प्रेत लोक - 5 Satish Thakur द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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प्रेत लोक - 5

प्रेत लोक – 05

अब तक आपने पढ़ा : चारों दोस्त एक सफ़र पर निकलते हैं और धीरे-धीरे वो सफ़र उनकी जिन्दगी का सबसे मनहूस सफ़र साबित होने लगता है, वो न चाहते हुए भी अनजाने में कुछ पारलौकिक शक्तियों के संपर्क में आ जाते हैं और फिर ये शक्तियां उनके साथ उनके घर तक पहुँच कर अपने होने का अनुभव देने लगती हैं। सुनील और विकास इन शक्तियों के चंगुल में आ जाते हैं पर रुद्र और मनोज अभी भी सुरक्षित हैं।

अब आगे : रुद्र और मनोज सुनील को और विकास को देख रहे हैं पर समझ नहीं पा रहे हैं कि सुनील के अंदर का शैतान कौन था और विकास के अंदर जो शक्ति है वो उनके लिए सही है या नहीं। रुद्र थोड़ी हिम्मत कर के विकास से पूछता है, “मुझे नहीं पता की आप कौन हैं पर इतना जरूर कह सकता हूँ की आप जो भी हैं सिर्फ आप ही हमें इस मुसीबत से बाहर निकाल सकते हैं इस समय आप के अलावा कोई ओर नहीं समझ आता जो हमें बचा सके। कृपया करके हमारी मदद कीजिये ”।

विकास ने रुद्र कि तरफ़ देखते हुए कहा “ ‘रुद्र’ यही नाम है न तुम्हारा ?

रुद्र ने सर हिलाकर हाँ कहा और फिर गंभीर हो चुके विकास के चेहरे को देखने लगा, साथ ही ये भी सोचने लगा की आखिर इन्हें मेरा नाम कैसे पता चला।

विकास रुद्र के मन की परिस्थिति को समझते हुए बोलना जारी रखता है “ तुम यही सोच रहे हो न की आखिर मुझे तुम्हारा नाम कैसे पता लगा, मुझे ओर भी बहुत कुछ पता है या यूँ कहूँ की मैं सब कुछ जान लेता हूँ मुझसे कुछ भी नहीं छुप सकता बच्चे।“

रुद्र बोला “मैं समझ गया की आप कोई सिद्ध पुरुष हैं जो इस समय हमारी मदद करने के लिए यहाँ पर आये हैं, कृपया कर आप अपना पूरा परिचय दीजिये और ये भी बताइए की ये कौन सा प्रेत है जो हमारे घर में जबरन अपना डेरा डालना चाहता है”।

विकास ने बहुत जोर से ठहाका लगाया और बोला “ नादान बच्चे वो जबरन तुम्हारे घर में नहीं आया है बल्कि उसे तुम लोग अपने साथ यहाँ लेकर आये हो जैसे तुम मुझे लेकर आये हो और तुमने ये कैसे सोच लिया की में यहाँ तुम्हारी मदद करने आया हूँ, में तो सालों से समाधि में लीन था तुम और तुम्हारे दोस्तों ने मेरी समाधि भंग की है और तुम चाहते हो की में तुम्हारी सहायता करूँ ? नहीं, बिलकुल नहीं – में तुम्हारी किसी भी तरह से सहायता नहीं करने बाला, ये मुसीबत तुम लोगों ने अपने गले बाँधी है तो अब तुम खुद ही इससे निपटो”।

रुद्र विकास की बातों को सुनकर अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए बोला “ आप ऐसा नहीं कर सकते अभी कुछ देर पहले ही हमने देखा की आपने उस दुष्ट शैतान से हमें बचाया और अब आप खुद ही हमें उसके चंगुल में मरते हुए कैसे देख सकते हैं प्लीज हमारी मदद कीजिये”।

रुद्र की बातों का असर विकास के चेहरे पर साफ़ देखा जा सकता था, विकास गंभीर और वजनदार आवाज में बोला “इससे पहले की हम इस प्रेत को उसकी सही जगह पर भेजें, हमें ये जानना होगा की ये प्रेत कौन है और यहाँ कैसे आया, साथ ही हमें ये भी जानना होगा की ये आखिर प्रेत बना तो बना कैसे?”

रुद्र और मनोज विकास की बात से सहमत दिखे और ध्यान से आगे की बातों को सुनने लगे।

विकास के अन्दर की शक्ति ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा “उस प्रेत के बारे में सब कुछ जानने के लिए हमें एक और प्रेत का सहारा लेना होगा क्योंकि प्रेत ही प्रेत के बारे में हमें बता सकता है और अच्छी बात ये है की इतने सालों तक दुनिया से दूर रहने के बावजूद आज भी कुछ प्रेत हैं जो मेरे आवाहन पर अपने आप हम तक आकर हमारी मदद कर सकते हैं ।

“ये तो बहुत अच्छी बात है उसके बारे में जानकारी मिलने के बाद उसका खात्मा आसान हो जायेगा, तो देर किस बात की है जल्दी से आप अपने प्रेत को बुलाओ” रुद्र बहुत उत्साहित हो कर एक ही सांस में बोलता गया।

रुद्र की बात को सुनकर विकास उसी गंभीर आवाज में बोला “ये जितना सरल तुम्हें लगता है उतना सरल नहीं है क्योंकि हमें नहीं पता की जो प्रेत हमारे बुलाने पर आएगा वो अपने ही जैसे किसी प्रेत के खात्मे के लिए हमारा साथ देगा या नहीं और बात भी तुम्हें ही करनी होगी क्योंकि मेरी कही हर बात को उस प्रेत को मानना ही होगा और में ये काम उससे बिना उसकी मर्जी के नहीं करवाना चाहता। और ये भी हो सकता है की सुनील के अन्दर का प्रेत अभी भी यहीं कहीं मौजूद हो और वो किसी और प्रेत को हमारे पास आने ही न दे तो जब तक तुम उससे बात करोगे में इस बात का ध्यान दूंगा की प्रेत सुनील को कोई नुकसान न पहुंचा पाए।

विकास की बात सुनकर रुद्र और मनोज का चेहरा जो अभी थोड़ी देर पहले उत्साह से चमक उठा था फिर से मुरझा गया वो दोनों एक दूसरे को देख कर विकास की और देखने लगे।

विकास को मानो इनके चेहरे के भाव से कोई लेना देना ही न हो, वो उसी तरह बोलता रहा, “पर कुछ भी हो हमें ये करना होगा नहीं तो वो इस बार हमें संभलने का कोई मौका नहीं देगा और हो सकता है की तुम सुनील को हमेशा के लिए खो दो।“

रुद्र विकास की बात को बीच में ही काट कर बोल पड़ा “नहीं कुछ भी हो जाये हम सुनील को नहीं खोना चाहते आप प्रेत को बुलाइए हम किसी भी तरीके से उस प्रेत को इस काम के लिए मना लेंगे।

विकास कमरे में दक्षिण दिशा की और मुंह करके बैठ गया और आँख बंद करके प्रेत बुलाने के लिए मंत्र पड़ने लगा, इस समय विकास का चेहरा लगातार कठोर होता जा रहा है, उसकी आवाज तेज, और तेज बहुत तेज हो गई, विकास के पूरे शरीर में बिजली दौड़ रही है, अब वो आँख खोलकर दक्षिण दिशा की और हाथ के इशारे से किसी को बुला रहा है और उसी पल कमरा एक अजीब सी गंध से भर गया मानो बहुत से जानवरों का सड़ा हुआ गोश्त इस कमरे में रखा हो, लाइट अपने आप ही बंद- चालू होने लगी रुद्र और मनोज को अपना शरीर बहुत भारी लगने लगा और फिर सब विकास जगह पर खड़ा हो गया और अपने सामने की तरफ़ इशारा करके उसने ये बताने की कोशिश की जिसे बुलाया था वो आ चूका है ।

रुद्र और मनोज विकास की बताई दिशा में देखते हैं वहां उन्हें बेहद काली कमरे के फर्श से एक फिट ऊपर उड़ती हुई सी एक परछाई नजर आती है, दोनों उसे देख कर सहम जाते हैं क्योंकि उस परछाई का रुख इस समय इन दोनों दोस्तों की तरफ़ ही है, तब रुद्र थोड़ी हिम्मत करके उस परछाई से पूछता है “कौन हो तुम, अपना नाम बताओ”?

रुद्र की बात सुनकर वो प्रेत बहुत जोर- जोर से हँसने लगा और बोला “तुमने मुझे यहाँ मेरी जानकारी लेने बुलाया है या कोई और काम भी है, अगर सिर्फ मेरे बारे में ही जानना था तो इतनी मेहनत क्यों की, इनसे (विकास की तरफ़ इशारा करके) पूँछ लेते, इन्हें तो मेरे बारे में सब पता है।

रुद्र को मानो अपनी गलती का अहसास हुआ उसने तुरंत बात बदलते हुए प्रेत से कहा “हम तुमसे तुम्हारे ही समान एक प्रेत के बारे में जानना चाहते हैं जिसने हमारे दोस्त सुनील के शरीर को अपना घर समझ कर उसमें प्रवेश किया था और वो हमें मारने की धमकी भी देकर गया है, वो प्रेत हम सब की जान लेना चाहता है, उस प्रेत से छुटकारा पाने के लिए हमें उसके बारे में जानना है”।

काली परछाई वाला प्रेत उसी तरह ठहाके लगाता हुआ बोला “ हा हा हा हा तुम या तो मूर्ख हो या मुझे मूर्ख समझ रहे हो, एक प्रेत से उसकी ही बिरादरी के प्रेत के खात्मे का सामान बनने के लिए कह रहे हो, तुम्हें पता है अगर (विकास की तरफ़ इशारा करके) ये यहाँ नहीं होते तो अब तक तुम सब का कीमा बना कर चमगादड़ों को परोस दिया होता।“

रुद्र अब तक की प्रेत की बातों से ये तो समझ गया था की प्रेत विकास के अंदर की शक्ति का सम्मान करता है या डरता है तो उसने एक आखिरी कोशिश के पहले कुछ देर विकास को देखा और फिर कहा “ तो तुम ये काम नहीं करोगे, पर हमें तो (विकास की तरफ़ इशारा करके) इन्होंने वादा किया था की उनका बुलाया प्रेत हमारी हर बात को उनकी खुद की बात समझ कर मानेगा और हर सम्भव हमारी मदद करेगा, लगता है ये गलत थे, तुम जा सकते हो अब ये बात सच हो गई की तुम इनका सम्मान नहीं करते हो”।

प्रेत रुद्र की बात को सुनकर बेचैन होकर बोला “ऐसा कभी नहीं हो सकता में कभी तांत्रिक योगीनाथ की बात को मानने से इनकार नहीं कर सकता, तांत्रिक योगीनाथ के गुस्से से मुझे इस संसार में कोई नहीं बचा सकता, मैं तुम्हारा काम करूँगा। पर मैं ये जानने के लिए भी बेचैन हूँ की तांत्रिक योगीनाथ क्या सिर्फ एक प्रेत के लिए एक हज़ार साल की समाधि को तोड़ने को मजबूर हो गए, आखिर देखते हैं वो कौन प्रेत है जिसके लिए इन्हें फिर से एक बार इस संसार में आना पड़ा”।

रुद्र और मनोज प्रेत की बात को सुनकर आश्चर्य से विकास के अंदर मौजूद तांत्रिक योगीनाथ की तरफ़ देखने लगे।

अगला भाग क्रमशः – प्रेत लोक – 06

सतीश ठाकुर