"सरिता कभी तुम्हे अकेलेपन का एहसास नही होता?इतना बड़ा घर और तुम्हारी तन्हाई।कोई तो साथी होना चाहिए जिससे जिंदगी में बहार आ जाये।जीवन साथी होना चाहिए जिससे अपने सुख दुख की बाते कर सके"।शिखा ने अपने सामने बैठी सरिता पर नज़र डाली थी
सरिता चालीस की दहलीज पर थी।गौरी,तीखे नैन नक्श की सुंदर सरिता को एकाकी जीवन ने काफी बदल दिया था हर समय ताजे गुलाब सा खिला रहने वाला चेहरा मुरझाए बासी फूल सा नज़र आने लगा था।उसकी आँखों के गिर्द काली रेखाएं उभर आयी थी।
सरिता और शिखा दोनो सहेली थी।दोनो कालेज में साथ पढ़ती थी।सरिता के पिता वकील थे।शिखा के पिता सरकारी सेवा में थे।बी ए का रिजल्ट आया ही था कि शिखा के पिता का ट्रांसफर गोरखपुर ही गया।शिखा अपने परिवार के साथ चली गई।उनका साथ जरूर छूट गया लेकिन पत्रव्यहार बना रहा।शिखा ने गोरखपुर में एम ए में एड्मिसन ले लिया।एम ए करने के बाद शिखा की शादी तयहो गई।शिखा ने सरिता को अपनी शादी में बुलाया था।सरिता उसकी शादी में गई थी।
शादी के बाद शिखा मुम्बई चली गई।मुम्बई से शिखा के पत्र आते रहते थे।धीरे धीरे पत्रों के बीच का अंतराल बढता गया और एक समय ऐसा भी आया जब उनके बीच पत्र व्याहर बन्द हो गया।
शिखा का पति उमेश इनकम टैक्स ऑफिसर था।पिछले दिनों उसका दिल्ली ट्रांसफर हो गया था।दिल्लू आने पर शिखा अपनी सहेली सरिता से मिलने उसके घर गई थी।पन्द्रह वर्षो के लंबे अंतराल के बाद दोनों सहेली आमने सामने थी। इन बीते वर्षो में सरिता में ही नही शिखा में भी परिवर्तन आया था।शिखा की कालेज गर्ल की छवि न जाने कहाँ गम हो गई थी।दी बच्चों की माँ बनने पर भी यौवन को ढलने नही दिया था
"शिखा अकेले जीने की आदत पड़ गयी है।"शिखा की बात सुनकर सरिता बोली थी।
"रोहित कौन है?"शिखा बोली,"तुमने एक पत्र में लिखा था।रोहित की नौकरी लगते ही हम शादी कर लेंगे।"
रोहित का नाम सुनते ही सरिता का चेहरा सुर्ख लाल हो गया।नारी सुलभ लज्जा के साथ चेहरे पर कुछ क्षणों के लिए प्रशन्नता झलक उठी।परन्तु अचानक उसका चेहरा मुरझा गया।उसके चेहरे पर वेदना झलकने लगी।ऐसा लग मानो शिखा ने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया हो।भराये गले से वह बोली,"मैं बी ए में पढ़ती थी।तब तक प्यार केनाम से चिढ़ती थी।मैं इस बात के खिलाफ थी कि लड़की पहले प्यार करे फिर शादी।लेकिन एम ए में आने पर मेरी सोच बदल गई।" कुछ देर रुककर सरिता बोली,"न जाने ऐसा क्या था रोहित मे कि पहली मुलाकात में ही मैं उसे दिल दे बैठी।मेरा प्यार एक तरफा नही था।हम दोनों ने एम ए कर लिया।एम ए करने के बाद वह नौकरी के लिए प्रयास करने लगा।वह साक्षात्कार देने जाता और निराश लौटता।तब मैं उसे सांत्वना देती।।"
"फिर?"
"पापा मेरी शादी कर देना चाहते थे।मैने उन्हें अपनी पसंद बताई।मैं ब्राह्मण औऱ रोहित कायस्थ पिताजी मेरी शादी को तैयार नही हुए।मैं भी जिद्द पर अड़ गई।और पिताजी चल बसे।"
शिखा ध्यान से सरिता की कहानी सुन रही थी।
"रोहित को कलकत्ता की एक कम्पनी में नौकरी लग गई थी।उसकी नौकरी लगने पर मैं बहुत खुश हुई थी।उसे विदा करते समय मेरी आँखें भर आयी।वह मेरे गाल थपथपाकर बोला,"उदास मत होओ जल्दी ही तुम्हे ले जाऊंगा।"
सरिता छुओ ही गई।उसे चुप देखकर शिखा बोलू,"चुप क्यो हो गयी?"
"रोहित मुझे वहां से पत्र डालता रहा केकिन अचानक उसके पत्र आना बंद हो गए।कहीं रोहित बीमार न पड़ गया हो या मुसीबत में न फंस गया हो।और मैं कलकत्ता जा पहुंची।"
"फिर?"
"रोहित बेवफा निकला था।उसने बंगाली लड़की से शादी कर लूं थी।"सरिता उदास हो गई थी
"रोहित बेवफा निकल गया ।उसने दूसरी औरत से शादी कर ली।तुम भी?
"शिखा मेरा मर्दो पर से विश्वास उठ गया।"
"सरिता सब मर्द एक से नही होते।तुम भी किसी को अपना बना लो।"
"शिखा औरत को प्यार जिंदगी में एक बार होता है।"
सरिता की बात सुनकर शिखा चुप हो गई
"
Gorkh