कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 31) Apoorva Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 31)

अर्पिता सबसे पीछे की सीट चुनती है।क्योंकि वहां वो खुल कर प्रशांत जी की क्लास को एन्जॉय कर सकती है।आखिर पीछे उसे देखने वाला जो कोई नही है।आज प्रशांत जी बेहद खुश होते है।और खुद का गिटार भी लाये है ये देख उनकी एक शार्गिद पूर्वी कहती है, लगता है आज सर का मूड बहुत ज्यादा अच्छा है तभी तो आज सर का खुद का गिटार यहां आया है।मतलब आज की क्लास तो रॉक.. होने वाली है।

ये..ये..कहते हुए सारी क्लास के साथ हुल्लारे करने लगती है।प्रशान्त जी एकदम से सख्त होते हुए मुस्कुराना बन्द करते है और पूर्वी से कहते है अब अगर तारीफे खत्म हो गयी हो तो कल जो सीखा उसे दोहरा कर बताएंगी आप।।या फिर भूल गयी..भूलभुलैया के रास्ते की तरह।।

उसकी बात सुन पूर्वी थोड़ा सकपका जाती है जिसे देख प्रशांत कहते है अरे बहुत समय ले रही है आप।सुनाइये..ओह सॉरी ट्यून कीजिये।।अर्पिता उस लड़की की ओर देखती है जो थोड़ी सी घबरा रही होती है।वो अपनी सीट से उठती है उसके पास जाती है और उससे कहती है, " एक अच्छे लर्नर की पहचान यही होती है कि उसके अंदर झिझक नाम के शब्द का अस्तित्व ही नही होता" अगर आपके गुरु ने आपसे कुछ कहा है तो आपको बिन झिझके तुरंत ही उसे पूरा करना चाहिए।

पूर्वी अर्पिता की ओर देखती है और मुस्कुराते हुए कहती है आपकी बात बिल्कुल सही है लेकिन मुझे अभी वो ट्यून इतनी अच्छे तरीके से नही आई है सो इसीलिए थोड़ा सा हेजिटेशन हो रही थी।

अर्पिता :- हम समझ सकते है।लेकिन फिर भी हम यही कहेंगे जब तक शुरू नही करोगी तो पता कैसे चलेगा कि सीखी कि नही।

अर्पिता को पूर्वी के साथ सहज होता देख प्रशान्त जी कुछ सोचते है और अर्पिता से कहते है, " अर्पिता,यहां आगे आओ "

अर्पिता प्रशान्त की ओर हैरानी से देखती है और निकलकर बाहर उसके पास पहुंच जाती है।उसके बाहर आते ही प्रशांत जी उससे धीमे से कहते है मेरे सिर में न अचानक से पेन होने लगा है,प्लीज् आज क्लास तुम हैंडल कर लो।आफ्टर ऑल सीनियर हो तो इतना अनुभव तो होगा ही तुम्हे।।

व्हाट! ..अर्पिता हैरानी से प्रशांत से कहती है।सीनियर? यहां जूनियर दिख रहे है आपको? सारे के सारे ग्रेजुएशन वाले है।अर्पिता ने फुसफुसाते हुए कहा।उसकी फुसफुसाहट सुन प्रशांत जी कहते है यहां सिर्फ एक ही सीनियर है और वो है पूर्वी।बाकी सब स्नातक में है और सभी छात्रों से कहते है, " आज के लिए सॉरी गाइज! अभी मेरी जगह ये क्लास लेंगी आपकी मिस अर्पिता।सो एन्जॉय।।कहते हुए वो वहां से दरवाजे से बाहर निकल जाते है।बाहर जाकर भी वो वहां से जाते नही है और खिड़की पर खड़े होकर अर्पिता को देखने लगते है।

प्रशांत जी क्लास नही लेंगे ये जान कर कुछ छात्र उठने लगते हैं और क्लास छोड़ते हुए दरवाजे से पास पहुंचते है।तो अर्पिता अपने ज्ञान और हुनर का उपयोग कर गिटार को ट्यून करती है...

दिल चरखे की इक तू डोरी..!दिल चरखे की इक तू डोरी।सूफी इसका रंग हाय।इसमें जो तेरा ख्वाब पिरोया नींदे बनी पतंग..! दिल भरता नही आंखे....तू थोड़ी देर और ठहर जा..! सांग को ट्यून कर रुक जाती है।उसकी उंगलियां के ठहरने के साथ साथ ही सभी के बढ़े हुए कदम भी ठहर जाते हैं..उसकी की हुई ये ट्यून सुन प्रशान्त जी मन ही मन कहते है एक दिन ये पूरा सांग मैं तुमसे जरूर सुनुगा।।अब देखना ये है कि उस एक दिन का मुझे कितना इंतजार करना है।वैसे भी वो इश्क़ ही क्या जिसमे इंतजार की घड़ियां शामिल न हो।

प्लीज एक बार फिर .कुछ छात्रों की आवाज आती है जिसे सुन पूर्वी कहती है कोई फिल्मी धुन ट्यून करना आसान है मुश्किल है तो अपनी खुद की रची गयी कोई कविता लाइन उसे ट्यून करना।अगर वो कर सको तो जाने कुछ बात है आपमें..!कहते हुए वो खिड़की ओर देखती है जहां खड़े हुए प्रशांत जी उसे (थम्ब) अंगूठा दिखा रहे है।उसके बाद वो अपना फोन निकालते है और उस पर अकैडमी के मैनेजर के लिए एक संदेश लिखते है, "आप अभी के अभी मेरी क्लास में आइए" और संदेश भेज देते हैं।

पूर्वी की बात सुन कर अर्पिता मुस्कुराते हुए कहती है हममे कोई बात है या नही ये आपकी रजामंदी पर निर्भर नही करता।अगर बात नही होती तो आप यहां होती और हम वहां आपकी जगह।काहे कि हम तो आज पहली बार यहां आए है फिर भी वहां आप सबके बीच मे न् होकर यहां है तो कुछ तो टैलेंट दिखा होगा आपके सर को हमारे अंदर।तभी उसकी नजर खिड़की के पास खड़े प्रशांत जी पर पड़ती है जो अपने एक हाथ से कुछ और सुनाने का रिक्वेस्ट कर रहे है ये देख अर्पिता अपनी पलको के साथ हल्की सी गर्दन झुकाती है और कहती है खैर हम भी न ये व्यर्थ की बातें लेकर बैठ गए चलिए आज कुछ नया ही सुनाते है..लेकिन हम बस कुछ लाइने ही ट्यून करेंगे जो हो सकता है बेतुकी हो लेकिन इस समय हमारे हृदय में आ रही है तो वही ट्यून कर देते हैं..क्योंकि कहते है संगीत की धुने तो हृदय से निकलती है और सीधा हृदय को बेधती है।

तब तक एकैडमी का मैनेजर आ जाता है तो प्रशांत जी उन्हें वही खिड़की के पास रोक कर कहते है, " आज आपको एक नए टैलेंट से अवगत करवाते है बस आप चुपचाप खड़े होकर उसे सुनना"।।कहते हुए सामने अर्पिता की ओर इशारा कर देते हूं।

मेरे दर्द को महसूस कर जिसकी आंखों में पानी होगा! कहीं तो वो होगा!! कहीं तो वो होगा।

जो मेरी खामोशी में छुपे लफ्जो को मेरे बिन कहे समझ लेगा कहीं तो वो होगा! कहीं तो वो होगा।

जो मौसम की पहली बारिश में पानी भरी सड़क पर बिन हिचकिचाए बिन घबराए मेरे साथ साथ भीगेगा! कहीं तो वो होगा !! कहीं तो वो होगा।

जो करता होगा परवाह हर रिश्ते की संजीदगी से
लेकिन फिर भी मस्तमौला होगा!! कहीं तो होगा वो कहीं तो होगा।

कहीं तो वो होगा... कहीं तो वो होगा।कहते हुए अर्पिता रुक जाती है।

उसकी नजर खिड़की के पास खड़े प्रशांत पर पड़ती है जो 👌👌का इशारा करते हुए अर्पिता की ओर देख कर मुस्कुरा रहे होते हैं।
वहीं मैनेजर सर तो कबका छात्रों के बीच मे पहुंच उनके बीच का हिस्सा बन कर अर्पिता को सुन रहे हैं।सांग प्ले करने में बाद अर्पिता गिटार साइड में रख देती है और कहती है चलो अब ये एक बार फिर तो हो गया।अब हम ट्यूनिंग के बारे में बात कर लेते हैं..!

उसकी बात सुनकर पूर्वी प्रशान्त जी की ओर देखती है तो वो गर्दन हिला वहीं खड़े रहते हैं।प्रशान्त जी चोरी चोरी मैनेजर के पास जाकर बैठ जाते हैं और उससे पूछते है, "कहिये रविश जी,कैसा लगा आपको ये नया टैलेंट?

रविश जी:- टैलेंट तो बढ़िया ढूंढ कर लाये हैं आप लेकिन क्या ये यहां इन छात्रों को हैंडल कर पायेगी।

अरे रवीश जी सब आपके सामने है फिर भी आप को संदेह है फिर तो ये बहुत ही गलत है।मैं कोई सिफारिश नही कर रहा हूँ बस मुझे लगा एक बार आपको खुद से देखना चाहिए।

हम।जानता हूँ मैं।तुम यूँ ही किसी को मुझे खुद से देखने के लिए नही कहोगे।इनसे एक बार बात कर लेना अगर इन्हें सूटेबल हो तो फिर पार्ट टाइम या फुल टाइम यहां जॉइन कर सकती हैं।

ओके रविश जी।।धन्यवाद! कहते हुए प्रशान्त जी निकलकर अप्पू के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं।उसे देख अप्पू एक लम्हा झिझकती है लेकिन अगले ही पल खुद को संयत कर अपना टॉपिक क्लीयर करने लगती है।प्रशान्त जी आगे पहुंच जाते है और अर्पिता को जॉइन करते हुए क्लास जारी रखते हैं।

कुछ ही देर में क्लास खत्म हो जाती है तो पूर्वी प्रशान्त जी को बाय कहने आती है तो प्रशान्त जी उसे थैंक्स कहते है।जवाब में पूर्वी मुस्कुराती है।और चली जाती है।अर्पिता दोनो की मुस्कुराहट देख लेती है और प्रशान्त जी के पास जाकर कहती है तो ये आप दोनों की मिलीभगत थी नही।

प्रशान्त जी सभी छात्रों की ओर देख उन्हें बाय करते हुए फुसफुसाते हुए कहते है, हां थी तो,लेकिन इसका फायदा तुम्हे होगा।।

हमे!कैसे? अर्पिता ने पूछा।।
वो ऐसे, यहां के जो मैनेजर है न उन्होंने तुम्हारी परफॉर्मन्स देखी है तो उन्हें लगता है तुम यहाँ के इन छात्रों को अच्छे से हैंडल कर सकती हो।तो चाहो तो पढ़ा सकती हो यहाँ।पार्ट टाइम या फुल टाइम चॉइस तुम्हारी है।

प्रशान्त जी की बात सुन अर्पिता हैरानी से उसकी ओर देखती है।प्रशान्त जी उससे कहते है हैरान होने की जरूरत नही है।ये तुम्हारा टैलेंट तुम्हे जॉब ऑफर करा रहा है मैंने कुछ नही किया।

ठीक है।लेकिन हम यहां पार्ट टाइम ही कर सकते है।क्योंकि ये माहौल हमे ज्यादा सूटेबल नही है।कुछ घण्टो बाद ही सरदर्द होने लगता है।

फुल टाइम तो हमे केवल ऑफिस जॉब ही सूट करती है।हम वही देखेंगे फुल टाइम के लिए।

ओह ऐसा क्या।ठीक है तो समझो तुम्हारी ये प्रॉब्लम भी सोल्वड।कल ठीक दस बजे तक तैयार रहना और मेरे साथ चलना ओके।।

इस बार अर्पिता हैरान होने के साथ परेशान हो जाती है।उसका खिला चेहरा एकदम से उतर जाता है।ये देख प्रशान्त जी उससे कहते हैं उदास होने की जरूरत नही है मैं जहा लेकर जाऊंगा वहां तुम्हे जॉब तुम्हारी नॉलेज के आधार पर मिलेगी।सो डोंट वरी।।

प्रशांत की बात सुन अर्पिता उसकी ओर देखती है और दिल से बिन बोले आभार व्यक्त करती है तो प्रशान्त जी भी अपनी पलके झपका कर मुस्कुरा भर देते हैं।और मन ही मन कहते है मैं कोशिश करूँगा अर्पिता कि तुम्हारा हर दर्द हर परेशानी अपनी बेइंतहा मोहब्बत से दूर कर सकूं।बस मुझे नही अच्छा लगता तुम्हारा ये मुरझाया चेहरा, बुझी हुई मुस्कान और सुनी सी खाली आंखे।मुझे तो तुम्हारे चेहरे पर सुकून और मुस्कुराहट ही भाती है।जिसके लिये मैं कुछ भी कर सकता हूँ।

प्रशान्त को खोया देख अर्पिता इशारे से पूछती है "क्या हुआ'?

प्रशान्त :-कुछ नही कहता है।और बाहर गैलरी में निकल जाता है।जहां मैनेजर फोन पर बात कर रहे है।वो उनके पास आकर खड़ा हो जाता है और उनके फोन रखने का इंतजार करने लगता है।

मैनेजर फोन रखता है तो प्रशांत जी उससे कहते है, "रविश, आज मुझे थोड़ा जल्दी जाना है"?

रविश :- ठीक है।जाओ वैसे भी भई तुम अपने शौक और दोस्ती की वजह से यहां आ जाते हो फ्री सर्विस रहती है तुम्हारी तो तुम्हे मैं कैसे रोक सकता हूँ।

प्रशान्त :- मैं वो शांत हवा का झोंका हूं जिसके शोर को सिर्फ खामोशी से सुना जा सकता है मेरे भाई।।कब कहाँ से गुजर जाऊ पता लगाना हर किसी के वश की बात नही।

जी, लेकिन हवा के झोंके को अगर चंचल खुशबू का साथ मिल जाये तो ये झोंका खुद महकने के साथ ही पूरी बगिया को महका सकता है।अर्पिता ने बाहर आते हुए कहा।उसकी बात सुन प्रशांत जी मुस्कुरा भर देते हैं।वहीं रवीश कहता है ये तुझे सही मिल गयी है सोने पर सुहागा टाइप।।कहते हुए रविश जी मुस्कुराते हुए वहां से चला जाता हैं।

प्रशान्त :-चले घर! इतनी धीमी आवाज में प्रशान्त ने कहा कि अर्पिता उसकी ओर देखने से खुद को न रोक पाई।।

प्रशांत :- ओह हो! घर मतलब रूम पर।अब साथ आये है तो साथ चलना भी होगा न।

अर्पिता:- जी सो तो है।चलिए।

प्रशांत और अर्पिता दोनो वहां से बाहर निकल जाते है जहां प्रशान्त अपनी बाइक निकाल दरवाजे पर ले आते है और अर्पिता को बैठा बाइक स्टार्ट कर वहां से निकल जाते है।वो बाइक दौड़ा रहे है लेकिन रूम पर न ले जाकर दूसरे रास्ते पर मोड़ लेते है जिसे अर्पिता देखती है समझ जाती है कि ये रास्ता घर का तो नही है लेकिन कुछ कहती नही है।

लगभग दो मिनट बाद प्रशान्त बाइक एक मॉल के सामने जाकर रोकते हैं।अर्पिता सामने देखती है तो मॉल देख कहती है हम यहां क्यों...?

प्रशान्त :- पहले नीचे उतरो फिर बताता हूँ।

अर्पिता :- ओके...!कह उतर जाती हैं।
प्रशान्त :- अंदर एंट्री गेट पर् मेरा इंतजार करना मैं बस अभी आया।

अर्पिता :- ठीक है कह वहां से एंट्री गेट पर पहुंच जाती है।

प्रशान्त बाइक पार्क करके वहीं आ जाते है अपना गिटार वाला बैग नीचे लगेज रूम में जमा कर बैज ले वहां से अर्पिता के पास पहुंचते है। चलो, अंदर! अर्पिता से कहते है।

जी अर्पिता बोली और दोनो वहां से अंदर निकल जाते हैं।

प्रशांत अर्पिता को वुमन्स क्लॉथ डिपार्टमेंट के काउंटर पर जाकर खड़ा कर देता है और वहां मौजूद स्टाफ से कहता है, "इनके लिए कुछ अच्छी फॉर्मल ड्रेसेज दिखाइए"!

उसकी बात सुन अर्पिता एक बार फिर उसके मुंह की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगती है तो प्रशांत जी उससे धीमे से कहते है, ऑफिस में जॉब पर जाओगी तो क्या ऐसे ही जाओगी।कुछ अच्छी ड्रेसेज तो चाहिए न।सो अभी अपनी पसंद की देख लो खरीद लो।और पूरा हिसाब किताब रखना काहे कि मेरी उधार छोड़ने की आदत नही है।तो ..अब तुम्हे कोई परेशानी नही होनी चाहिए।

हम्म अब कोई परेशानी नही है।अर्पिता कहती है और कुछ कपड़े चुनती है।प्रशांत जी वही एक तरफ खड़े हो जाते है और मोबाइल उठा कर कार्य करने लगते हैं।बीच बीच में अर्पिता के चुने हुए कपड़ो को भी देख लेते है।अर्पिता कपड़े चूज कर लेती है।

सेल्समैन :- मैम! आपका सामान काउंटर पर मिल जाएगा।प्लीज आप लोग वहीं पे कर अपना सामान ले लीजिएगा।

अर्पिता :- ओके।कह वहां से प्रशान्त जी के पास जाती है।और उनसे चलने को कहती है।

ठीक है।कह प्रशांत जी मोबाइल अपनी पॉकेट में रख कहते हैं, " अप्पू, और भी कुछ लेना हो तो देख लो हम लोग अभी भी मॉल में ही है।

हमम कुछ लेना तो है लेकिन...!फिर चुप हो जाती है।

प्रशान्त जी :- जो भी लेना है ले लो इतना सोचो नही।यहां पर न बिल निकाल कर देते है तो सब तुम्हारी नजर में रहेगा।।तुम भी न कितना सोचती हो ..! जो बात तुम सोचती हो स्पष्टता के मामले में वही मैं भी मानता हूं।और सच कहूं तो मुझे तुम्हारी ये आदत बहुत अच्छी लगी।ये एक ऐसा गुण है जो हर किसी मे नही होता।।खैर बातें तो बाद में भी होती रहेगी..तुम देख लो अपने लिए जो भी कुछ लेना हो।

ओके।लेकिन इसके लिए हमे काउंटर चेंज करना पड़ेगा।अर्पिता ने कहा।

प्रशान्त :- ठीक है फिर तुम मुझे पेमेंट काउंटर पर मिल जाना ठीक है।

अर्पिता:- जी कह अर्पिता वहां से चली जाती है तो प्रशांत जी कपड़ो वाले काउंटर के पास जाते है और वहां मौजूद सेल्समैन से कहते है अभी वो मैडम जो कपड़े देख रही थी न उनमे एक ब्लू डेनिम कुर्ती थी न उसके दो पीस और निकाल दीजिये।

ओके सर।।कह सेल्स पर्सन प्रशान्त जी के बताए हुए वो दोनो कपड़े निकाल कर दे देता है।प्रशान्त जी दोनो कुर्ती पैक करा कर काउंटर पर भेजने के लिए कहते है।और नीचे काउंटर पर आ जाते हैं।
वहां आकर वो वहीं एक कुर्सी पर बैठ जाते हैं।कुछ ही देर में अर्पिता वहां आ जाती है उसके हाथ मे दो तीन बैग और होते है।वो लाकर काउंटर पर रख देती है सभी सामान की बिलिंग करवा लेती है।प्रशान्त जी ऑनलाइन सर्विस के जरिये पेमेंट कर देते है।और बैग उठा कर बाहर दरवाजे तक ले आते हैं।

अप्पू ये बेग पकड़ो मैं अभी बाइक लेकर आता हूँ फिर चलते हैं।जी अर्पिता बोली।तो प्रशान्त जी लगेज रूम से अपना गिटार लेकर बाइक, मॉल के दरवाजे के सामने ले आते हैं।अर्पिता सभी बैग्स को सम्हाल कर बाइक पर बैठ जाती है।

प्रशांत जी बाइक का मिरर अर्पिता की ओर सेट करते है और बाइक धीरे धीरे राइड करने लगते हैं।

इतने सारे बैग्स पकड़ने में अर्पिता को थोड़ी सी परेशानी महसूस होती है तो प्रशांत जी बाइक रोकते है।और अर्पिता से नीचे उतरने को कहते हैं।

अर्पिता जैसे तैसे सम्हल कर उतर जाती है।तो प्रशांत जी अर्पिता का दिया हुआ रुमाल अपनी पॉकेट से निकालते है और उसके हाथ से सारे बैग्स लेकर नीचे रख लेते है।वो रुमाल को राउंड राउंड करते हुए फोल्ड करते है और सभी बैग्स के सिरों से रुमाल के सिरे निकालते हुए सभी को इकट्ठे बांध देते है और फिर अर्पिता को देकर कहते है अब आराम से इन्हें रख कर बैठना।।कोई समस्या नही आएगी ठीक है।

हम्म।।अर्पिता ने कहा।प्रशांत जी बाइक को फिर से स्टार्ट करते है अर्पिता एक हाथ मे बैग पकड़ बैठ जाती है और प्रशांत जी मुस्कुराते हुए बाइक दौड़ा देते हैं।

वो बाइक के शीशे से बीच बीच मे अर्पिता को निहार लेते हैं।वहीं अर्पिता भी चोरी चोरी प्रशांत जी को देख लेती है।और देखते हुए जब नजर मिल जाती है तो दोनो किसी चोर की तरह नजरे चुराने लगते हैं।

उसके चेहरे पर हवा के जोर से बाल आ जाते है जिन्हें देख प्रशांत जी मन ही मन कहते हैं..ये जो तुम्हारे चेहरे पर लहराते बाल है ये उन्ही का कमाल है जो बादलो के बीच लुकते छिपते चांद का एहसास करा रहे हैं।वहीं अर्पिता मन ही मन सोचती है.. इस स्वीट सी सीरत पर तो हम सारा जीवन हार जाए..कोई इतना केयरिंग, इतना जिम्मेदार होने के साथ इतना हैंडसम भी हो सकता है असंभव सा लगता है।मोस्टली ये सभी क्वालिटी एक ही इंसान में कहां देखने को मिलती है।।हाय ..अपनी ही सोच में डूबी हुई होती है।बाइक के रुकने पर ही वो अपनी सोच से बाहर आती है और कहती है हम घर आ गए प्रशान्त जी...।

प्रशान्त जी सामान का बैग्स उठाते हुए मुस्कुराते है और कहते है हां..हम हमारे घर आ गए।

क्रमशः..