नक़ाब Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नक़ाब

"मै आपको जहमत देना चाहूंगी",नसीम ऑफिस में बैठा रिजर्वेशन ऑफिस से आये चार्टों को देख रहा था।तभी एक औरत उसके पास आकर बोली थी।उस औरत की आवाज मै ऐसा जादू था कि नसीम नज़रे उठाकर देखे बिना नही रह सका।उस औरत ने बुरका पहन रखा था।हाथो की गोरी पतली उंगलियों को छोड़कर सारा शरीर बुर्के में ढका था।उस औरत को देखकर नसीम ने सोचा जब इस औरत की आवाज में इतना मिठास है,तो इसका रूप कितना मोहक होगा?
"कहिये?"उस औरत की सुरीली आवाज़ सुनकर नसीम ने पूछा था।
"मै अकेली हूं और मुझे लखनऊ जाना है।"वह औरत बोली थी।
उस औरत की बात सुनकर नसीम बोला,"मै आपकी क्या खिदमत कर सकता हूं।"
"आप अगर लखनऊ के लिए मुझे एक बर्थ दे दे, तो मै आपकी बहुत शुक्रगुजार होऊंगी।"उस औरत ने अपनी परेशानी बताई थी।
"अवध एक्सप्रेस का चार्ट अभी मेरे पास आया नही है।एक घंटे बाद आप मुझसे मिलना।अगर चार्ट में कोई जगह खाली आयी,तो मै आपकी खिदमत ज़रूर करूँगा।"
"जी",नसीम की बात सुनकर वह औरत चली गई थी।नसीम दिल से तो चाहता था।उस औरत को अपने पास बैठाकर उसकी सुरीली,मधुर आवाज को सुनता रहे।लेकिन ऐसा करना उसके पड़ की गरिमा के खिलाफ था।इसलिए दिल से चाहते हुए भी ऐसा न कर सका।
वह औरत चली गई,लेकिन नसीम के दिल मे हलचल मचा गई।उसके जाने के बाद नसीम काम करते हुए भी उसके बारे में ही सोचता रहा।
"आपने मुझे बुलाया था।"अवध एक्सप्रेस आने से पहले वह औरत फिर नसीम के सामने आ खड़ी हुई थी।
"अपना टिकट मुझे दीजिये," उस औरत की सुरीली आवाज सुनकर नसीम का चेहरा फूल सा खिल गया।उस औरत ने पर्स से अपना टिकट निकालकर नसीम को दिया था।टिकट देते समय उस औरत की पतली नाज़ुक गौरी उंगलियां नसीम के हाथ से छू गई।टिकट के नंबर रिजर्वेशन चार्ट में चढ़ाते हुए नसीम बोलै,"आपका नाम क्या है?"
"शबनम"।
"बड़ा प्यारा नाम है"।नसीम उसके नाम की तारीफ करते हुए बोला।
"एस 9 में लेडीज कोटे में एक बर्थ खाली है।आपको दे रहा हूं।"
"समझ मे नहीं आ रहा ,मै आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ?अगर आज आप मेरे ऊपर मेहरबानी न करते तो------?नसीम के हाथ से टिकट वापस लेते हुए शबनम ने अपनी बात अधूरी ही छोड़ दी थी।

आज शहर में विरोधी पार्टी की रैली थी। इसमें भाग लेने के लिए बाहर से भी लोग आए थे।उनमें से काफी अवध एक्सप्रेस से भी वापस लौट रहे थे।जिसकी वजह से प्लेटफॉर्म पर काफी भीड़ थी।नसीम अगर शबनम का रिजर्वेशन नही करता ,तो वह अकेली किसी भी सूरत में जनरल कोच में नही चढ़ सकती थी।इस बात को नसीम ही नही शबनम भी खूब अच्छी तरह जानती थी।
इसलिए नसीम को पूरा यकीन था कि अगर इस समय वह शबनम से कुछ कहेगा तो वह बुरा नही मानेगी।नसीम उसकी आवाज से इतना मोहित हो चुका था कि उसका चेहरा देखना चाहता था।वह जानता था, औरत से ऐसी मांग करना यौन शोषण की श्रेणी में आता था। रेलवे कर्मचारी के कंडक्ट रूल के भी खिलाफ था।अगर शबनम शिकायत कर देगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।सब कुछ जानते हुए भी बोल,"अगर आप सचमुच शुक्रिया अदा करना चाहती हैं, तो एक बार अपने चेहरे से नकाब हटा दे।"
"लीजिये,"नसीम के कहते ही शबनम ने अपने चेहरे से नकाब हटा दिया था।
नसीम उसका चेहरा देखकर हक्काबक्का रह गया।उसकी आवाज जितनी मधुर थी,चेहरा उतना ही बदसूरत।
नसीम ने शबनम की आवाज सुनकर उसका सूंदर से चित्र बनाया था।जो नकाब हटाते ही चकनाचूर हो गया था।