संदीप जानता था आकाश बहुत उत्सुक है यह जानने के लिए और इसी वजह से संदीप ने उसे परेशान करने के लिए और ज्यादाकाम का बहाना बना दिया उसने कहा “ अरे मुझे स्टोरी लिखना है और मेरे माइंड में अभी-अभी बहुत अच्छे विचार आए हैं, तुम्हे तो पता है वो मेरा खडूस बॉस कितनी देर देर तक काम कराता है, जिसकी वजह से घर आकर कुछ करने की हिम्मत नही रहती, मुझे कुछ भी करके दो तीन दिनों में ये कहानी पूरी करके देनी है” |
ये कहकर वो उठा और बोला “ अच्छा अब मैं चलता हूं, तुम भी जाओ थोडा आराम करो जाके” |
ये कहकर वो जाने लगा और मन ही मन में हंसने लगा तभी आकाश ने कहा “ अरे रुको तो यार जरा उस जगह के बारे में तो बता दो” |
सन्दीप ने कहा “ अगली बार मिलकर बताऊंगा या फिर वीकेंड पे तैयार रहना” |
आकाश का चेहरा देखकर सन्दीप अपनी हंसी रोक नही पा रहा था, उसे न जाने क्यों बहुत मजा आता था आकाश को चिड़ाकर परेशान करके |
आकाश भी बैठा बैठा सोचता रहा यार ऐसी जगह अपने शहर मे ही है तब तो मजा आएगा, कम से कम कुछ देर के लिए खुलकर लाइफ जी तो सकते हैं, बोल सकते हैं, जैसी मर्जी बात कर सकते हैं, यही सब सोचते सोचते वो भी घर चला आया | घर आकर उसने थोडा रेस्ट किया और फिर अपने रंग और ब्रश लेकर बैठ गया लेकिन उसका मन तो बस उस जगह को जानने में ही लगा था, इसलिये उसने एक गहरी सांस ली और अपने पेंटिंग ब्रश वापिस उसी जगह रख दिये और बिस्तर पे लेट गया और ना जाने कब उसे सोचते सोचते नींद आ गई |
अगले दिन संदीप ने फोन किया और कहा “ यार ऐसा करते हैं कल शाम को मिलते हैं थोडी शोपिंग भी करनी है, उसी जगह चलने के लिये” |
आकाश ने जवाब दिया “ लेकिन तुम्हारे पास तो टाइम नही था, अब कैसे ?”
सन्दीप ने उसे डांटते हुये कहा “ अब अपनी बकवास ना करो और कल शाम मिलो” |
ये कहकर उसने फोन रख दिया और फिर अगले दिन शाम को दोनों फिर मिले |
आकाश ने संदीप को देखते ही कहा “ अब बताओ.... उस जगह के बारे में, कहां है वो ?”
संदीप ने उसके दोनों कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “ ओहो काफी एक्साइटेड हो इसके बारे में जानने के लिए, चलो तुम जैसे बोरिंग और पकाऊ आदमी में कुछ तो एक्साइटमेंट आया” | आकाश ने अपने कंधों से उसकी बाहों को उठाते हुए कहा “ शट अप, अपनी बकवास बंद करो मैं तुमसे ज्यादा एक्साइटेड और जिंदादिल हूं” |
इस पर संदीप ने कहा “ ऐसी बात है तो ठीक है, जब तुम इतने ही जिंदादिल हो तो पता कर लो” |
वह यह कहकर दूसरी तरफ देखने लगा | आकाश भी समझ गया था कि ये नाटक बाज बिना नाटक करे तो कोई बात नहीं बताता |
संदीप ने मुस्कुराते हुए फिर कहा “ तुम्हें सच में नहीं पता उस जगह के बारे में” |
जिस पर आकाश ने ना में सिर हिलाते हुए कहा “ मुझे नहीं पता, अब क्या स्टैंप पेपर पे लिख कर दूं, कितनी बार तो बता चुका हूं, मुझे कई साल इस शहर में रहते हुए हो गया है लेकिन मैं ज्यादा कहीं आता जाता नहीं और नाही मै तुम्हारी तरह इधर उधर की बातें जानने में इंट्रस्टेड रहता हूं” |
संदीप ने मुस्कुराकर तिरछी नजरों से कहा “ हुह्ह्ह्ह्ह......लेकिन जिन्दादिल तो हो ना, तो पता तो होना चहिये, खैर वो सब छोडो, चलो इस शनिवार मै वहां तुम्हें घुमा के लाता हूं, वहां कोई पराया नहीं लगता सब अपने लगते हैं, तुम्हें भी वहां बहुत अच्छा लगेगा, आखिरकार तुम्हें भी पता होना चाहिए आजादी से जीने में कितना मजा है, ये तुम भी देख लेना, और अगर मुझे पता होता कि तुमने कभी ऐसी जगह नही देखी तो मै तो तुम्हे कब का वहां ले चलता, कमाल करते हो, सच में पूरी बुढ्ढों वाली हरकतें है तुम्हारी” |
यह सुनकर आकाश बोला “ यार...ये तुम ना अपना बिना बैटरी का रेडिओ तो चलाया मत करो और तुम बातों से ही पेट भरोगे या आज कुछ खाएंगे पिएंगे भी” |
ये कहकर दोनों मेक डी मे गये और एक्स्ट्रा चीज वाले बर्गर खाने लगे, दोनों जब भी मिलते तो एक दूसरे की पसंद का खाना खाते और यही सब बातें धीरे धीरे इनके प्यार को और गहरा करती गईं |
इसके बाद दोनों ने शॉपिंग की और घर चले गये | शनिवार को जब दोनों मिले तो संदीप उसे एक ऐसी पार्टी में ले गया जहां उनकी तरह प्यार करने वाले कई सारे लोग थे, कुछ लड़के लड़कियों की ड्रेस पहनकर पार्टी में चार चांद लगा रहे थे, जिन्हें कोई प्यार से छेढ़ता, कोई छूता तो कोई बटरफ्लाई कहकर पुकारता, कोई वहां किसी का मजाक नहीं उड़ा रहा था | उन लड़कों को कोई छक्का, हिजड़ा या मीठा कहकर भी नहीं पुकार रहा था | वह इठलाते बलखाते और फिल्मी गानों पर नाचते, आकाश ने यह सब पहली बार देखा था उसे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इस तरह की कोई पार्टी होती भी है |