अनफॉरट्यूनेटली इन लव - ( नया साल, नए रिश्ते ) 21 Veena द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनफॉरट्यूनेटली इन लव - ( नया साल, नए रिश्ते ) 21

अभी अभी नए साल की रात बस कटी ही थी कि सुबह सुबह गन के कमरे के बाहर उसके दादाजी ने शोर शुरु कर दिया।

" उठो भी सुबह के 7 बज चुके है। कौन सोता है इतनी देर। जल्दी उठो। उठे या नहीं???" दादाजी सवाल पर सवाल करते ही जा रहे थे।

" में उठ गया हू।" उसने आधी नींद में जवाब दिया।

" मुझे पता नहीं चल रहा एक कंवारे लड़के को रात को कमरे का दरवाजा लॉक कर के सोने कि क्या जरुरत है। जल्दी बाहर आओ। उठ चुके हो ना या वापस सो गए। शंग्यान। जल्दी उठो इस से पहले की मे साल के पहले दिन तुम्हे दाटू। खुद उठ जाओ।" आखिर कार वो उसके कमरे के बाहर से चले गए।

Dt जब अपनी जॉगिग खत्म कर घर में जाने वाला था उसे गन एक कोने मे मोबाइल मे गेम खेलते दिखा।

" गुड मॉ्निंग। सुबह सुबह अच्छी एक्सरसाइज है।" उसने गन से पूछा।

" ताना देने की कोई जरूरत नही है। कल से तुम मुझे मेरी सब्र की अंतिम रेखा पर धकेल रहे हो। में तुम्हे आखरी चेतावनी दे रहा हूं। कौन साल के पहले दिन जॉगिंग पर जाता है। तुम्हारी वजह से मुझे सुबह सुबह डात खाते हुए उठना पड़ा।" गन ने गेम खेलना जारी रखा।

" मेरी आदत है। इसके बिना मेरी सुबह नहीं होती।" Dt उसके पास बैठ गया। " अब अंदर चले।"

" ये। सुनो जाओ एक और चक्कर लगा लो। जितने देर तुम बाहर रहोगे मुझे भी बाहर रहने का मौका मिलेगा। अगर मे अंदर गया तो दादाजी फिर शुरू हो जाएंगे।" गन उस से मानो एक अर्जी की हो।

" हा एक शर्त पे, तुम भी मेरे साथ चलो। "

" हा?????" गन कुछ समझ पाए उस से पहले dt ने उसकी एक बाजु पकड़ उसे अपने साथ खीच लिया।

सुबह दौड़ लगा कर जैसे ही दोनो भाई घर वापस आए, दादाजी ने फ़रमान सुना दिया।

" आज नए साल का पहला दिन है। में चाहता हूं कि मेरी पोत बहू आकर आज हमारे लिए खाना बनाए। जाओ शांग्यान नियान को घर लेकर आओ।"

" क्या ? लेकिन उसके मां बाबा को क्या कहूंगा। उनको लगेगा में झूठ बोल रहा हूं। ये नहीं हो सकता। आप कल मिले थे ना उस से आपके नॉर्वे वापस जाने से पहले एक बार उस से मिलवा दूंगा। आज नहीं हो सकता।" उसने सोफे पर बैठते हुए कहा ।

" में तुम्हे पूछ नहीं रहा हूं। तुमसे जितना कहा जाए उतना करो। मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है। एक तो में तुम्हे उस से मिलने का बहाना दू, ऊपर से तुम्हारी बाते सुनो। जाओ अभी जा कर उसे यहां ले आओ।" दादाजी ने अपनी छडी पटकते हुए कहा।

" हा हा ठीक है। डेमो साथ चलो।" डेमो बिना किसी सवाल जवाब के गन के साथ चला गया।



आधे घटे बाद,

" बॉस आपने कुछ गलत किया है क्या?" ना रह डेमो ने आखिरकार उसे पूछ लिया।

" में क्यो कुछ ग़लत करूंगा। मतलब क्या है तुम्हारा ?" गन ने उसे देखते हुए पूछा।

" तो आप डर क्यो रहे है ? आप के सांस ससुर आपको खा नहीं जाएंगे। अंदर जा कर भाभी को ले कर आयिए।" डेमो

" में डर नहीं रहा हूं समझे। " गन ने नियान के घर के दरवाजे को घूरना जारी रखा।

" अगर आप डरते नहीं तो हम दस मिनिट से गाड़ी मे बैठ दरवाजे को क्यो देख रहे है?" उसका सवाल भी सही था। गन जानता था कि नियान के मां बाप से मिलना उसे वाकयी डरावना लगता है। लेकिन ये बाते डेमो को समझाना ना मुमकिन है। इसलिए वो आखिरकार गाड़ी से उतरा ।

" ठीक है। मेरे पीछे चलो।" गन

" बॉस आप पहली बार अपने ससुराल जा रहे है। इस तरीके से खाली हाथ जाना अच्छा नहीं लगता। मेरी मॉम हमेशा केहती है, किसी के घर जाते वक्त कुछ खाने के लिए लेकर जाते है, जैसे फल या कुछ स्नेक्स और तो और मेरा आपके पीछे आना भी अच्छा नहीं लगेगा। आप अकेले ही जायए।" डेमो ने गाड़ी से बाहर निकलते हुए कहा।

" ठीक है फिर यही रुको में अभी आता हूं।" उसने अपनी गाड़ी की चाबियां डेमो की तरफ फेकी और पास ही के दुकान में जाकर फल खरीदे और आखिर कार हिम्मत जुटा कर उसने घर की घंटी बजाई।
नियान की मां ने दरवाजा खोला। गन को वहा देख वो खुश नहीं थी, लेकिन क्यो की वो उनके घर पर मेहमान था इसलिए तमीज से उन्होंने उसे घर के अंदर बुलाया।

" कौन आया है हनी?" नियान के बाबा ने पूछा। बिना कुछ कहे नियान की मां ने पीछे की तरफ इशारा किया। तीन बड़े फलो के बक्से के पीछे उसका पूरा चेहरा छिप गया था। उसमे से एक बक्सा नियान के बाबा ने हाथो मे लेकर गन को देखा। और तुरंत नौकर बुलाकर सारे बक्से नीचे रखवा दिए।

" इसकी कोई जरूरत नहीं थी शांग्यान। सुबह सुबह यहां अचानक..." उन्होंने प्यार से उसे बिठाते हुए कहा।

" अंकल दादाजी चाहते है साल के पहले दिन नियान उनके साथ खाना खाए। क्या में उसे अपने साथ ले जा सकता हू? रात को जल्द घर ले आऊंगा।" गन ने जीझकते हुए कहा।

" क्यो नही। जरूर । अरे जाओ नियान से कहो हमारे जमाई आए है। हे हे हे।" उन्होंने हसते हुए कहा, लेकिन वो शायद उन्हीं के लिए मज्जाक था। क्यो कि नियान की मां मुंह फुलाए वहीं खड़ी रही। उसके बाबा खुद चले गए और कमरे से नियान को बुला लाए।

उनके जाने के आधे घंटे बाद नियान तय्यार हो नीचे आई। सफेद टॉप और पीले स्कर्ट मे, गन उसे घूरता रहा।

" माफ करदो। ज्यादा इंतेजार तो नहीं करवाया।" उसने अपनी फूलती हुई सांस संभालते हुए कहा।

" नहीं। दादाजी तुमसे मिलना चाहते है। इसीलिए में तुम्हे हमारे साथ रात के खाने के लिए लेने आया हूं।" गन ने कहा।

" हा। जरूर।" नियान ने बिना एक सेकंड लगाए हा कर दी। अपनी प्यार मे अंधी बेटी को देख नियान की मां और परेशान हो गई। " सात बजे से पहले उसे घर छोड़ देना।" उन्होंने कहा।

नियान ने दयनीय आंखो से अपने बाबा को देखा।

" अरे सात बजे तो लोक खाना खाते है। तुम चिंता मत करो शंग्यान आराम से लेकर आना।" नियान के बाबा ने कहा।

" में नौ बजे तक उसे घर ले आवूंगा। शुक्रिया अंकल आंटी।" उन्हे धन्यवाद कर वो वहा से निकला।

" थैंक्स बाबा। बाय मां।" नियान खुशी खुशी उसके पीछे चली गई।


" तो हम कहा जा रहे है?" नियान ने बाहर जाते ही उस से पूछा।

" पहले बाज़ार जा कर चीजे खरीदेंगे, फिर घर जा कर सब के साथ खाना खायेंगे।" कह वो नियान के साथ गाड़ी मे बैठा।

जैसे ही उसने गाड़ी का दरवाजा बंद किया पीछे से डेमो जोर से चिलाया " भाभी "

" वोह , तुमने तो मुझे डरा ही दिया। " उसने अपने आप को संभालते हुए कहा।

" अ अ डेमो। सही कहा ना।" नियान

" अरे वा भाभी आप बस मुझसे एक बार मिली है और मे आप को याद हू।" डेमो

" अब बचकानी हरकते बंद करो मुझे शान्ती से गाड़ी चलाने दो।" गन ने डेमो को आंखे दिखाई, जिसे डेमो चुपचाप पीछे हो कर बैठ गया।

तीनो सुपर मार्केट गए। वहा से उन्होंने काफी सारी चीजे ली। नियान एक काउंटर पर कुछ चिप्स के पैकेट पढ़ रही थी। गन ने वहा पोहोच कर जितने पैकेट उसने पढ़े सब ट्रॉली मे रख दिए।

" तुम्हे ये पसंद है। और ये वाला। ये भी मैंने क्लब मे लड़को को खाते देखा है।" गन एक एक कर उसे स्नैक्स के पैकेट दिखा कर ट्रॉली मे भर रहा था। डेमो ने ये सब देखा।

" बॉस मुझे भी ये चाहिए।" अपने हाथ मै एक स्नैक का पैकेट दिखा उसने गन को कहा।

" लड़के ये सब नहीं खाते, उसे रख दो समझे।" गन ने वापस अपनी शॉपिंग जारी रखी, नियान ने डेमो के हाथ से वो पैकेट ले लिया " सुनो, मुझे भी ये चाहिए।"

" तुम्हे जो भी चाहिए ले लो। कोई परेशानी नहीं है।" गन ने एक मुस्कान के साथ उसे कहा।

" देखा भाभी मे तो हमेशा से जानता था, बॉस आपको खास मानते है। वो हमेशा आप के साथ अलग होते है। जब मैंने मांगा तो मुझे आंखे दिखाई। आपको तुरंत तैयार हो गए।" डेमो ने नियान से कहा।

" नहीं तो। वो तो मेरे साथ हमेशा ऐसा ही है।" नियान

" क्या उन्होंने आप पर कभी आवाज ऊची की है ? आपको डाटा है ?" डेमो

" नहीं तो। पर क्यो पूछा ?" नियान

" मैंने सुना है, जो लोग बाहर कठोर बन कर घूमते है। सब से बुरे तरीके से बात करते है। अपने घर वालो से वहीं लोग ज्यादा प्यार से बात करते है। जैसे कि बॉस हमे दाटटे है लेकिन आप को पसंद करते है।" डेमो की बाते सुन नियान के गालों पर लाली चढ़ गई।

" तुम्हे क्या हुआ? तुम्हारा चेहरा इतना लाल क्यो है ? " तभी गन वहा पोहोच गया।

" कुछ नहीं मेरी शॉपिंग हो गई चलो चलते है। " उसने गन का हाथ पकड़ा और चलने लगी। गन अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर हुआ क्या ?

" ये लड़की । इतना हक़ क्यो जताती है मुझ पर ? या फिर यूं कहूं मैं क्यो उसे इतना हक़ जताने देता हूं मुझ पर ? क्या उसे मुझसे डर नहीं लगता ? " गन बस उसे देख रहा था।

शॉपिंग खत्म कर वो सारा सामान ले कर गाड़ी तक पोहोचे, गन के हाथो मे समान था और गाड़ी कि चाबी जेब मे।

" में उठाती हूं, मुझे देदो।" नियान ने उसे कहा।

" नहीं। बस मेरी जेब से चाबी निकालो ! " उसने जेब आगे कर कहा।

" ठीक है।" नियान ने उस की कोट की जेब टटोली।

" पैंट पॉकेट मे है! " उसने कहा।

" क्या ? ठीक है।" नियान ने उसकी जेब मे हाथ डाल कर चाबियां निकाली और गाड़ी अनलॉक की।