कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 40) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 40)

प्रशान्त और अर्पिता दोनो ही पूरे मनोयोग से क्लास ले रहे हैं।कुछ चीजे पूर्वी को समझ में नही आती है तो वो अर्पिता से क्लीयर कर लेती है।कुछ ही देर में पहला लेक्चर पूर्ण हो जाता है तो अर्पिता और प्रशान्त दोनो अपनी क्लास बदलते हैं।

एकैडमी के बाहर खड़ी हुई गाड़ी में बैठा हुआ अभयेन्द्र प्रताप ड्राइवर से गाड़ी ड्राइव करने को कहता है।कुछ ही देर में गाड़ी एक बड़े से शानदार घर के सामने जाकर रुकती है।गाड़ी देख वहां नियुक्त चौकीदार तुरंत दौड़ता हुआ आता है और दरवाजा खोलते हुए सलाम करता है।

अंदर जाकर अभयेन्द्र उतर जाता है और सोफे पर बैठ कर बैचेनी से फोन को देखने लगता है मानो उसे किसी के फोन का इंतजार हो।कुछ ही मिनट गुजर पाये होते है कि उसका फोन बजता है।वो नंबर देख बिना क्षण गंवाए फोन अटैंड करता है।

कुछ ही देर में उसके चेहरे की बैचेनी सुकून में बदल आती है और वो कुटिल मुस्कान लिए कहता है मिस्टर प्रशांत तो अब आपको यहां आकर बच्चों को पढ़ाने में कोई समस्या नही आनी चाहिए।

और वो बैचेनी से दरवाजे की ओर देखने लगता है।अरे इतनी देर हो गयी और ये अब तक उसे लेकर नही आया..!इतना समय क्यों लग रहा है उसे लाने में...?दरवाजे के बाहर ही तो थे जब मेरे पास कॉल आया था...

तभी दरवाजे से दो व्यक्ति राधिका और प्रेम के साथ अंदर आते हुए दिखाई देते हैं।

राधिका और प्रेम दोनो आते हुए अभयेन्द्र को प्रणाम करते हैं।

मिस्टर खन्ना :- प्रणाम मैनेजर साहिबा।और प्रोफेसर प्रेम सादर प्रणाम कहते हुए अपने दोनो हाथ माथे तक जोड़ लेता है। आपको यहां देख अत्यंत खुशी हुई।आइए बैठिये.. कह वो सोफे की ओर इशारा करता है तो प्रेम और राधिका दोनो वहीं जाकर बैठ जाते हैं..!राधिका अपने साथ लाया हुआ बैग सोफे पर रख देती है और दोनो हाथ बांध बैठ जाती है।

प्रशान्त :- हेल्लो!कौन..?

मिस्टर खन्ना - एक मिनट मैनेजर साहिबा मैं जरा एक आवश्यक कॉल कर लूं ..!कहते हुए वो अपना फोन उठाते हुए वो प्रशान्त को दोबारा कॉल लगाता है।..और वहां से एक तरफ जा कहता है ...हेलो..
अब आवाज तो आपने पहचान ही ली होगी मिस्टर मिश्रा।या फिर से परिचय करवाऊं आपका..!

प्रशान्त :- न् न दोबारा परिचय कराने की आवश्यकता नही है मुझे याद है आप मिस्टर अभयेन्द्र प्रताप खन्ना बोल रहे है?

मिस्टर खन्ना :- तो क्या सोचा आपने मिश्रा जी।
प्रशान्त:- वही जो पहले कहा।

मिस्टर खन्ना :- वेट अ सेकंड.? मैं अभी इसी नंबर पर एक फोटो सेंड कर रहा हूँ जिसे देख आप शायद अपना विचार बदल लो.? ओके कह वो फोन कट करता है और गार्ड को इशारा कर देता है।तो उसके तैनात गार्ड राधिका और प्रेम के पीछे जाकर कुछ इस तरह अपनी बंदूक तानते है कि सामने से देखने वालों को दोनो हॉस्टेज लगे।मिस्टर खन्ना स्मार्टली फ़ोटो खींचता है और प्रशान्त को भेज देता है।फ़ोटो देख प्रशान्त का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचता है लेकिन मामले की गम्भीरता महसूस कर वो तुरंत मिस्टर खन्ना को फोन घुमा देता है और गुस्से में बिफरते हुए कहता है ..मिस्टर खन्ना, ये सब क्या है और आपने इन दोनों को बंधक बना लिया क्यों..?

मिस्टर खन्ना :- इस क्यों का जवाब आपको बेहतर पता है।भाई पहले ही कहा था कि अभयेन्द्र खन्ना को न सुनने की आदत नही है।अभयेन्द्र ने अगर किसी से कुछ कार्य के लिए कहा है तो वो कार्य मुझे उसी बन्दे से पूरा चाहिये..!न नुकुर का तो कोई प्रश्न ही नही उठता..।अब अगर आप 20 मिनट के अंदर यहां उपस्थित नही हुए तो इनके साथ जो भी घटित होगा उसके जिम्मेदार आप होंगे..?मैं तो नही होऊंगा..!ठीक ..!कह वो कॉल कट कर देता है।
और वापस आकर राधिका और प्रेम के सामने बैठ जाता है।

वो जानबूझकर सभी कार्य धीमे धीमे करता है जिससे प्रशान्त यहां तक पहुंच जाए..!

मिस्टर खन्ना :- धन्यवाद मैनेजर साहिबा!जो मेरे कहने पर आप यहां तक आईं..?
राधिका : जी मिस्टर खन्ना अब आपने घर आकर लोन से संबंधित बात करने के लिए कहा था।उस पर भी आपने शर्त रख दी कि मैनेजर साहिबा ही आकर सारी जानकारी दे।तो हमे आना पड़ा..!

जी ..!अब मेरे बारे में तो।आप जानती ही है समय का कितना अभाव है,वो तो बात लोन की थी इसिलिये बड़ी मुश्किल से कुछ समय निकालकर यहां आपके साथ बैठा हूँ..?और मन ही मन कहता है,आपके साथ नही आप दोनों को बिन बताए आपको बंधक बनाए बैठा हूँ..!अब मिस्टर खन्ना को क्या पता कि हमारी राधिका कोई ऐसी वैसी लड़कीं थोड़े ही है एक ट्रेंड लड़कीं है जिसे समस्याओं से लड़ना बेहतर तरीके से आता है।

क्या लेंगी आप चाय, कॉफी..?

राधिका :- फिलहाल तो कुछ भी नही..?

मिस्टर खन्ना :- अरे!ऐसे कैसे..!एक कप चाय तो हो जाए कह वो अपना फोन उठा एक संदेश टाइप कर सेंड कर देता है।जो उस घर मे मौजूद उसकी पी.ए टिया का होता है।'दो अदरक वाली चाय वेरी स्पेशल इफेक्ट'और एक केवल अदरक वाली चाय भिजवाओ। मेसेज देख कर टिया एक कमरे से निकल कर बाहर आती है और दूर से हाथो को उठा कुछ इशारा करती है।मिस्टर खन्ना हल्की सी गर्दन हिला देता है और राधिका तथा प्रेम से बातचीत करने लगता है।

उधर प्रेम और राधिका के चेहरे पर बंधक बने होने का खौफ न देख कर प्रशान्त,मिस्टर खन्ना की ये हरकत समझ जाते है।वो तुरंत प्रेम के फोन पर एक संदेश भेजते है।
"भाई,आप दोनो किसी भी तरह तिकड़म लगा वहां से निकलो, आप दोनो खतरे में हो"!ये तस्वीर देखो..कह वो खन्ना की कुछ देर पहले की भेजी हुई तस्वीर सोशल साइट्स के जरिये भेज देता है।

संदेश पढ़ प्रेम जी मन ही मन शॉक्ड हो जाते हैं।लेकिन अपने चेहरे के भावों को बिन बदले वो अपना फोन राधिका की ओर बढ़ाते हैं..!

राधिका फोन ले संदेश पढ़ती है।और उस पर एक संदेश लिख वो संदेश प्रशान्त को भेज बिना कुछ रिएक्ट किये प्रेम को फोन वापस कर देती है।और सामान्य तरीके से बातचीत करने लगती है।

मिस्टर खन्ना मन ही मन कहता है लगता है उसने इन दोनों को फोन पर कुछ तो कहा है,तभी ये दोनों फोन फोन खेलने में लग गए हैं,लेकिन जानकर भी ये चुप क्यों बैठे है ये बात समझ में नही आ रही है..!पता लगाना पड़ेगा सोचते हुए वो कहता है..

मिस्टर खन्ना :-जब तक चाय नाश्ता आता है चलिए तब तक मैं आपको जमीन दिखा देता हूँ..!

एकैडमी में --

प्रशान्त राधु का संदेश पढ़ता है, "हमे नही लगता कि यहां से ये लोग हमें निकलने देंगे..!क्योंकि कोई किसी को बिना मतलब के बंधक तो नही बनाता.."लेकिन आप चिंता न कीजिये आज अगर इसने कुछ भी गड़बड़ की तो ये समझिए इसका स्टिंग ऑपरेशन ही कर देंगे हम...!

हां भाभी ये बात भी सही है आखिर आप तो आप ही हो।इसका अर्थ हुआ मुझे वहां पहुंचना चाहिये.. आपके कारनामे देखने के लिए..! लेकिन अप्पू उसे क्या कहूँ कि मैं कहाँ जा रहा हूँ.. सोचते हुए प्रशान्त एक नोट लिखते है और स्टाफ रूम में रखे अर्पिता के बैग की पीछे वाली पॉकेट में चुपके से रख देते हैं।और तेजी से वहां से बाहर निकल जाते हैं..!

इधर मिस्टर खन्ना के घर राधु मिस्टर खन्ना से कहती है..

राधु :- अरे सर आप भी कहाँ फॉर्मेलिटी में पड़े हुए हैं,अब आप का तो इतना नाम है आप बस फाइल ही दिखा दीजिये,बाकी क्या कैसे करना है हम देख लेंगे।कहते हुए वो वहां से अन्यत्र जाने का विचार टालने की कोशिश करती है..!

मिस्टर खन्ना आगे कुछ कहता तब तक वहां चाय आ जाती है जिसे देख राधिका एक पल को घबरा कर प्रेम की ओर देखती है।प्रेम राधु का हाथ पकड़ता है और दूसरा हाथ ऊपर रख हौले से दबाता है।जिसे महसूस कर राधिका खुद को संयत कर मिस्टर खन्ना की ओर देखने लगती है जो उन दोनों की ही ओर देख रहा है।

वो इन्हें चाय की महक से ही परेशानी होने लगती है।अब इस अवस्था मे कौन सी चीज भली लगे कौन सी बुरी कुछ कहा नही जा सकता..!इन्हें तो भाभी ही सम्हाल पाती है।तभी तो हम चाय कॉफी के लिए मना कर रहे थे..!प्रेम ने बात घुमाते हुए मिस्टर खन्ना से कहा।

प्रेम की बात सुन मिस्टर खन्ना मन ही मन खिसियाता है और चेहरे पर मजबूरी में मुस्कुराहट रखे हुए कहता है अब इस बारे में मैं क्या कहूँ ये तो मेरी पत्नी ही बेहतर समझ सकती है आखिर दो दो बच्चों की मां है वो।

उसकी बात सुन प्रेम मुस्कुरा भर देता है।वहीं राधिका प्रेम की ओर देख अपनी पलके झपका आभार व्यक्त करती है।ये देख प्रेम 👍का चुपके से इशारा करता है।

मिस्टर खन्ना मन ही मन कहता है अगर अगले दस मिनट में प्रशान्त यहां नही पहुंचा तो मजबूरन मुझे अपनी इंटेंशन इनके सामने लानी पड़ेगी..!जो मैं करना नही चाहता..!अब आखिर मैं लखनऊ वासी हूँ अदब और तहजीव तो मेरे खून में है। बेवजह किसी को तकलीफ काहे दूँ..!
और इन्हें रोकने के लिये अब कोई उचित बहाना भी नही है।तभी उसके दिमाग मे एक विचार आता है और वो अपना फोन निकाल फिर से अपनी टिया को एक संदेश भेजता है जो कुछ यूं होता है..

"पंछी उड़ना चाहता है उड़ान रोकने का सामान और दाना लेकर हॉल में पहुंचो।"

संदेश को समझ वो एक छोटा सा बॉक्स लेकर आती है ..और अभयेन्द्र को देते हुए कहती है, सॉरी बॉस वो मुझे आने में टाइम लग गया..!लेकिन आज पूरा पेमेंट मिल ही गया..!आप एक बार देख लीजिये..!

अरे टिया तुम बिल्कुल सही समय पर आई हो अब जब मैनेजर साहिबा यहां है तो मुझे घंटे भर देखने की क्या जरूरत है इनका तो डेली का वास्ता पड़ता रहता होगा कैश से..ये तो वजन से ही बता देगी कितना होगा..!क्यों मैनेजर साहिबा कहते हुए वो बॉक्स खोल कर राधिका के सामने कर देता है।

राधिका दो सेकंड में उसके मंसूबे पहचान लेती है और बातें बदलते हुए कहती है ..अरे सर हम यहां फाइलों के पन्ने देखने आए है कैश काउंट करने के लिए नही..!और ये कार्य हमारे प्रोफेशन का हिस्सा नही है सो इसके लिए हम कर बद्ध क्षमा प्रार्थी हैं।

चूंकि ये सभी व्यक्ति लखनऊ की रूमानी तहजीब का हिसा है तो अपनी बात भी तहजीब के दायरे में ही रहकर ही रखेंगे न।यही कार्य इस समय अभयेन्द्र बाबू कर रहे हैं।वो हमारी राधु और प्रेम को बंधक भी बनाये हुए है और उससे अभद्रता से पेश भी नही आना चाहते।

मिस्टर खन्ना:- अरे मैनेजर साहिबा एक बार देख तो लीजिये कहते हुए वो बॉक्स राधु के बिल्कुल सामने कर देता है।जिससे मौके का फायदा उठा टिया कुछ इस एंगल से फ़ोटो क्लिक करती है कि राधिका औऱ वो बक्से के फोटो साफ साफ नजर आए..!

राधिका सब समझ रही है लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बिहेव कर रही है।उसे इस बात की बिल्कुल फिक्र नही है कि इस क्लिप के उपयोग से क्या से क्या हो सकता है।

तब तक प्रशान्त वहां पहुंच जाते हैं।प्रशान्त को देख वो मुस्कुराता है और कहता है अरे मिस्टर मिश्रा आप आ गए आइए आइए मैं अभी कुछ क्षण पहले सोच ही रहा था कि अब तक आप क्यों नही आये और अनजान बनते हुए वो प्रेम राधिका से कहता है मिस्टर प्रेम इनसे मिलिए ये भी मिश्रा साहब ही है नाम है इनका प्रशान्त..!

प्रशान्त :- सो मिस्टर खन्ना!अब तो मैं आ गया हूँ न तो प्लीज़...?

मिस्टर खन्ना :- या स्योर.!और राधिका की ओर मुखातिब हो कहता है मैनेजर साहिबा!फ़ाइल कल सुबह आपके ऑफिस पहुंचने तक आपकी टेबल पर होगी।

आपका इतना समय व्यर्थ हुआ उसके लिए सॉरी..!

राधिका सब समझ कर अनजान बन कहती है ये आपको पहले ही बता देना चाहिए।।आप जानते है ये हमारे वर्किंग टाइम से इतर आपके लिए निकाला गया समय था।आपके कारण हमारे पूरे तीस मिनट व्यर्थ होंगे।।आपके व्यवहार से लग रहा है कि आपके लिए समय की कोई कीमत नही है न।

राधिका बिना उसके जवाब का इंतजार किये वहां से चली जाती है।प्रेम उसके साथ ही होता है।

उनके जाते ही प्रशान्त खन्ना से कहते है ये आपने बेहद घृणित तरीका अपनाया है किसी से अपनी बात मनवाने का।

मिस्टर खन्ना हंसते हुए कहता है।साम दाम दंड भेद इन चार शब्दो का नाम तो बखूबी सुना होगा आपने मिश्रा जी।भाई मैं ठहरा राजनीति के शतरंज का एक वजीर।।तो इन चारों का उपयोग बखूबी आता है मुझे।।अब मुद्दे की बात सुनिए मिश्रा जी..!ये अभी जो गए है आपके ही परिवार के सदस्य है..!राधिका मिश्रा,एक बैंक मैनेजर..!जिनकी घूंस खोरी की तस्वीर अगर इनके सीनियर तक पहुंच गई तो क्या होगा आप बखूबी समझ सकते है..तो भई बात मानने में हर्ज ही क्या है..कह वो मुस्कुराने लगता है।
अरे मिश्रा जी इनकी बात बड़ी सोच समझ कर मानना।काहे कि बात टालने की आदत है इन्हें।आपको बुला लेंगे और फिर कहेंगे कल ये कार्य हो जायेगा..यानी समय की पूर्णत बर्बादी..!प्रेम ने अंदर आते हुए खन्ना की आधी अधूरी बात सुन प्रशान्त से कहा।

क्या प्रोफेसर साहब आप भी तफरी लेने में लग गए हो..!अरे भाई जो हुआ उसके लिए माफी मांगी तो मैंने..!खन्ना ने मजबूरन मुस्कुराते हुए प्रेम से कहा।।

ओके कोई नही..!वो मुझे यहां वापस आना पड़ा काहे कि मैनेजर साहिबा का कैरी बैग यहां रह गया था।तो बस वही लेने आया हूँ।कहते हुए प्रेम वो बैग उठा लेता है।और प्रशान्त की ओर थम्ब दिखा इशारा कर वहाँ से चला आता है।

प्रशान्त :- हो गया आपका..!अब मेरी सुनो ये जो अभी अभी यहां से गयी है न इन्हें एक अबला नारी समझने की गलती नही करना।।वो प्रेग्नेंट है बेअक्ल नही जो आपकी चहुँ ओर हो रही तारीफ़ सुन यूँ ही आपसे मिलने चली आएगी।।अब अगर फिर से आपने ऐसी कोई ओछी हरकत की न तो आपकी तारीफों में कितने पुल बनेंगे आप सोच भी नही पाएंगे ठीक है..!मैं अब निकलता हूँ।।गुड नाइट..! और बैचेनी से मेरी बातें सोचते सोचते सोइयेगा...!कह हंसते हुए वो वहां से निकल जाता है..!

मिस्टर खन्ना उसकी बातों का अर्थ समझ नही पाता है।तो वो अपने दो गार्ड को प्रशान्त को रोकने का इशारा कर देता है और टिया की ओर कुछ इशारा करता है..!
इशारा पाकर टिया आगे आती है और प्रशान्त के आगे एक फ़ोटो कर देती है.. जिसे देख प्रशांत हंसता है और कहता है अगर मैं बीस मिनट के अंदर अपने घर नही पहुंचा तो फिर आप सवालो के घेरे में आ जाएंगे मिस्टर खन्ना..!और इसे कोरी धमकी न समझना।काहे कि मैं गरजता नही सिर्फ बरसता हूँ..!कभी प्यार से तो कभी तकरार से..!कह प्रशान्त वहां से निकल जाते है..!

क्रमशः...