब होगी , तो वो वहीं पे झाड़ियों में देखने की कोशिश करता है ।
हितेश को कोई विकल्प नहीं दिखता सिवा सतीश के लौट के आने तक का इंतजार करने का । वो फिर से जगपति के घर की तरफ चला जाता है , वो सतीश का इंतजार करने लगता है । तभी थोड़ी देर में झाड़ियों में से किसी के चलने की आवाज आती है , सतीश नींद में चलते हुए वापिस अपने खाट की तरफ आ रहा होता ।
लेकिन इस बार का नजारा कुछ अलग सा होता है , सतीश के कपड़े काफी गंदे हो चुके होते है । बालों में मिट्टी भरी रहती है और पैरों में से कांटो के लगने की वजह से खून निकल रहा होता है ।
ये सब तो ठीक था लेकिन , हितेश तब डर जाता है जब उसके हाथ में किसी का खून लगा हुआ होता है । दोनो हाथ के नाखून से लेके पूरा हाथ खून से भीगा हुआ दिखता है ।
सतीश के कानो पे कहीं पर घिसाड़ने की वजह से चमड़ी निकल गई होती है ।

सतीश की ये हालत देख के हितेश को लगता है की वो नींद में किसी को नोंच के आया है । सतीश पहले की तरह ही अपने खाट के सामने आके रुक जाता है और उसका मुंह फूलने लगता है और अचानक से वो मुंह से किसी फव्वारे की भांति ज़मीन पर वॉमिट कर देता है ।
ये देख के हितेश सतीश के थोड़ा दूर हट जाता है ।
सतीश फिर से धीरे धीरे जुकने लग जाता है और वहीं गिर के बेहोंस हो जाता है ।
हितेश हतप्रभ सा वहीं उसको देखता रहता है , थोड़ी देर ऐसे ही देखने के बाद उसको एहसास होता है की सतीश अब सो चुका है । वॉमिट की वजह से सतीश के आसपास से तीव्र बदबू मारने लग जाती है ।

हितेश जैसे तैसे सतीश को उठाता है और खाट में उसको सुला देता है , सुलाते समय उसकी नजर सतीश के नाखून पे जाती है । वो अपने मोबाइल को खाट से ले आता है और सतीश के हाथ पे टॉर्च लगा के देखने लग जाता है । सतीश के हाथ की हालत देख के हितेश की आंखे चार हो जाती है और वो थोड़ा पीछे हट जाता है ।
जो खून सतीश के हाथों में लगा था वो किसी और का नही खुद सतीश का ही होता है । उसके दोनो हाथो के नाखून आधे से ज्यादा टूट चुके थे । सतीश की सब उंगलियों से खून निकल कर उसके हाथों को भिगो रहा था । नाखून को कहीं ठोस चीजों पे घिसा हो वैसे निशान उसकी उंगलियों पे बने हुए थे । हथेलियों में भी खून जम गया था , जो की फफोले की तरह दिख रहा था ।
सोचने वाली बात ये थी की इतना ज्यादा घाव हो जाने के बाद भी सतीश को दर्द भी नही हो रहा था और वो चैन की नींद सो रहा था ।

हितेश को अब मन में डर बैठ जाता है की फिर से सतीश उठ के कहीं चला न जाए । वो सतीश के नजदीक में खराब हुए फर्श को साफ करता है और वहीं पे बैठ जाता है । वो सतीश की निगरानी रखने के लिए अपने खाट पे सतीश पे नजरे जमाये बैठा रहता है ।
लेकिन हितेश सतीश को देख रहा होता है तब थकान की वजह से अब उसकी आंखे धीरे धीरे बंद होने लगती है और वो वहीं पे सोने लगता है ।
थोड़ी देर के बाद हितेश को किसी के हंस ने की आवाज आती है , वो अपने खाट पे हाथ देके उठता है । उसकी आंखे अभी भी खुल नही रही थी , तभी उसकी धुंधली सी नजर सतीश के खाट पे जाती है । खाट पे कोई भी नही होता , सतीश उसे वहां नही दिखता है । वो अपनी बंद होते हुई आंखो को ऊपर की तरफ उठा उठा के सतीश को खाट पे ढूंढने की कोशिश करता है ।
अंधेरे की वजह से उसको कुछ दिख नहीं रहा होता है , लेकिन उसको फिर से हल्की सी किसी के खिसक ने की आवाज आती है ।
वो अब चौकन्ना हो जाता है , वो रोशनी करने के लिए अपना मोबाइल ढूंढता है । जैसे ही वो मोबाइल की टॉर्च को चालू करके अपने खाट की तरफ घुमाता है तभी हितेश के खाट के ऊपर सतीश पैर को मोड़ के बैठा हुआ होता है , सतीश एक भयानक सी मुस्कुराहट के साथ उसको देख रहा होता है ।
हितेश की आंखे बड़ी बड़ी हो जाती है और उसका गला सूखने लग जाता है , उसके पैर धीरे धीरे पीछे की तरफ जाने लग जाते है और उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है ।
तभी फिर से सतीश गर्दन को दाएं बाएं घुमाते हुए हंस ने लग जाता है , उसके मुंह से लार टपकती हुई दिखती है । उसकी आंखो में लाल रंग का गहरापन आने लग जाता है , जो टॉर्च की रोशनी में ज्यादा ही डरावना लगने लगता है ।
हितेश हड़बड़ी में पीछे की तरफ भागने की कोशिश करने लग जाता है , तभी उसका संतुलन खराब हो जाता है और वो गिर जाता है । उसका सिर ज़मीन पर जोर से टकराता है और उसके सिर से खून निकलने लग जाता है । उसकी आंखो के आगे अंधेरा छा जाते है और धीरे धीरे उसकी आंखे बंद हो जाती है और वो बेहोश हो जाता है ।
जब सुबह में जगपति उठके बाहर की तरफ जाता है तब वो बाहर का दृश्य देख के डर जाता है । जगपति को समझ नही आता है की वो क्या करे , वो तुरंत दौड़कर खोली के अंदर की तरफ जाता है और वो जल्दी से सबको उठाता है , और सबको उठा के बाहर की तरफ ले आता है । बाहर का नजर देख ने के बाद सब भौंचक्के रह जाते है । सब की नजारे बाहर पड़े हुए सतीश और हितेश पे जाती है ।
हितेश खोली के बाहर की तरफ बेसूध सा पड़ा सबको दिखता है ।
हितेश के सिर पे निकला हुआ खून उसके सिर पे जम सा गया हुआ होता है । दूसरी तरफ सतीश बेहाल सा खाट के नीचे की तरफ दोनो हाथों को फैला के पड़ा हुआ था ।

जगपति ने सुशीला को कहा – सुशीला अंदर से जल्दी से जाके मरहम पट्टी लेके आओ ।
फिर जगपति ने विवान की मदद से दोनो को खाट पर सुलाया । सतीश और हितेश की ये हालत देख कर किसी को कुछ समझ ही नही आया की रात को ऐसा तो क्या हुआ जिसके कारण दोनो की ऐसी हालत हो चुकी है ।

सतीश की हालत देख ने के बाद तो वो लोग ज्यादा ही परेशान दिखने लग गए । तभी सुशीला मरहम पट्टी का सामान लेके आई और जगपति ने हितेश और सतीश को जहां घाव लगे हुए थे वहां वहां दवाई लगा के पट्टी को बांध दिया ।
रात से आ रही बदबू अभी भी हल्की सी आ रही थी , जिसकी वजह से जगपति ने वहां लकड़ीयों को जलाकर उसमें गाय के कंडे डाल दिए । जिसकी वजह से बदबू थोड़ी देर में दूर होने लगी ।

थोड़ी ही देर बाद दर्द से कराहते हुए हितेश का शरीर हिला , और हितेश ने आंखे खोली । उस के सिर में घाव लगने की वजह से उसको ज्यादा ही दर्द हो रहा था । उसने अपने दोनो हाथ अनायास ही अपने सिर के आसपास रख दिए । उसके हाथ जब सिर पे गया तब उसको एहसास हुआ की उसका सिर टकराने की वजह से फट गया था , और उसपे पट्टी लगी हुई थी ।

उसको सोच ने से याद आता है की रात को सतीश उसके सामने बैठ के विचित्र तरीके से हंस रहा होता है उसका डरावना चेहरा देख के वो हड़बड़ी में गिर जाता है , उसके बाद क्या होता है उसको याद ही नहीं होता है । तभी वो खाट से उठने की कोशिश करता है लेकिन गिरने की वजह से उसके बॉडी में अंदरूनी घाव लगे होते है जो दर्द कर रहे होते है ।
उसके मुंह से आह्ह्ह की आवाज निकल जाति है , जगपति ये देख के समझ जाता है की हितेश उठने की कोशिश कर रहा है , तभी जगपति उसको पीछे से हाथ देके उठाता है ।

वो जगपति को देख कर पूछता है – सतीश कहां है जगपति चाचा ?
जगपति उसको पीछे की तरफ इशारा करके बताता है की सतीश वही पे सोया है । सुशीला अभी भी उसके हाथो पे से खून साफ कर रही होती है । हितेश के आसपास डिंपल ,जूली और विवान खड़े होते है और उनके मुंह पे डर साफ साफ दिख रहा होता है ।

तभी जगपति हितेश को पूछता है – भाई साहब , आप ठीक तो है ना?
हितेश गहरी सी सांस लेके कहता है – अभी तक तो ठीक हूं।
हितेश का दिमाग अब हवा की भांति विचारो में तेज चल रहा होता है । उसकी गहरी गहरी सांसे , उसका डर और उसकी गबराहट को सबके सामने प्रस्तुत करती दिख रही थी ।

जगपति को हितेश के जवाब से संतुष्टि नहीं होती है वो फ़िर से हितेश को पूछता है – भाई साहब , हमे बताइए ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से आप दोनो बच्चो की हालत ऐसी हुई है ?

हितेश का जवाब सुनने के लिए सब हितेश की तरफ अधीरता से देख रहे थे , और हितेश की आंखे सबको ऐसे देख रही थी जैसे वो सबको क्या बताए ? और रात की बात बताएगा सबको तो सब लोग और ज्यादा डर जायेंगे । वो मन में कुछ विचार करता है और जगपति से कहता है – जगपति चाचा , हमे अभी तो कुछ याद नहीं आ रहा , रात को क्या हुआ वो हमे अभी कुछ भी याद नहीं है ।

जगपति हितेश की बात से समझ गया था की हितेश अभी कुछ बताना नही चाहता है , वो हितेश के सामने देखता है और हितेश जगपति को अपनी तरफ देखते हुए देख उसपे से अपनी नजर चुरा लेता है ।

क्या जगपति जान पाएगा की रात को क्या हुआ था ? सतीश की ये हालत कैसे हुई थी ? हितेश रात की घटना सबको बताएगा या नहीं ? क्या सोच रहा है हितेश ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।