Junoon - ishq ya badle ka.. - 21 books and stories free download online pdf in Hindi

जुनून - इश्क या बदले का... - 21

आरव अपने रोज़ के रूटीन के अकोडिंग सुबह जल्दी ही उठ जाता है , अपने घर में बने जिम में वर्कआउट करने चले जाता है । एक घंटे बाद वर्कआउट करने के बाद अपने कमरे में वापस आ जाता है। और सीधा वॉशरूम मे फ्रेश होने चला जाता है ।

वही सिमरन भी आज जल्दी उठ जाती है , क्योंकि आज उसका ऑफिस में पहला दिन जो है । और उसी लिए को लेट बिल्कुल भी नहीं होना चाहती थी ।

डाइनिंग हॉल...

घर के सब लोग डाइनिंग टेबल पर आके ब्रेकफास्ट करना शुरू करते हैं ।

दादी कि नजर कबसे आरव पर थी जबसे वो डाइनिंग टेबल पर आके बैठा था , उसे देखकर साफ़ समझ आ रहा था कि वो रातभर ढंग से सोया नहीं है ।

दादी आरव को देखते हुए, " आरव क्या तुम पूरी रात ढंग से सोए नहीं हो बेटा...? , तुम्हारा चेहरा इतना मुरझाया हुआ क्यों है ...?

आरव अपनी कॉफी का मग थोड़ा ऊपर उठा ते हुए , "ऐसी कोई बात नहीं है दादी बस रात को थोड़ा लेट सोया था । शायद इसी लिए आपको ऐसा लग रहा हो । " इतना केहकर वो अपनी कॉफी पीने लगता है ।

आज आरव अपने रोज के रूटीन से उलट ब्रेकफास्ट टाइम पर कॉफी पी रहा था , क्योंकि उसे रातभर ढंग से नींद जो नहीं आई थी । और अब उसे नींद आने लगी थी ।

आरव का ब्रेकफास्ट हो जाने के बाद , वो सिमरन की तरफ देख कर उससे केहता है ।

" मे ऑफिस के लिए निकल रहा हूं , और हमे एक ही जगह जाना है , तो तुम भी मेरे साथ ही चलो "

थैंक्स , पर नो थैंक्स मे अकेली ही चली जाऊंगी , अगर मे तुम्हारे साथ गई और ग़लती से भी किसी ने हमे साथ मे एक ही कार से ऑफिस आते हुए देख लिया , तो मे अपने ऑफिस के पहले दिन ही वहां के लोगों के लिए गॉसिप का हॉट टॉपिक बन जाऊंगी । इस से तो बेटर है , कि में केब बुक करके ऑफिस चली जाऊं ।" , सिमरन आरव को देख कर केहती है।

" मेरे रहते हुए , तुम पर कोई भी एक उंगली तक नहीं उठा सकता , लेकिन अगर तुम अभी कंफर्टेबल नहीं हो मेरे साथ चलने मे , तो इट्स ओके " ,

आरव अपने वहीं एक्सप्रेशन लेस चेहरे से ही सिमरन को देखते हुए केहता है , और अपना लैपटॉप बेग लेकर वहां से अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है ।

बाकी सब का भी ब्रेकफास्ट जल्दी ही हो जाता हैं , सिमरन बारी बारी घर के बडों का आशीर्वाद लेती है । और ऑफिस के लिए निकल ने ही वाली होती हैं कि , प्रांजलि उसे दो मिनिट रुकने का बोल , वो किचन कि तरफ़ चली जाती है ।

और जल्दी से वो अपने हाथ में एक small bowl ( छोटी कटोरी ) लेकर आती है ।

" ये दही सक्कर है । जब कोई अच्छा या कोई इंपॉर्टेंट काम करने जा रहा हो तब उस इंसान को ये खिलाया जाता है । और आज तो तुम्हारा ऑफिस में पेहला दिन है ना , इसी लिए में ये तुम्हारे लिए लाई हूं लो " , प्रांजलि एक चम्मच भरके सिमरन की तरफ बढ़ाते हुए केहति है ।

सिमरन भी उसे खुशी खुशी खा लेती है , और सब को बाय बोलकर ऑफिस के लिए निकल जाती है ।
To be continued....❤

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