ये उन दिनों की बात है - 24 Misha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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ये उन दिनों की बात है - 24

उस दिन के बाद से मेरे मन में सागर के लिए कुछ अलग सा ही एहसास पनपने लगा था | जैसे जब भी वो अपनी साइकिल को दौड़ाता हुआ गली में से होकर गुजरता तो मैं उसे देखने के लिए बालकनी में आ खड़ी होती और उसे जाते हुए तब तक देखती रहती, जब तक की वो मेरी आँखों से ओझल ना हो जाता | रात को छत पर घुमते हुए आसमान में चाँद को निहारा करती, तारे गिना करती | उस चाँद में सागर का चेहरा ढूँढा करती |

फूलों से बातें किया करती और उनकी खुश्बू को अपनी साँसों में बसा लिया करती | रेडियो पर प्रेम भरे गीत सुना करती | अब तो सहेलियों के साथ खेलने का मन भी नहीं करता | कॉपी में उसका और खुद का नाम लिखकर प्यार का प्रतिशत निकाला करती |

गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गई थी, तो मैंने और कामिनी ने मेहंदी क्लास जाना शुरू किया, ताकि खाली बैठने से अच्छा कुछ सीख ले | एक महीने का कोर्स था, हमारे घर से थोड़ी सी ही दूरी पर | हम दोनों ने मेहंदी की नई-नई डिज़ाइन बनाना सीख लिया था |

अब मुझे मेहंदी की डिज़ाइन बनाने में काफी महारत हासिल हो गई थी | इसलिए जब भी खुद के हाथ में मेहंदी बनाती तो उसमें सागर का नाम जरूर लिखती थी | तीर लगा हुआ छोटा-सा दिल बनाती, जिसमें सागर का एस लिखती थी और उसे चूम लेती थी | उस नाम लिखे हाथ को अपने सीने से लगा लेती थी, चाहती थी वो नाम मेरे हाथ से कभी ना मिटे |

एक दिन चित्रहार में "हीरो" फिल्म का "लम्बी जुदाई" गाना देख रही थी | पता नहीं क्यों मुझे उस गाने में राधा और जयकिशन की जगह मेरी और सागर की छवि दिखाई दी | ऐसा लगा मानो सागर और मुझे हम दोनों को एक दूसरे से जुदा कर दिया गया हो | फिल्म में जिस तरह राधा अपने जयकिशन के लिए तड़प रही थी ठीक उसी तरह मैं भी अपने सागर के लिए तड़प रही थी |

पर............पर, क्या वो भी मुझसे इतना ही प्यार करता होगा ? क्या वो भी मेरी तरह तड़पता होगा ? क्या वो भी मेरी तरह अपना नाम मेरे नाम से जोड़ता होगा ? क्या वो भी मेरी तरह बेचैन रहता होगा ? क्या वो भी............और अक्सर इन्ही सब सवालों में मैं खोयी-सी रहती और उलझी रहती | अपने आपसे भी, और अपने दिल से भी | सिर्फ एक कामिनी थी जिससे मेरी ये हालत छुपी नहीं थी मेरे दिल की हालत की राज़दार थी वो | लेकिन मैं सागर से कुछ कह नहीं सकती थी, क्योंकि मैं बिलकुल भी नहीं जानती थी कि उसके दिल में मेरे लिए कुछ है भी या नहीं |

बर्थडे की फोटो धुलकर आ गयी थी | सागर अपने दादा-दादी के साथ बर्थडे के फोटो देख रहा था | जैसे ही एक फोटो पर उसकी नजर गई, उसे वो देखता ही रह गया | कुछ ख़ास थी वो फोटो क्योंकि उसमें सिर्फ सागर और दिव्या थे | दिव्या उसे गिफ्ट दे रही थी | उस फोटो में दिव्या की नजरें झुकी हुई थी | एक फोटो और थी जिसमें दिव्या, कामिनी और नैना डांस कर रहे थे | और एक फोटो थी जिसमें सिर्फ दिव्या ही थी "हँसते हुए" | इस ख़ास फोटो के लिए सागर ने ही फोटोग्राफर को इशारा किया था | जब वो हंस रही थी तभी उसने फोटोग्राफर को इशारा किया और उसने फोटो उतार ली | दादा-दादी की नजर बचाकर उसने वो फोटो अपने पास रखी एक किताब में छुपा ली | "अभी आता हूँ", कहकर उठा और सीधा अपने कमरें में आ गया |


उसके हाथ में दिव्या का वोही फोटो था, जिसमें वो खिलखिलाकर हँस रही थी | फिर वो उस फोटो से ही बातें करने लगा था | मन करता है बस यूँ ही तुम्हें देखता रहूँ | जब भी तुम सामने आती हो तो मेरा दिल किसी एक्सप्रेस ट्रैन की तरह रफ़्तार पकड़ता हुआ तेज गति से धड़कने लगता है | मेरे बर्थडे वाले दिन तुम बहुत ही खूबसूरत लग रही थी | इतनी खूबसूरत की वो हाई-क्लास लड़कियाँ भी तुम्हारे सामने फीकी लग रही थी | मेरे लिए तन की खूबसूरती से ज्यादा मन की खूबसूरती मायने रखती है और तुम्हारा मन एकदम साफ़ है, दिव्या बिलकुल आईने की तरह | मेरी आँखें बार-बार तुम्हें देखते रहने की गुस्ताखी किये जा रही थी | बस हल पल, हर लम्हा तुम्हें ही देखते रहना चाह रही थी, मेरी आँखें |


व्हाइट कलर का फ्रॉक जो की बहुत ही यूनिक लग रहा था और हाफ पोनी हेयरस्टाइल, तुम पर काफी सूट कर रही थी | कानों में मोतियों वाले टॉप्स वाली बाली भी इठला रही थी, जैसे की तुम्हारे साथ होने का अभिमान उनको भी है | हाथ में मोती वाला ब्रेसलेट और पैरो में व्हाइट कलर की जूतियाँ | सब कुछ एकदम परफेक्ट था | तुमने लिपस्टिक, आईलाइनर, काजल वगैरह कुछ भी नहीं लगा रखा था | फिर भी काफी खूबसूरत लग रही थी तुम, क्योंकि इन सबकी तुम्हें वैसे भी जरूरत नहीं है |