शिक्षा रूपी दरवाजा Pragya Chandna द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

शिक्षा रूपी दरवाजा

सोनी भारत के एक छोटे से गांव में रहने वाली आठ वर्षीय बालिका है....वह आज भी रोज की तरह अपने बापू से डरी-सहमी गेहूं के भूसे के ढेर में छुपी बैठी हुई है। गेहूं के भूसे से उसके पूरे शरीर में खुजली होने लगी है पर वह फिर भी उसमें से बाहर नहीं निकल रही क्योंकि आज भी उसका बापू उसकी अम्मा को शराब के नशे में चूर हो चप्पल-जूते से पीट रहा है। उसकी अम्मा की गलती सिर्फ इतनी है कि उसने घर में तेल न होने के कारण बिना तेल की ही सब्जी बना दी थी क्योंकि उसकी अम्मा को पता था कि यदि तेल लाने के लिए उसने सोनी के बापू से पैसे मांगे तो वह इसी बात पर उसे पीट देगा कि रोज-रोज वह पैसे कहां से लाएं।पीटना तो उसे हर हाल में ही है वह चाहे कितनी भी कोशिश करें इन सब बातों से बचने की पर उसका पति उसे पीटने के लिए कोई न कोई बहाना जरुर ढूंढ लेता है।कभी सब्जी में नमक कम है तो कभी ज्यादा है, कभी सब्जी ज्यादा पका दी तो कभी सब्जी कच्ची है कहने का मतलब यह कि उसके पति को शराब के नशे में अपनी पत्नी को पीटने की आदत हो गई थी।जब भी वह अपनी पत्नी को पीटता तो सोनी इसी तरह उससे डरकर घर में कहीं छिप जाती ताकि उसे अपने बापू के गुस्से का शिकार न होना पड़े।

जब पीट-पीटकर बापू के हाथ दुखने लगते तो वह मां को पीटना बंद कर देता। बापू के जाने के बाद सोनी धीरे से बाहर निकलती और लहू-लुहान अपनी अम्मा के ज़ख्मों को सहलाती, उसे प्यार से अपने गले लगाती और उसके आंसुओं को अपने नन्हें-नन्हें हाथों से पोंछती और सोचती कि क्या कोई ऐसा दरवाजा नहीं है जिससे वह अपनी अम्मा को लेकर यहां से भाग जाएं। इन्हीं सब ख्यालों में गुम वह अपने स्कूल पहुंचती है, स्कूल में भी उसका मन आज पढ़ाई में नहीं लग रहा था, वह अपनी मां ही सोच में भटक रही थी। उसकी टीचर ने उससे एक प्रश्न पूछा पर उसका ध्यान तो कक्षा में था ही नहीं वह प्रश्र का जवाब कैसे देती, उसकी टीचर को बहुत आश्चर्य हुआ कि आज सोनी को आखिर हुआ क्या है? ऐसा तो आज तक कभी नहीं हुआ है कि सोनी से कोई प्रश्र पूछा जाए और वह इस तरह चुपचाप खड़ी रह जाएं, उसे प्रश्र का जवाब न पता हो तब भी मन से अपने पूर्व ज्ञान के आधार पर वह कोई न कोई उत्तर देने का प्रयत्न अवश्य करती थी पर आज वह एकदम चुपचाप खड़ी है। उसकी टीचर उसको अपने पास बुलाती है और उससे उसकी परेशानी का कारण पूछती है।वह अपनी सभी समस्या अपनी टीचर को बता देती है तब उसकी टीचर उससे कहती है कि उसकी सभी समस्याओं का हल तभी सम्भव है जब वह पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएगी।सोनी को अब आखिर ऐसा दरवाजा मिल ही गया, जिससे वह अपनी मां को इस जिल्लत भरी जिंदगी से वह बाहर निकाल कर लेजा सकती थी और वह दरवाजा था शिक्षा रुपी दरवाजा। सोनी ने इस दरवाजे से बाहर निकलने के लिए दिन-रात मेहनत की और अच्छे नंबरों से पास होने के कारण स्काॅलरशीप की बदौलत अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर बैंक की परीक्षा पास कर बैंक में क्लर्क बन गई और अपनी अम्मा को लेकर सोनी हमेशा के लिए अपने बापू का घर छोड़कर चली गई।