ये उन दिनों की बात है - 23 Misha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये उन दिनों की बात है - 23

लेकिन उसे देखते ही, मैं कामिनी के पीछे छुप गई थी | क्योंकि उसकी उन दोस्तों के सामने मैं बिलकुल फीकी लग रही थी |
क्या कर रही है, तू? मुझे उसके पीछे छुपते देख कामिनी ने टोका और उसने जबरदस्ती मुझे आगे धकेल दिया |
उसने थोड़ा जोर से धकेला था मुझे, जिससे मैं बिलकुल बीचोंबीच आ खड़ी हुई थी |


अब सागर की नजरें मुझे पर आ टिकी थी |

और जब उसने दिव्या को देखा तो देखता ही रह गया | उसकी नज़रें उससे हट ही नहीं पा रही थी | जैसे एक साथ कई रंग-बिरंगे बल्ब एक साथ जगमगा रहें हो जैसे उस पल में सिर्फ वो और दिव्या हो | जैसे वो दिव्या को एकटक देख रहा हो और दिव्या की नजरें शर्म से झुकी हुई हो |

सागर!! सागर बेटा!! नीचे आओ, वहीं खड़े रहोगे क्या!! उसकी तन्द्रा तब टूटी जब उसको दादाजी ने पुकारा | वो तबसे सीढ़ियों पर ही खड़ा था | "हाँ", आया दादू और पीछे सिर पर हलकी सी चपत लगाई |

जैसे ही वो नीचे आया | उसके सभी दोस्त उसे शुभकामनाएं देने उसके पास दौड़े |
"हैप्पी बर्थडे" सागर की आवाज से पूरा हॉल गूँज उठा |
कामिनी और मैं हम पीछे ही रह गए थे, क्योंकि उस माहौल में खुद को अजनबी महसूस कर रहे थे |

फिर केक आया | पहली बार हमने तीन मंजिला केक देखा |फिर क्या था हमारी कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चे केक को देखते ही उसके आस पास मंडराने लगे थे |
नैना तो ख़ुशी से नाच ही उठी |
दीदी, देख, तीन मंजिला केक!!! उसने थोड़ा जोर से कहा था, जिससे सब उसकी ओर देखने लगे और फिर हँसने लगे |
तू धीरे नहीं बोल सकती क्या!! मैंने डाँटा उसे |

नैना ने नाराज होने जैसा मुँह बना लिया था |
इट्स ऑलराइट!! दिव्या!! सागर ने मुझे नैना को डाँटते हुए देख लिया था |

एक्चुअली, शी इज राइट, मैंने भी फर्स्ट टाइम तीन मंजिला केक देखा है एंड आई एम आल्सो एक्साइटेड |
राइट नैना!! और उसने नैना के हाथ पर ताली दी |
राइट भैया! और नैना ने भी |

थोड़ी ही देर में नैना बच्चों से खुश हो गयी थी और उसे खिलखिलाता देखकर मैं भी ख़ुशी से झूम उठी |

"दिव्या", "तुम आज बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लग रही हो"!! ऐसे जैसे कोई परी आसमान से उतर आई हो, सागर ने मेरी तारीफ की तो मैं ख़ुशी से फूली न समाई |


सबने सागर से गाने की फरमाइश की | पहले तो वो आनाकानी करने लगा | फिर जब उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे गाना गाने के लिए इशारा किया | सागर के गाने ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया | उसने कर्ज फिल्म का गाना "दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर" गाया |


क्या तुम मेरे साथ आओगी, दिव्या? सिर्फ 5 मिनट के लिए !! उसने पूछा | और फिर वो मेरा हाथ पकड़कर, सबसे छुपाकर सीढ़ियों की ओर ले आया | कुछ ही देर में हम दोनों छत पर थे और आसमान की ओर ताक रहे थे |

ये जो तारा देख रही हो ना, दिव्या!! इसमें मुझे अपनी माँ का अक्स दिखाई देता है | "आई एम मिसिंग यू सो मच, माँ"!! उसने आसमान की ओर देखते हुए कहा |

जब उसकी तरफ देखा मैंने तो उसकी आँखों में आंसू थे |

सागर……………………..मेरे इतना कहते ही उसने मुझे गले लगा लिया ओर जार जार रोने लगा |

क्यों नहीं है मेरे माँ-पापा मेरे पास? दिव्या |

उसे यूँ पहली बार रोते देखा था मैंने | जो इंसान दूसरों को हमेशा हंसाता है, दूसरों की कितनी मदद करता है, दरअसल कितना सारा दुःख उसने अपने मन में समां रखा है | पर मैं बुद्धू उससे ये भी ना कह पाई की सागर तुम अकेले नहीं हो, मैं हूँ हमेशा तुम्हारे साथ, तुम्हारे सुख में, तुम्हारे दुःख में |


ये सोचते हुए कब नींद ने आ घेरा पता ही नहीं चला और सुबह तब आँख खुली जब मम्मी आवाज मुझे जगा रही थी |


क्लास कब ख़त्म होती, कब दूसरी क्लास शुरू होती, पता ही नहीं चलता | क्योंकि दिमाग में बस सागर और उसकी बातें ही घूमती रहती | और जब आप परेशान हो तब आपके दोस्तों को खबर लग ही जाती है | मेरी परेशानी कामिनी से भी छुपी नहीं रह गई थी |

क्या बात है दिव्या? इतनी परेशान क्यों लग रही है तू |

कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही |

अच्छा, तो खा मेरी कसम, कोई बात नहीं है| उस समय हम बात-बात में एक दुसरे को कसमें दिया करते थे | कभी विद्या की, कभी भगवान की, कभी खुद की तो कभी माँ की |

बर्थडे वाले दिन सागर अपने मम्मी को बहुत याद कर रहा था और याद करते करते रो पड़ा | मुझसे उसकी वो हालत देखी नहीं जा रही थी | इसलिए परेशान हूँ मैं, बहुत परेशान हूँ |

जब वो दस साल का था, तभी उसकी मम्मी उसे छोड़कर भगवान जी के पास चली गई, फिर उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली |

हैं? दूसरी शादी? कामिनी चौंकी |

हाँ............. और उसकी सौतेली मम्मी उसे बिलकुल भी प्यार नहीं करती | तभी तो वो यहाँ जयपुर ही आ गया है, अपने दादा दादी के पास |

सागर और दूसरे लड़कों जैसा बिलकुल भी नहीं है | वो बड़े दिलवाला है, दूसरों को हँसाता है तो भावुक भी है | पहली बार किसी ऐसे से मिली हूँ जो अपना-सा लगने लगा है मुझे |

क्रमशः