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हम समय के पाबंद है

"माँ कितना टाइम हो गया है...?????" उसने नींद से जागते और उबासी लेते हुए पूछा।
दर्शन कुलश्रेष्ठ एक मल्टीनेशनल कंपनी में एच. आर का कार्य करने वाला 24 वर्षीय युवक था।
जो इस वक़्त अपने कमरे में घोड़े और गधे बेचकर आराम से सो रहा तय और हाल ही उसकी नींद खुली थी।
"दर्शन तुझे तो समय की कोई परवाह ही नहीं है नालायक...!!! अबे आलसी ...!!!
साढ़े सात बजे से उठा रही हूं और देख आठ बज कर पैंतालीस मिनट हो गए हैं...!!!" किचन में उसका टिफ़िन तैयार कर रही उसकी माँ ने उसपर भड़कते हुए कहा।
"आठ पैंतालीस.....!!!!! ओह्ह....!!! नो....!!! शिट....!!!!" दर्शन चीखता हुआ उठा।
दर्शन उठते ही बाथरूम में घुस गया और फटाक नहा धोकर बाहर निकल आया।
उसने घड़ी में टाइम देखा तो करेक्ट 9 बज चूके थे।
"आधे घण्टे मे पहुँचना है बे....!!!!" उसने कहा और तुरन्त एक ब्लू शर्ट सुर ब्लेक पेंट पहन कर कमरे से बाहर निकल आया।
उसने फटाफट अपना टिफ्फीन बेग में डाला।
उसने अपनी मां के द्वारा नाश्ते के लिए बनाये हुए आलू परांठे मुहँ में डाले और बाहर भाग गया।
"ये लड़का कब सुधरेगा प्रभु....!!!!" दर्शन की मां बड़बड़ाई।
दर्शन अपनी इंडिका को शॉर्टकट से तेज़ रफ़्तार में भगाता हुआ अपने ऑफिस पहुंच चुका था।
दर्शन ने अपना बैग कंधो पर टांगा और भागते हुए सीढियां चढ़ी, सभी के गुड मॉर्निंग को इग्नोर मारता अपने केबिन की तरफ बढ़ा।
वो अपने केबिन मे घुस पाता उससे पहले ही उसे अपना सहकर्मी और पुराना दोस्त भावेश सिंह दिख गया।
"ओए सिंह....!!! मीटिंग शुरू तो नहीं हई न....!!!" दर्शन ने उसे रोकते हुए पूछा।
भावेश अपने हाथ बांधकर खड़ा हो गया और दर्शन को देखने लग गया।
"अबे ओ उल्लू की काठ....!!! पूछ रहा हूँ कुछ तुझसे...???" दर्शन ने उसकी आँखों के सामने चुटकी बजायीं।
"भाईसाब....!!! मीटिंग शुरू के साथ-साथ खत्म भी हो गई है...!!! तुम नींद पूरी कर लो...!!! और अब सुनना उस गंजे त्रिवेदी के डायलॉग...!!!" भावेश ने गुस्से में कहा और पैर पटकता हुआ वहां से निकल गया।
दर्शन अपने केबिन में घुस गया और सर पर हाथ रखकर अपने बॉस के आने का वेट करने लगा।
"साहब कुछ लाऊं....??? चाय-ठंडा..???" चपरासी ने पूछा।
"दिमाग तो गर्म है पहले से...!!! तो चाय रहने दे...!!! नारियल पानी ले आओ...!!!" दर्शन ने कहा।
"ठीक है...!!!" चपरासी चला गया।
दर्शन ने अपने सर को हथेलियों पर टिकाकर आंखे बन्द कर ली और तभी उसे अपने केबिन के गेट के खुलने की आवाज़ सुनाई दी।
"आज तू गया बेटा.....!!!!" दर्शन मन मे खुद स्व ही बोला।
"मिस्टर दर्शन.....!!!!" सामने दर्शन के बॉस मि.त्रिवेदी खड़े थे।
दर्शन अपनी सीट से हड़बड़ाहट के साथ उठ गया।
"सॉरी सर....!!! आय एम रियली सॉरी...!!!" दर्शन ने कहा।
"कोई बात नहीं....!!! अभी नई-नई जॉइनिंग है....!!! हो जाता है...!!!
आदत पड़ जाएगी टाइम के साथ तुम्हे...!!!" उसके बॉस ने कहा।
दर्शन अपने बॉस के श्रीमुख से इतने मधुर शब्द सुनकर हक्का-बक्का रह गया।
दर्शन के मस्तिष्क में कल का सीन घूम गया कि जब वो कल लेट आया था।
तब बॉस ने सारे जूनियर्स के सामने उसकी क्लास ले ली और आज इतने अच्छे से।
दर्शन को कुछ पूछने को हुआ तभी एक लड़की उसके बॉस के पीछे से निकली।
"दर्शन इससे मिलो....!!! मेरी बेटी मिस.देविका...!!!" बॉस ने देविका का परिचय करवाया।
"गुड मॉर्निंग....!!!!" उस पांच बाय पांच की हाइट ,सुंदर व तीखे नैन नक्श वाली कन्या को देखकर दर्शन के चारो खाने चित्त हो गए थे।
"बाप दिखे शक्ति कपूर और बेटी दिखे श्रद्धा....!!!" दर्शन उसे मुस्कुराते हुए देखकर अपने ही मन मे बोला।
"दर्शन देविका एक नई कम्पनी डाल रही है....!!! तुमने अपने कॉलेज टाइम एंटरप्रेन्योरशिप में टॉप किया था....!!!
बस मैं चाहता हूं कि तुम इसे कुछ टिप्स दे दो...!!! अब तुम दोनों बात करो मुझे एक काम है...!!" बॉस ने कहा और चलता बना।
"तो मिस्टर दर्शन....!!! मेरे पापा का रवैया देखकर चौंक गए न...!!" देविका ने कहा।
"ज... जी....!!! न.. नहीं तो....!!!" दर्शन हड़बड़ा गया।
"तुम घबरा गए थे...!!! आय नो...!!!" देविका ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।
"थोड़ा बोहोत....!!!!" दर्शन भी अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
"पापा मेरे सामने सीधे बनते हैं....!!! पके उनके गुस्से को यहां कौन नहीं जानता...!!!" देविका नव हंसते हुए कहा।
दर्शन ने मुस्कुराते हुए कन्धे उचका दिए।
"वैसे आफिस टाइमिंग तो नौ का है...!!! तुम 9:30 पर आये हुए हो...!!! क्यों...??" देविका ने पूछा।
"अब अगर इसे बताया की पसरा पड़ा था तो इम्प्रेशन खराब होगा...!!!" दर्शन उसे मुस्कुराते हुए देखकर मन मे सोच रहा था।
"ज... जी...!!! वो आज लेट हो गया था थोड़ा सा...!!!" दर्शन ने बहाना मारा।
"ह्म्म्म...!! वेल...!! अभी तो मेरा मूड नहीं...!!! कल मॉर्निंग में आपसे मिलते हैं...!!!" ये कहकर देविका अपनी सीट से उठी और ये दर्शन भी अपनी सीट से उठा और उससे गर्मजोशी से हाथ मिलाया।
"अं..... मॉर्निंग में कितने बजे...?????" दर्शन ने पूछा।
"मुझे आप बिलंस कैफे में नौ बजे मिल जाइयेगा...!!!" देविका ने कहा।
"नौ बजे..????" दर्शन के सुर-ताल ढीले पड़ गए।
"क्यूं पॉसिबल नही है...????" दैविका ने उसे ताना दिया।
"न... ना...!!! ऐसा नहीं है...!!! ठीक है मैं आ जाऊंगा...!!!" दर्शन ने कहा।
"पक्का...????" देविका ने कहा।
"हांजी...!!! पक्का...!!! हम समय के पाबंद है....!!!" दर्शन बोला।
देविका ने उसे मुस्कुरा कर देखा और निकल गयी और देविका के जाते ही भावेश ने उसके केबिन में पांव धर दिए।
"भाई....!!! देखा....!!! यार पट जाए तो लाइफ सेट है...!!!" भावेश ने धीमे स कहा।
"तेरा भाई ही पटायेगा....!!!" दर्शन ने कहा।
"जा बे यहां से...!!! मैंने सुन लिया बाहर से...!!! उसने तुझे नौ बजे मिलने बुलाया है...!!!
और तेरी नींद तो खुलती नहीं...!!! कोई बात नहीं...!!! मैं हूँ ना..!!" भावेश ने कॉलर चढ़ाते हुए कहा।
"ऐसे कैसे नहीं खुलेगी...!!! तू देखियो अब...!!!" दर्शन ने तैश में कहा।
भावेश जोर से हंसते हुए केबिन से निकल गया। भावेश भी हंस ओड।हालांकि उसके मन मे भी यही सवाल था।
कि,"कल जल्दी आना है...!! पर कैसे..??"
दर्शन अपने हिस्से काम निपटाया और अपने घर चला गया और जल्दी ही सो गया।

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दूसरी सुबह...
तकरीबन छह बजे दर्शन अलार्म की आवाज़ के साथ उठ गया और नाहा धोकर बाहर आया।
उसे इतना जल्दी जगा हुआ देखकर उसकी माँ हैरान थी, अपनी मां को हैरान देख वो मुस्कुरा दिया।
दर्शन ने चाय पी, थोड़ा योग किया और फिर अखबार पढ़ा।
तकरीबन आठ बजकर पन्द्रह मिनट पर वह घर से निकल पड़ा और देविका से मिलने तय समय और तय जगह ओर पहुंचा।
जहां अभी तक देविका नहीं आयी थी लेकिन थोड़ी ही देर बाद वो भी आ गयी।
"अरे मैने कहा था न....!!! मैं समय का पाबंद हूँ...!!!"दर्शन ने मुस्कुरा कर कहा।
देविका भी मुस्कुरा दी और अचानक ही पास की टेबल पर रखे ग्लास का पानी उसके मुहँ पर फेंक दिया।
दर्शन हड़बड़ा गया।
"क.... क्या.... क्या हुआ..?????" दर्शन हड़बड़ा कर उठ गया।
उसने खुद को घर मे ही पाया।
"कुम्भकर्ण के दसवें अवतार....!!! छह बजे उठने का बोला था....!!! कबसे उठा रही हूँ....!!! घड़ी देख जाकर...!!" यह दर्शन की मां ही थीं।
जिन्होंने पानी डाल कर दर्शन को उठाया था। दर्शन ने टाइम देखा तो आठ तीस।
"मर गए....!!!!" दर्शन पिछले दिन की तरह जल्दी नहाकर निकल गया।
दर्शन जल्दी से ऑफिस पहुंच अपनी केबिन में घुसा तो देखा भावेश देविका से चिपक कर बाते कर रहा था।
"अरे भई तू आ गया....!!!" भावेश ने मुस्कुरा कर कहा।
दर्शन कुछ बोल नही पाया बस ग्लानि और आश्चर्य से उन दोनों को देख रहा था।
"मुझे जिन टिप्स की जरूरत थी, भावेश जी ने दे दिए हैं...!!! आपको परेशान नहीं होना पड़ा...!!!" देविका ने मुस्कुराते हुए उसे ताना दिया और निकल गयी।
दर्शन उदास सा अपनी सीट पर बैठ गया।
"भाई तू चिंता मत कर....!!! अभी तुझसे कोई और भी टिप्स लेने आएगा...!!!" भावेश ने बताया।
"क... कौन..????" दर्शन ने पूछा।
"अबे ओ....!!! एक बात कह रहा हूँ कि...!!! नसीब में लिखा होगा तो...!!!" भावेश ने कहा।
"हँ......!!!!" दर्शन मन मसोस कर रह गया।
"हाय...!!! मैं देविका की दोस्त सोनिया....!!!" देविका की ही तरह खूबसूरत दिखने वाली एक लड़की दर्शन ने हाथ मिलाया।
"जी मैं... दर्शन....!!!!" दर्शन ने कहा।
"मैं इस कम्पनी में आपकी नई को-एच.आर हूँ...!!! इसलिए आपसे यहां के मैनेजमेंट के बारे में जानकारी चाहिए थी...!!!!" सोनिया ने कहा।
"जी आइए फिर...!!!" दर्शन ने कहा।
"अभी तो नही...!!! मेने अभी त्रिवेदी सर से बात कर ली है...!! मुझे क्यूंकि अभी डिटेल्स भी सबमिट करना है...!!! मैं फिर आपको कल मिलती हूँ....!!!" सोनिया ने कहा।
"जी कितने बजे..????" भावेश बीच मे कूद पड़ा।
"नौ बजे....!!!! आप आ तो जाएंगे न...????" सोनिया ने पूछा।
"जी... जी बिल्कुल...!!!" दर्शन ने कहा।
"हांजी...!!!! आखिर ये समय की कीमत जानने वाले जो ठहरे...!!!" भावेश बीच में कूद पड़ा।
सोनिया मुस्कुरा दी और वहां से चलती बनी।
"हम समय के पाबंद है...!!!" भावेश ने दर्शन को एक कोहनी मारी।
दर्शन और भावेश ने पहले एक दूसरे की तरफ फिर जोर से हंस पड़े।
"हम समय के पाबंद है...!!!" दर्शन मन ही मन सोचकर हंस पड़ा।
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समाप्त...


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