कहानियां भूत-प्रेतों वाली - 5 - रूम नंबर 13 Manish Sidana द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानियां भूत-प्रेतों वाली - 5 - रूम नंबर 13

हॉन्टेड हॉस्टल - रूम नंबर 13

अनुज बहुत खुश था।उसका इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने का सपना आज पूरा हो गया था।आज प्रवेश लेने का अंतिम दिन था।हॉस्टल में उसे कमरा नंबर 13 आवंटित हुआ था।अनुज प्रवेश लेने वाला अंतिम छात्र था,इसलिए केवल यही कमरा उपलब्ध था और उसे अकेले को रहना था।
अनुज ने कमरे 1क में समान रखकर खिड़की खोली।सामने ऊंचे ऊंचे पहाड़ थे।वो कुछ देर के लिए उस सुंदर दृश्य में खो गया।शाम हो चुकी थी।उसने अपना सामान खोलकर व्यवस्थित करना शुरू किया।कुछ देर में दरवाजे पर दस्तक हुई।दरवाजा खोला तो दो लड़के थे।
हेल्लो , मै मनोज और ये राहुल है।लगता है तुम आज ही आए हो।
हां, मै अनुज हूं।आज ही आया हूं।कहकर अनुज ने दोनों से हाथ मिलाया।
आओ डिनर का समय हो गया है,मनोज बोला
अनुज कमरा लॉक करके उनके साथ चल दिया।खाना खाते खाते वो अच्छे दोस्त बन चुके थे।
राहुल ने कहा....अनुज, मैं तुम्हे कुछ बताना चाहता हूं।मेरा भाई विवेक पांच साल पहले इसी कॉलेज का छात्र था।उसने मुझे कहा था कि हॉस्टल का कमरा नंबर 13 मत लेना,वो हॉन्टेड है।इसी कमरे की वजह से ये हॉस्टल हॉन्टेड हॉस्टल कहलाता है।इस कमरे में रहने वाले के साथ कुछ ना कुछ बुरा होता है।किसी लड़के को अचानक पागलपन के दौरे पड़ने लगते है।तो कोई बीमार होकर दम तोड़ देता है।दो लड़के अचानक गायब हो गए थे,उनका आज तक पता नहीं चला।एक ने कमरे में ही पंखे में फांसी लगाकर जान दे दी थी।
राहुल,फेकने की भी हद होती है....अनुज मुस्कुराकर बोला।
मनोज ने जवाब दिया....अनुज,मैंने भी ऐसे किस्से सुने है।तुम चाहो तो हमारे कमरे में शिफ्ट हो जाओ।
यार , मैं ऐसे किस्से सुनकर डरने वाला नहीं।अनुज बोला।
बाते करते करते अनुज वापिस अपने कमरे तक आ गया था।
राहुल तुम्हारे पास मोबाइल चार्जर है।मेरा घर रह गया है।
हां हां ,अभी देता हूं
राहुल से चार्जर लेकर अनुज ने दरवाजा बंद किया।रात हो चुकी थीं।खिड़की से बाहर निगाह डाली तो सुबह के हसीन नजारे रात के अंधेरे में डरावने लग रहे थे।अनुज कपड़े बदलकर सो गया।जल्दी उसे नींद आ गई।

कुछ घंटो बाद अचानक उसे लगा कोई उसके कान में पुकार रहा है - अनुज,अनुज।
उसने आंखे खोली।कमरे में नाइट बल्ब की नीली रोशनी फैली हुई थीं। अनुज ने दो तीन बार पलके झपका कर देखा पर कमरे में कोई नहीं था।तभी उसे फिर किसी ने पुकारा। इस बार आवाज़ खिड़की की ओर से अाई थी।वो उठकर खिड़की कि तरफ गया।बाहर अंधेरी रात में पहाड़ और डरावने लग रहे थे। हवा भी तेज़ चल रही थी।अनुज को डर लगने लगा।उसने एक झटके में खिड़की बंद कर दी।वो जैसे ही पलटा,उसकी चीख निकाल गई।कोई बिल्कुल उसके पीछे खड़ा था।कमरे में 3-4 लोग और थे।कमरे में फैली नीली रोशनी अचानक लाल हो चुकी थी।
कौन हो तुम लोग?अनुज ने कांपती आवाज़ में पूछा।
हम तुम्हारे सीनियर है।...एक ने जवाब दिया
तुम अंदर कैसे आए?...अनुज ने पूछा
जवाब में वो तीनो बहुत तेज़ी से हंसे।उनके चेहरे बहुत भयानक थे।उनकी पलको और भोहों के बाल नहीं थे।सिर पर बहुत बड़े बड़े फफोले थे।उनकी आंखो से खून बह रहा था। दांत बड़े बड़े और नुकीले थे।गर्दन एक ओर लटकी हुई थी।
अनुज सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था।उसने कहा.... मैं जानता हूं तुमलोग मेरे साथ मजाक कर रहे हो।पर ये बहुत भद्दा मजाक है। चलो मेरे कमरे से बाहर निकलो।
वो लोग फिर भयानक हंसी हंसने लगें।उनमें से एक बोला - ये कमरा हमारा है।हम सालो से इसमें रहते है।तुमने इस कमरे में आकर गलती की हैं।तुम्हे इसकी सज़ा मिलेगी।
तभी अनुज के पास खड़े साये ने दोनों हाथो से उसका गला दबाना शुरु कर दिया।अनुज चिल्लाना चाहता था पर उसके गले से गो- गो की हल्की आवाज़ ही निकली।चारों साए जोर जोर से हंस रहे थे।अनुज अपने पैर जोर से जमीन पर पटक रहा था।
तभी कमरे में किसी चीज के सरकने की हल्की सी आवाज़ हुई और कमरे में अचानक रोशनी हो गई।
अनुज ने रोशनी में उन खूंखार चेहरों को देखा।अब वो कुछ डरे हुए थे।अनुज की गर्दन पर पकड़ ढीली हो चुकी थी।कुछ सेकेंड में ही वो साए गायब हो गए।कमरे में फिर बल्ब की नीली रोशनी थी।
अनुज की सांसे कुछ व्यवस्थित हुई तो उसने सुना कोई दरवाजा जोर जोर से पीट रहा था।अनुज ने देखा उस से कुछ दूर फर्श पर एक लॉकेट पड़ा था,जिसमें हनुमान जी की फोटो स्पष्ट चमक रही थी।अनुज में लॉकेट उठाकर चूम लिया और दरवाजा खोला।
बाहर राहुल था।वो उसे अपने कमरे में ले गया।राहुल ने बताया ...उसे नींद नहीं आ रही थीं।इसलिए वो मोबाइल में फिल्म देखने लगा।आधी रात को मोबाइल कि बैटरी लो हो गई तो वो चार्जर लेने अनुज के पास आया।वो दरवाजे पर दस्तक देता,उस से पहले ही उसे कमरे से अजीब आवाजें सुनाई दी।उसने की होल से अंदर का जो दृश्य देखा तो बुरी तरह डर गया।उसने झट से अपना हनुमान जी वाला लॉकेट गले से निकला और दरवाजे के नीचे से अंदर सरका दिया।
सुबह उन दोनों ने सारी बात वार्डेन और प्रिंसिपल को बताई।उन्होंने विश्वास तो नहीं किया पर सुरक्षा की दृष्टि से रूम नंबर 13 पर हमेशा के लिए ताला लगा दिया।

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