oyar use bhi hai par ikraar tumhi se chahe books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार उसे भी है पर इकरार तुम्हीं से चाहें

अदिति हां यहीं तो नाम है उसका। आज उसका इस कॉलेज में पहला दिन है, हालांकि कॉलेज शुरू हुए डेढ़ महीना गुजर चुका है...पर उसके पापा जिन्हें वह प्यार से डेडू बुलाती है उनका प्रशासनिक स्थानांतरण भोपाल से उज्जैन हुआ है, इस कारण उसे बीच सत्र में ही इस काॅलेज में एडमिशन लेना पड़ा। प्रोफेसर वर्मा जो कि उस कॉलेज में इकोनामिक्स पढ़ाते हैं, उन्होंने ही अमन से उसका परिचय करवाया.... यह अदिति सिंह है... इनके पिताजी श्री अजीत सिंह जी हमारे उज्जैन जिले के नए कलेक्टर है उनके स्थानांतरण के कारण इसे बीच सत्र में हमारे कॉलेज आना पड़ा इसलिए अभी तक का जितना भी कोर्स हो चुका है तुम उनके नोट्स इसे दे देना और इसे अन्य किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो वह भी कर देना। अमन जो कि बी.ए. थर्ड ईयर का एक होनहार छात्र है वह जी सर कहते हुए अदिति को अपने साथ ले क्लासरूम आ जाता है और अपनी क्लास के दूसरे छात्र-छात्राओं से उसका परिचय करवाता है जिसमें नेहा, आयुषी, विकास, करण सब होते हैं। अमन अदिति को अपने नोट्स दे देता है और कहता है कि उनसे अपने नोट्स तैयार कर लें और यदि कुछ समझ ना आए तो वह उससे पूछ सकती है। अदिति उसे थैंक कहती है और कहती है कि वह जल्द ही उसके नोट्स काॅपी करके लौटा देगी।अमन उससे ok कह देता है ।

पता नहीं क्यों अमन जब से अदिति से मिला था तब से बार-बार उसके ख्याल ही उसके दिमाग में आ रहे हैं, वह अपना ध्यान अदिति से हटाने के लिए मोबाइल में गेम खेलने लगता है पर यह क्या जिस गेम में वो कभी नहीं हारता, आज वह कितनी भी कोशिश करने के बाद भी पहली स्टेज़ ही पार नहीं कर पाता। उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर उसे हुआ क्या है।

वह अगले दिन जल्दी काॅलेज आ जाता है और उसकी नजरें अदिति को तलाशने लगती है....इतने में उसे सामने से नेहा आती हुई दिखाई देती है .... वह नेहा से अदिति के बारे में पूछता है कि उसने अदिति को कहीं देखा है क्या?.... नेहा सवालिया नज़रों से अमन को देखते हुए कहती है कि उसे अदिति से क्या काम है...
अमन कहता है कि कुछ खास नहीं बस कल उसे जो नोट्स दिए थे उनके बारे में पूछना था कि उसने उनकी काॅपी करवाई या नहीं.... और उसे उन्हें समझने में कोई दिक्कत तो नहीं आई। नेहा कहती है वाह! कभी हमारी तो इतनी चिंता करी नहीं कि हमें तुम्हारे नोट्स से कुछ समझने में परेशानी तो नहीं हुई। उस कल ही मिली हुई लड़की की इतनी चिंता कि जनाब खुद आगे रहके उसे ढूंढ रहे है जबकि मैं तुम्हारी बचपन की दोस्त हूं।अमन कहता है तुम मेरी बचपन की दोस्त हो इसलिए मेरी राइटिंग तुम्हें आसानी से पढ़ने में आ जाती है जबकि वह मेरी राइटिंग पहली बार पढ़ेगी तो उसे कुछ दिक्कत हो सकती है.... तुम्हें तो पता ही है कि मैं रफ नोट्स में कितनी गन्दी राइटिंग लिखता हूं.... वैसे भी वर्मा सर ने उसकी हेल्प करने को कहा है इसलिए। नेहा कहती है मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहीं थीं .... उसमें इतना एक्सप्लेन करने की क्या जरूरत है।

अमन के एक्सप्लेन करने से नेहा को शक हो जाता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है वरना इससे पहले अमन किसी भी मामले में इतनी देर बात ही नहीं करता था उसे सामने वाले को क्या लगता है उससे कुछ फर्क ही नहीं पड़ता था। वह अपनी मस्ती में मस्त रहता था।पर अब अदिति के मामले में वह जैसा कर रहा है वैसा तो वह बिल्कुल नहीं है। इतने में सामने से अदिति आ जाती है....अमन के चेहरे पर एकदम मुस्कान आ जाती है, नेहा यह सब नोटिस करती है। अमन और नेहा अदिति से हाय-हेलो करते हैं, अदिति भी उन्हें जवाब में हाय बोलती है।अमन अदिति से नोट्स के बारे में पूछता है । अदिति काॅपी करवा चुकी होती है तो वह अमन के नोट्स लौटा देती है और एकबार फिर से अमन को थैंक्स कहती हैं। अमन उसे पूछता है कि उसे नोट्स समझने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई , यदि कुछ परेशानी हो तो वह उससे पूछ सकती है। अदिति कहती हैं कि अभी उसने सिर्फ कॉपी करवाई है, अभी उसे इनको पढ़ने का समय नहीं मिल पाया।अमन उससे कहता है जब भी पढ़ो और कोई दिक्कत हो तो तुम मुझे फोन कर लेना और अदिति को अपना फोन नम्बर दे देता है, अदिति अपने मोबाइल में नम्बर सेव कर लेती है और अमन के नम्बर पर रिंग कर देती है। अमन भी अदिति का नम्बर सेव कर लेता है। नेहा जो कि उन दोनों की बातें सुन रही होती है, उसे वह दिन याद आ जाता है जब आयुषी ने अमन से उसका नम्बर मांगा था तब अमन ने कितने सवाल किए थे कि मेरा नम्बर लेकर तुम क्या करोगी, हम रोज कॉलेज में मिलते तो है वगैरह-वगैरह।तब आयुषी को आखरी में बोलना पड़ा था अच्छा मत दो तुम्हारा नम्बर पर अब अपनी इन सवालों की झड़ी को बंद करों।और आज बिना सामने वाले के मांगें उसे नम्बर दिया जा रहा है अब तो उसका शक यकीन में बदल जाता है कि अमन के दिल में अदिति को लेकर कुछ तो चल रहा है। इतने में अदिति नेहा से कहती हैं कि उसे कुछ शापिंग करनी है और वह यहां के मार्केट के बारे में कुछ नहीं जानती तो क्या वह शाम को शापिंग में उसकी मदद कर सकती है। नेहा उसको हां कर देती है और अमन को भी साथ चलने के लिए कह देती है। अमन की तो जैसे बिन मांगे मुराद पूरी हो गई हो, वह भी उन दोनों के साथ जाने के लिए हां कर देता है।

शाम को अदिति अपने डेडू की कार से अमन को उसके बताएं एड्रेस से पिक करती है फिर वो दोनों नेहा को पिक करते हैं। नेहा अदिति से पूछती है कि उसे क्या शापिंग करना है तो अदिति घर को डेकोरेट करने का कुछ सामान सीनरी, अपने लिए कुछ कपड़े बताती है।वह सब एक मॉल चले जाते है जहां से वह पहले तो कुछ सामान सीनरी वगैरह खरीदते हैं, फिर वो लेडिज कपड़ों के साइड वाले स्टोर में आ जाते है जहां वह लेडिज कुर्ते देखने लगते है वह ढ़ेर सारे कुर्ते निकलवाते है पर उन्हें कोई कुर्ता पसंद नहीं आता तभी अमन की नजर रॉयल ब्लू कलर के एक कुर्ते पर पड़ती है वह अदिति और नेहा को दिखाता है उन लोगों को भी वह कुर्ता बहुत पसंद आता है। वह उस कुर्ते के साथ अमन की पसंद के तीन कुर्ते और खरीदती है। नेहा भी अपने लिए एक कुर्ता खरीद लेती है। अमन भी अपने लिए एक शर्ट पसंद करता है वह अदिति से पूछता है कैसी है? अदिति को भी वह शर्ट अच्छी लगती है। अमन भी वह खरीद लेता है । कपड़ों की शॉपिंग के बाद अदिति कहती हैं कि भूख लग रही है, चलो अब कहीं कुछ खा लेते है। वह तीनों एक रेस्टोरेंट में आते हैं जहां वह पिज्जा और कोल्डड्रिंक का आर्डर करते हैं । बाद में बिल देते समय अदिति पेमेंट करने लगती है तो अमन उसे यह कहते हुए मना कर देता है कि तुम्हारे हमारे शहर आने पर यह हमारी तरफ से तुम्हारी वेलकम पार्टी। अदिति , नेहा और अमन वापसी के लिए अपनी कार में बैठते हैं तो अदिति की नजर फिर से उस राॅयल ब्लू कुर्ते पर पड़ती है और वह अमन से कहती है अमन तुम्हारी च्वाइस तो बहुत अच्छी है।अमन अदिति को देखते हुए कहता है कि हां मेरी च्वाइस तो वाकई में बहुत अच्छी है। अदिति तो इस बात को नहीं समझ पाती पर नेहा समझ जाती है कि अमन यह सब अदिति के बारे में बोल रहा है। वह अमन को देखकर मुस्कुरा देती है। अमन नेहा को अपने तरफ इस तरह मुस्कुराते देखकर झेंप जाता है और कार की खिड़की से बाहर देखने लगता है। अदिति नेहा को घर ड्राप कर फिर बाद में अमन को उसके घर ड्राप करती है और उसे थैंक कहती हैं कि आज यदि वह नहीं होता तो शायद वह अपने लिए कपड़े नहीं सिलेक्ट कर पाती।अमन उसे आॅल्वेज वेलकम कहता है और उसे bye करता है और तब तक रोड़ पर खड़ा रहता है जब तक उसकी कार दिखना बंद नहीं हो जाती है।

अमन का तो जैसे अमन चैन सब ही लुट गया था, वह बेसब्री से सुबह होने का इंतजार करने लगता है।

अगले दिन कॉलेज में अदिति अमन से मिलती है और उसे नोट्स में कुछ डाउट्स होते हैं जो वह अमन से क्लियर करती है। अमन और अदिति बहुत अच्छे दोस्त बन जाते है और वक्त गुजरता जाता है।आज कॉलेज में अदिति वहीं राॅयल ब्लू कुर्ता पहनकर आती है।अमन उसको देखता रह जाता है वह उस कुर्ते में बहुत सुंदर लगती है। नेहा अमन को ऐसे अदिति को देखते हुए देखकर उसके पास आती है और उससे कहती है कि वह अपने दिल की बात अदिति को बता क्यों नहीं देता।अमन कहता है कि क्या पता वह उसे उस तरह से पसंद नहीं करती हो तो शायद वह अपनी दोस्ती को भी खो देगा इसलिए वह अदिति को कुछ नहीं बतायेगा। नेहा उसे समझाती है कि हो सकता है वह भी तुम्हें वैसे ही चाहतीं हो पर वह भी इसी बात से डरती हो कि वह कहीं अपना दोस्त भी न खो दें। तुम एक बार उससे बात करके तो देखो, पर अमन मना कर देता है।

एक दिन अदिति सामने से आ रही होती है और अमन अपनी ही किसी धून में होता है और वह अदिति से टकरा जाता है, जिसके कारण अदिति के हाथ से उसकी डायरी छूट कर गिर जाती है और खुल जाती है, जिसमें लिखा होता है....

प्यार उसे भी है , मगर इकरार तुम्हीं से चाहे।
दिल धड़कता है उसका भी, मगर इजहार तुम्हीं से चाहे।
रात सपने में आते हो तुम्हीं, पर सपना यह कैसे वो तुमको दिखाएं।
उसके हृदय की वीणा को झंकृत करते हो तुम्हीं, मगर इस झंकार को कैसे वो तुम्हें सुनाएं।
पहले भी पा चुकी है वह प्यार में धोखा, दोबारा उसी रास्ते पर कैसे वो ठोकर खाए।

अमन यह पढ़ लेता है और अदिति से इस बारे में पूछता है पहले तो अदिति मना करती है पर अमन के जोर देने पर वह बताती है कि भोपाल में उसके साथ उसके कॉलेज में एक लड़का पढ़ता था रोहित जिससे मैं बहुत प्यार करती थी वह भी मुझे चाहता था।जब मैंने डेडू से रोहित को मिलाया और हमारे रिश्ते के बारे में बताया तो डेडू को उससे मिलकर कुछ अजीब सा लगा पर तब तो उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा पर थोड़े दिनों बाद डेडू ने मुझे एक आॅडियो क्लिप सुनवाई जिसमें वह उसके पापा जो कि एक बहुत बड़े नेता हैं जिनके ऊपर कई सारे घोटालों की जांच चल रही हैं उनसे बात कर रहा है और कह रहा है कि पापा आपके कहने पर मैंने उस कलेक्टर की बेटी को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया है मैं उस कलेक्टर से भी मिला हूं, अब बहुत जल्दी मैं उससे शादी कर लूंगा और फिर उस कलेक्टर के पद का फायदा उठाकर आप पर चल रही सभी जांचों को बंद करवा देंगे और बाद में भी ऐसे ही घोटाले करते रहेंगे।यह सब सुनकर मैं दंग रह गई थी, मुझे इन सब बातों से उबरने में बहुत वक्त लगा। फिर डेडू ने मुझे समझाया कि मुझे तो शुक्र करना चाहिए कि मुझे यह सब पहले ही पता चल गया यदि शादी के बाद पता चलता तो क्या होता। डेडू का ट्रांसफर भी उन्हीं नेता ने करवाया है और वहां अकेले रहने पर मेरी जान को भी खतरा था इसलिए बीच सत्र में मुझे यहां एडमिशन लेना पड़ा था।

अमन उससे पूछता है रोहित का जिक्र तो नीचे की पंक्ति में है तुमने ऊपर की पंक्तियां किसके लिए लिखी है , अदिति ने लिखी थी वह पंक्तियां अमन के लिए ही होती है पर वह भी यही सोचती है कि कहीं यह सब बताकर वह अमन की दोस्ती भी न खो दें। वह कह देती है कि हमारे कॉलेज का एक लड़का है।अमन कहता है कि तुमने उसे कुछ बताया तो अदिति कहती है कि वह एक बार धोखा खा चुकी है दोबारा उसी रास्ते पर चलते हुए ठोकर नहीं खाना चाहती और फिर रोहित को मैं सात-आठ सालों से जानती थी फिर भी मैं उसे पहचान नहीं पाएं तो फिर इस लड़के से तो मुझे मिलें हुए कुछ महीने ही हुए है, मैं यह कैसे यकीन कर लूं कि यह मुझे धोखा नहीं देगा।अमन सोचता है कि अदिति किसी और को पसंद करती है इसलिए वह अदिति को अपनी फिलिंग्स के बारे में कुछ नहीं बताता और अदिति भी रोहित से मिले धोखे और अमन की दोस्ती खो देने के डर से अमन को कुछ नहीं बताती है।

अदिति के डेडू का फिर से प्रशासनिक स्थानांतरण हो जाता है। और अदिति उज्जैन छोड़कर चली जाती है, पर वह दोनों एक-दूसरे के अच्छे दोस्त बने रहते है और दोनों सोचते हैं कि

"प्यार उसे भी है, पर इकरार तुम्हीं से चाहे।"

समाप्त


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