लक्ष्मी--अछत लड़की की प्रेमकथा Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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लक्ष्मी--अछत लड़की की प्रेमकथा

ओहो,"डोर बेललगातार बज रही थी।आवाज सुनकर लीला उठते हुए बोली,"आ रही हूँ।"
लीला पूजाघर से निकलकर दरवाजे पर आई थी।उसने दरवाजा खोला तो अपरिचित युवती को दरवाजे पर खड़े पाया था।लीला उस युवती से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही युवती ने लीला के पैर छू लिए थे।
"कौन हो तुम?"लीला उस युवती की तरफ देखते हुए बोली थी।
"क्या?बहू?"लीला उस युवती की बात नही समझी थी।
"माझी।मैं आपकी बहु हूँ।"उस युवती ने फिर से अपनी बात दोहराई थी।
"मेरी बहू?"उस युवती की बात सुनकर लीला आश्चर्य से बोली थी,"मेरे तो एक ही बेटा है।उसकी अभी शादी ही नही हुई तो फिर मेरी बहू कहा से आ गयी?"
"मैने और सुरेश ने शादी कर ली है।हम शादी करके कोर्ट से ही आ रहे हैं"
लीला के एकलौता बेटा सुरेश था।पति की असमय मृत्यु के बाद लीला ने अपने बेटे को पाला था।सुरेश ने ििइंटर पास करने के बाद एम सी ए में पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की थी।लीला ने बेटे को पढ़ाने के लिए अपने सारे गहने बेच दिए थे।और माँ के त्याग का ही फल था कि सुरेश ने अच्छे अंकों से एम सी ए पास कर ली थी।कालेज केम्पस में ही उसे देशी विदेशी कम्पनियों से प्लेसमेंट के ऑफर मिले थे।लेकिन सुरेश अपनी माँ से बहुत प्यार करता था।उसकी हर बात को मानता था।वह ज्यादा पैसे कमाने के लिए अपनी माँ को छोड़कर विदेश नही जाना चाहता था।इसलिय उसने मल्टीनेशनल कंपनी के सभी आफर ठुकरा दिए थे।
उसने एक छोटी कम्पनी में कम पैसो में नौकरी कर ली थी।लीला को इस बात का पता चला तो वह बोली,"तू विदेश में क्यो नही गया?"
"माँ अकेले जाना पड़ता,तुझे छोड़कर।"
"पैसे तो तुझे ज्यादा मिलते।"
"विदेश में जाकर माँ के प्यार के लिए तो तरश जाता।"
और सुरेश ने कम्पनी में नौकरी जॉइन कर ली।और एक दिन एक युवती और उसकी कम्पनी में आ गयी थी।
"हाय मैं रीना,"रीना अपना परिचय देते हुए बोली,"मैं सागर से हूं।"
"मैं सुरेश--उस युवती के बारे में जानकर सुरेश ने अपने बारे में बताया था।
"कहा से हो?"रीना ने सुरेश से पूछा था।
"दिल्ली।"
"लोकल हो,"रीना बोली," डिलई और नोयडा में फर्क ही क्या है?"
और सुरेश की अपनी कम्पनी में आई रीना से दोस्ती हो गयी।एक दिन सुरेश बोला,"दिल्ली पहले भी आई हो।'
"पहली बार।"
सन्डे को चलो तुम्हे घूमता हूँ।और सुरेश उसे इंडिया गेट और कुतुब मीनार ले गया था।होटल में सुरेश ने दो कॉफी के साथ एक प्लेट पकोड़े मंगाए तब रीना बोली थी,"मुझे अलग प्लेट में दे दो।"
"क्यो?"
"मैं अछूत हूँ।"और रीना ने सुरेश को अपने बारे में बताया था
"तुम इतनी पढ़ी होकर दकियानूसी बाते कर रही हो।"
ऑफिस में तो वे साथ काम करते ही थे।ऑफिस के बाद भी उनका समय गुजरने लगा और सुरेश को रीना से प्यार हो गया।एक दिन सुरेश ने अपने प्यार का इजहार करते हुए कहा,"मैं तुम्हे अपनी बनाना चाहता हूँ।"
"चाहती तो मैं भी हूँ लेकिन यह सम्भव नही।"
"क्यो?"
"अपने घर वालो से बात कर लो।"
सुरेश का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उसकी माँ लीला कर्मकांडी महिला थी।छुआछूत को बहुत मानती थी।वह अछूत को तो अपने घर की दहलीज पर फटकने तक नही देती थी।उसी मा को जब सुरेश ने रीना के बारे में बताया तो उसने दलित लड़की को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार नही हुई।
"क्या हुआ?"रीना ने सुरेश से पूछा था।
"माँ तैयार नही है"।
"मैं जानती थी,तुम्हारी माँ कभी तैयार नही होगी।मुझे भूल कर दूसरी लड़की से शादी कर लो।"
"प्यार तुम से किया है, शादी भी तुम्ही से करूंगा।,"
और युवती की बात सुनकर लीला सब समझ गयी थी।
"तुमने और सुरेश ने शादी कर ली?"
"हा माझी।"
"लेकिन तुम यहाँ क्यो आयी हो?"
"शादी के बाद औरत अपनी ससुराल ही आती है"
"लगती तो समझदार हो लेकिन भूल गयी एक बात,"लीला बोली,"दुल्हन ससुराल ही आती है लेकिन अकेली नही।अपने दूल्हे के साथ आती है।"
लीला के प्रश्न को टालते हुए रीना बोली,"माझी अंदर आ जाऊ"
",जब तुम यहाँ तक आ ही गयी तो मेरे नालायक बेटे को भी साथ ले आती।"
सुरेश कोने में खड़ा होकर माँ की बाते सुन रहा था।मा की बात सुनकर रीना की बगल में आकर खड़ा हो गया।
"माँ को छोड़कर विदेश नही गया लेकिन मा के मना करने पर भी अछूत को ब्याह लाया,"लीला बोली,"तेरा प्यार तो सच्चा है,जो मा के विरोध के बावजूद शादी कर ली।"
"माँ अंदर आ जाये।"
सुरेश धीरे से बोला।
"अभी नही
लीला जल्दी से पूजा की थाली ले आयी
"बहू न दलित होती है,न अछूत होती है।बहू लक्ष्मी का रूप होती है,"लीला आरती उतरते हुए बोली,"लक्ष्मी को सम्मान से घर मे प्रवेश देते है
और आरती उतारने के बाद लीला बोली,"अब आओ बहू