एक अक्षर का खेल S Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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एक अक्षर का खेल

 

                                                    हास्य लघु कथा - एक अक्षर का खेल

 
तीन दिनों के बाद  दीपक और  सिया  की शादी की सिल्वर जुबली थी  . सिया  ने कहा “ क्यों न इस बार हम लोग गोवा चलें और उसी होटल में ठहरें जहाँ हम अपने हनीमून के लिए ठहरे थे  . “ 


“ आईडिया तो अच्छा है पर इतनी जल्दी  कंफर्म एयर टिकट और होटल एकोमोडेशन मिलना बहुत मुश्किल है  . पीक सीजन चल रहा है , पहले बोलना चाहिए था न  . “   दीपक बोला 


“ कोई बात नहीं है  .  एक बार ट्राई कर के देखो , कहीं लास्ट मिनट कैंसिलेशन के चलते कोई संभावना हो  . “ 


कुछ देर तक दीपक ने होटल और एयरलाइन दोनों से बात करने के बाद कहा “ होटल में डीलक्स रूम तो नहीं मिल रहा है ,एक  स्टैण्डर्ड रूम खाली  है  . चलेगा ? “ 


“ चलेगा नहीं दौड़ेगा , जल्दी बुक करो नहीं तो कहीं यह भी हाथ से नहीं निकल जाए  . और एयर टिकट का क्या हुआ ? “ 


“ इसमें भी ग्रहण है  . कल का  एक टिकट और परसों का  एक टिकट मिल रहा  है  . एक दिन दो टिकट कन्फर्म नहीं मिल रहा   है  . “ 


“ जल्दी करो , जो भी कन्फर्म मिल रहा है ले लो  . “ 


होटल और एयर टिकट बुक कर दीपक ने कहा “ मैने अपना  टिकट कल का लिया है और तुम्हारा  परसों का   . तुम अकेले पहले जा कर क्या करोगी , तुम्हें परेशानी भी होगी  . मैं पहले जा कर सारा इंतजाम भी देख लूँगा “ 


अगले दिन दीपक ने गोवा पहुँच कर सिया  को मेसेज भेजा  “ मैं यहाँ पहुंच गया हूँ  . बहुत अच्छी जगह है , बिल्कुल स्वर्ग जैसा  आनंद  . यहाँ मेरे रूम में कम्प्यूटर , वाईफाई सब फ्री है  . कल तुम्हारे आने का इंतजार बेसब्री से कर रहा हूँ  . तुम्हारे आने के बाद ही मुझे सुकून मिलेगा  .  “ 


दीपक ने ईमेल की स्पेलिंग में एक गलती कर दी थी जिसके चलते यह ईमेल  सिया ( siya ) को नहीं मिल कर किसी अन्य शहर में एक दूसरी बुजुर्ग औरत सीता ( sita ) को मिला  . इत्तफाक से उसके पति का निधन और दाह संस्कार एक दिन पहले हुआ था  . “ 


ईमेल पढ़ने के बाद वह औरत जोर जोर से रोने चीखने चिल्लाने लगी  . शोर सुन कर उसकी बेटी दौड़ कर वहां आई और उसने  पूछा  “ क्या हुआ मम्मी ? क्यों रो रही हो ?  “    


“ ये देख तेरे पापा स्वर्ग पहुँच गए हैं और मुझे भी वहां कल बुलाया है  . लगता है कल मैं भी मरने वाली हूँ  . “ 


औरत ने फोन उसको दिया , पहले तो बेटी को भी ईमेल पढ़ कर बहुत आश्चर्य हुआ  फिर कहा “ ये सब बकवास है . ऐसा संभव नहीं है मम्मी  . “ 


फिर बेटी ने सेंडर के ईमेल आईडी पर जवाब में ईमेल भेजा  “ ये क्या बदतमीजी है  ? आप मेरी मम्मी को ऐसा ईमेल कैसे भेज सकते हैं ? “ 


दीपक ने जवाब दिया “ सॉरी , मैं नहीं जानता आप कौन हैं ? मैं आपको या आपकी मम्मी किसी को नहीं जानता हूँ  .  “


“ आपने मेरी मम्मी सीता वर्मा को कहाँ बुलाया है और क्यों बुलाया है ? “ 


 यह ईमेल मैंने अपनी पत्नी सिया  को siya @  … लिखा है  . वह कल मेरे पास गोवा आ रही है  .” 

“ जी नहीं , यह मेल आपने मेरी मम्मी को sita @  … को भेजा है जिसे पढ़ने के बाद से वह बेहद दुखी  और परेशान हैं  .मैं पुलिस में रिपोर्ट कर आपको जेल भेज सकती हूँ  .  “ 


“ वैरी सॉरी ,रुकिए जल्दबाजी में पुलिस को इन्वॉल्व नहीं कीजिये  .  दरअसल  कंप्यूटर में t और y दोनों  बगल में हैं ,  गलती हो गयी मुझसे  . प्लीज मुझे माफ़ करें  . अब  मुझे  वाइफ को तुरंत रीसेंड करना होगा वरना वह समय पर नहीं पहुँच पाएगी   .  “ 

 

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