आगे अपने देखा की किस तरह अनुज को काले जादू के जाल मे फसाया जाता है |
जब वो घर पहुचता है तब सब को लगता है की सब कुछ ठीक हो गया |
पर ये उनकी गलतफहमी थी |
जैसे ही अनुज डिनर करके खड़ा होता है , वो धम से गिर जाता है |
ओर उसे काले खून की उलटी होती है |
सब उसे अस्पताल ले जाते है |
अब आगे |
अस्पताल के बाहर कोई फोन पे बात कर रहा है |
जीतने भी पैसे हो सब के सब लगा दूंगा पर मेरे बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगा |
ये अनुज के पिताजी राकेश मिश्रा जि की आवाज थी |
तो दुशरी ओर उसका बड़ा भाई अस्पताल की भागड़ोद मे लगा है |
उसकी मम्मी से अनुज की हालत देखि नहीं गई ओर वो घर पर ही बेहोस हो गई |
सोनल भाभी भी मा के पास वही घर पर ही ठहर गई |
परी ओर प्रिया दोनों सुबह ही नानी के घर गए थे क्योंकि प्रिया का भाई सामान खरीद ने सहेर आया था |
तो सोचा की बहन से मिलकर चला जाउगा |
पर परी ने नानी के घर जाने की जिद की तो किसिने नहीं रोका |
तो वो दोनों सुबह ही आने वाले थे |
इधर हालत कंडीसन से बाहर हो रहे थे |
क्यों की खून पूरा काला पड़ चुका था |
डॉक्टरों को भी समज नहीं आ रहा था की ये रोग क्या है |
फिर भी डॉक्टर ने पूरी कोशिस की |
हा थोड़ा बहुत आराम भी था क्योंकि उल्टीया बंध हो गई थी |
पर खून अभी भी काला था |
थोड़ी देर बाद डॉक्टर ने उसे घेन का इंजेकसन दे दिया जिसकी वजह से वो सो रहा था |
बाद मे डॉक्टर ने राकेश ओर प्रेम को बुलाकर बोला |
ये बात बहुत गंभीर है ओर उतनी ही जटिल |
मैंने अपने पूरे करियर मे ऐसा केस पहेली बार देख रहा हु |
जहा पर पेसन्ट मे कोई बीमारी नहीं है फिर भी पूरा खून काला पद गया है |
ये बीमारी हमारी समज से परे है |
इसमे हमारा अस्पताल कुछ नहीं कर सकता |
आम तौर पर ऐसा तब होता है |
जब खून कुछ मिल जाए या फिर किसी जंकफूड की वजह से खून मे इंफेकसन हो जाए |
पर यहा ऐसा कुछ भी नहीं |
ऑल रिपोर्ट्स आर नॉर्मल |
आज की रात हम इसे अंडर ऑबसर्वेसन के लिए रखेंगे |
कल सुबह दुबारा रिपोर्ट के बाद आप उसे घर ले जा सकते है |
फिर थोड़ी देर बाद राकेश जि घर पर गए क्योंकि |
घर पर रीना जि ओर सोनल अकेले थे |
वो घर पहुचे ओर राकेश ने रीना जि ओर सोनल को सब कुछ बताया |
डॉक्टर की बाते कहते हुए राकेश जि ओर सुनते हुए रीना जि एकदम अंदर से टूट चुके |
जैसे ठीक कुछ साल पहले सुनैना के मा - बाप टूट चुके थे |
लगता था सरुआत हो चुकी है |
उसने अपना पहेला दाव खेल लिया |
अब आगे क्या होगा जानने के लिए पढे |
एक कहानी ऐसी भी - भाग - ४