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तेरी कुर्बत में - (भाग-4)


संचिता घर आ चुकी थी। लेकिन मैडम का वो खोया हुआ सा दिल , अभी तक वापस अपनी जगह पर नहीं आया था । शाम को चाय और कुछ स्नेक्स खाने के बाद संचिता अपनी पढ़ाई करने के लिए बैठ गई । घर में जितनी लड़की थी , उतने काम बंटे हुए थे । संचिता सुबह नाश्ता और सबका टिफिन बनाती थी , तो वहीं बाकी की दो बहनें शाम की चाय नाश्ता से शुरू होकर रात के खाने तक का जिम्मा लिए हुएं थी । दोपहर में तीनों बाहर रहती थी , इस लिए दोपहर का काम वगेरह संचिता की मौसी "माधवी" के जिम्मे रहता था ।

संचिता ने अपनी बुक्स ओपन की और नोट्स बनाने लगी । कुछ पल तो सब ठीक रहा , लेकिन फिर बाद में उसका मन नहीं लगा पढ़ाई में । बार बार उसकी नजरों के आगे ऋषि का मुस्कुराता चेहरा आ जाता और वह अनायास ही मुस्कुराने लगती । अपनी हरकतों से वह खुद अनजान थी । करीब आधे घंटे बाद उसके कानों में एक जोरदार लेकिन मीठी आवाज़ पड़ी । " कहां खोई हो दी..???" । ये संचिता की मौसी की बड़ी लड़की और संचिता की बहन "देवी" थी । संचिता हड़बड़ा सी गई , और अचंभे से उसकी तरफ देखकर बोली ।

संचिता - इतनी तेज़ आवाज़ में क्यों बोल रही हो देवी..?? कानों का पर्दा फट जायेगा मेरे ।

देवी - इतनी देर से आराम से पुकार रही हूं आपको , लगभग दस मिनट से ऊपर हो गया । लेकिन आप..., आपके कानों में जूं तक नहीं रेंगे । कहां खोई थीं आप ,
इतनी देर से..??? आज से पहले तो आपने कभी ऐसा बिहेव नही किया ।

संचिता ( नजरें चुराकर बस बोलने की कोशिश करती रही ) - वो..., मैं...., मैं...., ये.....।

देवी ( उसकी हरकतें देख बोली ) - अच्छा चलिए छोड़िए , नहीं बताना आपको, तो मत बताइए ।

संचिता ( उसकी तरफ देखकर ) - ऐसा नहीं है देवी...।

देवी ( उसके पास आकर ) - अच्छा ..., चलिए वो सब छोड़िए और ये बताइए , एग्जाम फॉर्म संबिट हो गए आपके यहां???

संचिता - किसके?

देवी - आपके...। हमारे यहां टेंथ के एग्जाम फॉर्म फिल करने की लास्ट डेट आ चुकी है और कुछ ही दिनों में क्वार्टरली एग्जाम्स भी हैं ।

संचिता ( अपने सिर पर हाथ मार कर ) - ओ तेरी ..।

देवी - क्या हुआ दी ?

संचिता - कल लास्ट डेट है , क्वार्टरली एग्जाम फॉर्म फिल करने की और एक हफ्ते बाद की बोर्ड एग्जाम फॉर्म फिल करने की और मैं बुद्धू...., मुझे होश ही नहीं है , इन सबका ।

देवी ( आश्चर्य से ) - क्या..??? आप..., और एग्जाम फॉर्म फिल करना भूल गईं..!!??? आपको होश नहीं हैं..???? जो हमेशा हर काम , हर जिम्मेदारी संभालने में आगे रहती है , उसे खुद के एग्जाम फॉर्म का होश नहीं है..!!!! आपके होश ठिकाने पर तो हैं न ...??.

संचिता ( मन में ) - वही तो नहीं हैं , वरना इतनी बड़ी गलती होती ही नहीं मुझसे ।

देवी - आपसे पूछ रही हूं दी..!!

संचिता ( बनते हुए ) - हां तो..!!! भूल गई तो भूल गई । इसमें कौन सी बड़ी बात है । लेकिन स्पेशल थैंक्स तुझे , कि तूने मुझे याद दिला दिया । अब मैं कल दोनों फॉर्म सब्मिट कर दूंगी ।

देवी ( कुछ याद कर ) - एक चीज़ और दी ।

संचिता - क्या...???

देवी - ट्वेल्थ वालों के लिए , आर्मी के इंट्रेंस एग्जाम का फॉर्म फिल करने की लास्ट डेट परसों हैं ।

संचिता - तुझे कैसे पता..???

देवी - अरे ..., वो अपने पड़ोस में है न रूपाली दी , उन्होंने ही कल बातों - बातों में कहा था ।

संचिता - हम्मम , लेकिन तू मुझे क्यों बता रही है??

देवी - मुझे लगा आप भरना चाहोगे वो फॉर्म , तो इस लिया बता दिया ।

संचिता - मुझे आर्मी में बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नही हैं । देश की सेवा के लिए ये जॉब होती है , इसका मैं सम्मान करती हूं । लेकिन अपनी बची हुई फैमिली को छोड़ कर जाने का मेरा कोई प्लान नहीं है ।

देवी ( उसे छेड़ते हुए ) - और अगर आपकी शादी किसी आर्मी वाले से ही हुई , तब आप क्या करेंगी? फिर तो आप अपने वन मैन आर्मी मैन के साथ चली जायेंगी इस घर से , हम सबको छोड़ कर ।

संचिता ( उसे देखकर अकडकर बोली ) - ऐसा कुछ नही होगा । मुझे नॉर्मल लाइफ जीनी है, जहां मुझे पति का भरपूर प्यार मिले , मुझे उसके लिए तरसना न पड़े । और साथ ही जो घर जमाई बनने के लिए राज़ी हो , उसी से शादी करूंगी मैं ।

देवी - ये तो मुश्किल है ।

संचिता - तो मैं आसान बना दूंगी । वैसे भी तू मत बोल इस मैटर में कुछ , तेरा बोला बहुत जल्दी लगता है ।

देवी - लेकिन अच्छी बातें ही लगती हैं ।

संचिता - बट मेरे लिए तो ये अच्छा नहीं होगा न , क्योंकि मैं ऐसा कुछ नही चाहती हूं ।

देवी कुछ बोलने वाली थी , कि माधवी की आवाज़ आई । वह देवी को बुला रही थी ।

देवी - इस मैटर पर तो अब बाद में बात होगी । अभी आप अपने होश संभालो और अपनी किताबों पर लगाओ , क्योंकि आपका हमेशा टॉप में आने वाला रिकॉर्ड तोड़ने की मेरी दिली तमन्ना है और मैं जी जान से मेहनत कर रही हूं इस बार ।

देवी चली गई और संचिता उसकी बात पर बस मुस्कुरा दी। वो जानती थी , देवी पढ़ाई में उससे अव्वल आने के लिए कितनी मेहनत करती है , लेकिन हमेशा एक दो नंबर से पीछे हो जाती है ,जिसकी वजह से फर्स्ट रैंक उसकी लगते - लगते रह जाती है ।

ऋषि डिनर कर अपनी मैथ्स की नोटबुक लिए , एक सवाल सॉल्व कर रहा था , जिसका सॉल्व कुछ ज्यादा ही बड़ा था , जिसमें उसे थोड़ा वक्त लग रहा था । तभी एक नौकर आकर बोला , कि दादा जी का सभी के लिए हॉल में इकट्ठे होने का फरमान आया है । ऋषि इस चीज़ से थोड़ा सा चिढ़ गया , क्योंकि पढ़ाई के वक्त उसे कोई डिस्टर्बेंस पसंद नहीं थी । लेकिन दादा जी का फरमान आया था , जिसे न मानना मतलब अपनी शामत लाने बराबर था । नौकर चला गया , और ऋषि अपनी बुक्स सही से रखकर नीचे आ गया । उसका रूम फोर्थ फ्लोर पर था । चुकीं बिल्डिंग बड़ी थी और इसमें रहने वाले लोग भी बहुत सारे थे , इस लिए छः मंजिला घर के अंदर लिफ्ट लगी हुई थी । सबसे ऊपर अनुज और उससे छोटे बच्चे रहते थे । फिफ्थ फ्लोर पर अभिनव का रूम था । बाकी कमरे खाली ही थे उस फ्लोर के । फोर्थ फ्लोर पर ऋषि और उसके बड़े पापा की बहन "कृति" का रूम था । बाकी के रूम खाली थे । बचे हुए फ्लोर्स में घर के बड़े रहते थे और सबसे नीचे ग्राउंड फ्लोर वाले रूम्स में , दादा दादी और उनकी देखभाल करने वाले दो नौकर रहते थे । बड़ों की बात को टालने का रिवाज़ इस घर में कभी न था और न ही अब है । ऋषि नीचे पहुंचा , तो देखा हॉल में सब जमा हैं । दादा - दादी, बड़े पापा - बड़ी मां , मां - पापा ( बृज चौहान - शालिनी चौहान ), चाचा - चाची , अभिनव , कृति ( यहीं आई हुई थी अभी ) , अनुज , सुबोध - नितिन ( चाचा के जुड़वा बेटे और सबसे छोटे भी ) , सुरभि ( चाचा की बेटी , सुबोध नितिन से बड़ी ) । सारे बड़े सोफे पर बैठे थे । बच्चे सभी खड़े थे । ऋषि के पहुंचते ही दादा जी ने कहा ।

दादा जी - अभी ( अभिनव ) की शादी दो महीने बाद करने का विचार बन रहा है । पंडित जी ने वही मुहूर्त बताया है , उसके बाद एक साल तक कोई लग्न नहीं है ।

बड़े पापा - ये तो अच्छी बात है पिता जी । दो महीने बाद ठंड का मौसम भी शुरू हो जाएगा । और एकादशी के बाद के मुहूर्त तो वैसे भी शुभ ही होते हैं ।

दादा जी - एकादशी के बाद नहीं , बल्कि एकादशी को ही अभी और उसकी होने वाली पत्नी की राशि के हिसाब से शुभ मुहूर्त निकला है । इस लिए हमने ( दादा - दादी ) वही मुहूर्त फिक्स कर दिया । तुम सबको जिम्मेदारियां सौंपने के लिए बुलाया गया है ।

बृज - जी पिताजी , बताइए ..., हम सबको क्या क्या करना होगा? छोटे ( चाचा ) की शादी के बाद ये पहला फंक्शन होगा इस पीढ़ी का , तो हम भी कोई कमी नहीं रखेंगे ।

चाचा जी - हां छोटे भैया , अभी की शादी में हम कोई कमी नहीं रखेंगे ।

अनुज ( फुसफुसाकर अपने सारे भाई बहनों , जो कि उसके साथ ही खड़े थे , सिर्फ अभिनव को छोड़ , उनसे बोला ) - हां...., जैसे अब इस घर में दोबारा कभी शादी ही नहीं होगी । बेचारे हमारे भैया को घोड़ी पर चढ़ाकर क्या कम पाप कर रहे हैं , जो अब सारे ताम झाम के साथ उनकी इकलौती आजादी छीनने की प्लानिंग की जा रही है इन सबके द्वारा । मतलब बंदे की आजादी हज़म नहीं होती हमारे घर वालों से ।

सारे उसकी बात पर धीरे - धीरे हंसने लगे । कृति ने उसके पैर के पंजे पर, अपने पैर में पहनी सेंडिल से वार किया और धीरे से बोली ।

कृति - अगर तेरा ये कभी न चुप होने वाला माइक बंद नहीं हुआ न , तो भैया की आजादी तो बाद में छीनी जायेगी , सबसे पहले तुझे बेघर करेंगे सब । और साथ में हम सबकी पेट पूजा भी बंद करवा दी जाएगी । इस लिए अच्छा होगा तेरे और हमारे लिए , कि तू अपने टेप रिकॉर्डर को इस वक्त बंद ही रख , वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना। नालायक कहीं का ।

अनुज को डांट पड़ते देख उससे छोटे बच्चे हंस रहे थे , क्योंकि अनुज हमेशा उनपर धौंस जमाता था , इस लिए जब अनुज को डांट पड़ती थी , तो सारे बच्चे जमकर उसके मजे लेते थे । अभी भी धीमी हंसी के साथ यही चल रहा था । जबकि अनुज उन्हें खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था....।

क्रमशः

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