कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 41) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • उजाले की ओर –संस्मरण

    मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है ल...

  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

श्रेणी
शेयर करे

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 41)

प्रशान्त के जाते ही मिस्टर खन्ना धम्म से सोफे पर बैठ गए और सोचने लगे ऐसा क्या कर गयी मिश्रा जी की भाभी जो ये इतने बेखौफ होकर चले गए।कुछ तो कांड किया है मैनेजर साहिबा ने अब पता कैसे चले इसी कश्मकश में उसे इस बात का इल्म ही नही रहता कि उनके दोनो बच्चे कब से खड़े हो उन्हे ही देख रहे हैं।

इधर राधिका प्रेम और प्रशान्त घर से बाहर निकल एक दूसरे को बाय कह घर के लिए निकल जाते हैं।उधर अर्पिता एकैडमी के स्टाफ रूम में आती है और प्रशान्त को देखने लगती है।लेकिन प्रशान्त वहां हो तब तो दिखे।
शायद अभी तक क्लास में होंगे अर्पिता ने सोचा और वहीं बैठ कर इंतजार करने लगती है।लगभग दो मिनट बाद रविश जी आते हैं और अर्पिता को बैठा देख उससे कहते हैं, अभी तक गयी नही आप?

आवाज सुन अर्पिता ने रविश को देखा और बोली जी..वो हम इंतज़ार...!कह चुप हो जाती है।

समझ गया!लेकिन प्रशान्त तो एक घंटे पहले ही निकल गया यहां से।अगर आप चाहे तो मैं आपको लिफ्ट दे सकता हूँ?

जी नही धन्यवाद!हम खुद से चले जायेंगे अर्पिता ने कहा और अपना बैग उठा रूम पर जाने के लिए निकल जाती है।

उधर हमारे प्रशान्त जी वहा से निकलते हुए अर्पिता के बारे में सोच कर मुस्कुराते हुए रूम पर जा रहे हैं।रूम पर पहुंच वो वहां जाकर सबसे पहले अर्पिता को देखते हैं उसे वहां न पाकर वो समझ जाते है कि अर्पिता अभी तक नही पहुंची है।वो बालकनी में जाकर खड़े हो अर्पिता को देखने लगते हैं।अर्पिता ऑटो में बैठी हुई रूम के लिये आ रही है कि रास्ते मे उसकी नजर पार्क की बेंच पर अकेली बैठी हुई पूर्वी पर पड़ती है।उसका इतने समय वहां अकेला बैठना ठीक नही लगता तो वो ऑटो रुकवा वहीं उतर जाती है।वो पैसे देने के लिए पर्स टटोलती है तो पर्स में उसे प्रशान्त का रखा हुआ नोट दिखता है वो तुरंत उसे उठाती है और पैसे देना भूल उसे पढ़ने लगती है तिस पर ऑटो वाला झल्ला कर कहता है मैडम जी आप बाकी कार्य बाद में करो न पहले मेरे पैसे मुझे दे दो जिससे मैं यहां से निकल कोई और सवारी देखूं।
ओह सॉरी सॉरी हम अभी देते है कह अर्पिता ऑटो वाले को पे कर देती है तो ऑटो ड्राइवर वहां से निकल जाता है।अर्पिता सबसे पहले वो नोट पढ़ती है जिस पर लिखा है, "आज मैं कार्य से बाहर जा रहा हूँ,सो मेरा इंतजार नही कर रूम के लिए निकल जाना"☺️!

ओह हम भी न् कितनी पगली है जो ये सोच बैठी कि शान हमे बिन बताए चले गए जबकि हमने अपने बैग में देखा तक नही।पगली कहीं की कहते हुए अर्पिता मुस्कुराती है और पूर्वी के पास पहुंचती है।

पूर्वी,पूर्वी क्या हुआ तुम ठीक तो हो अर्पिता ने पूर्वी के पास पहुंच उस से पूछा।आवाज सुन कर वो एकदम से चौंकी और उसने पलटते हुए अर्पिता को देखा और बोली, वो मैम,बस ऐसे ही थोड़ी शांति के लिये यहीं बैठ गयी!

ओह रियली! फिर ये आंखे नम क्यों है पूर्वी!अर्पिता ने प्रश्न किया जिसे सुन वो हड़बड़ा कर बोली वो मैं बस ऐसे ही हवा की वजह से।।

अर्पिता उसके पास ही उसकी बगल में बैठ गयी और उसके सिर पर हाथ फिराते हुए बोली, पूर्वी कुछ दिनों के लिए ही सही लेकिन हम तुम्हारी टीचर और इस नाते जितना हमने तुम्हे जाना है तुम बेहद हँसमुख और खुशमिजाज रहने वाली लड़की हो।अकेलापन तो तुम्हे शायद ही पसंद हो फिर यहां इस समय अकेले बैठने की वजह हमे समझ नही आ रही है।

अर्पिता की बातें सुन कर पूर्वी थोड़ा सा भावुक हो जाती है और कहती है वजह तो काफी बड़ी है लेकिन मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं आपसे मदद लूं या नही।

पूर्वी!अब ये तो हम नही बता सकते कि आप हमसे मदद ले या नही।लेकिन इतना कहेंगे अगर जीवन मे समस्याएं ही समस्याए आने लगे और आप उनमे उलझ कर रह जाओ तो किसी भरोसेमंद व्यक्ति की मदद ले लेनी चाहिए।जिससे हम बिन किसी परेशानी के उस समस्या से बाकर निकल सके।अभी भी और भविष्य में भी।

आप की बात सही है मैम!लेकिन मैं मदद लूं तो किसकी गिने चुने मेरे दो दोस्त है एक तो मिस्टर अभयेन्द्र प्रताप खन्ना की बेटी मालिनी खन्ना,और दूसरा युवराज़ यानी युव्वी।और इस वक्त मैं दोनों से ही बात नही कर सकती।मालिनी इस वक्त फ्री नही होगी।और युवी वो पहले से ही इतना ज्यादा परेशान है मेरी वजह से कि आगे मैं उससे कुछ भी डिस्कश करके और परेशान नही कर सकती।

युव्वी!नाम सुनकर अर्पिता चौंक जाती है और कहती है युव्वी!वो मसूरी वाला?

अर्पिता युव्वी को जानती है ते देख वो और ही चौंक जाती है और कहती है हां.लेकिन उसके बारे में आप कैसे जानती है क्योंकि मैंने तो अभी तक किसी को नही बताया।

पूर्वी को सुन अर्पिता मुस्कुरायी और बोली बस यूं समझ लो किस्मत ने मिलाया।।खैर ये सब छोड़ो तुम ये बताओ कि क्या समस्या है तुम्हारी। चाहो तो मुझसे शेयर कर सकती हो।मैं पूरी कोशिश करूंगी तुम्हारी हर संभव मदद करने की।

अर्पिता की बात सुन पूर्वी अवाक होकर बोली।मैम मैं कैसे बताऊं!युव्वी...मैं।मैं युव्वी एक दूसरे से बेइंतहा प्रेम करते है इतना कि अब हम एक दूसरे से अलग होने के बारे में सोच भी नही सकते।इसी प्यार के चलते हमसे वो खूबसूरत गलती हो गयी और मैं ...!कह वो चुप हो जाती है।

तुम... क्या पूर्वी कहीं तुम .....?पूर्वी मैं ऐसा सोचना नही चाह रही लेकिन तुम्हारे चेहरे का डर मुझे ऐसा सोचने पर मजबूर कर रहा है।अर्पिता ने सवाल करते हुए पूर्वी से से पूछा।

पूर्वी हां में गर्दन हिला देती है।पूर्वी...!तुम कहते हुए वो चुप हो जाती है और उससे कहती है पूर्वी अगर युव्वी वाकई में अच्छा लड़का है और वो तुम्हे दिल से पसंद करता है तो तुम्हे अपनाने के लिए तैयार हो जाएगा।अब सोचने विचारने का कोई लाभ तो नही है खाली चिंता ही हाथ आएगी।और उस चिंता की वजह से तुम पर और तुम्हारे साथ साथ इस नन्ही सी जान पर भी प्रभाव पड़ेगा।तुम एक कार्य करो रात बहुत हो रही है सो अभी के लिए घर जाओ कल हम दोनों मिल कर इस बारे में निर्णय लेते हैं।

लेकिन मैम आपने पूरी बात तो सुनी नही..!पूर्वी ने कहा तो अर्पिता उसे प्यार से समझाते हुए बोली पूर्वी,परेशानी बड़ी नही होती हमारी सोच उसे छोटा या बड़ा बनाती है।हमारी सोच जो अगर ऊंची हो तो हमे पहाड़ चढ़ना भी मामूली लगेगा और वही सोच अगर सीमित हो तो आलस की वजह से पहले तो हम चढ़ेंगे ही नही, और अगर मन मे विचार कर चढ़ना शुरू भी कर दिए तो हजारों कमियां निकालने लग जाएंगे।हमे उम्मीद है कि अब तुम मेरा इशारा समझ गयी होगी।

थोड़ा सा पूर्वी ने कहा तो अर्पिता मुस्कुराते हुए बोली पूर्वी अपनी सोच की ही वजह से तुम अभी दुखी होकर यहां बैठी हो जबकि तुम्हारे पास दुखी होने का अभी कोई कारण नही है।जब तुम्हे विश्वास है कि युवी तुम्हे अपना लेगा तो दुखी होने की वजह क्या है।अगर प्रेम सच्चा है और उसमें भरोसा भी शामिल है फिर ये गलती का अफसोस क्यों?

वो तो बस ...कह पूर्वी सोच में पड़ जाती है और उसकी बात समझ कहती है आप सत्य कह रही हैं।इस तरह से तो मैंने सोचा ही नही।सच मे मैं तो खामखाँ परेशान हो सोच में डूबी बैठी थी।अब आपसे थैंक यूँ नही कहूंगी बस आपका आभार व्यक्त करूंगी जो आपने मेरी परेशानी जो कि वास्तव में थी नही उससे उबार कर मुझे सही गलत समझाया।मैं युव्वी से इस बारे में बात करूंगी फिर जो होगा मिल कर देखेंगे।अब मैं निकलती हूँ बाय मैम!कह पूर्वी मुस्कुरा कर उठ खड़ी होती है और खुशी खुशी में अर्पिता के गले लग मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है।उसके जाने के बाद अर्पिता उठती है और कहती है, पूर्वी हम समझसकते हैं इस अवस्था मे एक अविवाहित लड़कीं का सब कुछ सहना कितना मुश्किल है हमे नही पता आगे क्या होगा लेकिन हमें इतना पता है कि इस अवस्था में बस तुम्हे परेशानी नही झेलनी है।तनाव लेना बिल्कुल भी ठीक नही है तुम्हारे लिए।

अर्पिता पार्क से चली आती है और ऑटो का इंतजार करने लगती है।इधर रूम पर बालकनी में खड़े हो अर्पिता का इंतजार करते हुए प्रशान्त उसके देरी से आने पर खुद से कहने लगते हैं, अभी तक नही आई है पता नही कहाँ रह गयी है ये।कितनी देर देर हो गयी है।मुझे भी तो आये हुए करीब दस मिनट होने जा रहे हैं।क्या करूँ देख कर आऊं।देख ही आता हूँ सोचते हुए वो बालकनी से इतर हो नीचे आते हैं और बाइक निकाल उसे राइड कर अर्पिता को देखते हुए आगे बढ़ जाते हैं।

अर्पिता अभी भी वहीं खड़ी हो ऑटो को देखते हुए आगे बढ़ रही है उसे वहां से अकेला गुजरते देख वही बारिश के दिन वाले असामाजिक तत्व उसके आस पास आ मंडराने लगते हैं।और कहते है आज तो चिड़िया अकली है इसे प्रोटेक्ट करने के लिए चिड़िया का प्रोटेक्टर आज साथ नही आया।अर्पिता ये सुनती है तो उस दिन शान के अचानक उसके पास खड़ा होना उसकी आंखों के सामने आ जाता है।किस तरह उसके बारिश में भीगने पर शान उसके पास खड़े हो भीगने लगे थे अर्थात वो भी उसकी सेफ्टी के लिए इन गधों को ये एहसास दिलाने के लिए कि हम अकेले नही हैं।इतनी परवाह करते है वो हमारी..!सोचते हुए उसकी आंखें भर आती है।

लेकिन वो लोग उसे भावुक देख कमजोर न समझ ले ऐसा सोच जल्द ही वहां से आगे बढ़ पैदल चलने लगती है।उसे पैदल जाता देख वो सभी भी उसके पीछे चलने लगते है।अर्पिता तेज कदमो से आगे बढ़ती है।ये समस्या केवल अर्पिता की ही नही है वरन हर उस लड़की की है जो घर की चहारदीवारियों से निकल कार्य करना पसंद करती है।या जो मजबूरी वश जिम्मेदारियों को उठाने के लिए काम करती हैं।और क्या लखनऊ क्या दिल्ली हर जगह ऐसी समस्याओं से दो चार होती ही रहती हैं।

अर्पिता भी एक आम लड़की की तरह तेज कदमो से उनकी हर हरकत को ऑब्जर्व कर आगे बढ़ रही है।इस समय रात के आठ बजकर बीस मिनट पर वो उनसे उलझना उचित नही समझती।क्योंकि इस बीते हुए एक सप्ताह में उसके साथ इतना कुछ घट चुका है कि अब वो इस समय बेवजह कोई मुसीबत मोल नही लेना चाहती।

अर्पिता थोड़ा ही आगे बढ़ पाई होती है कि तभी वो लोग तेज कदमो से आ उसके चारो ओर खड़े हो जाते हैं।अगर हम मुसीबत से बचने की कोशिश करे तो मुसीबत तो हमारे सामने खुद आकर खड़ी हो जाती है।अब न चाहते हुए भी हमे इन लोगो को जवाब देना पड़ेगा सोचते हुए वो अपने आसपास देखती है वो मुख्य सड़क से कुछ ही कदमो की दूरी पर है।ये जान वो अपने पर्स में हाथ डालती है तो परफ्यूम की बॉटल उसके हाथ लग आती है।छोटी सी बोतल इससे कैसे काम चले बुदबुदाते हुए वो मुख्य सड़क की ओर जाने वाले रास्ते को देखती है वो उस तरफ तेजी से बढ़ती है और सामने खड़े लड़के की आंखों में स्प्रे कर वो अपना पैर उठा उसके घुटने पर वार कर उसे धक्का दे तेजी से सड़क की ओर भाग जाती है।और मुख्य सड़क पर ही जाकर रुकती है।सड़क पर रुकते हुए वो एक बाइक से टकराती है।जो प्रशान्त की होती है।अप्पू तुम ऐसे.. कह वो बाइक को रोक स्टैंड कर खड़े करते हैं।और अर्पिता को थाम उसे सम्हाल कर खड़ा करते हैं।क्या हुआ और तुम इधर से कहाँ से भागती हुई आ रही थी अर्पिता से पूछते वो उस तरफ देखते है जहां स्ट्रीट लाइट में उन्हें तीन चार लड़के खड़े उसकी ओर देखते हुए ही दिखते हैं।समझ गया अप्पू।
तुम यहीं रुको मैं अभी आता हूँ कह गुस्से में वो उनकी तरफ बढ़ते हैं।अपनी ओर उसे अकेला आता हुआ देख वो कहते है तो प्रोटेक्टर आखिर आ ही गया।चलो फिर आज इसे ही देख लेते है कहते हुए वो सभी बड़े जोश में हंसते हुए आगे बढ़ते है।वही दूसरी तरफ से प्रशांत जी गुस्से में तड़ताडते हुए उन सबके सामने पहुंचते है और भुनभुनाते हुए उन्हें पीटना शुरू कर देते हैं।बहुत हिम्मत हो रही है तुम लोगो की।उस दिन भी तुम लोगो को इशारा दिया था मैंने।कुछ कमेंट करना तो दूर इसके आसपास दिखना नही।वो मेरी बंदी है शान दि ग्रेट की।लेकिन नही तुम लोग अपनी हरकतों से बाज नही आये और आज तो उस पर बुरी नजर रख तुम लोगो ने हद ही कर दी।नही सुधरे तुम लोग तो भुगतो अब।ये लो अपनी हरकतों का प्रसाद।कहते हुए वो अपनी लंबाई का लाभ उठा उन्हें तड़ातड़ पीटते हैं।
अब शान ठहरे अच्छी खासी लंबाई वाले फिट एंड फाइन बॉडी वाले लड़के तो उन्हें हार्म करना उन लोगो के लिए मुश्किल होता है।लेकिन फिर भी वो कोशिश करते हुए दो चार मुक्के जड़ ही देते है जिससे उसे हार्म पहुंचता है।लेकिन शान अपनी चोट को इग्नोर कर गुस्से में उन्हें पीटते जाते हैं।बाइक के पास खड़ी अर्पिता प्रशान्त को गुस्से में लड़ाई करते हुए देखती है तो वो फौरन उसके पास आ उसे रोकने की कोशिश करती है।
अर्पिता :- रुकिए शान!बस करिए मर जायेंगे ये लोग!प्लीज रुकिए!लेकिन शान इस समय अपने होश में नही होते वो बस बड़बड़ाते हुए उन्हें पीटे जा रहे हैं।

याद रखना।ये बंदी अगर पूरे लखनऊ में कहीं दिख जाये न तो दो सौ मीटर की दूर से सलाम कर सामने से खिसक लेना।नही खिसके न और मुझे पता चल गया तो मैं फिर मारूंगा।प्रशान्त ने कहा।

शान बस भी करिए अब।प्लीज बस करिए हम ठीक है इधर देखिये हमारी तरफ।अर्पिता शान से कहती है।आवाज सुन शान अर्पिता की ओर देखते हैं उसके चेहरे पर खुद के लिये चिंता देख वो गुस्सा छोड़ उसका हाथ पकड़ते है और बाइक के पास लेकर चले आते हैं।वहीं जिन्हें उन्होंने पीटा होता है वो सभी जमीन पर पड़े कराहते हुए पैर कमर पकड़े नजर आ रहे हैं।
प्रशान्त अर्पिता को ले आ उसका हाथ अपने दोनो हाथो से थाम कहते हैं सॉरी अर्पिता वो मुझे यूँ अचानक से जाना पड़ा।कुछ बेहद जरूरी कार्य आ गया था इसिलिये जाना पड़ा और तुम्हे ये सब सहना पड़ा।आय एम सॉरी!कह वो चुप हो जाते हैं अर्पिता को अपने हाथ नम महसूस होते है वो हाथो की ओर देखती है जहां प्रशान्त के हाथों में जगह जगह जख्म लगे होते हैं।वो एक नजर उन पर डालती है तो पाती है उनके चेहरे को छोड़ शरीर पर कई जगह चोटें आई हैं।ओह गॉड आपके तो बहुत चोट लग गयी है शान..!कब से कह रहे थे हम कि शान रुक जाओ बस बहुत हुआ लगा ली न चोट..!काहे करते हैं इतनी परवाह हमारी कि हमारे लिए बिन सोचे समझे किसी से भी भिड गए..!हम आ गए थे न बच कर फिर भी गए..और अब देखो रिंग के चुभने की वजह से कितना ब्लड निकल रहा है।और सारे कपड़े रंग बिरंगे हो रखे है..!आप क्यों
....शान कह वो चुप हो जाती है।अब आप बाइक राइड नही करेंगे ठीक हम परम जी को बुला रहे है गाड़ी से आप हमारे साथ चलेंगे गाड़ी से बाइक परम जी लेकर आएंगे...!और ये खून इसके लिये तो रुमाल...आपके पास होगा न कहते हुए वो प्रशान्त के थोड़ा करीब आती है और उसकी पॉकेट चेक करने लगती है..!वहीं प्रशान्त को उसकी इतना केयर करना बहुत अच्छा लग रहा है सो इतनी चोट और डाँट खाने के बाद भी वो मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं...!

ओहहो लगता है आज लाना भूल गए आप..!अर्पिता ने कहा और कुछ सोच वो अपना दुपट्टा उठाती है और प्रशान्त के हाथ पर लगे जख्मो को साफ करने लगती है।उसकी इस हरकत पर प्रशान्त अपने हाथ झटके से पीछे कर कहते है ये तुम क्या कर रही हो अप्पू, ये जहां शोभा देता है इसे वहीं रखो प्लीज़...!कह वो मुंह घुमा खड़े हो जाते हैं।

अर्पिता आगे बढ़ उससे साफ करते हुए कहती है वही तो कर रहे हैं हम।अब इसके दामन को दागदार होने से बचाया है आपने तो हमे नही लगता कि ये गलत हाथों में है।आखिर आपका और इसका साथ भी तो पुराना है।कह अर्पिता मुस्कुरा देती है वहीं प्रशान्त भी मन ही मन कहते है हां है तो आखिर मेरा सच्चा वाला दोस्त....!

...........!