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तलाक-शुदा

एक औरत की जिन्दगी जुए की तरह दाव पर लगी होती है या लगाई जाती है।जिंदगी के इस जुए में यदि बाजी उसके पक्ष में होती है उसकी जिंदगी सोभाग्य बन जाती है और यदि उसके बिपरीत होती है तो दुर्भाग्य को रोती है।मासूम शाहीन की जिंदगी भी दाव पर लगाई गई थी।शाहीन के परिवार का अपने एक पड़ोसी परिवार से झगड़ा चल रहा था।उस परिवार के किसी सदस्य की दृष्टि शाहीन पर थी इस कारण शाहीन के घर वाले जल्दी से जल्दी शाहीन का निकाह कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे।उसके लिये कई जगह बात चलाई पर बात न बनी।ऊँच नीच के डर से अठारह बर्षीय शाहीन की शादी एक अधेड़ उम्र व्यक्ति से तय कर दी गई जो किसी भी लिहाज से शाहीन के काबिल नहीं था।
दुल्हन के लिबास में सजी सँवरी शर्मीली शाहीन ने नजर उठाकर भी अपने शौहर को नहीं देखा था।निकाह की रस्में होने के बाद मन में अपनी नई जिंदगी हजारों सपने सजाए वह अपनी ससुराल आ गई।
सुहागरात को सुहागसेज पर बैठी वह अपने शौहर का इंतजार कर रही थी तभी अधेड़ उम्र एक भद्दे से दिखने वाले व्यक्ति ने प्रवेश किया आते ही वह दहाड़ते हुए बोला तुम्हें यहाँ कामकाज के लिए लाया गया है तुम मेरी नाम मात्र की बीबी हो।इतना कहकर वह बड़ी बेरुखी के साथ बाहर चला गया ।यह सुनकर और देखकर तो शाहीन के होश उड़ गए क्या यही व्यक्ति उसका शौहर है।ये मेरे साथ कैसा धोखा हुआ है मुझे मेरे अपनों ने ही छला है।वह रात भर अकेली रोती रही थी और रोते रोते पता नहीं कब उसकी आँख लग गई।
जब वह सुबह उठी तो उठते ही उसे काम पर लगा दिया गया।बीस लोगों का भरा पूरा परिवार था वह दिन भर काम पर लगी रहती तब जाकर उसे दो वक्त का खाना दिया जाता।रात में फिर वही अकेलापन और सन्नाटा जो उसे खाने दौड़ता था उसे डर के मारे नींद भी नहीं आती थी।एक दिन जब आस पास कोई नहीं था तब घर की नोकरानी ने बताया कि बीबी जी आप कहाँ आ फँसी ।इस घर के लोग अच्छे लोग नहीं हैं आप की सास भी कभी धंधा किया करती थी आपका शौहर भी अच्छा आदमी नहीं है ।रात रात भर घर से गायब रहता है कहाँ जाता है क्या करता है कुछ पता नहीं।
ये सुनकर उसके तो पैरों तले जमीन खिसक गई ये क्या हो गया उसके साथ। उसके घरवालों ने तो जीते जी उसे जहहन्नुम में धकेल दिया। इतनी ही भारी पड रही थी तो गला घोंट कर मार डालते वह रोती रही और अपने नसीब को कोसती रही थी।अब उस घर में उसका दम घुटने लगा था। वह जल्द से जल्द उस जहहनुम से निकलना चाहती थी। उसने अपने घरवालों से सम्पर्क करने की सोची पर कैसे करती हर वक्त उस पर नजर रखी जाती उसे बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता।इसी तरह पंद्रह बीस दिन गुजर गए इस बीच उसके घरवालों ने कई बार उसे लिवाने के लिए खबरें भेजीं पर हर बार उसके ससुराल वालों कोई न कोई बहाना बनाकर टाल दिया।
पर जब उसकी अम्मी की तबियत बहुत खराब हो गई तो उसका भाई उसे लिवाने आ पँहुचा।तब वह अपने भाई के साथ पहली बार मायके आई लेकिन साथ में उसका शौहर कहलाने वाला वो सख्श भी साथ आया ताकि उसे मिलाकर साथ ही साथ बापस ले जाए। वह अपनी अम्मी के पास अंदर कमरे में गई तब उसकी बाजी जो सऊदी अरब में रहती थी भी आई हुई थी जो कि उसके निकाह के मौके पर नहीं आ पाई थी उसे देखते ही बोली ससुराल में जाकर इतनी मस्त हो गई कि अम्मी को एक फ़ोन भी नहीं किया।इतना सुनना था कि वो रोने लगी ।
उसे रोते देखकर उसकी अम्मी और बाजी परेशान हो गई और उससे पूछा क्या बात है ?क्या परेशानी है ?तब उसने सारी बातें बताईं उसकी बाजी पढ़ी लिखी समझदार थीं बोली अब हम इसे उस घर में मरने के लिए नहीं भेजेंगे।
और उसका तलाक करा दिया गया पर दहेज में दिए गए कपड़े जेवर व अन्य सामान में से कुछ भी बापिस नहीं किया गया।कुछ समय गुजरने पर उसके लिए फिर से रिश्ते देखे जाने लगे पर तलाक की बात सुनते ही सब पीछे हट जाते और आते भी तो ऐसे रिस्ते जो किसी भी लिहाज से उसके लायक नहीं होते ।खैर इसी तरह जिंदगी कुछ साल और निकल गए।अब उसकी अम्मी की तबियत भी काफी खराब रहने लगी और एक दिन वो भी उसे अकेला छोड़कर अल्लाह को प्यारी हो गईं ।अब्बू का इंतकाल तो कुछ साल पहले ही हो गया था।अब वह बिल्कुल अकेली रह गई किसी से अपना दुख भी नहीं बाँट सकती थी।एक दिन दूर की खाला ने उसके लिए एक रिश्ता बताया वह उम्र में उससे बीस पच्चीस साल बड़ा था उसकी बीबी का दो साल पहले इंतकाल हो गया था।दोनों बेटे दूसरे शहर में अपने परिवार के साथ रहते थे।उसकी भी उम्र हो चली थी और इतने सालों में कहीं और बात न बनते देख उसके भाइयों ने उसका निकाह उसके साथ करा दिया।
एक बार फिर वह अपने नए घर आ गई। इस घर में उसकी खाने कपड़े की सारी जरूरतें पूरी हो जातीं थीं लेकिन मन के किसी कोने में अब भी वह तन्हा थी।पाँच छ साल बीत गए लेकिन वह माँ नहीं बन पाई थी शायद उसके शौहर ने चाहा भी नहीं क्योंकि उसका तो बेटे बहु वाला भरा पूरा परिवार था। अभी कुछ महीने पहले उसके शौहर भी उसे हमेशा के लिए छोड़कर अल्लाह को प्यारे हो गए।एक बार फिर वह अपने बुरे नसीब के साथ अकेली रह गई।बेटों ने आकर बैंक बैलेंस और प्रोपेर्टी पर कब्जा कर लिया ।अब वह उसी घर के एक कमरे में पड़ी अपनी जरूरतों के लिये अपने भाई पर ही आश्रित थी ।सच ही कहा है किसी ने कि नसीब ही फूटा हो तो कहीं से भी कोई सुख नहीं मिलता।अब उसने भाई के साथ मिलकर अपने हक़ के लिए कोर्ट में केस फ़ाइल किया है ताकि प्रॉपर्टी में उसे भी उसका हिस्सा मिले ताकि वह बची हुई जिंदगी बिना किसी के सामने हाथ फैलाये स्वाभिमान के साथ जी सके ।

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