नीलम कुलश्रेष्ठ का गुजरात-दर्शन Neelam Kulshreshtha द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

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नीलम कुलश्रेष्ठ का गुजरात-दर्शन

डॉ. किशोर काबरा

प्रत्येक साहित्यकार को स्वान्तःसुखाय लिखे जानेवाले साहित्य के समानान्तर समाजोन्मुखी लेखन से भी जुड़ाव रखना पड़ता है । देश, काल और पात्र इसके कारक हैं । निर्भीक कहानी –लेखिका एवं प्रबुद्ध पत्रकार नीलम कुलश्रेष्ठ के निबंध-संग्रह ‘गुजरातः सहकारिता, समाज सेवा और संसाधन’ से गुजरते हुए यही बोध होता है कि जिस मिट्टी से आप जुड़े हैं, जिस संस्कृति में आप साँस लेते हैं, उस के प्रति आपका अहोभाव व्यक्त होना चाहिए । शोधपरक लेखकीय यात्रा के कथ्य से सम्पृक्त इस ग्रंथ की यही पूर्व भूमिका है ।

लेखिका ने सहकारिता और समाजसेवा के मूलभूत सिद्धांतो की चर्चा नहीं की है यहाँ । हाँ, देश को समाजसेवा के ‘मॉडल वर्क’ से परिचित कराने के लिए गुजरात को चुना है नीलम ने। उसने पिछले 20-25 वर्षों में गुजरात विषयक जो लिखा, वह इस कृति में हैं । नई परियोजनाओं को आकार देने और नारी सशक्तीकरण को मिशन की तरह जीवन का अंग बनाने के लिए लेखिका ने समसामयिक तथ्यों एवं समाज सेवा के सहकारिता से जुड़े संसाधनो का रोचक शैली में परिचय दिया है । लगता है, जैसे सभी संस्थाओं, व्यक्तियों, विचारों एवं स्वप्नों का आँखों देखा हाल सुनाया जा रहा है । बड़ोदरा के महाराज सयाजीराव तृतीय के शासनकाल की तुलना चन्द्रगुप्त मौर्य के सुवर्णयुग से करके उक्त शहर को ‘सिटी ऑफ़ इंटरनेशनल सोल्स’ कहा है ।

बड़ोदरा तो लेखिका का कार्यक्षेत्र रहा है, सृजन के लिए भी और समाज सेवा के लिए भी, पर गुजरात के विगत 130 वर्ष से जुड़े सांस्कृतिक, सामाजिक एवं जनसेवा के इतिहास को व्यक्तियों एवं संस्थाओं से प्राप्त करने के लिए फ़ेस -टु -फ़ेस सारस्वत यात्रा करना सामान्य कार्य नहीं है । एक जीवट भरे साहस और मुक्त मन से जुड़ी जिज्ञासा का प्रतिफ़ल है यह ग्रंथ । इस कृति के 40 आलेख – जो रिपोर्ताज, सर्वे एवं इंटरव्यू जैसी गद्य की उपविधाओं के मिश्रित रूप हैं, मुख्य रूप से बड़ोदरा-केंद्रित हैं । विषय वैविध्य के साथ ही व्यक्ति एवं समाज के विभिन्न आयामों एवं अंगों का परिचय देकर लेखिका ने जैसे इस मिट्टी का ऋण चुकाया है ।

बड़ोदरा की विभिन्न संस्थाओं एवं संस्थानों के उन्नायकों तथा कर्तव्यनिष्ठ प्रज्ञा पुरुषों को लेखिका ने अपने कथ्य का विषय बनाकर जैसे उन्हें स्मरणांजलि दी है । वहाँ का प्राच्य विद्या संस्थान, पुस्तकालय सहायक सहकारी मंडली, अन्योन्य बैंक, लोक अदालत और उसके स्वप्नद्रष्टा हरिवल्लभ पारिख, एक्सेल गृप ऑफ इंडस्ट्रीज, ‘इन्सोना’ के संस्थापक डॉ. ओझा, ‘जाग्रत ग्राहक’ संस्था, इन्दु भाई पटेल का श्रम मंदिर, सीनियर सिटीज़न काउंसिलों का सहकारी रूप, वास्तुशिल्पी सूर्यकान्त पटेल का किलेनुमा फॉर्म हाउस, दवाइयों के क्षेत्र में ‘लोकास्ट’ की समाजसेवा, विकलांगो द्वारा विकलांगों की सेवा करने वाली संस्था, झोंपड़पट्टियों के बच्चों की सेवा करने वाली ‘शिशु मिलाप’ संस्था, शेयर मार्केट, ब्लाइंड वेलफ़ेयर काउंसिल, कर्ण ग्रोवर का हेरिटेज ट्रस्ट, ज्योति भट्ट का रंगोली-संरक्षण, पगड़ियों के संग्राहक अवन्तीलाल चावला, निःसंतान दम्पतियों की मदद करने वाले सुरेश शाह, राजू व्यास और स्नेहल भट्ट का सर्प प्रेम, ‘स्वस्तिक’ के रंगोली कलाकार, अस्पतालों के वार्ड्स दत्तक लेने वाले जितेन्द्र झवेरी, ‘यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा’ के क्रियाकलाप आदि विषयों और विषयों से जुड़े व्यक्तियों का श्रीमती नीलम कुलश्रेष्ठ ने बड़े विस्तार से आकलन, विवेचन, विश्लेषण एवं संकलन किया है ।

बड़ोदरा के अतिरिक्त अन्य स्थानों एवं व्यक्तियों को भी स्थान मिला है ग्रंथ में । अहमदाबाद की संस्था ‘ज्योति संघ’ एवं उसकी सर्वेसर्वा चारुमती योद्धा, ‘सेवा’ संस्था और उसकी संस्थापिका इला बेन भट्ट; मलिक्का साराभाई और उनकी बहुआयामी योजनाएँ तथा वन्य प्राणीविद ज्योति बेन मेहता की अद्भुत जीवनदृष्टि; आनंद स्थित कल्पना अमीन की ‘फ्लो आर्ट गैलेरी’ एवं डॉ. नयना पटेल का सरोगेसी क्लिनिक; सापुतारा का ऋतंभरा विश्व विद्यापीठ अहमदाबाद की किडनी रोगी निकिता घिया द्वारा भारत नाट्यम नृत्य दल बनाकर गरीब किडनी रोगियों की आर्थिक सहायता, चोरवाड स्थित आदिवासियों का जीवन एवं धौलावीरा की हड़प्पन संस्कृति के अवशेष जैसे आयामों को लिखाने अपनी लेखनी का विषय बनाया है । न्यूयॉर्क निवासिनी प्रीति सेनगुप्ता के लेखिका एवं विश्वयात्री रूप को भी उभारा गया है एवं उनके गुजरात-प्रेम को वाणी प्रदान की गई है ।

पूरे गुजरात की संस्कृति को केंद्र में रखकर नीलम कुलश्रेष्ठ ने गरबा नृत्य के साथ ही सामाजिक परंपराओं एवं रूढ़ियों तथा पैसे का प्रभाव और समाज सेवा जैसे विषय भी चुने हैं । उन्होंने अपनी ‘अस्मिता’ शीर्षक महिला केंद्रित साहित्यिक संस्था का विस्तृत परिचय दिया है, जिसकी संस्थापिका वे स्वयं हैं । ये बताने मैं मुझे ख़ुशी हो रही है कि अस्मिता अपनी स्थापना के तीस वर्ष सफ़लता पूर्वक पूरे कर चुकी है।

ग्रंथ की भूमिका लिखते हुए गाँधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के श्री अनुपम मिश्र ने ठीक कहा है कि ‘नई पीढ़ी के पाठकों के लिए लगभग 130 साल का इतिहास सामने रखती हुई यह किताब ऐसे बड़े कामों, बड़े नामों और बड़े विचारों से परिचित कराती है, जिन्हें हमारे आसपास की तेज़ी से बदलती दुनियाँ ने पीछे छोड़ दिया है ।’

किसी प्रदेश के संपूर्ण अस्तित्व को संस्मरणात्मकता का संस्पर्श देकर रिपोर्ताज एवं साक्षात्कार के माध्यम से पाठकों के सामने प्रस्तुत करना सामान्य कार्य नहीं है, जिसे नीलम जी ने कर दिखाया है । इसमें उनकी पत्रकारिता, खोजी प्रवृत्ति एवं मिलनसारिता ने बड़ी सहायता की है । नारी-विमर्श भी कहीं-न-कहीं रहा है ।

ग्रंथ में गुजरात पूरा नहीं आ पाया है, ज्यादातर बड़ोदरा ही हावी रहा है लेखिका पर । सर्वे आलेख, साक्षात्कार, रिपोर्ताज सब गड्ड-मड्ड हो गए हैं । पुनरावर्त्तन एवं विरोधाभास भी कहीं –कहीं दिखाई देता है । इतना सब होते हुए भी लेखिका के श्रम एवं सर्जन की सराहना करनी ही पड़ेगी । हिंदी कवयित्री वंजना भट्ट जी की इन पंक्तियों में नीलम कुलश्रेष्ठ की सभी संवेदनाओं का सार आ गया है लेकिन उन्हें अपने पँखों का बख़ूबी व सही इस्तमाल आता है ; –

‘मेरा जी चाहता है कि इस धूप की उँगली पकड़कर

मैं उड़ जाऊँ

लेकिन मेरे पंख तो आपकी जेब में पड़े हैं

प्लीज ! मेरे पंख मुझे लौटा दो ।’

 

पुस्तक- `गजरात ; सहकारिता, समाज सेवा और संसाधन `

लेखक ; नीलम कुलश्रेष्ठ

प्रकाशक ---किताबघर, नई दिल्ली

मूल्य --३५० रु

समीक्षक - डॉ. किशोर काबरा जी, सुप्रसिद्ध कवि व भूतपूर्व अधिशासी सदस्य -गुजरात साहित्य हिंदी अकादमी

मोबाइल न. ---9726387967