कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 36) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 36)

प्रशान्त बड़े ही उत्साहित होते है ये जानने के लिए कि आखिर अर्पिता उपहार में लेकर क्या आई है।वो अपने फ्लोर का लॉक लगा वहां से ऑफिस के लिए निकल जाते हैं।

मंदिर में -

पंडित जी ये पूजा की थाल ठाकुर जी को अर्पित कर दीजिए।अर्पिता ने थाल देते हुए पंडित जी से कहा।

अवश्य बेटी!कहते हुए वो थाली लेकर उसकी सामग्री ठाकुर जी को अर्पित कर थाल वापस कर देते हैं।

अर्पिता वहीं हाथ जोड़ मन ही मन प्रार्थना करती है और फिर वहां से प्रसाद ले ऑफिस के लिए निकल जाती हैं।ऑटो में बैठे बैठे मन ही मन सोचती है

कल श्रुति ने हमे अपने प्रशांत भाई के जन्मदिन पर दिए जाने वाले सरप्राइज के बारे में बता दिया जिससे हमें पता चला कि आज 21अक्टूबर को उनका जन्मदिवस है।नही तो हमे भी उनकी तरह ही डायरेक्ट रात को ही पता चलता।

रात...रात से याद आया कि इनके घर के कुछ सदस्य यहां आएंगे।अब हमें ये भी नही पता कौन कौन आएंगे।और किरण उसका आना तो बनता है शायद परम् जी ने उसे अवश्य बुलाया भी होगा।हमे अब चोरनी की तरह छुपना पड़ेगा सबसे।क्या किस्मत पाई है हमने।अपनो से ही छुपना पड़ेगा।लेकिन कैसे? हम इस बारे प्रशान्त जी से भी बात नही कर सकते आखिर सरप्राइज जो प्लान किया है उनके लिए।

सोचते सोचते अर्पिता ऑफिस पहुंच जाती है।और उतर कर अंदर की ओर चली जाती है।ऑफिस पहुंच वो नीलम से मिलती है जो उसे उसके केबिन में पहुंचा आती है।

वहीं प्रशान्त पहले से ही ऑफिस पहुंच चुके हैं।वो अपने केबिन में आराम से बैठ जाते हैं।श्रुति भी उन्ही के सामने बैठी होती है।

श्रुति - भाई! मैं..सॉरी सर।सर वो हमें पूछना था कि मिस अर्पिता यहां पहुंची कि नही।

प्रशान्त :- (श्रुति को सुन )बेल बजाते है।बाहर से नीलम उनके पास आकर खड़ी हो जाती है।

प्रशान्त :- नीलम! मिस अर्पिता आ गयी कि नही।
नीलम :- जी।अर्पिता करीब दो मिनट पहले आ चुकी है।

प्रशान्त (गंभीरता से) :- ओके तो उसे कार्य समझा दिया आपने।
नीलम :- जी।

प्रशान्त :- और वो एक नया एम्प्लॉय नियुक्त किया था सात्विक,उसकी क्या रिपोर्ट है।
नीलम :- सर सात्विक अभी तक नही आया है।

प्रशान्त :- ठीक है।अभी भी पांच मिनट बाकी है।पांच मिनट के बाद प्रवेश वर्जित है।अगर पांच मिनट के अंदर आ जाता है तो उसे चित्रा मैडम के पास उनके अंडर काम करने के लिए भेज देना।

नीलम :- ओके सर।

प्रशान्त :- नीलम ये मिस श्रुति है ये आज से अर्पिता के अंडर वर्क करेंगी।।

नीलम :- ओके सर।

प्रशान्त :- यू कैन गो नाउ।

यस सर कहते हुए नीलम वहां से चली जाती है।उसके साथ ही श्रुति भी चली जाती है।

दोनो के जाने के बाद प्रशान्त एक गहरी सांस लेते हैं और अपना बैग निकाल कर उसमे रखा नोट और उपहार दोनो निकाल कर टेबल पर रख लेते हैं।
और मुस्कुराते हुए नोट पढ़ने लगते हैं।

सुप्रभात! गुड मॉर्निंग! और बड़ी....ड़ी वाली खूबसूरत सी ये सुबह।।

"जन्म दिवस की हृदय की गहराइयों से अनेकोनेक शुभकामनाये"🙂! ठाकुर जी आपको दीर्घायु प्रदान करे।

आपके लिए बधाई के साथ साथ एक उपहार भी है।हमें उम्मीद है आपको पसंद आयेगा।

प्रशान्त :- तुम्हारा दिया हुआ पहला उपहार मुझे जरूर पसंद आएगा अप्पू।अब जरा देखे तो वो उपहार है क्या..! सोचते हुए वो जल्दी जल्दी उसे खोलते है।उपहार देख वो मुस्कुराए बिना नही रह पाते।वो एक खूबसूरत सा सनग्लास होता है।

प्रशान्त :- बेहद खूबसूरत।।कहते हुए मुस्कुराते हैं।

वहीं नीलम श्रुति को अर्पिता के केबिन में ले जाती है।

नीलम :- गुड मॉर्निंग मिस अर्पिता!
अर्पिता :- गुड मॉर्निंग मैम।।और श्रुति को देख चौंक जाती है।लेकिन ऑफिस की वजह से कुछ नही कहती है।

नीलम :- मिस अर्पिता! ये मिस श्रुति है।बॉस ने इन्हें आपकी मदद के लिए नियुक्त किया है।

श्रुति :- हेल्लो मैम!

अर्पिता के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।और वो श्रुति से हेलो करती है।

नीलम वहां से चली जाती है।

उधर सात्विक समय रहते ऑफिस आ जाता है तो नीलम उसके पास आती है और उसे चित्रा के पास ले जाती है।

नीलम :- गुड मॉर्निंग मैम!
चित्रा :- गुड मॉर्निंग! नीलम

नीलम :- मैम ये है मिस्टर सात्विक।आपके नए असिस्टेंट।

सात्विक :- गुड मॉर्निंग मैम।
चित्रा एक नजर उस पर डालती है और गुड मॉर्निंग का जवाब दे कार्य मे लग जाती है।

नीलम :- सो मिस्टर सात्विक।have a good day.
सात्विक :- u too ma'am.

नीलम वहां से चली जाती है।और सात्विक वहीं चित्रा के साथ कार्य सीखने मे लग जाता है।

अर्पिता के केबिन् में -

श्रुति :- हे! अर्पिता देखो मैं भी आ गयी।

अर्पिता :- हां!देख रहे हैं हम।और हम बहुत खुश हैं ये जानकर कि आखिर तुम भी यहीं हमारे साथ ही कार्य करोगी।लेकिन एक बात समझ नही आई!तुम्हे हमने शाम को अपना दस्तावेज दिखाया था फिर तुम किस समय यहां साक्षात्कार देकर गयी थी।

श्रुति हंसते हुए :- सोचो सोचो।दिमाग लगाओ?

अर्पिता :- कहीं ये ऑफिस तुम्हारी पहचान का तो नही है।
श्रुति :- हो भी सकता है और नही भी।ये तो सीक्रेट है।

अर्पिता :- ठीक है।देख लिया तुम्हारा सीक्रेट।।
चलो अब काम पर लग जाते हैं।नही तो मिस नीलम आकर डांट देनी है।

श्रुति :- ठीक है।कहती है और दोनो कार्य पर लग जाती है।बीच बीच में एक सीनियर स्टाफ आकर अर्पिता को कार्य समझा जाता है।जिसे श्रुति भी समझ लेती है।

इधर केबिन में बैठे हुए प्रशांत उस सनग्लास को बार बात अपनी आंखों पर लगाते है और मोबाइल का कैमरा ऑन कर अपने चेहरे को देखते है।देखते देखते उनके चेहरे पर मुस्कुराहट छा जाती है।
जो उनके मन मे फूट फूट कर भरी हुई दिखाई दे रही है।

इधर चित्रा अपने केबिन में बैठ कार्य कर रही है।
चित्रा :- सात्विक ! आप कुछ समय के लिये ये सिस्टम पर कार्य करिए जो अभी आपको मैने समझाया है।

सात्विक :- ओके मैम।

चित्रा एक फाइल उठा वहां से निकल आती है।और प्रशान्त के केबिन में जाती है।
जहां वो प्रशान्त को यूं अकेले अकेले मुस्कुराता हुआ देखती है।

चित्रा :- क्या बात है बड़े ही चार्मिंग लग रहे हैं आप?

आवाज सुन प्रशान्त हड़बड़ाए हुए सनग्लासेस उतार कर टेबल पर रखते हुए कहता है थैंक्यू।

वो चित्रा की ओर देखता है तो उसे रात का स्वप्न याद आ जाता है।जिसे याद करते ही वो अपने चेहरे की मुस्कान छुपा जाता है और कहता है:-

आप यहां? क्या कोई कार्य था?

चित्रा :- जी?कार्य ही था।वो ये फाइल एक बार देख लीजिएगा और फिर चेक कर अपने सिग्नेचर कर दीजिए।

प्रशान्त:- ओके।आप इसे टेबल पर रख दीजिए?मैं देख कर भिजवा दूंगा!

चित्रा:- ओके।वैसे एक बात पुछु?

ओह हो अब ये न् जाने क्या कहेंगी।मुझे इनसे दूर ही रहना होगा।अब यही अच्छा होगा मेरे लिए।लेकिन त्रिशा उससे मिले बिना तो चैन ही न पड़े है।कोई न कोई उपाय खोजता हूँ।

चित्रा :- आप ठीक तो है?आज आप कुछ बदले हुए लग रहे हैं।

प्रशांत:- नही।मैं बिल्कुल ठीक हूँ।आप कुछ पूछ रही थी।

चित्रा :- हां!वो बस ऐसे ही।रहने देते हैं।

प्रशान्त मन ही मन खुश होते हुए कहता है :- ओके।

चित्रा एक बार फिर से प्रशान्त की ओर देखती है जो फाइल उठा कर चेक करने में लग जाता है।चित्रा वहां से बाहर चली आती है।और सोचती है --

कल तक तो ठीक ठाक थे ये।आज इतना अजीव व्यवहार क्यों कर रहे हैं।अपने स्वभाव के उलट ही आज अकेले अकेले मुस्कुरा रहे हैं।सोचते हुए चित्रा अपने केबिन में पहुंच जाती है और सात्विक को गाइड करने लगती है।

वहीं चित्रा के जाने के बाद प्रशान्त सोचते है बहुत देर हो गयी है अर्पिता को देखे हुए उसका केबिन भी तो मेरे कमरे से सटा हुआ है।अगर सामने होता तो एक बार देख लेते उसे..!

सामने..शिफ्ट किया जा सकता है।अब कोई न कोई तिकड़म भिड़ानी पड़ेगी। सोचते हुए प्रशान्त नीलम को बुलाकर उससे कहते हैं - मैं एक बार वो जो दो नए एम्प्लोयी आये है उनके कार्य करने के तरीके को परखना चाहता हूँ।तो प्लीज..विल यू.. ..

नीलम :- यस सर।आखिर यही तो मेरा काम है।चलिए सर..।कहते हुए नीलम आगे जाती है तो उसके पीछे प्रशान्त भी जाते है और दरवाजे के पास पहुंच वो नीलम से कहते है, " अब आप जा सकती हैं" ।
नीलम :- जी सर।कह वहां से चली जाती है।
प्रशान्त वहीं दरवाजे सही एक तरफ खड़े हो।अर्पिता को देखने लगते हैं।
अर्पिता श्रुति को बताते बताते रुक कर अपने आसपास देखती है।उसे चारो ओर देखता हुआ पाकर वो एक तरफ हट जाते हैं।अर्पिता को जब कोई नही दिखता तो वो फिर से कार्य पर लग जाती है।

श्रुति :- क्या हुआ? क्या देख रही थी तुम?
अर्पिता :- हमे लगा कि हमारे आसपास कोई है?तो वही देख रहे थी।

प्रशान्त :- हाय! मेरे आने की आहट महसूस कर तुम्हारा यूँ मुझे बैचेनी से चारो ओर देखना, बड़ा ही स्पेशल फील कराता है।वो कुछ सोच कर नीलम को बुलाते है और उससे कहते हैं :-

नीलम एक कार्य करिए! वो जो दो नए एम्प्लॉय आये हुए है उन्हें ये जो सामने वाला केबिन है न चित्रा मैम के पास वाला वहां शिफ्ट कर दो।और उसके एम्प्लोयी को उन दोनो के केबिन में शिफ्ट कर दो।

नीलम :- ओके सर।कल से हो जाएगा।
प्रशान्त :- गुड।।

तब तक लंच टाइम के लिए अलार्म बज जाता है सो वो तुरंत ही अपने केबिन में चले जाते हैं।

अर्पिता और श्रुति दोनो ही बातें करते हुए कार्य कर रही हैं।

अर्पिता :- ये अलार्म किस लिए बज रहा है समझ ही नही आ रहा है।

श्रुति :- अरे ये लंच टाइम है न तो बस इसीलिए!

अर्पिता शक की निगाहों से श्रुति की ओर देख उससे पूछती है :- ये बात तुम्हे कैसे पता श्रुति?
उप्स! फंस गई श्रुति।।कुछ सोच...खुद से कहते हुए वो बातें बनाते हुए अर्पिता से कहती है अप्पू, मुझे कैसे पता से क्या मतलब है तुम्हारा!अरे अब ये कॉमन सेंस भी है न अब दोपहर के दो बजे अलार्म का क्या मतलब है।वो भी पूरे स्टाफ के लिए!

अर्पिता :- हम्म।ये बात तो सही कहि तुमने।

श्रुति :- अब बातें बाद में पहले पेट पूजा करे।

अर्पिता :- बड़ी दुष्ट हो तुम।हमे बातों में उलझा भुलवा दिया कि हमे भूख लगी है।कहते हुए अर्पिता लंचबॉक्स निकालती है और खाना खाने लग जाती है।

ये देख श्रुति उसके पास जा धीरे से कहती है? सच मे तुम्हे देख कर तो यही लगता है कि तुम सब कुछ बर्दाश्त कर लोगी लेकिन भूख वो तुमसे बर्दाश्त नही होनी है न।

अब नहीं होनी तो नही होनी।हम क्या करे इसमें।।अर्पिता ने अंगुली मुंह मे देते हुए कहा।
वैसे एक बात कहें हम तेरे भाई खाना तो मस्त बनाते हैं।वो दोनो आपस मे बात कर रही होती है कि सात्विक उन दोनों को देख लेता है।और तुरंत मुंह फेर हैरान हो कहता है, ये दोनो यहां!क्या कर रही है।अगर अर्पिता को पता चलेगा कि मैं कॉलेज न जाकर यहां काम करने लगा हूँ तो कहीं कुछ और न समझ ले।ऐसे में तो मेरा यहीं मुंह फेर बैठे रहना ही ठीक है।सोचते हुए वो वैसे ही बैठा रहता है।

श्रुति :- अप्पू।ये देख रही हो देखो।सारा ऑफिस स्टाफ यहीं इकट्ठा हो गया।तभी अर्पिता की नजर चित्रा पर पड़ती है जो फोन पर बात करते हुए हौले हौले अपना लंच कर रही थी।

अर्पिता सोच में पड़ जाती है और कहती है :- श्रुति, सो जो लेडीज बैठी हुई है ये वहीं है जो उस दिन मॉल में मिली थी।

श्रुति :- वो चित्रा ! राधु भाभी की सबसे प्यारी दोस्त।बताया था न तुम्हे।

अर्पिता :- हम ।अच्छा।तो यहां लंच? अर्थात ये भी हमारे साथ ही काम करती हैं।

श्रुति :- हम्म।लगता तो यही है।अच्छा तुम यहाँ बैठो मैं जरा इनसे मिल कर आती हूँ।आखिर मेरी तो पहचान है इनसे।

अर्पिता :- ओके ओके।वैसे हमे अब तेरा सीक्रेट भी समंझ आ गया कि रातों रात तुम्हे यहां नौकरी कैसे मिल गयी।

अर्पिता को सुन श्रुति मुस्कुराते हुए कहती है कुछ ऐसा ही समझ लो।और मैं न अभी आती हूँ।कहते हुए वो चित्रा के पास चली जाती है।

श्रुति :- हेल्लो! चित्रा जी।
चित्रा श्रुति को देख हैरान होते हुए पूछती है।अरे श्रुति तुम यहाँ।यहां क्या कर रही हो?

श्रुति :- मैने भी आज ही ऑफिस जॉइन किया है।
चित्रा :- ये तो अच्छी बात है।

श्रुति :- जी।और आपका कार्य कैसा चल रहा है।
चित्रा :- अब आप आ गयी है तो खुद समंझ जाइयेगा।

श्रुति मुस्कुराते हुए - जी।और चारो ओर देखने लगती है।कि तभी उसकी नजर मुंह फेर कर बैठे सात्विक पर पड़ती है।उसे जान वो हैरानी से कहती है सात्विक :- तुम यहाँ?कैसे?
सात्विक :- लो जिस बात का डर था वही हुआ।आखिर देख ही लिया मुझे?खुद से बड़बड़ाते हुए वो स्माइल करते हुए पलटता है और कहता है वो मैने आज ही ऑफिस जॉइन किया है।

श्रुति :- क्या तुमने भी?
सात्विक :- हम्म।

श्रुति :- क्या बात है!ये तो चमत्कार ही हो गया।मेरे दोनो दोस्त यहीं एक ही साथ जॉब के लिए आ गए।

सात्विक :- (चौंकते हुए)क्या अर्पिता ने भी यहां जॉइन कर लिया है?
श्रुति :- हां।कल से।

सात्विक :- तभी मैं सोचूं।कि अर्पिता अब तक कॉलेज क्यों नही आ रही थी।मैं उससे मिल कर आता हूँ।कह सात्विक वहां से चला जाता है।

चित्रा :- तो तुम इसे जानती हो।
श्रुति :- हां।मेरा कॉलेज फ्रेंड है।मैं अर्पिता और सात्विक हम तीनों एक ही ग्रुप के हैं।

चित्रा :- ओके।
श्रुति :- अब मैं भी वहीं जाती हूँ।लंच टाइम खत्म हो गया तो खड़ूस बॉस की चमची मिस नीलम डांटेंगी।।

चित्रा :- ओके।श्रुति।
श्रुति वहां से चली आती है और अर्पिता के पास जाकर बैठ जाती है।

अर्पिता और सात्विक दोनो ही बातचीत कर एक दूसरे के हाल चाल लेते है।श्रुति भी आकर उन्हें जॉइन कर लेती है।कुछ ही मिनट बाद लंच टाइम खत्म हो जाता है तो सभी कर्मचारी वहां से अपनी अपनी सीट पर जाकर बैठ जाते हैं।

सात्विक :- अच्छा लगा तुम्हे यहां देखकर अर्पिता।अब बातचीत होती रहेगी।मिलते है शाम को।छुट्टी के बाद।

अर्पिता :- शायद।
ओके कह सात्विक वहां से चित्रा के पास चला जाता है।

अर्पिता और श्रुति भी वहां से अपने केबिन में पहुंचती है और सिस्टम पर काम करने लगती हैं।

धीरे धीरे चार बज जाते हैं।तो अर्पिता अपना बैग उठा खड़ी हो जाती है और श्रुति से कहती है अब क्या यहीं बैठे रहने का इरादा है चलना नही है रूम पर?

श्रुति :- चलना तो है लेकिन हमारी ऑफिस टाइमिंग दो घण्टे बाद पूरी होगी।दस से छह बाकी सभी एम्प्लोयी के साथ।

अर्पिता :- क्या! मतलब इसका? हमारी फिर दो घण्टे पहले क्यों?

श्रुति :- अब ये मुझे कहाँ से पता होगा।मिस नीलम से पूछो इस बारे में।

ओके अभी पूछते है कह अर्पिता नीलम को ढूंढती है जो उसके केबिन से बाहर और एमलोई के बीच मे एक टेबल लगा बैठी हुई कोई फाइल चेक कर रही है।

श्रुति मिस नीलम तो काफी व्यस्त है।अर्पिता ने अंदर श्रुति की ओर देखते हुए कहा।

श्रुति :- ओके कोई नही।तुम निकलो और घर पर परम् भाई की मदद करना! प्रशान्त भाई को सरप्राइज देना है।

अर्पिता :- लेकिन तुम्हारे बिना..!
श्रुति :- अप्पू।ये एक दिन की बात नही है अब तो संडे छोड़ डेली यही रूटीन रहेगा।

अर्पिता :- ओके।तो हम निकलते है कहते हुए वो अपने केबिन से बाहर निकल आती है।

प्रशान्त अपने केबिन में बैठे घड़ी पर नजर डालते है जिसमे सायं काल के चार बज रहे हैं।

प्रशान्त :- चार बज गए! यानी अप्पू के रूम पर जाने का समय हो गया है।मैं छोड़ आता हूँ वैसे भी इस समय ट्रैफिक बहुत मिलेगा उसे।।

सोचते हुए वो उठ खड़े होते हैं और चाबी उठा अपने केबिन से बाहर निकल जाते हैं।

मिस नीलम बीस मिनट के लिए मै ऑफिस में नही हूँ तो आप यहां का कार्यभार देखिये।निकलते हुए प्रशांत ने फोन पर नीलम को मैसेज लिखते हुए उसे भेज दिया।

अर्पिता बाहर खड़ी ऑटो टेक्सी का इंतजार कर रही है।प्रशान्त अपनी बाइक ले उसके सामने आकर खड़े हो जाते हैं।
प्रशांत के यूँ अचानक सामने आ जाने पर अर्पिता हैरान हो जाती है।तिस पर प्रशांत उससे कहते है अब हैरान बैठ कर भी हो सकती हो।मैं यहां आया हूँ काहे कि इस समय लखनऊ की सड़कों पर ट्रैफिक की समस्या होती है।

जी सो तो है अर्पिता कहती है और बाइक पर बैठ जाती है।उसके बैठते ही प्रशान्त अर्पिता का गिफ्ट किया सनग्लास अपनी पॉकेट से निकालते है और उसे आंखों पर पहन लेते हैं।

अर्पिता बाइक के शीशे से देख मन ही मन कहती है हमारी पसंद इतनी अच्छी है हमे पता नही था।वहीं प्रशान्त बाइक राइड करते हुए शीशे में देखते है जहां अर्पिता को अपनी ओर देखता हुआ पाकर कहते है, " तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है, मुझे ये पसंद आया' !कह चुप हो जाते हैं।
अर्पिता मुस्कुराते हुए थैंक्यू कहती है और चुप हो जाती है।

बीच बीच मे दोनो मिरर के जरिये एक दूजे को देख लेते हैं और मन ही मन खुश हो जाते हैं।

कुछ ही देर में प्रशांत उसे रूम पर पहुंचा देते है।अर्पिता बाइक से उतर जाती है और जाने लगती है तो प्रशान्त उससे कहते है, अप्पू सुनो,अर्पिता रुक कर पीछे मुड़ती है।

प्रशान्त :- अब से आदत डाल लो,काहे की मैं तुम्हे छोड़ने आ जाया करूँगा।

अर्पिता :- जी।धन्यवाद।कह अंदर चली जाती है।और प्रशान्त वहां से ऑफिस चले जाते हैं।

घर के अंदर पहुंच अर्पिता देखती है कि परम् ने थोड़ी बहुत डेकोरेशन कर दी है।थोड़े बहुत आर्टिफिशियल फूल लगा दिए है और बाकी जगह लगा रहे हैं।अर्पिता अंदर जाकर कमरे में बेग रख आती है और परम की मदद करने लगती है।अर्पिता को मदद करता देख परम् हल्का सा मुस्कुराता है और अपने काम मे लग जाता है।

पूरे हॉल की ऊपर से नीचे हल्की फुल्की डेकोरेशन कर वहां नीचे रखे सामान को शिफ्ट कर देते हैं।हॉल एकदम से खाली खाली कर लेते है।अर्पिता श्रुति के कमरे से छोटी वाली टेबल उठा जाती है जिसे परम् हॉल में ठीक बीच मे रख देते हैं।

परम :- सारी तैयारी हो गयी है।केक भी आ चुका है भाई का पसंदीदा स्ट्राबेरी विथ चोको बार मिक्स।अब बस भाई के आने का इंतजार है।

अर्पिता :- परम् जी एक बताइये।प्रशान्त जी तो नौ बजे से पहले न आएंगे फिर देर नही होगी केक कट करने में।

परम (कुछ सोचते हुए) :- अब यही जिम्मेदारी आपकी है अर्पिता जी।भाई को एकैडमी से जल्दी लेकर आना है।वो जाए बिन तो रहेंगे नही सो आपको उन्हें जितना जल्दी हो सके वहां से लेकर आना है।

अर्पिता :- मुश्किल है।लेकिन फिर भी हम एक कोशिश अवश्य करेंगे।

परम :- ये हुई न बात।और मन ही मन सोचता है अगर आज भाई आपके कहने भर से एकैडमी से वापस आ गए तो मुझे भी यकीन हो जाएगा कि आप दोनों के बीच का रिश्ता बेहद खास है।फिर मैं अपने काम पर लग जाऊंगा जैसे प्रेम भाई के मामले में लग गया था..और सोचते हुए मुस्कुराने लगता है।

अर्पिता उठ कर श्रुति के कमरे में चली जाती है।चेंज करती है और बैग उठा कर बाहर आ जाती है।जहां परम उसे देख 👍करता है तो अर्पिता भी थम्ब कर वहां से निकल जाती है।

क्रमशः .....