आगे आपने देखा की अनुज कैसे दूसरी दुनिया से अभिमन्यु के साथ बाहर आ जाता है ।
सब लोग मिलकर अभिमन्यु का तहेदिल से शुक्रिया करते है ।
उसे बहुत मान - पान देकर विदा करते है ।
मेरे सब पाठकों को लगता है की कहानी या पूर्ण हो गई है ।
ओर सुनैना से बचना इतना आसान था ।
अभी तक तो मुजे भी ऐसा ही लग रहा था ।
पर बात ये है की अगर कहानी कोई मोड ना ले तब - तक पढ़ने ओर लिखने का मजा नहीं आता ।
अभिमन्यु घर से बाहर निकलता है ।
ओर आगे जाके वो फिर से जंगल की ओर गायब हो जाता है ।
सबको लगता है की सबकुछ ठीक हो गया है ।
अनुज भी अब ठीक लग रहा है ।
और वो सब भी अब मंगल मेंसन मे राजी खुशी से रह रहे है ।
अब सबकुछ पहले जैसा हो गया है ।
कल पर का जन्मदिन है ।
तो सब तैयारी पे लगे हुए है ।
अनुज केक का ऑर्डर देने गया है ।
मम्मी ओर पापा महेमान की लिस्ट तैयार कर रहे है ।
प्रेम भाई ओर सोनाली भाभी पार्टी की ऐरेनजमेंट देख रहे है ।
प्रिया परी को कैसे तैयार करना है उसकी तैयारी मे लगी हुई है ।
सब अपना अपना काम कर के रात को डिनर पे आते है ।
ओर फिर सोने चले जाते है ।
आधी रात को अचानक रूम की खिड़की खुलती है ।
ओर मानो कोई परी को खिड़की से ताग रहा हो ।
थोड़ी देर बाद अनुज उठता है ओर खिड़की बंध करके सो जाता है ।
सुबह होते ही अनुज प्रिया से कहेता है कल तुमने खिड़की खुली रख दी थी ।
प्रिया नहीं तो वो आगे बोलने जा रही थी ।
तब ही भाभी ने उसे किसी काम के लिए बुलाया ।
देखते - देखते ही शाम हो गई ।
पार्टी जोर - शोर से चल रही थी ।
लेकिन एक शख्स ऐसा था जो इन सब पर नजर ताने बैठा था ।
सब मिलकर डांस किया ।
फिर परी ने केक काटी ।
ओर फिर खाना खाकर सब अपने घर चले गए ।
अब सब मिलकर बारी - बारी सब की गिफ्ट देख रहे थे ।
सब के गिफ्ट काफी बड़िया थे ।
सब सोने जाने ही वाले थे की तब ही मैन - डोर की घंटी बजी ।
रात को बारा बजे कोन होगा अनुज ने बोला ।
प्रिया ने जाके दरवाजा खोला तो उसने देखा की वहा पे एक गिफ्ट रखी हुई थी ।
प्रिया मैन - डोर को लोक करती है ओर वो गिफ्ट लेकर आती है ।
जब उस गिफ्ट को खोला तो उसमे से एक प्यारी सी गुड़िया निकलती है ।
ओर साथ मे एक कागज था ।
जिस पे लिखा था ।
मेरी प्यारी सी गुड़िया के लिए एक बहेतरीन तोहफा ।
थोड़ी देर बाद सब सो गए ।
तभी वो गुड़िया की नीली - नीली आंखे खुली ।
अब क्या होगा जानने के लिए मेरे साथ पढे - एक कहानी ऐसी भी -भाग - १४