बर्फ की चादर Pragya Chandna द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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बर्फ की चादर

आज सुबह से उत्तराखंड में फिर से बर्फ गिर रही है जो अविनाश को बहुत बैचेन कर रही है। ऐसा नहीं है कि अविनाश को हमेशा से यह बर्फबारी पसंद नहीं थी, बल्कि उसे तो बर्फ में घूमने में बहुत मज़ा आता था।वह जब भी बर्फबारी होती अपने आठ साल के भतीजे को साथ लेकर बाहर निकल जाता और उसके साथ खुब बर्फ से खेलता। उसके भतीजे मयंक को भी उसके साथ बर्फ में खेलना बहुत पसंद था।

लगभग दो वर्ष पूर्व ऐसी ही एक दिन था और आसमान से बर्फ गिर रही थी। चारों ओर बर्फ की सफेद चादर बिखरी हुई थी। अविनाश मयंक के साथ घर में खेल रहा था। उसे उसके भैया ने कहा था कि अविनाश आज मौसम विभाग ने अत्यधिक बारिश और बर्फबारी की संभावना व्यक्त की है, शाम तक मौसम बहुत अधिक खराब हो सकता है इसलिए तुम आज घर पर ही रहना, मयंक को लेकर बाहर बर्फ में मत खेलना। अविनाश जी भैया कहकर अपना सर हिला देता है। उसके भैया आॅफिस चले जाते हैं।

मयंक उदास हो जाता है।वह अविनाश से कहता है क्या चाचू आज हम बर्फ में खेलने नहीं जाएंगे। अविनाश कहता है बेटू अभी आपके पापा ने कहा ना कि आज मौसम ज्यादा खराब हो सकता है। मयंक मायूस होकर उससे कहता है कि चाचू पर आप ही तो कहते हो कि यह मौसम विभाग वाले हमेशा ग़लत भविष्यवाणी करते हैं।जब यह बताते है कि आज अत्यधिक बारिश होगी उस दिन बादल भी नहीं नजर आते और जिस दिन कहते हैं कि आज आसमान खुला रहेगा,उस दिन बहुत ज्यादा बरसात होती है और कभी-कभी तो बादल भी फट जाते हैं। अविनाश मयंक को समझाता है कि हां उनके अनुमान कई बार गलत होते हैं पर अनेकों बार सही भी होते हैं। मौसम विभाग वाले भी सिर्फ हवाओं के चलने की गति और अन्य परिस्थितियों को देखकर सिर्फ संभावना ही व्यक्त कर सकते हैं, वह भी कोई भगवान तो है नहीं जो एकदम सटीक भविष्य बता सकें।और वैसे भी अब विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि मौसम विभाग द्वारा जारी की गई चेतावनी अधिकतर सही साबित होने लगी है।

मयंक यह सुनकर छोटा-सा मुंह बना लेता है और अविनाश से कहता है मतलब चाचू आज हम नहीं जाएंगे। अविनाश मयंक को मना कर देता है।

दिनभर वह दोनों घर में ही खेलते हैं और हल्की-फुल्की बारिश और बर्फबारी होती है। शाम के वक्त मयंक, अविनाश से कहता है लो चाचू आपका मौसम विभाग आज भी ग़लत साबित हुआ।मेरा कितना मन था बर्फ से खेलने का पर आपके इस मौसम विभाग ने उस पर पानी फेर दिया। इतने में अविनाश के भैया भी आॅफिस से वापस आ जाते हैं, जब वह मयंक और अविनाश की बातें सुनते हैं तो वह अविनाश से कहते हैं कि जाओ अविनाश मयंक को बाहर ले जाओ।अब मौसम को देखकर ऐसा नहीं लग रहा कि कुछ गड़बड़ होगी। अविनाश तो खुद भी बाहर जाकर बर्फ में मस्ती करना चाहता है वह सिर्फ भैया की सुबह दी गई हिदायत के कारण अभी तक अपने मन को मारकर रूका हुआ था।पर अब जब भैया ने खुद ही कह दिया तो वह एकदम चहकने लगा और भैया से पूछा क्या मैं आपकी कार लेता जाऊं। भैया ने कहा ले जाओ पर ज्यादा दूर मत जाना।

अविनाश, मयंक को लेकर अपनी मंगेतर एवं बचपन की दोस्त रूहीका से मिलने चला गया, जो एक होटल में रिसेप्शनिस्ट की जाॅब करती थी।उसका होटल पहाड़ों के ऊपर था।रूहीका अविनाश को देखकर बहुत खुश हुई और उसके गले लग गई।
मयंक भी चाची कहकर उससे लिपट जाता है। अविनाश,रूहीका से कहता है कि वह भैया की कार लेकर आया है और आज हम लांग ड्राइव पर चलते है।रूहीका यह सुनकर खुश हो जाती है क्योंकि वह पिछले कईं दिनों से अविनाश के साथ टाइम स्पेंड करना चाह रही थी पहले अविनाश को आर्मी से छुट्टी नहीं मिल रही थी और जब वह छुट्टी पर आया तो बर्फबारी के कारण अभी उत्तराखंड में पर्यटकों का आना-जाना बहुत अधिक था इसलिए रूहीका को अपने होटल से छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। परंतु आज होटल में इतनी भीड़ नहीं थी तो उसे उम्मीद थी कि उसे एक घंटे पहले मैनेजर को छुट्टी देने में कोई दिक्कत नहीं होगी।रूहीका मैनेजर से छुट्टी लेकर अविनाश और मयंक के साथ आ जाती है।

वह तीनों लांग ड्राइव पर निकल जाते हैं और मसूरी से थोड़ा बाहर आ जाते हैं।वह तीनों बर्फ में बहुत खेलते हैं।रूहीका को बर्फ में खेलना बहुत पसंद हैं,वह बचपन से अविनाश के साथ बर्फ में खेलती रही है।जब भी बर्फ गिरती तो वह बर्फ के नीचे खड़ी हो जाती और अविनाश से कहती मुझे ऐसा लगता है कि भगवान जी बर्फ के रूप में मुझ पर खुशियां बरसा रहें हैं और मेरे मम्मी-पापा का प्यार और आशीर्वाद मुझ तक पहुंचा रहे हैं। (दरअसल रूहीका के बचपन में ही एक कार एक्सीडेंट में उसके माता-पिता का देहांत हो चुका था।)वह हमेशा अविनाश से कहती कि मुझे यह बर्फ की सफेद चादर अपार शांति का अनुभव कराती है मुझे ऐसा लगता है कि मेरे मम्मी-पापा पापा यह बर्फ की चादर ओढ़े चैन की नींद सो रहे हैं।

अविनाश, मयंक और रूहीका तीनों बर्फ में बहुत खेलते हैं।एक-दूसरे पर बर्फ के गोले बना कर फेंकते हैं। अचानक अविनाश का ध्यान अपनी घड़ी पर जाता है, रात के आठ बज चुके होते हैं,वह मयंक और रूहीका को वापस चलने के लिए के लिए कहता है, वह दोनों थोड़ी देर और रूकने के लिए ज़िद करते हैं पर वह मना कर देता है और उन्हें जबरदस्ती अपने साथ ले आता है। मयंक और रूहीका दोनों मुंह फुलाकर गाड़ी में बैठ जाते हैं।
अविनाश गाड़ी को आगे बढ़ा देता है।

वह थोड़ी ही दूर जाते हैं कि अचानक तेज हवाएं चलने लगती है , मौसम विभाग का अनुमान सही होता दिखता है, मौसम अचानक से बहुत ज्यादा खराब हो जाता है और तेज़ बारिश के साथ भारी बर्फबारी शुरू हो जाती है। अविनाश की गाड़ी का बैलेंस तेज हवाओं के कारण बिगड़ने लगता है और उसकी कार एक पेड़ से जाकर टकरा जाती है।टक्कर इतनी जोरदार होती है कि रूहीका की साईड वाला गेट खुल जाता है और रूहीका और अविनाश कुछ समझ पाते उससे पहले रूहीका कार में से नीचे खाई में गिर जाती है और बर्फ की चादर ओढ़कर सदा के लिए अपने मम्मी-पापा के पास चैन की नींद सो जाती है। अविनाश भी बेहोश हो जाता है।मयंक को भी चोटें आती है पर ज्यादा नहीं वह अपने चाचू के फोन से अपने पापा को फोन करता है और उन्हें सब बताता है। उसके पापा वहां आते हैं और अविनाश और मयंक को हाॅस्पिटल ले जाते हैं। इस हादसे से अविनाश की जान तो बच जाती है पर उसकी याददाश्त चली जाती है क्योंकि कार के पेड़ से टकराने के कारण उसका सिर जोर से स्टेयरिंग से टकरा गया था।

अब जब भी कभी बर्फबारी होती है अविनाश का मन बहुत अधिक बैचेन हो जाता है और मयंक को भी अब बर्फबारी बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती है।