काश ऐसा होता Sunita Agarwal द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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काश ऐसा होता


इंसान की जिंदगी काश इन दो अक्षरों के बीच झूलती रहती है।काश ये होता तो ऐसा होता, काश वो होता तो ऐसा होता।हम वर्तमान परिस्थिति से कभी खुश नहीं रहते।जो हमारे पास नहीं होता उसके पीछे भागते रहते हैं और जो होता है उसकी कद्र नहीं करते।रोहन की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही थी उसे अपनी जिंदगी से बहुत सी शिकायतें थीं।उसके अनुसार ईश्वर ने उसके साथ बहुत ना इंसाफी की थी और वो दुनिया का सबसे बदकिस्मत इंसान था इसलिये वो खुद से जुड़े किसी भी रिश्ते की कद्र नहीं करता था।चाहे वो उसके माँ बाप बीबी बच्चे ही क्यों न हों।माँ बाप तो अब इस दुनिया में नहीं रहे थे।और बीबी बच्चों की जिम्मेदारी भी मानो वो ढो ही रहा था अपने आप से नाखुश अपने बीबी बच्चों से नाखुश हर किसी से मानों उसे शिकायत थी।फिर उसके साथ ऐसा कुछ हुआ कि उसकी सारी शिकायतें एक पल में दूर हो गईं और उसके जिंदगी को देखने का नजरिया ही बदल गया।
इतने सालों बाद कामिनी को अचानक इस तरह सामने देख रोहन हैरान रह गया उसे बिल्कुल भी उम्मीद न थी कि कामिनी से इस तरह इस हालत में मुलाकात होगी। मोटा थुलथुल शरीर आंखों के नीचे काले घेरे, बेढब चाल अपनी उम्र से 10 साल बड़ी लग रही थी। उसने अपने उसी सहकर्मी से एकांत में कामिनी के बारे में पूछा तो पता चला कि वह उसकी पड़ौसन है और बहुत ही झगड़ालू और मुँहफट है। रोहन को ताज्जुब हुआ कि ये वही कामिनी है क्या जिसका वह दीवाना हुआ करता था। जिससे शादी न कराने के कारण वह अपने माँ बाप से ताउम्र नाराज रहा। और पत्नी को भी वो सम्मान और अधिकार नहीं दिया जिसकी वो अधिकारी थी ।कभी हँसी खुशी उसके साथ उसके मायके नहीं गया वो अकेले ही जाती और आती रही बहुत मनाने पर कभी चला भी जाता तो थोड़ी बहुत देर रुक कर बापिस आ जाता था ।रोहन जैसे अपनी 25 बर्ष पहले की जिंदगी में पँहुच गया था।जब वह मास्टर ऑफ साइंस के फाइनल ईयर में था तभी उसके पड़ोस में कामिनी रहने के लिये आई वो उसकी ही क्लास मेट थी ।साँवली सलोनी कामिनी उसे पहली नजर में ही भा गई थी।पड़ोस में रहने के कारण दोनों एक दूसरे को जानते भी थे।जल्दी ही दोनों में दोस्ती हो गई और फिर ये दोस्ती कब प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला। दोनों कॉलेज में फिर कॉमन मित्र के साथ रेस्टॉरेंट में मिलने लगे। कॉलेज खत्म होने के बाद रोहन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने लगा और जल्दी ही उसकी नियुक्ति उसी शहर में समाज कल्याण विभाग में लिपिक के पद पर हो गई लेकिन उन दोनों का मिलना उसी प्रकार जारी रहा। जल्दी ही इस बात की खबर उनके घरवालों तक पँहुची।रोहन अपने माँ बाप का अकेला बेटा था एक बहिन थी उसकी शादी हो गई थी। माँ बाप इस डर से कि कहीं लड़का हाथ से न निकल जाए उसकी जल्दी से जल्दी शादी करना चाहते थे। रोहन ने अपने माँ बाप के सामने कामिनी से विवाह की इच्छा जाहिर की लेकिन उन्होंने साफ़ इन्कार कर दिया कि वो कामिनी से उसकी शादी नहीं करा सकते क्योंकि वह उनकी जाति की नहीं हैं। फिर उसके लिये लड़की देखी जाने लगीं वो हर जगह लड़की से कोई न कोई ऐसा प्रश्न पूछ लेता था कि लड़की खुद ही इस रिश्ते से इनकार कर देती थी इस तरह रिश्ता होते होते रह जाता था।
इस बार उसके लिये रागिनी का रिश्ता आया घर वालों ने पहले ही रोहन को कह दिया था कि अगर लड़की ठीक हुई तो यही रिश्ता फाइनल कर देंगे। इसलिये कोई ड्रामा न करे रागिनी एक सुंदर सुशील पढ़ी लिखी तथा एक स्कूल टीचर की बेटी थी ।सबको पहली नजर में ही पसंद आ गई थी इसलिये विवश होकर रोहन को रिश्ते के लिये हाँ कहनी पड़ी थी।और छै महीने बाद रोहन की रागिनी से शादी हो गई।अब रोहन कामिनी को भूलकर रागिनी के प्रेम में खो गया।उसका ये प्रेम अपनी शर्तों पर था जब वह रागिनी से खुश होता तो खूब प्रेम दर्शाता और यदि रागिनी की कोई बात जरा भी बुरी लग जाती तो अगले ही पल वह बेरुखी पर उत्तर आता और महीनों नाराज रहता फिर उसे मनाना कठिन होता।रागिनी उसके इस बदलते व्यवहार से हैरान रह जाती" क्या यह वही सख्श है जो कुछ देर पहले तक इतनी प्यारी प्यारी बातें कर रहा था" उसका ये व्यवहार उसकी समझ से बाहर था।वह नहीं जानती थी कि नाराजी के उन पलों में वह उसकी तुलना कामिनी से करता था और उसे कामिनी से हमेशा कमतर पाता था और उसके साथ ऐसा बेरुखा व्यवहार करता था जब तक कि वह उससे नाक रगड़ कर माफी न मँगवा लेता।उसे याद नहीं कि उसने तनाव के उन क्षणों के बाद कभी रागिनी से पहले से बात की हो या उसे मनाया हो रागिनी ही हमेशा उसे मनाती थी फिर भी वह उससे ठीक से बात नहीं करता था वह उसकी बेरुखी भी सहती थी।उसे यह भी याद नहीं कि वह रागिनी के लिये कभी कुछ लाया हो अगर रागिनी उसके लिये कुछ लाती उसमें भी वह हजार कमियाँ निकालता था।रागिनी ने कभी उससे कुछ नहीं माँगा एक पत्नी के अधिकार स्वरूप। वह तो जो मायके से मिलता उसी से काम चलाती रही।कभी एक रुपया नहीं मांगा उस पर भी वह ऐंठता रहा। कामिनी के लिये फिर भी वह एक दो बार गिफ्ट लाया था, रागिनी के लिये तो कभी नहीं। इसी तरह दिन महीने साल गुजरते रहे।और उनके दो बच्चे रिया और आरव भी अब बड़े हो गए रिया mca कर रही थी वहीं आरव बैचलर ऑफ साइंस का स्टूडेंट था।बच्चों के बड़े होने पर भी रोहन के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आया वह उसी तरह हठी और तुनक मिजाज रहा। कभी कभी बच्चे भी उसके इस व्यवहार से परेशान हो जाते थे लेकिन रागिनी उन्हें समझा दिया करती थी।
रोहन का लापरवाह व्यवहार रागिनी को खूब तकलीफ देता था इतने साल गुजर जाने के बाद उसने भी अब समझौता कर लिया और रोहन की नाराजगी पर ध्यान ही देना बंद कर दिया।रोहन को ये बात नागवार गुजरी कि रागिनी अब मनाती नहीं हैं वह रागिनी से खिंचा खिंचा रहने लगा।इस तरह दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ती गईं।अब दोनों बहुत कम बात करते थे जब कोई काम होता तो।इसी बीच रोहन का ट्रांसफ़र दिल्ली हो गया।और वह अपने परिवार को लेकर दिल्ली आ गया।फिर आज अपने आफिस के एक सहकर्मी के बेटे के जन्म दिन की पार्टी में रागिनी के साथ शामिल हुआ था।रोहन अपने ख्यालों में ही गुम था कि तभी रागिनी की आवाज सुनाई दी कहाँ खो गए घर नहीं चलना क्या ? वो जैसे नींद से जागा हो उसने रागिनी की तरफ देखा आज भी किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी वही भोलापन वही मासूमियत वह देखता रह गया।उसे अपनी गलतियों का अहसास हुआ जिस कामिनी से मन ही मन रागिनी की तुलना करता रहा था वो तो उसके सामने धूल भी नहीं।हमारी परेशानी यह है कि हम जो चीज हमारे पास नहीं होती उसके पीछे भागते हैं जो आसानी से मिल जाती है उसकी कद्र नहीं करते हैं।उसने निश्चय किया कि वह अपनी सारी गलतियाँ सुधारेगा और इस बची हुई जिंदगी में रागिनी को वो सारी खुशियाँ देगा जो उसे आज तक नहीं मिलीं।वह सोचने लगा कि काश रागिनी की कद्र उसे पहले ही की होती तो उन दोनों के रिश्ते में इस तरह खटास न आई होती और उनकी जिंदगी और भी हसीन होती। पार्टी से आकर रोहन रात भर अपनी गलतियाँ याद करता रहा कि कब कब उसने रागिनी का दिल दुखाया था।अगले दिन उनकी शादी की सालगिरह थी ।हर साल तो उसे याद ही नहीं रहता था रहता भी था तो वो परवाह नहीं करता था। अगले दिन वह सोकर उठा और अपने दैनिक काम निबटा कर आफिस के लिये रवाना हुआ ।जब वो शाम को घर आया तो उसके हाथों में एक खूबसूरत साड़ी, केक और खाने के पैकेट थे उसने आते ही रागिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसे गिफ्ट देते हुए बोला "हैप्पी एनीवर्सरी रागिनी" रोहन को इस रूप में देख हैरान रह गई ।उसके मुँह से शब्द नहीं निकले 25 सालों में पहली बार वह उसके लिये कुछ लेकर आया था उसकी आँखों से आँसू छलक पड़े।रोहन ने अपने हाथ से रागिनी के आँसू पोंछे तभी दरवाजे से उनके बच्चे रिया और आरव जो कि" हैप्पी एनीवर्सरी मम्मी एंड पापा" कहते हुए आये और गले लग गए अपने मम्मी पापा को खुश देखकर वह भी खुश थे।तभी रोहन बोला रिया में केक और खाना भी लेकर आया हूँ तुम केक काटने की तैयारी करो फिर हम सब मिलकर खाना खाएँगे।पहली बार सब लोग एक साथ इतने खुश थे और सब को खुश देखकर रागिनी भी खुश थी।