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हैवानियत


सुबह से में जल्दी जल्दी घर के काम काज निबटा रही थी।
सुबह को कितने सारे काम होते हैं।बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करना बच्चों और पति सोमेश के लिये नाश्ता और टिफिन बनाना बगैरह बगैरह।सोमेश बच्चों को साथ लेकर ही घर से निकल जाते हैं और बच्चों को स्कूल छोड़ते हुए ही दफ्तर जाते हैं।क्योंकि बच्चों का स्कूल सोमेश के दफ्तर के रास्ते में पड़ता है ।
में सोमेश और बच्चों को गेट तक छोड़कर आई और किचन में अपने लिए चाय बनाकर बरामदे में पड़ी कुर्सी पर बैठकर चाय पीने लगी और साथ में अखबार की हैडलाइन भी देखने लगी ।तभी डोरबेल बजी शायद महरी होगी मैंने कप की बची हुई चाय समाप्त की और जाकर दरवाजा खोला ।दरवाजे पर महरी ही थी लेकिन वह कुछ उत्तेजित नजर आ रही थी। आते ही कहने लगी मेमसाहब आपको पता है वर्मा साहब और उनके पूरे परिवार की हत्या हो गई है।और उनकी हत्या के आरोप में पुलिस ने उनके बेटे बहु को गिरफ्तार कर लिया है।सुनकर में हतप्रद रह गई ।मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ
ऐसा कैसे हो सकता है अनायास ही मेरे मुँह से निकला।
कल ही तो मिली थीं मुझे बाजार में कितनी खुश थीं अपने बेटे रमन के जन्मदिन के लिए खरीदारी करने आईं थीं।
फिर हम दोनों ने साथ साथ मिलकर खरीददारी की थी।घर के ढेरों सामान के साथ अपने बेटे के लिए खूबसूरत सी सोने की चेन भी खरीदी थी।फिर एक दिन में ऐसा क्या हो गया कि उनके बेटे बहु ने उनकी और उनके परिवार की हत्या कर दी।
मेरे दिमाग में निरंतर संघर्ष चल ही रहा था कि तभी पड़ोस की मिसेज शर्मा आ गईं।कहने लगीं आपने सुना मिस्टर वर्मा और उनके परिवार की हत्या हो गई है।मैंने कहा हाँ राधा (महरी) ने बताया पर कैसे हुआ ये सब आपको पता है ?मैंने कहा।मिसेज शर्मा कहने लगीं ये सब उनके बेटे बहु की सोची समझी साजिश थी।में हैरानी से सब सुन रही थी क्यों किया उन्होंने ऐसा? भला सगे बेटे बहु अपने ही माँ बाप और बहिनों का खून क्यों करेंगे ।में पशोपेश में थी कि रेखा जी कहने लगीं जायदाद के लिए किया उन्होंने ऐसा। लेकिन जायदाद के लिए क्या कोई अपने ही परिवार को खत्म करेगा।रेखा जी ने बताया कि रमन उनका बेटा नहीं है रमन उनके भाई का बेटा है।मुझे इस कॉलोनी में आये एक साल ही हुआ था इसलिये में मिस्टर वर्मा और उनके परिवार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी।फिर कॉलोनी में सब अपने आप में व्यस्त रहते हैं किसी को किसी से ज्यादा सरोकार नहीं रहता।यह शायद आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी का ही नतीजा है।
रेखा जी कहने लगीं कि पुलिस के हाथ पक्के सबूत लगे हैं और उन्होंने उनके बेटे बहु को गिरफ्तार कर लिया है।रेखा जी ने वर्मा परिवार की जो कहानी बताई वो बाकई हैरान करने वाली है।मिस्टर वर्मा जाने माने बिज़नेस मैन हैं उनका लाखों करोड़ों का कारोबार है पैसे की कोई कमी नहीं है।मिसेज वर्मा के जब बेटे की आस में एक के बाद एक तीन बेटियाँ हो गईं तो मिस्टर और मिसेज वर्मा ने अपना परिवार अब और बढ़ाना उचित नहीं समझा
और वह अपनी तीन बेटियों की अच्छी परवरिश पर ही ध्यान देने लगे।लेकिन मिसेज वर्मा को एक बेटे की ख्वाहिश थी उन्हें एक बेटे की कमी हमेशा खलती रहती थी खासकर रक्षा बंधन और भाई दौज को जब सब बहनें अपने अपने भाइयों को राखी बांधती टीका लगाती ।वह हमेशा सोचती कि उनकी बेटियों से राखी बंधवाने और टीका करवाने के लिए उनका भी एक भाई होता।
लेकिन एक बेटे की चाहत में परिवार भी कितना बढ़ाते फिर अगली बार की भी क्या गारंटी कि बेटा ही होगा।इसलिए मिसेज वर्मा ने अपनी इस ख्वाहिश को दिल में ही दफन कर लिया और बेटियों की परवरिश पर ध्यान देने लगीं।लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था।
मिसेज वर्मा जब भी अपने मायके जातीं अपने भतीजों के लिए ढेर सारे उपहार लेकर जातीं।उनके भाई के तीन बेटे ही थे इसलिये वह अपने बेटे की कमी अपने भतीजों पर प्यार लुटाकर करती थीं।इस बार मिसेज वर्मा जब रक्षा बंधन पर अपने मायके गईं।खाना आदि खाने के बाद सब बैठे बातें कर रहे थे कि उनकी भाभी मजाक ही मजाक में कह उठी
"दीदी आप रमन को गोद क्यों नहीं ले लेतीं"। रमन उनका छोटा भतीजा था।तीनों बहिनों को एक भाई मिल जाएगा।
मिसेज वर्मा ने सोचा शायद ये मजाक कर रही है।बोली अब ये उनके भाई नहीं हैं क्या।सीमा (भाभी)बोली दीदी में मजाक नहीं कर रही हूँ में सीरियसली कह रही हूँ।फिर क्या था मिसेज वर्मा को मनमांगी मुराद मिल गई और उन्होंने कानूनी कार्रवाई करके रमन को गोद ले लिया।इस बात को तकरीबन बीस बर्ष हो गए कॉलोनी में बहुत ही कम लोगों को इस बात की जानकारी थी जो मिस्टर वर्मा को बहुत पहले से जानते थे।
छुट्टियों में मिसेज वर्मा के बच्चे अपने मामा के घर छुट्टियाँ बिताने जाते थे ।दिल की भोली मिसेज वर्मा को इस बात से कोई एतराज न था।सोचती थी बच्चों का मन बहल जाएगा।जबकि सीमा अपने बेटे को हमेशा अपने से बाँधे रही क्योंकि उसने गोद ही इसलिए दिया था ताकि वह उनकी दौलत का बारिश बन सके ।वह महत्वाकांक्षी थी और रमन के जरिये अपने सारे ख्वाव पूरे करना चाहती थी।उसका पति मामूली कर्मचारी था जो उसकी ख्वाहिशें पूरा करने में असमर्थ था।रमन को पट्टी पढ़ा पढ़ा कर पैसे का लालची बना दिया।अब रमन भी अपनी माँ के इशारों पर नाचने वाला मोहरा बन गया।मिसेज वर्मा इन सब बातों से बेखबर थीं।समय इसी तरह गुजरता रहा।मिस्टर और मिसेज वर्मा के चारों बच्चे अब जवान हो गए थे।मिसेज वर्मा की भाभी सीमा ने रमन के लिए एक रिश्ता बताया लड़की सीमा की सहेली की बेटी थी।मिसेज शर्मा और रमन को लड़की पसंद आ गई और इस प्रकार रजनी और रमन की शादी हो गई।
अब मिस्टर और मिसेज वर्मा को अपनी बेटियों के विवाह की चिंता सताने लगी।मिस्टर वर्मा ने अपनी बड़ी बेटी स्मृति के लिये कई अच्छे रिश्ते देखे आखिरकार एक रिश्ता पसंद आ ही गया और उन्होंने खूब धूमधाम से अपनी बेटी की सगाई कर दी।सगाई में दिल खोलकर खर्च किया गया।शादी का मुहूर्त चार महीने बाद का निकला।घर में शादी की तैयारियाँ खूब जोर शोर से चल रहीं थीं।आये दिन लाखों रुपये की खरीददारी हो रही थी ।हो भी क्यों न उनकी सबसे बड़ी बेटी की शादी थी पैसे की कोई कमी न थी।बस यही बात रमन को नागवार गुजरी।उसनेसोचा होगा कि यदि इसी तरह बेटियों की शादी पर धन लुटाते रहे तो उसके लिए क्या बचेगा।यही विचार उसके और उसकी माँ सीमा के दिमाग में चलने लगे।वह कुछ ऐसा करना चाहते थे कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे फिर क्या था रमन सीमा और उसकी पत्नी ने मिलकर एक खतरनाक षड्यंत्र रच डाला।इस षड्यंत्र के तहत दूसरे दिन रमन का जन्मदिन था इस उपलक्ष में रमन की पत्नी ने शाम को अपने हाथों से सबके लिए स्पेशल खाना बनाया और इस खाने में जहर मिलाकर सबको बड़े प्यार से खिला दिया। जब सभी ने साथ खाने के लिए कहा तो उसने रमन के आने पर उसके साथ खाने की कहकर मना कर दिया। और रमन मीटिंग का बहाना कर जान बूझकर देर से आया। और आते ही सीधे ऊपर अपने कमरे में चला गया।और सुबह उठकर दोनों ने रोरोकर सारी कॉलोनी इकट्ठी कर ली कि हमारे मम्मी पापा और बहिनों को कुछ हो गया है। कहीं उन्होंने आत्महत्या तो नहीं कर ली ।रजनी ने मोके पर मौजूद सारे सबूत भी मिटा दिए थे बचा खाना भी नष्ट कर दिया था।पर कहते हैं न गुनाह के निशान कहीं न कहीं रह जरूर जाते हैं।पुलिस को आत्महत्या का कोई ठोस कारण भी नजर नहीं आ रहा था। क्योंकि घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं तहकीकात और छानबीन करने पर खिड़की के पास नाली में जहर की खाली शीशी मिली फिर उन्होंने रमन और उसकी पत्नी को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो वे टूट गए और उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया।
ये सब सुनकर मेरा दिल यह कतई मानने को तैयार नहीं था कि जिन बेटे बहु पर वह जान छिड़कती थी और तारीफ करते नहीं थकती थी वह उनकी हत्या कर देंगे ।लेकिन हकीकत यही थी।क्या इंसानियत इतनी मर चुकी है कि जिन हाथों ने पालपोश कर इतना बड़ा किया।अपने हाथों से खाना खिलाया, उठना बैठना चलना सिखाया,रात रात भर जिस बच्चे के लिये जागती रही,जिस बच्चे की पढ़ाई लिखाई परवरिश में उन्होंने कोई कसर नहीं तथा जो बहनें अपने भाई पर जान छिड़कती थीं।जिनकी जबान भैया भैया कहते नहीं थकती थी।जो अपने भाई के सारे काम दौड़ दौड़ कर करती थीं उनका वही भाई वही बेटा उनको हमेशा हमेशा के लिए चैन की नींद सुला देगा।में व्यथित थी मेरा अंतर्मन रो रहा था कह रहा था काश ये झूठ होता।क्या इंसान की भावनाएँ संवेदनाएँ इतनी मर चुकी हैं कि वह हर रिश्ते को दौलत के तराजू पर तौलता है और इतने बड़े बड़े जघन्य अपराध कर बैठता है।संसार में क्या सब कुछ पैसा ही है क्या इंसानी रिश्तों की भावनाओं की कोई कीमत नहीं।रमन मिसेज वर्मा का अपना सगा बेटा न सही अपना सगा भतीजा तो था उनका अपना खून।फिर भी उनका खून करते समय उसकी अंतर्रात्मा ने उसको जरा भी नहीं धिक्कारा और उसने और उसकी पत्नी ने मिलकर ये जघन्य अपराध कर डाला।ये हैवानियत नहीं तो और क्या है।

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