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साउंडलेस लव - 3

आकाश को बड़ा गुस्सा आ रहा था, उसे बार-बार लग रहा था कि उसने उस लड़के के दो थप्पड़ क्यों नहीं मारे, इतनी बत्त्मीजी से बात कर रहा था और इसके बावजूद भी आकाश ने उसको कोई जवाब नहीं दिया लेकिन क्यों?? आज का तो दिन ही खराब है पता नहीं कैसे-कैसे लोग पाले पड़ जाते हैं, उसे यह बात नहीं समझ आ रही थी कि वह उसको कुछ कह क्यों नहीं पाया, वो तो बस उसकी और देखता रहा और उसकी बातें सुनता रहा |



आकाश यही सोचता सोचता अपने कंपटीशन के लिए चला गया, आकाश एक बहुत ही सुलझा हुआ और शांत स्वभाव का लड़का था, वो हमेशा अपनी काल्पनिक दुनिया में रहता क्योंकि वह पेशे से एक आर्टिस्ट था जिसका काम था पेंटिंग बनाना लेकिन आकाश बहुत अकेला था |



उसे जब भी कोई कुछ कह देता था तो वो दुखी हो जाता था और अपने अतीत के बारे मे सोचने लगता था, आज भी वो गाडी चलाते चलाते सोच रहा था कि उसके मां-बाप बहुत पहले ही चल बसे थे, बस एक भाई था जिससे उसकी बनती नहीं थी क्योंकि आकाश शादी करना नहीं चाहता था, उसकी शादी को लेकर कई बार भाई से झगड़े हो चुके थे इसलिए वो अपने भाई और उसके परिवार से अलग गाजियाबाद से दिल्ली में रहने लगा था |



आकाश को शादीशुदा जिंदगी के बारे में सोचते ही घुटन होने लगती, उसे एक डर सा लगने लगता, वह नहीं चाहता था कि वह अपने इस डर को किसी दूसरे पर हावी होने दे या अपने डर और घुटन की वजह से शादी करके किसी और की जिंदगी बर्बाद कर दे, वह समझ ही नहीं पा रहा था कि ऐसा क्यों था? बचपन से ही उसे शादी, लड़कियां, प्यार, इन सब में कोई रुचि नहीं थी” | यही सब सोचते सोचते वो चला जा रहा था |



वो अकेला रहता और न जाने क्या-क्या कल्पनाएं करता और अपनी उन्हीं कल्पनाओं को रंगों के साथ मिलाकर तरह-तरह के चित्र बनाता और खुश रहता लेकिन उससे जो कोई भी मिलता था वह हमेशा उसकी तारीफ ही करता था, वैसे तो वो गोरा चिट्टा और सुन्दर था लेकिन उसका समझदार होना और शांत रहना लोगों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता था, और उसकी मुसकुराहट तो ना जाने कितने दिल का दर्द बन जाती |



वो जल्दी से प्रतियोगिता केंद्र पर पहुंचा और भाग कर अंदर जाने लगा तभी एक गार्ड ने उससे कहा “ क्या नाम है तुम्हारा, अपना आईडी दिखाओ और इतनी देर से क्यों आए हो तुम्हें पता है कि प्रतियोगिता शुरू हो गई है” |



यह सुनते ही आकाश और घबरा के बोला “ सर प्लीज, मैं वैसे भी बहुत परेशान हूं... रास्ते में इतना ट्रैफिक था कि अपने कंपटीशन के लिए समय से नहीं पहुंच पाया, माफी चाहता हूं प्लीज सर मुझे जाने दीजिए वरना मेरा यह कंपटीशन छूट जाएगा” |



आकाश के चेहरे की मासूमियत और भोलापन देखकर वह गार्ड मान गया और आकाश जल्दी से एग्जामिनेशन हॉल मे पँहुच गया, वो प्रतियोगिता में पहुंचकर पेंटिंग बनाने लगा, तीन घंटे की इस प्रतियोगिता मे हजारों लोग आये थे, प्रतियोगिता खत्म होने के दो घंटे बाद ही विजेता घोषित किये गये, जिसमें आकाश को विजेता घोषित किया गया |



उसको आज बहुत खुशी हुई और यह खुशी की बात उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त नमन को बताई, नमन भी उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ और दोनों ने मिलने का वादा किया | आकाश खुशी खुशी घर आ गया और इस खुशी में वह सुबह उस लडके के साथ हुई बहेस को भूलकर अपने दोस्त नमन को याद करने लगा |



आज उसे बार बार याद आ रहा था कि कैसे वो और नमन मिले और उनकी दोस्ती हो गई वो आराम से लेटकर अपने उन्ही दिनों को याद करने लगा |



नमन और आकाश की मुलाकात दिल्ली मे नौकरी ढूंढते समय हुई थी, एक दिन आकाश अपने शुरुआती दौर में नौकरी के लिए एक कंपनी में इंटरव्यू देने आया जहां पहले से ही काफी भीड़ थी इंटरव्यू देने आए लोगों के पीछे वह भी बैठ गया, लाइन को देखकर वह समझ गया की दो घंटे तो आराम से लग जाएंगे उसका नंबर आने में इसलिए हमेशा की तरह वो अपने आसपास के लोगों,, दीवारों, सामान और जो भी उसकी आंखों के सामने पड़ रहा था उसको बहुत गौर से देखने लगा और कुछ न कुछ सोचने लगा, यही तो उसकी रचनात्मकता को और बढाती थी तभी आकाश को लगा कि उसके पीछे आकर कोई बैठ गया है |



उसने पीछे घूम कर देखा तो एक लगभग उसी की उम्र का गोरा चिट्टा और बिल्कुल सिल्की बालों वाला लड़का बैठा था, जिसके चेहरे पर इंटरव्यू के समय होने वाली घबराहट साफ दिख रही थी |



आकाश ने बड़ी सहजता से कहा “ क्या हुआ इतने परेशान क्यों हो” सामने बैठे उस लडके ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा “ अरे भाई क्या बताऊं इतने दिन से नौकरी ढूंढ रहा हूं लेकिन नौकरी नहीं मिल रही है परेशान हो गया हूं” |



आकाश ने कहा “ क्या शहर में नये आये हो”?

तो उसने हंसते हुए कहा “ नया तो नहीं कह सकता लेकिन हाँ ज्यादा पुराना भी नहीं कह सकता, मैं करीब तीन-चार महीने से यहां रह रहा हूं, मैं अपने दोस्तों के साथ आया था, सब की नौकरी लग गई, बस मैं ही रह गया हूं क्या करूं कोशिश तो बहुत करता हूं लेकिन मिलती नहीं” |



इस पर आकाश को हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोला “ कोशिश करते रहोगे तो जरूर मिलेगी लेकिन इतना परेशान होने वाली बात नहीं है, वक्त रहते मिल जाएगी” |

इस पर उस लडके ने कहा “ आपको यह सब कहना बहुत आसान लगता है लेकिन पता है पहले तो दोस्तों के साथ रहता था फ्लैट का किराया और बाकी खर्चे आराम से चल जाते थे, क्युंकि सब लोग शेयर करके देते थे तो सब का शेयर काफी कम पढ़ता था लेकिन जैसे-जैसे सबको नौकरी मिलती गई सबने अपने-अपने अलग फ्लैट ले लिये अब बस मैं रह गया, अब हालत मेरी यह है की फ्लैट का किराया भी देने में लोहे लग जाते हैं, वह तो शुक्र है कि घर पर कुछ ट्यूशन पढ़ा लेता हूं नहीं तो वापस घर जाना पड़ेगा और अगर वापस घर गया तो मेरे पापा तो मुझे घर से ही निकाल देंगे” |





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