राजेश लखनऊ का रहनेवाला था।उसका सोने चांदी का कारोबार था।वह नई नई डिजाइन के फैंसी गहने बनाकर बड़े बड़े शहरों में सप्लाई करता था।इसीलिए वह आगरा आया था।
वह पूरे दो लाख रुपये के गहने लेेेकर आया था।पूरे दिन चककर लगाने के बाद भी वह मुश्किल से पचास हज़ार के गहने ही बेच पाया था।पहले उसके गहने हाथो हाथ बिक जााते थे।लेकिन कोरोना के बाद भारी आर्थिक मनंदी आयी थी।इसलिए उसके सब गहने नही बिके थे।
पूरे दिन इधर उधर भागता रहा और रात हो गई।रात को एक होटल में उसने खाना खाया था।फिर ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन जा पंहुचा।लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही अवध एक्सप्रेस जा चुकी थी।
ट्रेन छूटने पर वह निराश होकर बेंच पर बैठ गया।एक तो माल न बिकने की निराशा।दूसरे ट्रेन छूट जाने की।अब सुबह से पहले कोई ट्रेन नही थी।क्या करे?क्या पूरी रात प्लेटफार्म पर ही गुज़ार दे?वेटिंग रूम में या रिटायरिंग रूम में?वह सोच ही रहा था।तभी मधुर नारी स्वर उसके कान में पड़ा,"क्या आपकी भी ट्रेन छूट गई?"
जीन्स शर्ट में एक युवती उसके सामने खड़ी थी।राजेश ने अपने सामने खड़ी युवती को देखा तो देखता ही रह गया।
"कँहा खो गए?"राजेश ने युवती के प्रश्न का उत्तर नही दिया, तो उसने फिर पूछा था,"क्या आपकी भी ट्रेन निकल गई?"
"हां",राजेश ने संक्षिप्त उत्तर दिया था।
"ऑटोवाला रास्ते मे न रुकता तो मुझे ट्रेन मिल जाती।"
"आपको कहाँ जाना था?"
"कानपुर।"और आपको वह बोली थी।
"लखनऊ"राजेश बोला,"सुबह से पहले कोई ट्रेन नही है।"
"लखनऊ में आप क्या करते है?"
"बिजिनेस"राजेश अपने बारे में बताते हुए बोला,"और आप?"
"मेरा नाम डॉली है।कानपुर में कम्पनी में काम करती हूँ।यहाँ ताजमहल देखने के लिए आयी थी।"डॉली ने अपने बारे में उसे बताया था।
"ट्रेन के इन्तजारमे पूरी रात स्टेशन पर रुकना पड़ेगा।"
"स्टेशन पर तो परेशान हो जाएंगे,"डॉली बोली,"ऐतराज न हो तो किसी होटल में चलते है।वंहा आराम करेंगे।"
डॉली ने होटल चलने का प्रस्ताव रखा था।राजेश ने उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।वे दोनों होटल रंगोली में आ गए।कमरा डॉली ने बुक कराया था।उसने अपना नाम राजेश की पत्नी के रूप में लिखाया था।
कमरे में आते ही डोली जीन्स शर्ट खोलकर ब्रा पैंटी में पलँग पर आ लेटी।राजेश कपड़े बदलकर सोफे की तरफ जाने लगा,तो डॉली बोली,"अरे वंहा क्यो?डबल बेड है।यंहा आओ।
औऱ राजेश झिझकते हुए पलँग के एक कोने में आकर लेट गया।
"इतनी दूर क्यो?"
"हम अजनबी है।हमारे बीच कोई रिश्ता भी नही है"
"वास्तव में तो तुम सच कह रहे हो।लेकिन होटल के रजिस्टर में मैने अपना नाम तुम्हारी पत्नी के रूप में लिखाया है,"डॉली बोली,"क्या पत्नी से इतनी दूर लेटते है।"
"नही।"
"फिर दूर क्यो लेटे हो?"डॉली,राजेश के पास सरककर उसे बांहों में लेते हुए बोली,"आज रात के लिए में तुम्हारी पत्नी हूँ।तुम पत्नी के साथ जो करते हो।आज रात मेरे साथ करने के लिए आज़ाद हो।"
डॉली के तन से भीनी भीनी खुशबू आ रही थी।राजेश ने भी अपनी बांहे डॉली के गले मे डाल दी और उसके लबो पर और धीरे धीरे दोनो के शरीर से कपड़े सरकते रहे और दो तन एक हो गए।देर तक वासना का खेल खेलने के बाद राजेश थककर गहरी नींद में सो गया।
सुबह राजेश की आंख खुली तो देखा।डॉली बिस्तर पर नही है।बाथरूम से शावर कि आवाज आ रही थी।वह डॉली के बाथरूम से बाहर आने का इन्तजार करने लगा।जब काफी देर तक वह नही निकली तो वह बाथरूम में जा पहुंचा।बाथरूम का दरवाजा लॉक नही था।इसलिए हल्के से धक्के से खुल गया।बाथरूम खाली था।कँहा गई डॉली।कमरे में आया टी उसकी नज़र अपनी अटैची पर पड़ी।अटैची खुली थी और उसमें से गहने नकदी गायब