The Author Rajesh Kumar फॉलो Current Read बेहतर कल By Rajesh Kumar हिंदी मनोविज्ञान Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books सनातन - 2 (2)घर उसका एक 1 बीएचके फ्लैट था। उसमें एक हॉल और एक ही बेडरू... गोमती, तुम बहती रहना - 7 जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग... मंजिले - भाग 3 (हलात ) ... राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे बेहतर कल (4) 2.2k 9.6k "कल" वो शब्द है जिसका अस्तित्व है या नही कहा नही जा सकता। "कल" हर व्यक्ति के दिलों दिमाग में रहता है और हर दिन सोचता है कि उसका कल बेहतर हो लेकिन वही कल जिसके लिए आज को खपाया जाता है कभी आता ही नही सब आज में ही परिवर्तित हो जाता है। दुनिया में चंद लोग होते हैं जो आज को जीने में विश्वास करते है लेकिन 99.99% लोग कल को बेहतर बनाने पर लगे हुए है। बड़े बड़े दार्शनिक,ज्ञानी, बुद्धिजीवी लोगों ने कल को बेहतर कैसे बनाएं अपना अपना विचार दिया। प्रगतिशील मानव ने विज्ञान का सहारा लिया और बेहतर कल को बनाने में जुट गया। कुछों के अनुसार विज्ञान द्वारा प्रदत्त अविष्कारों में कल को बेहतर बना दिया तो मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या किसी ने उस कल को देख है जिया है या फिर उस कल्पनाशील समय के लिए हम अपने आज वर्तमान को यूं ही खोते चले जा रहे हैं। कल्पना करना गलत नही, आगामी योजना बनाना भी गलत नही भविष्य का चिंतन भी गलत नही परन्तु केवल कल की चिंता,कल्पना,योजना में अपने आज को बर्बाद करना मूर्खता ही है। अपने किसी कार्य को कल पर टालते है तब सुरु होता है हमारे आज का दुरुपयोग जिसके फलस्वरूप हमें चिंता, परेशानियां और अंत में दुख और दुविधा भरी जिंदगी। जब किसी बच्चे को शिक्षा इसलिए देना प्रारम्भ करते है कि उसका कल बेहतर हो सके तब हम उसके साथ अन्याय करए है जिस दल दल में हम फंसे हुए है उसी में अपनी संतान को फंसा देते है। एक दौर था जब आज को लेकर शिक्षा दी जाती थी लेकिन आधुनिक समय में सारी शिक्षा केवल बेहतर कल के लिए बनाई गई हैं। जब कोई मज़दूर घर से मजदूरी के लिए निकलता है तो वो इस भाव से नही कि मेरा आज बेहतर हो तो कल स्वयं ही बेहतर होगा बल्कि वह तो केवल बेहतर कल के लिए ही निकलता है। यदि वह बेहतर आज के लिए निकले तो उसका कल स्वतः ही बेहतर हो जाएगा। चुकी कल कभी आएगा नही और आज कभी जाएगा नही। यही बात समाज के हर वर्ग पर लागू होती है व्यक्ति जीवन भर बेहतर कल बनाने के लिए मेहनत करता है और एक दिन दुनिया से चल जाता है लेकिन उसके जीवन मे कभी कल का उदय नही होता । अब आप कहेंगे कि ये कैसी बेहूदा बात है कि कल के बारे में न सोच कर केवल आज के बारे में ही सोच जाए तो यहां बात जीने की की जा रही है न कि सोचने की प्रकृति में मानव की तरह अन्य जीव भी है जो केवल आज पर जीवन यापन करते है कल पर नही व्यक्ति ही वो प्राणी है जो संग्रह इसलिए करता है जिससे उसका कल आभावग्रस्त म रहे जबकि आज आभाव ग्रस्त ही रहता है कल के लिए संचयन करने में जबकि अन्य जीव कोई संग्रह नही करते वो केवल आज पर ही जीवित रहते है और मानव से बेहतर जिंदगी जीते है।जो सारे काम मानव कल के लिए कर रहा है उसी को आज के लिए सोच कर करे तो कल खुद व खुद बेहतर हो जाएगा जो प्रत्येक को बेहतर आज के रूप में मिलेगा।। Download Our App