इमरजेंसी वार्ड में एक दिन Pragya Chandna द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

इमरजेंसी वार्ड में एक दिन

इमरजेंसी वार्ड में एक दिन

वरूण जो कि एक डाॅक्टर है इमरजेंसी वार्ड में एक लड़के श्रेयांश के सामने खड़ा है, जिसने अभी-अभी कीटनाशक दवा पीकर अपनी जिंदगी की इस पतंग को काटने का प्रयास किया है। वैसे तो वरूण जैसे डॉक्टरों के लिए इमरजेंसी वार्ड कोई नई या अनोखी बात नहीं है पर आज वरूण श्रेयांश को देखकर अपनी जिंदगी रूपी गाड़ी को रिवर्स गियर में डालकर अपने जीवन में 20 साल पीछे चला गया है और उसे याद आ रहा है कि उस दिन वह भी ऐसे ही एक इमरजेंसी वार्ड में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा था।

बीस साल पहले इमरजेंसी वार्ड के बाहर वरूण के पिता डॉक्टर के आगे हाथ जोड़े खड़े थे कि कैसे भी करके वह वरूण को बचा ले क्योंकि वरूण को कुछ भी हो गया तो वह और उनकी पत्नी भी जिंदा नहीं बचेंगे। डाक्टर अनिता जो कि वरूण का इलाज कर रही थी उन्होंने कहा कि वह अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगी किंतु जहर काफी मात्रा में है इसलिए कुछ भी नहीं कहा जा सकता ‌। आप भगवान से प्रार्थना कीजिए कि यह ऑपरेशन सफल हो और हम वरूण को बचा पाए।

वरूण के मम्मी-पापा की प्रार्थना और डाक्टर अनिता की मेहनत के कारण वरूण बच जाता है पर जब वह होश में आता है तो चिल्लाने लगता है कि मुझे क्यों बचाया मैं जिंदा नहीं रहना चाहता, मैंने मेरे मम्मी-पापा के सपने तोड़ दिए। उसका चिल्लाना सुनकर डॉक्टर अनिता उसके कमरे में आ जाती है और उसके चिल्लाने का कारण पूछती है तो वह कहता है कि आपने मुझे क्यों बचाया मैंने अपने मम्मी-पापा के सपनों को तोड़ दिया उन्होंने दिन-रात मेहनत करके एक-एक पैसा बचाकर मुझे पढ़ाया-लिखाया ताकि मैं डाक्टर बन सकूं पर मैंने उनके सपनों को तोड़ दिया मैं जिंदा नहीं रहना चाहता मैं मर जाना चाहता हूं। डॉक्टर अनिता सोचती है कि आज तो यह बच गया किन्तु दोबारा यदि यह ऐसा कुछ करने की कोशिश करता है तो हो सकता है तब इसे बचाया न जा सके । इसे बचाने का एक ही तरीका है कि इसके दिमाग से आत्महत्या करने के ख्याल को ही खत्म कर दिया जाए।

वह वरूण के पास जाती है और उससे पूछती है कि तुम मरना क्यों चाहते हो तो वरूण कहता है कि उसके मम्मी-पापा उसे एक डाक्टर बनाना चाहते हैं , उन्होंने उसकी कोचिंग के लिए दूसरे से उधार लिया था और कहा था कि उनका बेटा जब डॉक्टर बन जाएगा तो वह उधार चूका देंगे पर मैं तो फेल हो गया, अब उन्हें उस उधार को चुकाने के लिए और अधिक परिश्रम करना पड़ेगा, कई-कई दिनों तक भुखा रहना पड़ेगा और मैं मेरे मम्मी-पापा को इस तरह परेशानी में नहीं देखना चाहता इसलिए मैं मर जाना चाहता हूं।

डाक्टर अनिता वरूण के सर पर प्यार से हाथ फेरती है और उसे कहती हैं कि तुम्हें क्या लगता है तुम्हारे इस तरह जान दे देने से तुम्हारी परेशानी खत्म हो जाएगी.... तुमने जान देने से पहले एक बार भी अपने मम्मी-पापा के बारे में सोचा.... तुम्हारी इस हरकत की वजह से वह कितने टूट गए हैं....तुम्हें कितनी परेशानियों के बीच उन्होंने पाला है..... तुम्हारी हर छोटी से छोटी खुशियों के लिए उन्होंने अपनी कितनी ख्वाहिशों को अपने मन में ही दफन कर दिया..... उनके त्याग और बलिदान का बदला तुम उन्हें ऐसे अपनी मौत के रूप में देना चाहते हो ताकि वह जिंदगी भर तुम्हें याद करते रहे और तड़पते रहें.... तुम खुद तो मर जाओगे पर उन्हें जिंदगी भर के लिए मरने के लिए छोड़ जाओगे...... और हां वरूण मौत किसी भी समस्या का आखरी हल नहीं होता.... किसी भी समस्या के समाधान के लिए हमें उससे लड़ना पड़ता है फिर हमें उसका सही समाधान मिलता है....क्या हुआ अगर तुम एक बार परीक्षा में फेल हो गए तो तुम दोबारा परीक्षा दो... फिर भी फेल हो जाओ तो फिर दोगुनी मेहनत करो और फिर से पहले से अधिक उमंग से परीक्षा दो ... पर यदि बार-बार मेहनत करने पर भी तुम्हें सफलता नहीं प्राप्त हो तो भी आत्महत्या जैसा कदम कभी नहीं उठाना....तब अपने मन में यह दृढ़विश्वास रखना कि भगवान ने तुम्हें इससे भी कहीं अधिक अच्छे मुकाम के लिए बनाया है और तुम्हें उस मुकाम तक पहुंचकर भगवान का तुम्हें इस पृथ्वी पर भेजने का जो उद्देश्य है उसे पूर्ण करना है।

वरूण को डाक्टर अनिता की बातें समझ में आ जाती है और वह उनसे वादा करता है कि अब वह कभी भी आत्महत्या का विचार भी अपने मन में नहीं लायेगा और दोगुने जोश और उत्साह के साथ परीक्षा देगा व अपने व अपने मम्मी-पापा के सपनों को अवश्य पूरा करेगा। वह डॉक्टर अनिता को धन्यवाद देता है और कहता है कि मेडम में आपका यह ऋण कैसे उतार पाऊंगा।

डाक्टर अनिता उससे कहती हैं कि इसमें एहसान की तो कोई बात नहीं है यह तो मेरा फ़र्ज़ था.... फिर भी यदि तुम इसे मेरा एहसान मान ही रहें हों और उसे उतारना चाहते हो तो जब कहीं भी कोई भी शख्स तुम्हें जिंदगी से हताश या निराश दिखें तो तुम कितने भी बिज़ी क्यों न हो तुम उस शख्स से अवश्य बात करोंगे , उसे इस जिंदगी की अहमियत के बारे में समझाओगे और यदि तुम एक भी ऐसे हताश-निराश शख्स से बात कर उसका जीवन बचा लेते हो तो समझना कि तुमने मेरा एहसान उतार दिया है ‌।

वरूण दोबारा परीक्षा देता है पर इस बार भी वह फेल हो जाता है किन्तु इस बार वह निराश नहीं होता क्योंकि उसे डॉक्टर अनिता की समझाइश अच्छी तरह याद है, वह फिर से दोगुने उमंग और उत्साह से परीक्षा की तैयारी में लग जाता है । इस बार उसका परीक्षा परिणाम उसकी उम्मीदों के मुताबिक आता है, वह एम.बी.बी.एस. करने भोपाल चला जाता है।

आज वह एक सफल डाक्टर के रूप में अपनी पहचान बना चुका है, उसके पेशेन्ट उसे भगवान का दर्जा देते हैं।मरीज की कंडिशन कितनी भी खराब क्यों न हो यदि डाक्टर वरूण उसे देख ले और उसका इलाज करें तो वह जरूर ठीक हो जाएगा.... लोगों को वरूण पर बहुत विश्वास है।

शायद यही कारण है कि आज जब श्रेयांश का केस आया तब वरूण अपनी फैमिली के साथ छुट्टियां बिताने के लिए शाम की फ्लाईट से अमेरिका जाने वाला था, उनका प्रोगाम तय था कि वह दोपहर की फ्लाईट से भोपाल से दिल्ली जाएंगे एवं शाम को दिल्ली से अमेरिका की फ्लाईट लेंगे।पर सुबह जब वह अपने एक पेशेन्ट को देखने हाॅस्पिटल आया तब श्रेयांश के माता-पिता उसे लेकर हाॅस्पिटल आये थे और उसके बारे में ही पूछ रहे थे, रिसेप्शनिस्ट ने उन्हें बताया कि डॉक्टर साहब तो आज से छुट्टी पर जा रहे हैं वह आज सिर्फ अपने एक पेशेन्ट को देखने के लिए जिसे आज डिस्चार्ज किया जा रहा है से मिलने एवं आगे उसे क्या सावधानियां रखनी है यह बताने के लिए हाॅस्पिटल आए हैं आज वह किसी भी पेशेन्ट को नहीं देखेंगे पर जब श्रेयांश के माता-पिता बहुत ज्यादा भावुक होकर आग्रह करते हैं और कहते हैं कि हमें पूरा यकीन है कि डॉक्टर वरूण ही हमारे बच्चे को बचा सकते हैं तो मजबूरन रिसेप्शनिस्ट डॉ.वरूण को फोन करती है और उसे श्रेयांश एवं उसके माता-पिता के बारे में बताती है तो वरूण तुरंत वहां आ जाता है वह श्रेयांश की हालत देखता है जो कि बहुत ही नाजुक बनी हुई है।

वह तुरंत ओ.पी.डी. तैयार करने को कहता है, रिसेप्शनिस्ट उसे याद दिलाती है कि सर आज से तो आप पन्द्रह दिनों की छुट्टी पर जाने वाले है। वरूण तुरंत अपने घर फोन करता है और अपनी पत्नी और अपने बच्चों को इमरजेंसी के कारण अपना अमेरिका का प्रोगाम कैंसिल करने के बारे में बताता है पहले तो उसके बच्चे उदास हो जाते हैं पर जब उनकी मां उन्हें श्रेयांश के बारे में बताती है तो वह समझ जाते हैं कि पापा का काम पहले जरूरी है वह लोग फिर कभी चले जाएंगे।

इधर वरूण इमरजेंसी वार्ड में श्रेयांश के पास खड़ा है और उसे रह रहकर बीस साल पहले का वरूण, उसका परिवार और डाक्टर अनिता की बातें याद आ रही है। श्रेयांश की स्थिति बहुत गंभीर होती है उसने कीटनाशक की पुरी 100ml की बॉटल पी ली थी। वरूण अपने पूरे डाक्टर जीवन के अनुभवों के आधार पर श्रेयांश का इलाज करता है और 2-3 घंटे बाद इमरजेंसी रूम से बाहर आकर उसके परिवार को बताता है कि श्रेयांश अब खतरे से बाहर है, उसे दो-तीन घंटे में होश आ जाएगा। श्रेयांश के माता-पिता उसे धन्यवाद देते हैं, वरूण कहता है एक डाक्टर होने के नाते यह उसका फर्ज था।उसे होश आ जाए तब वह उससे मिल सकते हैं कहकर वह अपने केबिन में आ जाता है।

अगले तीन घंटों में श्रेयांश को होश आ जाता है और वह चिल्लाने लगता है कि उसे मरने क्यों नहीं दिया। नर्स उसे दवाई देने जाती है तो वह उस पर भी चिल्लाता है और उसके हाथ से दवाईयां लेकर फेंक देता है। उसके माता-पिता उसे समझाने की कोशिश करते है पर वह किसी की भी नहीं सुनता। उसकी चिल्लाने की आवाज सुनकर वरूण भी उसके कमरे में आ जाता है और उसे एक सर्जिकल नाइफ दे देता है और कहता है तुम मरना चाहते हो ना लो यह चाकू लो और इससे अपनी नस काट लो। श्रेयांश चाकू नहीं लेता पर आश्चर्य से वरूण की ओर देखता है। वरूण अपने इतने साल के अनुभव से यह तो सीख चूका था कि किसी भी व्यक्ति को आप किसी काम को करने से जितना रोकोगें वह उस काम को उतनी ही शिद्दत से करने की कोशिश करेगा पर यदि आप उसे उस कार्य को करने की छूट दे दो तो वह उस काम से होने वाले लाभ-हानि के बारे में जरूर सोचेगा, श्रेयांश के केस में भी यही हुआ।

वरूण श्रेयांश से पूछता है क्या हुआ अब नहीं मरना ? श्रेयांश ना में गर्दन हिला देता है।‌वरुण उससे पूछता है कि उसने यह सब क्यों किया तब श्रेयांश बताता है कि उसके साथ एक लड़की पढ़ती थी प्रिती जिससे वह बेहद प्यार करता है और प्रिती ने उसको धोखा दिया और उसके एक दूसरे दोस्त से प्रिती ने शादी कर ली। वह उसके बिना नहीं रह सकता इसलिए मरना चाहता है।

वरूण उसे समझाता है उस लड़की के प्यार के कारण जिसे तुम पिछले तीन सालों से जानते हों, तुम अपना जीवन समाप्त करने चले हो, कभी तुमने तुम्हारें माता-पिता के बारे में सोचा जो तुम्हें तुम्हारे जन्म के भी नौ महीने पहले से प्यार करते हैं यदि तुम उन्हें ऐसे छोड़ कर चले गए तो वह कैसे जिएंगे। जबसे तुम्हारी यह हालत हुई है उन‌ दोनों एक घुंट पानी भी नहीं पिया है। तुम्हारे जाने के बाद वह रोटी का कौल कैसे खाएंगे। तुम्हारे साथ वह भी मर जाएंगे।वरूण उसे अपना पास्ट भी बताता है और कहता है कि यदि मैं उस दिन सुसाइड करने में कामयाब हो जाता तो इस शहर को मेरे जैसा डॉक्टर कैसे मिलता , मुझे इतनी अच्छी पत्नी और बच्चे कैसे मिलते जो मेरे साथ - साथ मेरे काम को भी इतनी अच्छी तरह समझते हैं।मेरी पत्नी भी एक डाक्टर है और वह मुझे मेरे एम.बी.बी.एस. करने के दौरान मिली, सोचों यदि मैं पहले या दूसरे अटेम्प्ट में पास हो जाता तो वह मेरी जिंदगी में कैसे आती।हम सिर्फ हमारे वर्तमान को लेकर चिंतित होते हैं और उसी आधार पर हम तुलना करते हैं कि यह हमारे जीवन में सही हुआ या ग़लत पर जैसे-जैसे वक्त गुजरता है हमें हमारे पूर्व के कई सही फैसले ग़लत एवं गलत फैसले सही लगने लगते हैं। भगवान हमारे वर्तमान एवं भविष्य दोनों को ध्यान में रखकर हमारे लिए जो सही होता है वह डिसिजन लेता है, जिसे हम वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप ही देख पाते है और हमें लगता है कि हमारे साथ गलत हुआ है।आज तुम्हें भी प्रिती का जाना ग़लत लग रहा है पर हो सकता है भविष्य में आगे जाकर तुम्हें अहसास हो कि उसका जाना ही तुम्हारे लिए सही था।

श्रेयांश को वरूण की बातें समझ आ जाती है, वह अपने मम्मी-पापा को बुलाता है और उनसे माफी मांगता है और कहता है कि वह अब आगे से ऐसी कोई भी हरकत नहीं करेगा जिससे उन्हें तकलीफ हो। वह नर्स से भी माफी मांगता है और उसे दवाई देने के लिए कहता है।वह वरूण को भी अपनी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद देता है।

वरूण अपने केबिन में लौट आता है और सोचता है आज उसने डॉक्टर अनिता का एहसान थोड़ी बहुत मात्रा में चूका दिया है।

समाप्त