कच्ची उम्र का मायाजाल... सिमरन जयेश्वरी द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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कच्ची उम्र का मायाजाल...

हिमांशी अपने परिवार में सबसे छोटी थी। उसके अलावा परिवार में उसके बाबा, बड़ा भाई और बड़ी बहन थी।
जब 5 साल की तब टी.बी. होने और इलाज न करवाने के कारण उसकी माँ का देहांत हो गया था।
बचपन से ही माँ के ना होने के कारण हिमांशी अपने परिवार से कटी-कटी रहा करती थी। परिवार में भी अति तनाव के कारण घर कर सदस्य भी उसकी ज्यादा परवाह नही किया करते थे।
10वीं कक्षा में जाने के बाद उसकी लाइफ पूरी तरह बदल गई। जब वह 10वीं कक्षा में गयी तो उसकी मुलाक़ात राहुल से हुई।
उनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गयी किसी को भनक तक न लग सकी। लेकिन परजात के कारण उन दोनों की शादी होने लगभग नामुमकिन ही था।
"हमें अपनी फैमिली या अपने प्यार में से किसी एक को चुनना पड़ेगा हिमांशी। मैं तुम्हे चुनूँगा। बस अब आगे का फैसला तुमपर है।"
राहुल ने कहा तो हिमांशी थोड़ा विचार में पड़ गयी। लेकिन तभी उसे अपने परिवार का वो खींचा सा रुख व्यवहार याद आया।
"मैं सिर्फ तुम्हारे साथ रहना पसंद करूँगी। जब मेरे परिवार को हमारी कोई फिक्र ही नही तो कैसा परिवार।" हिमांशी एक सांस में कह गयी।
पर वो नही जानती थी कि उसका यह फैसला उसे किस मोड़ पर ले जाने वाला था।
बोर्ड्स की एग्जाम खत्म होने के बाद हिमांशी और राहुल ने रातों रात घर से भाग गए।
और उनकी उम्मीदों के मुताबिक उनके परिवारों ने अस्वीकार किया। कम उम्र के कारण हिमांशी के परिवार ने बात पुलिस तक पहुंच दी।
जिस वजह से पुलिस ने हिमांशी को बाल सुधार गृह भेज दिया। यह सब इस प्रकार घटित हुआ की हिमांशी शारीरिक के साथ-साथ मानसिक तौर से पूरी तरह कमजोर हो गयी।
पर राहुल के प्यार के लिए उसने सब सह लिया।
अन्ततः जब उसको वहां से घर के लिए रवाना किया जाने वाला था।
लेकिन घर पहुंचने से पहले ही राहुल ने अपने कुछ दोस्तों संग मिल कर हिमांशी को अगवा कर लिया।
हालांकि इसमें हिमांशी की पूरी-पूरी सहमति थी। हिमांशी और राहुल ने लड़कपन में ही सही पर शादी कर ली। और दोनों को उनके उनके घरवालो ने बन्द दरवाजा दिख दिया। उन दोनों में खुद से कमाना शुरू किया।
राहुल जहाँ एक छोटी कंपनी में प्राइवेट नौकरी करने लगा था वही हिमांशी ने एक हॉस्पिटल में नर्स का काम शुरू कर दिया।
इसी बीच एक खबर ने हिमांशी को झटका दिया था। उसे पता चला की वह प्रेग्नेंट थी। लेकिन उसका शरीर प्रेगनेंसी जैसी बड़ी जिम्मेदारी को संभालने के लिए प्रौढ़ नही था। लेकिन 4 महीने बाद यह बात पता चलने के कारण उसके पास कोई दूसरा विकल्प नही था।
ये खबर सुन हिमांशी के ससुराल वालों ने उसे अपनी बहु स्वीकार लिया। लेकिन हिमांशी की कमजोरी के कारण हर कोई चिंता में था।
जैसे-तैसे उसकी प्रेग्नेंसी के महीने पूरे हुए। लेकिन उसकी डिलीवरी के कुछ ही दिन पहले उसके ससुराल वालों को दूसरे शहर जाना पड़ा। जिसके कारण हिमांशी को उसी हॉस्पिटल में भर्ती होने पड़ा जिसमे उसका भाई मेडिकल की तैयारी कर रहा था।
उसके भाई के लिए ये शर्मनाक था। लेकिन हॉस्पिटल के रूल्स के आगे उसकी एक न चल पाई। एक रात जब सारे डिलीवरी स्पीशलिस्ट हॉस्पिटल में मौजूद नही थे हिमांशी को लेबर पेन शुरू हो गया।
उसके भाई ने चिढ़ में किसी डॉक्टर को कॉल नही किया। एक लोकल नर्स और एक आया को हिमांशी की डिलीवरी करवानी पड़ी। ऐसे सीरियस केस में किसी स्पेशलिस्ट के ना होने और गलत तरीके की डिलीवरी के कारण हिमांशी को एक्सेस ब्लीडिंग शुरू हो गयी।
और ब्लीडिंग हिमांशी की सांसों के संग ही बंद हुई। उसने एक बालक को जन्म तो दिया परंतु उस नवजात को आई.सी.यू. में रखना पड़ा।
कई दिनों के संघर्ष के बाद उस नन्ही जान ने भी इस दुनिया को त्याग दिया। यह सब हुआ पर किसी को कोई भनक नही लग पाई।
हॉस्पिटल के इंचार्ज ने भी मामला उजागर होने से पहले ही सारी बाते दफना दी।
कुछ दिनों बाद सब पहले जैसा हो गया। हालांकि राहुल के परिवार की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा और मजबूरन दूसरी शादी करनी पड़ी।
और वक़्त के साथ सब हिमांशी के अस्तित्व को भूल गए....
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समाप्त...