यह मेरा हक़ है Kishanlal Sharma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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यह मेरा हक़ है

"भाभी ----इरफान हांफता हुआ दौड़ा दौड़ा आया था,"अनवर ज़िंदा है।"
"कौन अनवर?"
"अनवर को नही जानती।भूल गई।तुम्हारा पहला शौहर।"
"भाभी से मजाक कर रहे हो।"सलमा जानती थी उसका देवर इरफान मजाकिया है और उससे मजाक करता रहता था।
"भाभी।आप इसे मजाक समझ रही है लेकिन मैं मजाक नही कर रहा।
मैने अपने कानों से टी वी पर समाचार सुना है।कारगिल युद्ध मे जिन सैनिकों को लापता मानकर शहीद समझ लिया गया था।उनमे से कई पाकिस्तानी जेलों में बन्द थे।उन्हें छोड़ा जा रहा है।"इरफान ने पूरी बात सलमा को बता दी थी।सलमा ने इरफान के समाचार की पुष्टि टीवी पर समाचार देखकर कर ली थी।
अनवर के जीवित होने का पता चलने पर सलमा के सामने अपना अतीत घूम गया था।
सलमा का जन्म एक मध्यम वर्ग परिवार में हुआ था।उसके जवान होने पर उसका निकाह अनवर से कर दिया गया।शादी के लिए अनवर छुट्टी लेकर आया था।उसकी छुट्टी खत्म होने से पहले ही कारगिल का युद्ध शुरू हो गया था।अनवर को तुरंत अपनी यूनिट में पहुँचने के लिए कहा गया था।अनवर की यूनिट कारगिल के अग्रिम मोर्चे पर तैनात थी।युद्ध की लपटें धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी।पाकिस्तानी फौजियों ने कारगिल,द्रास,बटालिक में ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था।दुश्मन को खदेड़ने के लिए भारतीय शूरवीर चोटियों को फतेह कर रहे थे।
एक दिन अनवर अपने कुछ साथियों के साथ एक चोटी पर पीछे से चढ़ा था।लेकिन वे लोग लौटें नही।युद्ध समाप्त होने के बाद उसे लापता मान लिया गया।
सलमा को जब यह समाचार मिला तो वह हतप्रद रह गई।और खाफी दिनों तक अनवर का कोई सुराग आता पता नही मिला तो उसे शहीद मान लिया गया।
इस समाचार ने सलमा की दुनिया ही बदल डाली।जिस परिवार मे सलमा दुल्हन बनकर आयी थी।जहां पर उसके आने पर खुशियां मनाई गई थी।जहां पर उसकी खूब तारीफ हुई थी।उसी परिवार मे उसे कलमुँही कहा जाने लगा।सास ताने मारती,"कलमुँही आते ही मेरे बेटे को खा गई।"
जब ससुराल वाले कोस रहे थे,तो बाहर वाले क्यो पीछे रहते।
उसने अपने अब्बू को सब बात बताई।एक दिन उसके अब्बू आये और उसे अपने साथ ले गए।
सलमा जवान थी।उसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी।रहमान ने अपनी बेटी के भविष्य के बारे में अपने परिवार व गांव के कुछ बुजर्गो से सलाह की।सब ने सलमा का दूसरा निकाह करने की सलाह दी।रहमान ने अपनी बेटी से भी पूछा था",बेटी मैं तेरा दूसरा निकाह करना चाहता हूँ।"
सलमा समझदार थी।वह समझती थी कि जब अनवर ही नही रहा,तो उसका ससुराल मे अब कौन है?वैसे भी उसकी सास और दूसरे लोग उसे हर समय कोसते रहते थे।सलमा आज की औरत थी।वह जानती थी अनवर की यादों के सहारे पूरी जिंदगी नही काटी जा सकती।काफी सोच विचार करने के बाद वह भी दूसरे निकाह के लिए तैयार हो गई।
बेटी की रजामंदी मिलने के बाद रहमान उसके लिए दूसरे शौहर की तलाश करने लगा।और काफी भागदौड़ के बाद उसकी तलाश सलीम पर जाकर खत्म हो गई।
सलीम एम आर था।रहमान ने सलमा का निकाह सलीम से कर दिया।सलमा अपनी दूसरी ससुराल मे बहुत खुश थी।सलीम उसे बहुत प्यार करता था।सलमा की सास नगमा उसे बहुत चाहती थी।और देवर नंद से उसकी खूब पटती थी।
अपने दूसरे शौहर सलीम से सलमा को इतना प्यार मिला था कि वह अपना अतीत भूला चुकी थी।शादी के छः महीने बाद ही सलमा के पैर भारी हो गए थे।
सलमा के गर्भवती होने पर पति ही नही सास भी खुश थी।सलमा गर्भ धारण करके रोमांचित थी।माँ बनने के क्षण को याद करके रोमांचित थी।सास नंद उसका खूब ख्याल रख रही थी।उसे अपने बच्चे के संसार मे आने का बेसब्री से इंतज़ार था।लेकिन वह माँ बन पाती उससे पहले अनवर के जिंदा होने का समाचार आ गया था।इस समाचार ने सलमा को भी सोच मे तो डाल ही दिया था।
अनवर छूटने के बाद गांव आया तब गांववालों ने उसे सिर माथे बैठाया था।मीडिया में भी उसके समाचार थे।किस्मत ने सलमा,सलीम और अनवर के साथ जो खेल खेला था।मदीने उसे रोमांचक कहानी बनाकर लोगों के सामने पेश किया था।इस तरह की घटनाएं पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के समय भी हुई थी।लेकिन उस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज की तरह कहां था?
अनवर गांव आया उससे पहले ही उसे सलमा के दूसरे निकाह का पता चल चुका था।फिर भी वह सलमा को लेने जा पहुंचा।और मामला मौलवियों तक जा पहुँचा।कोई भी साफ कहने के लिए तैयार नही था कि सलमा किसकी है?अनवर की या सलीम की?
कोई निर्णयन निकलता देखकर पंचायत बुलाई गई।पंचायत में भी लोगो के विचार अलग अलग थे।अनवर के साथ कुछ प्रभावसाली लोग भी आये ठेउनके दबाव में पंचायत ने फैसला लिया,"सलमा का तलाक नही हुआ इसलिए उसका अनवर के साथ निकाह कायम है।बच्चा सलीम का है।इसलिए चाहे तो वह बच्चे को रख सकता है।"
सलमा ने साफ कह दिया"मैं पंचायत के इस फैसले को नही मानती।"
"क्यो?"
"सलीम ही मेरा पति है।उसका बच्चा मेरे गर्भ मे है।"
"सलीम से तुम्हारा निकाह जायज नही है।तुमने अनवर को तलाक दिए बिना सलीम से निकाह कर लिया जो जायज नही"।
"अगर निकाह से पहले तलाक देना जरूरी था,टी मौलवी ने निकाह क्यो कराया,"सलमा बोली,"तलाक ज़िंदा आदमी को दिया जाता है।अनवर के शहीद की खबर आ चुकी थी।मरे हुए को कभी तलाक नही दिया जाता।"
पंचायत के लोगो ने समझाना चाहा तो वह बोली,"मेरी जिंदगी का फैसला करने का हक़ सिर्फ मुझे है।"
और वह चली गई।