Junoon - ishq ya badle ka.. - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

जुनून - इश्क या बदले का... - 9

आरव गुस्से से चीखते हुए कहेता है ।

just shut up .... बस बोहोत हुआ तुम अभी के अभी निकलो मेरे घर से right now मे तुम्हे एक और सेकंड भी यहां नहीं झेल सकता ।




तो मत झेलो कौन के रहा है , कि तुम मुझे झेलो ?

दरवाज़ा उस तरफ़ है । सिमरन दरवाजे कि तरफ पॉइंट आऊट करते हुए आगे केहती है । चलते बनो , मेरी बला से 😏




तुम मुझे मेरे ही घर से झाने को बोल रही हो। आरव अपनी मुट्ठी को कसकर भींच लेता है । और अपने गुस्से को काबू करते हुए कहेता है।




मे कहां कुछ बोल रही हूं । तुम्हें ही तो प्रॉब्लम हो रही थी ना मुझे यहां देखकर तो मे ने बस तुम्हारे प्रॉब्लम का सल्यूशन निकाल है ।इस मे इतना क्यों भड़क रहे हो। सिमरन भी उस कि आंखो मे देखते हुए बड़ी मासूमियत से कहती है।




गार्ड्स , गार्ड्स .......आरव गुस्से से चिल्लाते हुए उन्हें बुलाता है ।




चार पांच गार्ड्स एक साथ वहां पोहोंच जाते है। और " येस सर " केहते है ।




आरव सिमरन को एक बार देख कर गुस्से से उन्हे ऑडर देते हुए केहता है ।

इस लड़की को मेरी नजरो से दूर ले जाओ अभी के अभी ।

वरना तुम लोगों कि चमड़ी उधेड़ कर रख दूंगा मे , ले जाओ इसे यहां से....




गार्ड्स सिमरन की तरफ बढ़ने लगते है। तो सिमरन उन्हे गुस्से से घुर कर देखती है । जैसे केहेना चाह रही हो , कि अगर तुम लोगों ने हमे हाथ भी लगाया , तो तुम्हारी इतनी हड्डियां तोड़ेंगे के पूरी उम्र निकल जाएगी उन्हे जोड़ने में




सिमरन को ऐसे गुस्से से गार्ड्स को देखते हुए कोई नहीं देख पाता क्योंकि आरव अपने गार्ड्स को ऑडर देते ही दूसरी तरफ मुंह कर देता है । और बाकी सब सिमरन के पीछे खड़े थे । लेकिन कोई था जिसने सिमरन को उन गार्ड्स को गुस्से से घुर ते हुए देख लिया था । और सिमरन को ऐसा करता देख उस सक्स के चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल सा जाती है।




वही गार्ड्स सिमरन की गुस्से से भरी आंखों को देखकर । एक पल के लिए तो थोड़ा डर जाते है । लेकिन जल्दी ही खुद को नॉर्मल करके फिर से सिमरन की तरफ बढ़ने लगते है। क्योंकि सिमरन के गुस्से से ज्यादा उन्हे अपने बॉस के गुस्से से डर लगता था। कि कहीं उनका बॉस उनकी सीधी परलोक कि ही टिकिट ना कटवा दे।




गार्ड्स सिमरन के सामने जाके जैसे ही अपने हाथ बढ़ाते हैं उसे ले जाने के लिए । कि सिमरन गुस्से से कुछ करने को होती है कि दादी उन गार्ड्स को अपना एक हाथ दिखाकर रोक देती है। और उन्हे वहां से जाने को बोल देती है।




गार्ड्स भी उनकी बात को मान कर वहां से चले जाते है । क्योंकि जब उनका बॉस कभी अपनी दादी के अगेंस्ट नहीं जा सकता , तो फिर उनकी क्या ही औकात जो उनके अगेंस्ट जाए ।




गार्ड्स के जाने के बाद दादी सिमरन की तरफ मुड़ती है। और उसके कंधे पर हाथ रख कर आरव की तरफ देख कर उस से पूछती है।




क्या ये वही अकल का अंधा है , जिस के कारण तेरा एक्सिडेंट होते होते बचा ...?...




आरव हैरानी से अपनी दादी को देख अपने मन में सोचता है । ( मेरी दादी इस अनजान लड़की के लिए अपने सगे पोते को अकल का अंधा बोल रही है। सच मे ये कलयुग ही है। जहा अपने पोते से ज्यादा बाहर वालों कि चिंता और भरोसा किया जा रहा है। )




दादी के सवाल पर सिमरन छोटे बच्चे कि तरह अपनी गर्दन हा मे हिला देती है।




दादी गुस्से से आरव की तरफ मुड़ कर उसके कान को खींच कर मरोड़ते हुए कहती है।




नालायक तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी फूल जैसी बच्ची को अपनी गाड़ी से ठोक ने कि । भगवान ना करें अगर उसे कुछ हो जाता तो मे अपनी दोस्त को क्या जवाब देती । उसने कितने भरोसे के साथ अपनी पोती को मेरे पास भेजा था। और तूने बिचारी का सीधा एक्सिडेंट ही कर दिया। ऊपर से मेरी बच्ची पे भड़क भी रहा है।
सिमरन को बड़ा मजा आ रहा था।आरव की ऐसी हालत देख कर वो तो मन हि मन में खुश हो रही थी और अपने मन में केहाती है। ( अरे वाह कान्हा जी आज तो मजा हि आ गया इसकि एसी हालत देख कर , चलो कोई तो है इस बेलगाम घोड़े कि लगाम खींच ने के लिए। वरना ये शैतान तो हर किसी का जीना हराम कर ते रहेता । ये एक ही दिन में हमारा सर दर्द बन गया है , पता नहीं इस घमंडी और अकडू आदमी को इस के घर वाले और ऑफिस वाले कैसे झेलते होंगे । )




आरव शौक होकर केहता है। क्या ये आपकी दोस्त कि पोती है।




दादी आरव के कान को छोड़ कर , हां ये मेरी बचपन कि सहेली मृणालि राठौड़ कि पोती सिमरन राठौड़ है ।और अब से ये इसी घर में रहेगी ।




लेकिन दादी ये यहां .... आरव इस से आगे कुछ और केहता कि उस से पहले दादी उसकी बात को बीच मे ही काट कर केहती है ।




इस के आगे मुझे और कोई बात नहीं सुननी , सिमरन अब से यहां रहेगी बात खत्म ।




दादी कि बात सुन आरव एक नज़र सिमरन को घुर कर देखता है फिर गुस्से से सीढ़ियों से होते हुए अपने कमरे में जाके दरवाज़ा ज़ोर से बंद करता है । जिस कि आवाज़ निचे हॉल तक आती है।




प्रांजलि सोफे पर बैठ कर अपना एक हाथ अपने सर पर रख कर केहती है ।




पता नहीं इसका क्या होगा । इसे अपने गुस्से के आगे कभी कुछ दिखता ही नहीं है।




आरुषि सिमरन को देख कर अपनी मोम से केहती है।




अरे डोंट वरी मोम कोई ना कोई तो जरूर आएगी जो हमारे इस गुस्सैल और अड़ियल भाई को सीधा कर देगी । क्यों दादी ...?...




दादी उसे कनफ्यूज होकर देखती है । तो आरुषि एक नज़र सिमरन को देख फिर अपनी दादी को देख एक आंख मारती है ।




दादी एक नज़र सिमरन को देखती है फिर आरुषि को जो एक प्यारी सी स्माइल के साथ उन्ही को देख रही थी । उस कि स्माइल देख दादी समझ जाती है , कि आरू के दिमाग में क्या चल रहा है। लेकिन वो अभी कुछ कहना ठीक नहीं समझती इसीलिए वो चुप रहती है।




नरेन को एक कॉल आता है तो वो बात करते हुए अपने कमरे में चले जाते हैं।




तो वही प्रांजलि को किचन में कुछ काम होता है तो वो अपने साथ आरुषि को भी किचन में ले जाती है ।




अब वहां सिर्फ दादी और सिमरन ही बचे थे ।




सिमरन दादी के पास जाके उन्हे गले लगा लेती है। और उन्हे सॉरी केहती है। तो दादी कंफ्यूज होकर उसे पूछती है । कि वो उन्हे सॉरी क्यों बोल रही है।




सिमरन दादी को सोफे के पास ले जाके बिठाती है । और खुद उनके पास बैठ कर उनका हाथ अपने हाथों में लेकर केहती है।




सॉरी दादी ... और हम ये सॉरी इस लिए केह रहे है , क्योंकि आपको हमारी वज़ह से अपने ही परिवार से झूठ बोलना पड़ रहा है। कि हम एक मिडल क्लास लड़की है । जबकि हम तो ...इतना बोल के वो रुक जाती है , और अपनी नजरे झुका देती है ।




जबकि तुम तो एक रॉयल फैमिली से हो यहीं ना ....




दादी उसका चेहरा अपने एक हाथ से ऊपर करते हुए उस के आगे का सेंटेंस पूरा करते हुए कहती हैं।

दादी अपनी बात आगे कंटिन्यू करते हुए कहती हैं।




जब तुम्हारी दादी ने मुझे कॉल कर के बताया के तुम मुंबई आ रही हो । और मेरे घर रुकने के लिए भी मान गई हो । तो मे बोहोत खुश हुई थी कि फाइनली तुम यहां आ तो रही हो । क्योंकि जब भी मे तुम्हे मेरे घर आने को जेहती तुम अपने काम के चक्कर में आने का नाम ही नहीं लेती थी ।
लेकिन जब मृणाली ने मुझे बताया कि तुमने मेरे घर रुकने के लिए एक कंडीशन रखी है । कि में तुम्हारी आइडेंटिटी अपने परिवार से छुपा के रखू । कि तुम कोई आम लड़की नहीं बल्कि एक रॉयल फैमिली से हो । और मैने भी उस से ज्यादा कुछ ना पूछते हुए उसकी बात मान ली ।




क्योंकि मे जानती हूं कि एक रॉयल फैमिली से बिलोंग करना कोई आम बात नहीं है । पता नहीं कौन सा दुश्मन घात लगाए बैठा हो । इसी लिए तुम नहीं चाहती कि तुम्हारी आइडेंटिटी किसी के भी सामने आए । हैं ना .....



सिमरन बस एक स्माइल के साथ अपना सर हिला के उन्हे गले लगा लेती है । और अपने मन में सोचती है। ( बस यही एक वज़ह नहीं है दादी कुछ और भी है , जिस के बारे में हम अभी किसी को कुछ नहीं बता सकते । नाही आपको और नाही अपने परिवार को हमे माफ़ कर दीजिएगा दादी )



सिमरन दादी से अलग होती है । तो दादी आरुषि को बुलाती है । और उसे सिमरन को उसका कमरा दिखाने को केहती है । आरू सिमरन को अपने साथ ले जाती है । उसे उसका कमरा दिखाने के लिए।


To be continued......

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