Junoon - ishq ya badle ka.. - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

जुनून - इश्क या बदले का... - 8

जब सिमरन पलटती है । तो आरव और सिमरन की आंखे एक दूसरे से मिलती है । और वो दोनो अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके एक दूसरे को शॉक्ड होकर देख रहे थे।

उन दोनों के मुंह से एक साथ बस एक ही शब्द निकलता है । तुम .....?

उन दोनों के इतने ज़ोर से चिल्लाने से सब लोग उन्हें देखने लगते है।

तो वही सिमरन उसे यहां अपने सामने देख अब तक तो समझ हि चुकी थी । कि ये जनाब यहीं रहते है ।

वो अपना मुंह अजीब सा बनाके अपने मन में केहती है ।

( क्या किस्मत पाई है हमने जिस मॉनस्टर का हम चेहरा तक देखना नहीं चाहते । आज वो हमारे सामने किसी खंभे कि तरह खड़ा है। क्या कान्हा जी आप भी ... हमने एक ही विश तो मांगी थी आपसे के इस चलते फिरते हवाई जहाज को हम से दूर रखना , पर आपने तो उल्टा इसे हमारे सर पर लाके बिठा दिया । अब तो ये रोज हमारा खून पिएगा , वैंपायर कहिका ! )

आरव सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए सिमरन के सामने जाके खड़ा हो जाता है , जो अपने मे ही कहीं खोई हुई थी । और अजीबो गरीब मुंह बना रही थी। उस को ऐसा करता देख आरव समझ जाता है कि वो अपने मन में जरूर उसी को ही गालीयां दे रही होगी ।

आरव उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए केहता है।

तुम यहां मेरे घर में क्या कार रही हो ।और तुम मेरे घर आई कैसे...?... तुम्हे यहां का एड्रेस कैसे मिला ...?...आरव कुछ सोच कर.....

एक मिनिट कहीं तुम मेरा पीछा करते हुए तो यहां तक नहीं पोहोंची । How dare you. तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई ऐसा कुछ करने कि तुम्हे तो मे अभी के अभी ....सिमरन आरव की बात को बीच में ही काटते हुए गुस्से से चीड़ कर केहती है।

O hello मिस्टर तुम अपने आप को समझाते क्या हो । तुम क्या कोई फिल्म स्टार या सुपरस्टार हो, या फिर अपने आप को कहीं का प्राइम मिनिस्टर समझते हो । जो हर कोई तुम्हारे आगे पीछे मंडराता रहेगा । अपने आप को ना इतना भी Important मत समझो , ठीक है । मे कोई बेवकूफ़ नहीं हूं जो तुम जैसे सनकी और अकल के अंधे के पीछे पीछे डोलती रहूंगी । 😏

क्या कहां तुमने ....? आरव गुस्से से अपने दांत भींचते हुए केहता है !

सिमरन अपनी आंखे बड़ी बड़ी कर के अपने दोनो हाथ अपने गालों पर रख कर हैरानी से पूछती है ।

ओह गॉड कहीं तुम्हारी आंखो के साथ साथ तुम्हारे कान भी तो....? वो इसके आगे का सेंटेंस अधूरा छोड़ देती है । और आरव को मासूमियत से देखने लगती है।

लेकिन आरव उस कि बात को समझ जाता है। और गुस्से से उस पर लगभग भड़कते हुए केहता है ।

एक तो पता नहीं कहां से तुम मेरी कार के सामने आ गई ।और तो और तुमने मेरी कार का शिशा भी तोड़ दिया । ऊपर से मेरे ही घर में आके मुझ से इतनी बत्तमिजी से बात कर रही हो। तमीज नाम कि कोई चीज़ नहीं है क्या तुम में की कैसे किस से बात करनी चाहिए ।

oh really.... ? तुम्हे क्या मे पागल दिखती हूं , या फिर मुझे पागलपन के दोहरे पड़ते रेहते है । जो में बीच सड़क पर खुद मरने के लिए निकल पड़ूंगी । और मुझे कोई शौक नहीं है , तुम्हारी गाड़ी के सामने आके मर ने का समझे ...?...

और रही बात तुम्हारे घर में ही तुमसे बत्तमीजी कर ने कि बात , तो तुमने कौन से तमीज के झंडे गाड़ दिए हैं । जो तुम मुझ से एक्सपेक्ट कर रहे हो। कि में तुम से तमीज से बात करू , पहले जाके ख़ुद तमीज सीखो , बाद मे दूसरों को तमीज पर लेक्चर झाड़ते रेहाना ।

ऐसे ही दोनों के बीच बहेस कि जंग छिड़ जाती है।

तो वही घरवाले और तो और सर्वेंट भी अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके हैरानी से कभी सिमरन को तो कभी आरव को देखते है। जो आपस में ही एक दूसरे को अपनी बातों से ही मारने में लगे हुए थे।

जबसे आरव और सिमरन के बीच बेहेस शुरू हुई थी तबसे ही आरुषि उन दोनों का वीडियो बना रही थी। क्योंकि उस के लिए ये किसी हिस्टोरिकल डे से कम नहीं था ।

आरु वीडियो बनाते हुए अपनी दादी के पास जाती है । जो अभी भी अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके सिमरन और कार्तिक को हैरानी से देख रही थी । जो अपने में ही लड़ने में बिज़ी थे । उन्हें अपने आस पास के लोगों कि तो कोई खबर ही नहीं थी जो उन्हे हैरानी से बस घुरे जा रहे थे । जैसे की उन्हें 4440 वोल्ट का झटका लगा हो।

आरू दादी के कान के पास जाके धीरे से फुसफुसाते हुए उनका ध्यान अपनी तरफ़ खींच कर केहती है।

दादी ये क्या हो रहा है ...?... क्या ये सच में आप का लाडला पोता और मेरा भाई ही है ना ...?...

दादी भी उन दोनों को देखते हुए ही धीरे से ज़वाब देती है।

मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है । कि ये मेरा वोही पोता है , जिस से बात करने के लिए भी हमे कोई ना कोई बहाने की जरूरत पड़ती है। और तो और बात भी ऐसे करता है जैसे बात करने के लिए भी उसे टैक्स भरना पड़ता हो ।

लेकिन आज ये उल्टी गंगा कैसे बहने लगी । कि मेरा नालायक पोता जो लड़कियों के नाम सुनते ही कोई ना कोई बहाने बनाके भाग खड़ा होता है । वो आज सिमरन के साथ बहस कर ने में इतना बिज़ी है , कि उसे अपने आस पास कि कोई खोज खबर ही नहीं है।

मुझे तो अभी भी भरोसा नहीं हो रहा , कि में जो देख रही हूं वो सच है या कोई सपना ...?...

अरे नहीं दादी ये सपना नहीं बल्कि हकीकत ही है। पर हमारे लिए किसी शौक से कम नहीं है। लेकिन एक मिनिट ...

आरुषि कुछ सोच कर अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके अपनी दादी को देखती है।

दादी भी कंफ्यूज होकर आरुषि को देखते हुए पूछती है।

अब तुझे क्या हो गया , तू अचानक बोलते बोलते चुप क्यों हो गई ...?...

अरे दादी हमने नोटिस तो किया ही नहीं कि ये दोनों लड़ किस बात पर रहे हैं। आरुषि बोली

तो दादी भी सोचने लगी फिर अचानक से उन्हे कुछ याद आया और वो हैरानी से पहले उन दोनों को जो किसी बच्चे कि तरह एक दूसरे से लड़ रहे थे।

और फिर आरुषि कि तरफ मुड़कर :- मतलब ये वो ही है !! दादी आरुषि से कन्फर्म करते हुए पूछती है । तो आरुषि भी अपनी गर्दन हा मे हिला देती है।

उनके पास ही मे खड़े नरेन और प्रांजलि ने भी उनकी बाते सुन लि थी ।

और लगभग सभी को समझ में आ गया था कि सिमरन जिस महान पुरुष कि तारीफों के पुल बांध रही थी , वो और कोई नहीं बल्कि उन्ही के घर का चिराग है ।

वो चारों एक दूसरे को देखते है । और फिर सिमरन और आरव को , अब तो दादी को बोहोत गुस्सा आता है। अपने पोते पर क्यों कि इसी के कारण आज सिमरन का एक्सिडेंट होते होते बच गया था। अगर सिमरन को कुछ भी हो जाता तो , तो वो अपनी बचपन कि दोस्त मृणालि से नज़रे कैसे मिलाती । ये सोच सोच कर उनका गुस्सा और बढ़ जाता है। और आरव को गुस्से से घूरती है ।

तो वही आरव गुस्से से चीखते हुए कहेता है ।

just shut up .... बस बोहोत हुआ तुम अभी के अभी निकलो मेरे घर से right now मे तुम्हे एक और सेकंड भी यहां नहीं झेल सकता ।

To be continued. 💫💫💫

💞 तो क्या सिमरन आरव कि धमकी सुनकर वहां से चली जाएगी .....? "

जानने के लिए आगे जरूर पढ़िएगा " जुनून - इश्क या बदले का...."



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