सेलिबेटरी कौन बनाता है?
जनता
लेकिन यह अधूरा सत्य है।बिना मीडिया के केवल जनता कुछ नही है।पहले भी मीडिया ही सेलिबेटरी बन चुके को ऊपर उठाता था।पॉपुलर बनाता था।लेकिन बहुत समय लग जाता था क्योंकि तब आज की तरह टीवी चैनल और सोशल मीडिया नही था।आज किसी को रातो रात स्टार बनाने या नीचे गिरा दे।
मेरी बात शायद आपको गलत लगे।आपको याद है अन्ना आंदोलन।कई बार अन्ना दिल्ली में आकर बैठे और मीडिया ने आज के मीडिया जिसमे टी वी और सोशल दोनो शामिल है।अन्ना को स्टार ही नही बनाया हर कोई ऐसा दीवाना हुआ कि अन्ना गिरी करने लगा।और आज।
फिल्मी स्टार खान बन्धु आज टीवी पर छाये रहते है।लोग दीवाने है फिल्मी स्टार के उनके आदर्श है।
आदर्श का जीवन बाहर और अंदर एक सा होना चाहिए।ऐसा नही की पर्दे पर आदर्शवादी और असल जिंदगी में कुछ और।आज के स्तरों के साथ ऐसा ही है।पिछले दिनों बड़े बड़े स्टार के नाम ड्रग माफिया से जुड़े।बाद में तरह तरह की सफाई दी गयी।मुझे आपको क्यो नही पकड़ा जाता।कही न कही कुछ जरूर होता है।फिर ड्रग और बॉलीबुड कनेक्शन नया नही है।पहले भी हम इस बारे में सुनते रहे है।
ड्रग,सेक्स और पैसा एक दूसरे से जुड़े है।रेव पार्टी कोई आम लोग नही करते।आम लोग के पास फार्म हाउस नही होते।न ही आम आदमी की इतनी औकात की क्रूज पर जा सके।पैसा विलासिता को जन्म देता है।ड्रग,सेक्स आदि विलासिता के उदाहरण है।और आजकल लोगों पर खूब पैसा आ रहा है तो विलासिता पर खर्च हो रहा है।शराब,जुआ,सेक्स,ड्रग जैसी चीजों का प्रचलन बढ़ रहा है।बॉलीबुड तो पहले से ही
आज के युग मे नवयुवक और नवयुवतियों के आदर्श है फिल्मी हीरो और हीरोइन सब की पर्दे की जिंदगी और असल जिंदगी में अंतर है। श्रीदेवी की आत्महत्या के बाद उनके बारे में काफी कुछ छपा। वह शराब की आदी थी।सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद बहुत कुछ उनके बारे में पढ़ने को मिला और रिया उनकी गर्ल फ्रेंड और उनके भाई को ड्रग के आरोप में जेल की हवा भी खानी पड़ी औऱ अगर आरोप सिद्ध हो गए त्तो।दीपिका और सारा व अन्य कलाकारों से भी पूछ ताछ हुई।और अब क्रूज़ पर शाहरुख के बेटे के साथ कई लोग पकड़े गए।इससे पहले संजय दत्त को आप नही भूले होंगे।बार बार पकड़े गए।उनके पिता बहुत परेशान रहे।सुनील दत्त बढ़िया इंसान थे।लेकिन बेटे की वजह से खूब जलालत सहनी पड़ी।और आखिर में पांच साल की सजा हो ही गई.
आर्यन को क्या पकड़ा।मीडिया को एक मुद्दा मिल गया।रात दिन उसके अलावा कुछ नही सुझा।कुछ लोगो ने पुराना राग अलापा एक मुसलमान को परेशान किया जा रहा है।और नवाब मलिक तो वानखेड़े की जाति, धर्म उनकी बीबी और बहन पर उतर आए।संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति पद की गरिमा भूल गया।एक संवेधःनिक संस्था पर सवाल उठाने लगा।और अभी तक पद पर बना हुआ है।
प्रश्न आदर्श का है।हमारा आदर्श कौन होना चाहिए?फिल्मी हीरो या हीरोइन जो दोहरी जिंदगी जीते है।पर्दे पर कुछ ओर और असल जिंदगी में कुछ और।
आदर्श ऐसा होना चाहिये जिससे हमें प्रेरणा मिले।हम कुछ सिख सके।और अपने जीवन को अपने आदर्श पुरुष के अनुसार ढाल सके।
ऐसे को ही अपना आदर्श बनाये