आगे आपने देखा की अभिमन्यु अनुज के बगल मे बैठ जाता है |
ओर बैठकर ध्यान लगाता के तभी वो दुशरी दुनिया मे पहोच जाता है |
वहा उसे अनुज दिखता है ओर अभिमन्यु से कहेता है मुजे बचालों अभिमन्यु |
क्या वो सच मे अनुज ही था या कोई ओर चलो देखते है इस भाग मे |
अब आगे |
अभिमन्यु अनुज के पास जाने ही वाला था की तब ही उसे याद आया की ,
मे तो अनुज को पहेली बार मिल रहा हु |
इससे पहले तो कभी अनुज को मे कभी मिला ही नहीं फिर उसे मेरा नाम कैसे पता |
जरूर ये कोई छलावा है |
छलावा दर असल मे प्रेत का ही एक रूप होता |
जिसे हम आँखों का भ्रम भी कहे शकते है
वो असल मे नहीं होता सिर्फ हमे गुमराह करने के लिए होता है |
ताकि वो हमे गुमराह करके अपना काम निकलवा शके |
अब अभिमन्यु को उस पे पूरा शक हो गया |
ये हो न हो कोई ओर ही है |
उसने अपनी बेग से माला निकाली ओर अनुज पे फेक दी |
पर ये क्या अनुज पलभर मे राख बनके उड गया |
अब अभिमन्यु फिर से अनुज को ढूंढ ने के लिए आगे बढ़ गया |
चलते चलते वो जंगल मे आ गया |
साम हो चुकी थी तो उसने आगे जाना मुतासीर ना समजा |
जंगल मे बहुत शांति थी
ओर ठंडी हवा भी चल रही थी |
हवा मे पते लहरा रहे थे उसकी आवाज आ रही थी |
इन सबके बीच पता नहीं उसे कब आँख लग गई |
पर ये क्या अचानक उसे रोने की आवाज सुनाई दी |
वो उस आवाज की दिशा मे जाने लगा |
तभी वहा उसने देखा की कुछ लोग दो चार आदमी को मार रहे है |
उसे मार मारके मार डाला फिर उसकी खोपरी निकाल ली ओर उसमे उसका लोही पी रहे थे |
फिर सब ने मिलकर उन आदमियों को खाना समज के खा गए |
ये सब देखकर वो चिल्ला उठा ओर मारने के लिए दोड़ता है तो |
वो देखता है की उनकी ताड़ात तो बहुत बड़ी थी |
इस लिए भागने मे ही उसकी भलाई थी |
जैसे ही उन सबने आवाज सुनी |
वो सब अभिमन्यु को मारने के लिए उनके पीछे दोडे |
अभिमन्यु अब भागकर थक गया था |
फिर भी वो दोड़ रहा था |
अगर वो रुका तो वो लोग उसे जिंदा नहीं छोड़ेगे |
वो लोग उसे मार डालेंगे |
अब वो क्या करे ये सोच रहा था |
की कुछ लोग उनके पास आ गए |
वो जमीन पर गिर गया |
तभी एक इंशान तूफान की तरह मशाल लेकर उसके सामने आया |
ओर उन सबको वहा से हटाया |
फिर अभिमन्यु को उस सीमा के पार ले गया |
जहा वो लोग उस तक नहीं पहोच शकते थे |
कोन था वो आदमी ओर क्यू वो प्रेत सीमा के उस पार नहीं जा शके ?
जानने के लिए पढिए |
एक कहानी ऐसी भी भाग - ९