"मैने तुम्हारे पापा से बात की थी। उन्हे कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर जाना है, और वोह तुम्हे आज शाम को फोन करेंगे।" अभिमन्यु ने अपने महंगे काले रंग के सूट की पॉकेट में हाथ डालते हुए कहा। उसने ब्लैक सूट के साथ ग्रे कलर की शर्ट पहनी हुई थी और वोह बहुत हैंडसम लग रहा था। उसके बाल सलीके से पीछे की तरफ कड़े हुए थे और उसकी दाढ़ी परफेक्टली ट्रिम्ड हो रखी थी। वोह इस वक्त परफेक्टली एक हैंडसम बिजनेस मैन लग रहा था ना की कोई शैतान।
"वोह कितने दिनों के लिए जा रहें हैं?" अनाहिता ने पूछा। वोह यही सोच रही थी की अच्छा है जितने ज्यादा दिनों के लिए उसके पिता बाहर जाएंगे उतने ज्यादा समय के लिए उसकी शादी टल जायेगी। और साथ ही उसे अभिमन्यु का दिमाग बदलने के लिए समय मिल जायेगा की वोह उस से शादी ना करे।
अनाहिता कुर्सी से उठ खड़ी हुई। उसका फोन डेड था इसलिए वोह टेबल पर से अपना चार्जर ढूंढने लगी। उसने अभी तो थोड़ी देर पहले अपने कंप्यूटर और टैबलेट के साथ रखा था।
"कुछ हफ्तों के लिए शायद।" कुछ पल रुकने के बाद अभिमन्यु ने आगे कहा, "उन्होंने बताया था की तुमने अभी ही अपनी ग्रेजुएशन कंप्लीट की है। तुम्हारा आगे का क्या प्लान है? कोई जॉब या कुछ और?"
अनाहिता गुस्से से पलटी। "बहुत सारे प्लान्स थे मेरे। मुझे बहुत कुछ करना था। और उन प्लान्स में एक शैतान से शादी करना तो बिलकुल नही था।" अनाहिता को लगा की वोह अभिमन्यु से यह सब कह रही है पर असल में वो तो उसकी आँखें देख कर ही कुछ कह नहीं पाई।
"अनाहिता, मैने कुछ पूछा है तुमसे?" अभिमन्यु ने कहा जब अनाहिता उसकी ओर पलटी जरूर थी लेकिन यूहीं खड़ी थी और कुछ बोली नहीं थी।
अनाहिता वापिस उसकी तरफ पीठ किए पलट गई और अपना फोन केबल से कनेक्ट करने लगी। "कोई फर्क पड़ता है अब? क्या तुम सब बदल दोगे?"
"नही।" अभिमन्यु ने बिना झिझके सपाट शब्दों में कहा।
अनाहिता जानती थी की यही जवाब होगा और अभिमन्यु दुबारा कभी नही सोचेगा उसके लिए लिऐ गए कोई फैसला को बदलने के लिए। उसकी जिंदगी उसके लिए आखिर मायने ही क्या रखती है। वोह जनता ही क्या है उसके बारे में, उसके सपनो के बारे में। वोह तो बस अपना कोई मकसद पूरा करने के लिए उसे यहाँ उठा लाया है। वोह कह तो रहा है को वोह उस से शादी करने के लिए लाया है पर क्या पता जब उसका काम हो जाए तो वो उसे उसकी जिंदगी से बाहर फेकने में एक पल भी न लगाए।
अनाहिता ने अपने खयाल झटके और केबल के प्लग को सॉकेट में लगा दिया।
"तो फिर पूछ क्यों रहें हैं?" अनाहिता बड़बड़ाई।
अभिमन्यु ने कोई जवाब नही दिया और कमरे में चारों ओर देखने लगा। वोह खाली पड़े डब्बों के पास आया और उसमे झांका। "लगता है तुमने सामान अनपैक कर लिया? बाकी के बॉक्सेस कहां हैं?" अभिमन्यु ने पूछा।
"बस यही है।"
अभिमन्यु की भौहें सिकुड़ी। वोह उस कमरे में रखी अलमीरा के पास गया और उसे खोल कर देखने लगा।
"तुम यह क्या कर रहे हो?" अनाहिता ने उस से पूछा। वोह उस से दूर ही खड़ी थी। उसे उसका इस तरह सामान छूना पसंद नही आया।
"तुम्हारे पिता ने कहा था की वोह तुम्हारा सारा सामान भेजेंगे," अभिमन्यु ने जवाब दिया, वोह कुछ चिढ़ा हुआ सा दिखा।
"उन्होंने भेज तो दिया।" अनाहिता ने जवाब दिया।
अभिमन्यु के हाथ रुक गए। उसे कुछ अजीब लगने लगा, पर उसने कुछ कॉमेंट नही किया।
अगर अभिमन्यु को लगता है की अनाहिता का बचपन बहुत अच्छा था, उसे प्यार दुलार और तौफे मिलते थे तो वो गलत समझ रहा था। उसे तो बस सजा मिलती थी हर एक छोटी गलती के लिए, जिसकी वजह से धीरे धीरे उसके ग्रेड्स भी कम होने लगे थे, स्कूल से शिकायत आने लगी थी, और उसके पिता उस से और भी ज्यादा चिढ़ने लगे थे। उसके पास जो सामान होता था जो उसे उसकी दादी या उसकी माँ देती थी वोह भी उसके पिता उस से छीन लेते थे। हाँ यह जरूर सच है की उसके पिता ने उस पर आज तक हाथ नही उठाया था। बस उन्हे उस से उसकी चीज़ें छीनने में मजा आता था। वोह बचपन में उस से उसके खिलौने छीन लेते थे, उस से उसकी बहन को दूर कर देते थे, और जब उनके पास उस से छीनने के लिए कुछ नही बचता था तो वो उस से उसकी आज़ादी छीन लेते थे। आज भी उन्होंने उसके साथ वोही किया था पर आज उन्होंने उस से उसकी आज़ादी छीनने के साथ साथ उसे धोखा भी दिया था झूठ बोल कर की वोह उसे जाने देंगे अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने देंगे।
"अच्छा लगा मुझे," अनाहिता ने अभिमन्यु की आवाज़ सुन कर उस ओर नासमझी में देखा। "की तुम्हारे पास और कोई दूसरी वैसी ड्रेस नही है जैसी तुमने उस रात पहनी थी।" अभिमन्यु ने हैंगर से उसकी एक नी लेंथ ड्रेस को हाथ में लेते हुए अपनी बात पूरी की और अनाहिता समझ गई की वोह किस ड्रेस की बात कर रहा है।
"वोह एक पुरानी ड्रेस थी। और अब वोह मुझे फिट नहीं आती। मैं ज्यादा बाहर नही जाती हूं तो मेरे पास और क्लब ड्रेस नही थी।" अनाहिता ने एक्सप्लेन किया और उस से अपनी ड्रेस ले ली। "मैं यूजुअली वैसी ड्रेसेस नही पहनती।"
अभिमन्यु कुछ पल तक उसे पढ़ने की कोशिश करता रहा। जैसे वोह जो उसे समझ रहा था वोह बिल्कुल भी वैसी नही हो।
अनाहिता नहीं जानती थी कि उसके पिता ने उसके बारे में अभिमन्यु से क्या-क्या कहा है। वह नहीं जानती थी कि अभिमन्यु के इन्वेस्टिगेटर ने उसके बारे में क्या क्या पता लगाकर उसे बताया है। वोह बस इतना जानती थी की जो भी उसके साथ हो रहा है वोह गलत हो रहा है।
"गुड।" अभिमन्यु उसके और करीब हुआ, उसके कंधे पर से उसके बाल पीछे किए और उसके चेहरे के करीब आ कर पूछा, तुम्हारी बैक कैसी है?"
अभिमन्यु के सवाल ने अनाहिता को झटका दे दिया। वोह थोड़ा पीछे हो गई। शर्म से उसके गाल लाल हो गए। उसके शरीर में असहजता की लहर दौड़ पड़ी। उस के जेहन में कल की सब याद ताज़ा हो गई। वोह अपमान भी वोह अब तक पचा नहीं पाई थी और अब।
"मुझे इस बारे में तुमसे कोई बात नही करनी है," अनाहिता ने उसे वहीं छोड़ा और उस से दूर खड़ी हो गई।
"क्या मैं खुद देख लूं?" अभिमन्यु की इस एक और सवाल पर अनाहिता को आँखों में नमी बन गई। उसका चेहरा गुस्से से लाल होने लगा। उसे कुछ समझ नही आया की कहे और क्या करे ऊपर अभिमन्यु की हँसने की आवाज़ें आने लगी।
अनाहिता ने तेज़ी से कदम बढ़ाया और उसके सीने पर दोनो हाथ रख कर उसे जोर से धक्का देना चाह पर अभिमन्यु की फुर्ती को वजह से वोह उसके कब्जे में आ गई। अभिमन्यु ने उसके दोनो हाथ पकड़ कर उसे अपने से सटा लिया था। उसे चिढ़ मचने लगी की कितनी आसानी से अभिमन्यु ने उसे पकड़ लिया, क्यों वोह उसकी तरह स्ट्रॉन्ग नही है। कॉलेज में भी कितनी बार उसने दूसरे लड़कों से हाथ मिलाया था पर कभी उसे कुछ अजीब नही लगा पर आज न जाने क्यों उसे अभिमन्यु का अपनी बाहों में भरना अलग हो महसूस करा रहा था।
अभिमन्यु मुस्कुराते हुए बोला, "शायद मुझे देख ही लेना चाहिए।"
"मैं ठीक हूं," अनाहिता ने घबराहट में जल्दी से जवाब दे दिया।
"नही। मैं सोच रहा हूं अब तो मुझे चेक करना ही चाहिए।" अभिमन्यु ने अपना सिर झुकाया जैसे मानो वो उसे धमका रहा हो की मैं तो कर दिखाऊंगा।
अनाहिता सोचने लगी की उसे उसको बात मान लेनी चाहिए या उस से लड़ना चाहिए? अभिमन्यु उस से ताकत में, शरीर में और लंबाई में बहुत बड़ा था। अगर वोह उस से बहस करे या लड़े तो यह तो पक्का है की वोह उस से जीत नही पाएगी।
"मैं तुम्हे पहले ही जवाब दे चुकी हूं," अनाहिता ने कहा।
✨✨✨✨✨
अगले भाग में जारी रहेगी...
अगर कहानी पसंद आ रही है तो रेटिंग देने और कॉमेंट करने से अपने हाथों को मत रोकिएगा।
धन्यवाद 🙏
💘💘💘
©पूनम शर्मा