आगे आपने देखा की जैसे उन्होंने अमरूद तोडा तो जंगल मे खलबली मच गई ।
पूरी जमीन घूमने लगी ओर देखते ही देखते पूरा जंगल सिकुड़ गया ।
ओर उन्हे बहुत ऊंचे उछाल दिया ।
जब ये चक्रवात थम गया ।
तब वो एक तालाब के किनारे थे ।
अब वो तालाब पार करके ही उस ओर जा सकते थे ।
तो उन्होंने एक नौका बनाई ।
ओर तालाब मे गए ।
पर ये क्या वो जैसे ही तालाब मे गए ।
तालाब के प्रेत जिंदा हो गए ।
ओर उनपे तराप मारने लगे ।
जैसे तैसे करके वो उनसे बचे ।
ओर आगे बढ़े आगे जाके ।
उन्हे तालाब का किनारा स्पष्ट दिखाई दे रहा था ।
वो किनारे के नजदीक पहुचे तो उन्होंने देखा की उनकी नौका की ।
जो धारे है वो जल चुकी थी ।
इस बात से उन्हे ये पता चला की आगे आग है ।
उन्होंने देखा की कुछ पत्थर की लकीर भी है ।
तो उन्होंने सोचा की क्यू न इसका सहारा लिया जाए ।
वो दोनों पत्थर पे पैर रखकर अंत तक पहुच गए ।
लगता है जैसे आज ही इस कहानी का अंत आ जाएगा ।
देखते है क्या होता है ।
आगे जाके एक गुफा आई उन्मे कई दरवाजे थे ।
ओर एक ही चाबी थी ।
इसका मतलब उन्हे योग्य दरवाजे का चयन करना पड़ेगा ।
तबही वो बाहर जा सकेंगे ।
इसलिए उन्होंने अपने आस - पास देखा ।
तो सब दरवाजे पर एक अजीब स चिह्न था ।
सिवाय किसी एक के ।
वो समज चुके के यही दरवाजा है ।
उन्होंने वो चाबी ली ओर उसमे लगाई ।
जैसे दरवाजा खुला एक लंबी सुरंग थी ।
अंदर बहुत अंधेरा था ।
वो अंदर गए ।
उनके पैर रखते ही सुरंग दोड़ने लगी ।
ओर उनके पीछे प्रेत पड़ गए ।
वो दोनों भी दोड़ने लगे ।
तबही वो सात फ़रिश्ते उनको याद आए ।
अभिमन्यु ने उनको याद किया ।
ओर एक रोशनी हुई ।
उस रोशनी मे वो सात फ़रिश्ते दिखाई दीये ।
उन्होंने अभिमन्यु को कहा ।
बेटे तुम्हारा इंतेजार खत्म हुआ ।
यही वो सुरंग है जो तुम्हें इस दुनिया से अपनी दुनिया मे ले जाएंगी ।
इधर अनुज के माता - पिता भी अभिमन्यु ओर अनुज के अंतिम - संस्कार की तैयारी करने लगे ।
क्योंकि उन्हे लॉट ने मे अब सिर्फ एक घंटा ही बाकी था ।
सब तैयारी हो चुकी थी अब सिर्फ एक घंटे के बाद वो इन दोनों को अग्नि - संस्कार करने वाले थे ।
अभिमन्यु ओर अनुज दोडे प्रेत भी उनके पीछे दोडे ।
एक प्रेत ने अनुज को पकड़ लिया ओर उसे नोचने लगा ।
अभिमन्यु ने जैसे - तैसे उसे छोड़ाया ।
अब सिर्फ दो मिनिट की बात थी ।
मानो की प्रेतों ने उन दोनों को पकड़ ही लिया हो ऐसा था की ।
तभी अभिमन्यु को दरवाजा देखा उसने छलांग लगा दी ।
ओर वो अपने शरीर मे लौट आया ।
ओर उसके पीछे ही अनुज भी लॉट आया ।
दोनों खड़े हुए ।
अब अनुज फिर से पहेले जैसा हो गया ।
ओर अभिमन्यु भी अपने घर चला गया ।
आज इस बात को बीते १ साल हो गया है ।
ओर अब सब राजी - खुशी रह रहे है ।
अब मंगल वीला मे सच मे मंगल ही मंगल है