हमने देखा की चरणसिंह और विद्यासिंह किल्ले के अंदर कोई मानव आकृति का पीछा करते हुए जा रहे थे तब वो आकृति कही अंधेरे में गायब हो गई उसके बाद चरणसिंह और विद्यासिंह को एक थैला मिला जिसमें खून लगा हुए था,
दूसरी ओर गोखले ने आके रमनसिंह को कुछ कहा जिससे रमनसिंह प्रेमसिंह को देखे अफसोस व्यक्त कर रहा था ।ऐसा तो क्या कहा था गोखले ने रमनसिंह से प्रेमसिंह के बारे में जिससे रमनसिंह थोड़ा प्रेमसिंह को लेके गंभीर हो गया था।
अब आगे.......
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रमनसिंह ने एक नजर प्रेमसिंह की तरफ देखा और गोखले को बोला– प्रेमसिंह को लेके जल्दी से अस्पताल पहुंचो , उसके साथ हमारे दो साथी भेजो । तब तक हम यहां की तैकिकात करते है।
गोखले ने हां में सिर हिलाया और प्रेमसिंह की तरफ बढ़ गया । प्रेमसिंह अभी बच्चो को देखकर रो रहा था उसको ये भी नहीं पता था कि और भी मुसीबत उसके सिर पे आने वाली है ।
गोखले ने उसको आवाज लगाई – प्रेमसिंह , हमे जल्दी से अस्पताल जाना है साब का ऑर्डर है।
ये सुनके प्रेमसिंह को पहली बार में कुछ समझ नहीं आया । वो जैसे एक मूरत की तरह गोखले को देख रहा था । गोखले ने उसको फिर से कहा की हमे अस्पताल जाना है ।
प्रेमसिंह ने मासूम चेहरे से गोखले को पूछा – क्यू साब ?
गोखले ने कहा – अस्पताल से तुम्हारी पत्नी की खबर आई है तो तुमको वहां जाना पड़ेगा, यहां का सब अभी साब देख लेंगे ।
प्रेमसिंह जैसे एक बूत बनके गोखले के सामने देख रहा था, वो चुपचाप गोखले के कहने पर गाड़ी में बैठ गया ।
अब प्रेमसिंह का चेहरा एक मासूम और दर्द से भरा हुआ था , जो साफ साफ कह रहा था की मेरे साथ ये क्या हो रहा है ।
गोखले में ड्राइवर को गाड़ी अस्पताल की तरफ ले जाने का इशारा किया और गाड़ी चल पड़ी । अस्पताल पहुंचने के कुछ ही देर में डॉक्टर ने आकर गोखले से पूछा – प्रेमसिंह कौन है यहां ?
गोखले ने प्रेमसिंह की तरफ इशारा किया ।
आप अंदर आइए– डॉक्टर ने प्रेमसिंह से कहा ।
प्रेमसिंह डॉक्टर के साथ उनके केबिन तक चला गया, डॉक्टर ने प्रेमसिंह को एक कुर्सी पर बिठाया और बोले आपकी पत्नी की हालत ठीक नहीं है हमे उनके इलाज के लिए उनको बड़े अस्पताल भेजना पड़ेगा ।
प्रेमसिंह ने पूछा क्या हुआ मेरी जोरु को?
डॉक्टर ने बोला– आपकी पत्नी पैरालिसिस हुआ है और उनका इलाज यहां होना संभव नहीं है।
प्रेमसिंह को डॉक्टर की ये बाते समझ नही आई उन्होंने डॉक्टर को एक अचरज भरी नजर से देखा।
डॉक्टर को समझ आ गया की प्रेमसिंह को बाते समझ नही आ रही है ,डॉक्टर ने उन्हें बताया कि उनकी पत्नी का एक तरफ का बॉडी काम करना बंद कर दिया है, मुंह एक तरफ से टेढ़ा हो गया है और वो बोल नही पाएंगी, बाते सुन सकती है लेकिन जुबान शब्दो का साथ नही दे पा रही है।
ये सुन के प्रेमसिंह के पैरो तले से जमीं जैसे खिसक गई हो, एक तरफ अपने बच्चों को ऐसा मारा हुआ देखना और दूसरी तरफ अपनी जोरु को ऐसे पैरालिसिस हो जाना। प्रेमसिंह अपने आप को सम्हाल नही पा रहा था,सोच में इतना कमजोर हो गया की उसका शरीर उसका साथ नही दे पाया और अचानक बेहोश हो गया।
डॉक्टर ने जल्दी से नर्स को बुला कर प्रेमसिंह को एडमिट किया ।
प्रेमसिंह को जब होश आया तब उसके सामने गोखले बैठा हुआ था ,
गोखले ने उसको पूछा – कैसे हो ? अब ठीक लग रहा है?
प्रेमसिंह ने हामी में सिर हिलाया और बोला मुझे मेरी जोरु से मिलना है।
गोखले ने एक नजर डॉक्टर की तरफ घुमाई,डॉक्टर ने गोखले को आंखो से हां की तरफ इशारा किया।
थोड़ी देर बाद प्रेमसिंह को उसकी जोरु से मिलने ले जाने लगे तब प्रेमसिंह के मन में घबराहट और शरीर पे पसीना साफ साफ दिख रहा था,उसको देखके गोखले को भी चिंता सता रही थी । गोखले भले ही एक पुलिस अफसर था लेकिन वो भी एक बाप था ,पिता था वो प्रेम सिंह की परिस्थिति समझ सकता था।
जब प्रेमसिंह को उसकी जोरु के वार्ड की तरफ ले जाया जा रहा था तब प्रेमसिंह लड़खड़ाते चल रहा था,वार्ड में जाते ही समय दांई तरफ उसकी जोरु एक बिस्तर पे बेजान सी लाचार पड़ी थी,उसको देख के प्रेमसिंह के मुंह से एक चीख सी निकल गई ।
उसकी चीख से पूरे वार्ड में एक दर्द सा फेल गया।
उसकी आवाज से सोती हुई उसकी पत्नी ने आंखे खोली,वो उठ नही सकती थी ना बोल सकती थी,बस लाचार आंखो से उसके पति को देख सकती थी।
आंखो में आंसू थे,दिल में घुटन थी और उसको चिल्ला के रोने का मन कर रहा था किंतु वो बस अंदर ही अंदर रोए जा रही थी।
प्रेमसिंह अपनी पत्नी की तरफ देख के बोला– तू चिंता न कर सब ठीक हो जायेगा।
उसकी पत्नी उसकी पूछना चाह रही थी की बच्चे कहां है? प्रेमसिंह अपनी पत्नी की बाते समझ रहा था भले ही वो बोल नही रही थी लेकिन प्रेमसिंह अपनी जोरु की बाते उसकी आंखों से ही समझ पा रहा था।
प्रेमसिंह ने अपनी जोरु की तरफ से नजरें नीचे करके बोला हमारे बच्चे अब इस दुनिया में नही रहे, खा गया वो राक्षस उन्हें। हमारे बच्चे भूपतसिंह और मेघलबा की बस लाशे मिली है।
प्रेमसिंह की बाते सुनके उसकी जोरु की आंखे बड़ी होने लगी और उसका पूरा शरीर कांपने लगा ,ये देखके नर्स ने तुरंत डॉक्टर को आवाज लगाई और प्रेमसिंह को वार्ड से बाहर जाने को कहा!
प्रेमसिंह अंदर से टूट चुका था ,तब गोखले ने उसको सहारा देते हुए कहा –चिंता न करो प्रेमसिंह तुम्हारे जीवन में जल्द ही तकलीफे चली जायेगी ऊपरवाले पे भरोसा रखो।
प्रेमसिंह ये सुनके बोला–साब ,क्या ही बुरा किया है मेने किसी का? पता नही सब दुख एक साथ मेरे सिर पे आके क्यू मंडरा रहे है?
यह कहकर वह फुट फुट कर रोने लगा और अपने गमछे को कंधे से उतार कर आंसू पोंछकर मजबूत होने का दिखावा करने लगा ।
कैसे हुई मौत प्रेमसिंह के बच्चों की ? क्या सच में उन्हें राक्षस खा गया या और कोई बात है ? क्या प्रेमसिंह की पत्नी कभी हो पाएगी ठीक ? कैसे निकलेगा प्रेमसिंह इन सब मुसीबतों से बाहर ? जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले भाग का ।