Kahaaniya Bhoot-preto wali - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

कहानियां भूत-प्रेतों वाली - 4 - खूनी रास्ता - हांटेड हाईवे

खूनी हाईवे

आकाश, सोनू ,राहुल और हिमांशु अपने दोस्त की शादी के कार्यक्रम से वापस आ रहे थे ।शादी मध्यप्रदेश के पन्ना जिले के एक गांव में थी । उस गांव से झांसी जाने वाली सड़क टाइगर रिजर्व के बीच से निकलती थी। रात तो क्या दिन में भी उस सड़क पर ट्रैफिक बहुत कम रहता था। रात में तो वह सड़क बिल्कुल सुनसान रहती थी। उस सड़क पर कई हादसे हो चुके थे। रात में बहुत लोगों की जानें जा चुकी थी, इसलिए वह सड़क मौत का रास्ता कहलाती थी। लोगों ने उन्हें बहुत मना किया था कि वह रात को मत जाए ।लेकिन वह नहीं माने। रात में उस सड़क पर दूर-दूर तक केवल उनकी ही कार थी, और कोई दूसरा वाहन नहीं था। वो 15-20 किमी चले थे, तभी जंगल में से किसी भयानक जानवर की आवाज सुनाई दी।

मैंने मना भी किया था कि रात को नहीं जाते पर इसे सोनू को बहुत जल्दी थी ।अगर रात में किसी जानवर ने हमारा डिनर कर लिया, तो सुबह कौन तेरी दुकान खोलेगा?... आकाश ने पूछा

तू भी बहुत डरपोक है.... सोनू बोला ...गाड़ी में कोई जानवर कैसे तुझे खा जाएगा ?

खा तो सकता है पर जानवर नहीं भूत जो इस मौत के रास्ते पर रहते हैं।.... आकाश ने जोड़ा

आदमखोर ,भूत , चुड़ैल यह केवल फिल्मों और कहानियों में होते है..... हिमांशु बोला जो कि कार को ड्राइव कर रहा था

आकाश बोला..... नहीं इस सड़क पर भूतों का साम्राज्य है। इस इलाके में कोई रात को निकलता है तो सुबह उसका क्षत विक्षत शव ही मिलता है। शरीर का मांस नोचा हुआ होता है, और गर्दन पर दांतो के निशान होते हैं।

बस कर....सोनू बोला.... एक तो आज अमावस की रात है ऊपर से तू भूत प्रेतों की कहानी सुना रहा है। अमावस की रात में भूतों की शक्ति दुगनी हो जाती है।

तभी जोर से बिजली चमकी। सोनू की हल्की सी चीख निकल गई।

तभी हिमांशु ने जोर से ब्रेक लगाई। पिछली सीट पर बैठे सोनू और राहुल अगली सीट से टकराए। क्या हुआ?.... राहुल ने पूछा.... शायद जंगली जानवर तेजी से सड़क पार करके गया।

मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दिया.....आकाश बोला जोकि ड्राइवर के साथ ही बैठा था।

तू झपकी ले रहा होगा... गाड़ी को आगे बढ़ाता हुआ... हिमांशु बोला।

चारों की आंखें बाहर अंधेरे में देखने की कोशिश कर रही थी पर किसी को कुछ दिखाई ना दिया। थोड़ी दूर चले कि अचानक गाड़ी बंद हो गई।
राहुल ने पूछा... क्या हुआ?

पता नहीं क्या बात है, उतर कर देखता हूं...हिमांशु ने जवाब दिया ।

तब राहुल बोला... ठीक है, तू गाड़ी चेक कर मैं तब तक पेशाब करके आता हूं। राहुल सड़क से उतरकर जंगल में झाड़ियों की तरफ चला गया। तभी एकाएक तेज बारिश शुरू हो गई। हिमांशु जो बोनट खोलकर खड़ा था ,गाड़ी में आकर बैठ गया।
तीनों जने गाड़ी में बैठकर राहुल का इंतजार करने लगे। चार - पांच मिनट बीत गए। राहुल वापस नहीं आया।
आकाश ने कार का दरवाजा खोल के आवाज लगाई... राहुल- राहुल
उधर से कोई जवाब नहीं आया।
आकाश बोला... राहुल, कितनी देर लगाएगा? जल्दी कर जंगल में बहुत से जानवरों ने अभी डिनर नहीं किया।
पर उधर से कोई जवाब नहीं आया।
हिमांशु बोला... आकाश, उतर कर देख राहुल इतनी देर क्यों लगा रहा है?
आकाश बोला.... नीचे उतरा तो भीग जाऊंगा। 2- 4 मिनट और देखते हैं। उसने फिर जोर से आवाज लगाई... राहुल- राहुल
15 मिनट हो गए थे पर राहुल अभी तक वापस नहीं आया था। आकाश और सोनू गाड़ी से नीचे उतरे और जंगल में झाड़ियों की तरफ चल दिए। हिमांशु गाड़ी में ही बैठा था।

सोनू और आकाश आगे बढ़े। अंधेरे में घूर घूर कर राहुल को ढूंढ रहे थे, पर वहां कोई नहीं था। सोनू ने आवाज लगाई... राहुल राहुल

पर कोई उत्तर नहीं आया। दोनों के कपड़े बुरी तरह भीग चुके थे। आकाश और सोनू आगे बढ़े। उन्हें थोड़ी दूर झाड़ियों में कुछ सरसराहट की आवाज सुनाई दी।वो आगे बढ़े तभी उन्हें राहुल की दर्दनाक भयानक चीख सुनाई दी। जैसे किसी का कोई अंग काटा जाए तो वो चीखता है।दोनों तेजी से आवाज़ की और भागे। भागते हुए सोनू का पैर किसी चीज में उलझा और वह नीचे गिर गया। आकाश ने पलट कर देखा... सोनू गिरा हुआ था उसने सोनू को उठाया। सोनू के पैर में मोच आ गई थी।
सोनू बोला.... आकाश मैं चल नहीं पाऊंगा। तू आगे जा और राहुल की मदद कर। शायद कोई जंगली जानवर उधर है। वापसी में मुझे ले लेना। आकाश ने कहा.... ठीक है तुम यहीं पत्थर पर बैठो। मैं अभी राहुल को लेकर आता हूं।
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आकाश जंगल में आगे बढ़ गया। अंधेरे और बारिश के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। आकाश बार-बार राहुल को आवाज दे रहा था पर कोई उत्तर नहीं मिला। आकाश अब किसी अनहोनी की आशंका से डर गया। उसने पास ही पड़ी एक सूखी मोटी डंडी उठाई और सावधानीपूर्वक आगे बढ़ा। उधर हिमांशु कार में बैठा बैठा परेशान हो रहा था। लगता है ,यह तीनों मिलकर मुझे डरा रहे हैं। तभी उसे राहुल की दर्द भरी चीख सुनाई दी वह बुरी तरह घबरा गया।हिमांशु ने गाड़ी की डिग्गी से हॉकी निकाली।अभी वो सड़क से उतर कर झाड़ियों में घुसा ही था कि उसे सोनू की चीख सुनाई दी।हिमांशु तेज़ी से जंगल में भागा।

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आकाश को गए बहुत देर हो गई थी। सोनू के पैर का दर्द बढ़ता जा रहा था। उसे थोड़ी दूर एक सफेद आया नजर आया। तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। डर से सोनू चीख पड़ा।
सोनू मैं हूं..... हिमांशु ने कहा
सोनू ने मुड़कर देखा। हिमांशु को देखकर उसने राहत की सांस ली और उसे पूरी बात बताई। हिमांशु बोला... मैं देखता हूं। हिमांशु हॉकी लेकर साए वाली दिशा में चल दिया।

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आकाश अंधेरे में राहुल को आवाज देता हुआ जंगल में बढ़ता जा रहा था। उसका शरीर बुरी तरह कांप रहा था। तभी उसे अपने ऊपर की तरफ कुछ हलचल सुनाई दी। उसने ऊपर की ओर देखा तो पेड़ से उसके ऊपर कुछ आकर गिरा। वह उसके नीचे दब गया। उसने ताकत लगा कर उसे अपने ऊपर से हटाया।ये राहुल का मृत शरीर था। राहुल की आंखें खुली हुई थी और फैली हुई आंखें कटोरिया से बाहर आने को थी। उसका एक हाथ कटा हुआ था। शरीर से जगह-जगह से मांस गायब था। जैसे किसी ने नोच कर खा लिया हो। आकाश हड़बड़ा कर उठा। अंधेरे में ऊपर की ओर देखा। वो एक विशाल पीपल का पेड़ था। आकाश घबरा कर बुरी तरह वहां से भागा। उसे नहीं पता था कि वह जंगल के अंदर की ओर जा रहा है या बाहर की ओर।
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हिमांशु जंगल में आगे बढ़ रहा था। तभी उसे एक बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। उसने सफेद कपड़े पहने थे। हिमांशु को जंगल में बूढ़े को देखकर हैरानी हुई। उसने उसे आवाज दी- बाबा
वह बूढ़ा चलता रहा।
फिर उसने आवाज दी- बाबा
बूढ़ा चलता रहा।
हिमांशु ने दौड़कर पीछे से बूढ़े के कंधे पर हाथ रखा। बूढ़ा पलटा।
हिमांशु चीख के नीचे गिर गया।
बूढ़े के चेहरे पर केवल दो गोल आंखे थी।उसकी नाक,पलके, भौहे,मुंह,होंठ कुछ नहीं था। चेहरा पर केवल दो गोल आंखे थी।इतने डरावने चेहरे को देखकर हिमांशु की सांसे रुकने लगी थी।
हिमांशु को देखकर बूढ़े की आंखो में शैतानी चमक अाई।उसने अपना हाथ बढ़ाकर हिमांशु की गर्दन पर रखा और एक झटके में गर्दन और धड़ को अलग कर दिया ।
बेचारा... हिमांशु चीख भी नहीं सका। हॉकी उसके शरीर के पास पड़ी थीं।

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आकाश को जंगल में एक झोपड़ी दिखाई दी। आकाश को उम्मीद की किरण नजर आई।वो झोपड़ी की तरफ बढ़ा। उसने झोपड़ी का दरवाजा खोला। अंदर कोई नहीं था। आकाश चारपाई पर बैठकर अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगा। शायद कोई दिन में यहां रहता होगा, उसने सोचा। बार-बार उसकी आंखों के आगे राहुल की भयानक लाश की तस्वीर आ रही थी। वह बुरी तरह डरा हुआ था। उसने जेब से मोबाइल निकाला पर वह तो बारिश में भीग कर खराब हो चुका था। अब क्या करूं? वह सोच रहा था।
तभी झोपड़ी का दरवाजा खुला। एक सफेद कपड़े वाला बूढ़ा अंदर आया, जिसके कंधे पर एक आदमी था। जिसका हाथ बूढ़े के चेहरे के आगे आ रहा था। जिसकी वजह से उसे केवल उसकी आंखें दिखाई दे रही थी बूढ़े ने कंधे वाले आदमी को जमीन पर पटका। आकाश ने देखा वह खाली धड़ था। गर्दन नहीं थी।आकाश धड़ को पहचानता था।

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बहुत देर हो गई थी बारिश भी हल्की हो गई थी। सोनू सोच रहा था क्या करूं ?
तभी उसे राहुल, आकाश और हिमांशु आते हुए दिखाई दिए।सोनू ने उठने का प्रयास किया पर उसके पैर में बहुत तेज दर्द हुआ।
फिर उन तीनों ने आकर उसे सहारा दिया और उसे सड़क की तरफ लेकर चल दिए।
सोनू ने पूछा... क्या हुआ था?
पर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। वह तीनों मशीन की तरह चल रहे थे। उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं था। वह सड़क पर आ गए। गाड़ी उनसे दूर थी। एकाएक गाड़ी तेजी से उनकी तरफ बढ़ी। सोनू की आंखें हैरानी से फट गई। क्योंकि गाड़ी में कोई ड्राइवर नहीं था। सोनू कुछ समझ पाता उससे पहले सोनू गाड़ी के नीचे आ चुका था। उन तीनों की आंखों में शैतानी चमक उभरी।
राहुल और आकाश ने सोनू की लाश को गाड़ी के नीचे से निकाला और उठाकर जंगल की ओर चल दिए। हिमांशु ने गाड़ी तिरछी करके उसे हाईवे के बीच में लगा दिया।

मौत के रास्ते को अब अगले शिकार का इंतजार था।

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written by -Manish Sidana

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