हिंदी मनोविज्ञान कहानियाँ मुफ्त में पढ़ेंंऔर PDF डाउनलोड करें होम कहानियां मनोविज्ञान कहानियां फ़िल्टर: श्रेष्ठ हिंदी कहानियां निशा द्वारा Ankit kumar मौसम शाम की सुनहरी अंगडाईयां ले रहा था। पानी दीवार काटते हुए पास के खेतों में घुसा जा रहा था। किसान को इसकी भनक न थी, नही तो वह ... मन की अद्भुत शक्तियां द्वारा Mohit Rajak साधारण लोग शरीर की शक्ति को ही सर्वोपरि मानते हैं उनकी समझ में जो आदमी जितना हट्टा कट्टा पोस्ट और मजबूत शरीर वाला होता है वह उतना ही शक्तिशाली ... रजिस्टर मैरिज द्वारा Priya Vachhani " गुड मॉर्निंग सरु !" पिंकू ने बस में सरु के पास वाली सीट पर बैठते हुए कहा "गुड मॉर्निंग " बोलकर सरू वापस खिड़की से बाहर देखने लगी ... VIRUS द्वारा Ankit kumar हाय राम, ये क्या हो गया, कैसे हो गया। सब के सब यूं क्यों पड़े हैं। मम्मी पापा उठो ना, उठते क्यों नहीं, भैया उठ क्यों नहीं रहे, ओ ... अदिति द्वारा Ankit kumar घने बादल छाए हुए थे। सूर्य उनसे निकलने की चेष्टा कर रहा था। रोशनी न होने के बावजूद सतगढ़ वासी बड़े जोश में थे। होली जो थी आज। घने ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -8 - समुद्रमंथन भाग ३ (समुद्रमंथन का अंतिम भाग) द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक दोस्तों ! हमने आगे के भाग में देखा की संसाधनों का भी व्यय होता है। फिर चाहे वह मानव संसाधन हो, धन हो, समय हो अथवा किसी वस्तु विशेष ... अंतर्मन द्वारा Ankit kumar मुझसे कही अच्छी जिंदगी तो इन मक्का बेचने वालो की है। कम से कम इन्हें इज्जत, प्यार तो अपने घर मिलता है। दिनभर कड़ी धूप में यहां मक्का भुनते ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -7 - समुद्र मंथन -भाग २ द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक दोस्तों!जिन तीन तरह के लोगो का वर्णन हमने आगे देखा ठीक नहीं तीन तरह के लोग इस संसार में विद्यमान है और उन्ही की कार्यशैली के अनुरूप संसार आज ... Thoughts Of Dec. 2022 द्वारा Rudra S. Sharma लेखक और लेखक के संबंध में :-सही गलत दों हैं और वास्तविकता एक मात्रता का नाम, इसका मतलब हैं जहाँ सही और गलत हों सकता हैं वहाँ भृम या ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -6 - समुद्रमंथन - १ द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक दोस्तो, आपने समुद्रमंथन वाली पौराणिक कथा तो सुनी ही होगी।जिसमे देवों और दानवों ने मिलकर पर्वत और शेषनाग जैसे बड़े सांप की मदद समुद्र को मथा था जिससे अमृत ... मेरा स्वभाव द्वारा Rudra S. Sharma मन का जीना ही सात चक्रों में होश अर्थात् जीवन का होना हैं और मन की अंतिम मृत्यु ही एक मात्र यथार्थ मुक्ति।होश का मन में वहाँ होना जहाँ ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -5 - स्त्री द्वारा बाज़ार में आमदनी द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक हम सब यह जानते हैं कि आज से कुछ दशक पहले स्त्रीयों को बाज़ार जा कर आमदनी करने नही करने दिया जाता था। यह बात को अचानक से स्त्री ... करियर (किसका?) द्वारा Priya Vachhani "हेलो माँ ! कैसी हो, आपकी तबीयत कैसी है?""सब ठीक है बेटा! तुम कैसे हो ?""मैं भी ठीक हूं माँ! एक खुशखबरी बतानी थी आपको " "क्या ? जल्दी ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -4 - विचारधारा द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक अधिकतर ऐसा होता है की जो भी कार्य आरंभ होता है अथवा किया जाता उसमे कुछ न कुछ समस्या आती है। उस समस्या का कोई न कोई समाधान भी ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -3 - ब्याह कब ? आमदनी के बाद या पहले ? द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक आज के शिक्षित समाज की यह विचार धारा बढ़ रही है की पढ़ाई पूरी होने के बाद अच्छी आमदनी होने लगे तब जा कर लड़के और लड़की के ब्याह ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -2 - स्त्री शिक्षा कहां तक सही? द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक स्त्री शिक्षा कहां तक सही?मित्रो आज के समय में स्त्रियां शिक्षण, नौकरी और धंधे के क्षेत्र में अच्छी - खासी तरक्की कर रही है। अधिकतर स्थानों में पुरुषों से ... खामोश है तो कहते है उदासी इतनी अच्छी नही। द्वारा Anand Tripathi मेरे अंतरमन के उद्गार का शांत हो जाना भी तो कोई खामोशी ही है। किसी को भूख लगी हो और सहसा उसको कोई अप्रिय या अग्नि वेग जैसी खबर ... श्रीमत् अष्टावक्रगीता का हिन्दी अनुवाद - भाग 1 द्वारा JUGAL KISHORE SHARMA अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है जो ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है। भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सामान अष्टावक्र गीता अमूल्य ग्रन्थ ... शंकर का अद्वैत वेदांत द्वारा JUGAL KISHORE SHARMA अद्वैत वेदांत ---- ** शंकर ने इस ब्रह्मांड के मूल में केवल ब्रह्म की सत्ता स्वीकार की है। उनकी दृष्टि से ब्रह्म ही अंतिम सत्य है। उनका यह ... दार्शनिक दृष्टि - भाग -1 - समाज मे युवाओं पर भरोसे के हालात द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक समाज मे युवाओं पर भरोसे के हालातदेखा ही है की, हर लड़का कितना भी ज्ञान प्राप्त करके सफलता को प्राप्त नहीं हो पाता। कितनी भी सावधानी बरतने के बाद ... कामसूत्र प्रेम या पोर्न द्वारा Amanat Malik आचार्य वात्स्यायन रचित कामसूत्र भारतीय ज्ञान संपदा की एक ऐसी अनमोल और अनूठी विरासत है, जिसकी प्रासंगिकता और उपयोगिता इसके सृजन के शताब्दियों बाद भी बनी हुई है। इसकी ... युथनेसिया - (द प्रोसेस ऑफ डाईंग फ्रॉम सेल्फ विल) द्वारा गायत्री शर्मा गुँजन युथनेसिया (द प्रोसेस ऑफ डाइंग फ्रॉम सेल्फ विल ) स्वैच्छिक मृत्यु अर्थात मैं समाधिष्ट प्राण त्यागने के आध्यात्मिक प्रक्रिया की बात नहीं कर रही हूं यहां मसला है कानूनी ... प्रकाण्ड विद्वान थे अष्टावक्र द्वारा Jatin Tyagi प्रकाण्ड विद्वान #अष्टावक्र#अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी "कहोड़" को अशुद्ध वेद पाठ करने के लिये टोंक दिए जिससे क्रुद्ध होकर पिताजी ... दहेज प्रथा और दार्शनिक दृष्टि द्वारा बिट्टू श्री दार्शनिक जुगाड़ू: दार्शनिक! यहां अकेले खड़े क्या सोच रहे हो ?वो भी इतनी रात गए !?दार्शनिक: देख रहा हूं।जुगाड़ू: क्या ?दार्शनिक: शादी के वक्त दहेज वाले हालात।जुगाड़ू: अच्छा !? एसा ... लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी त्रिशूल द्वारा મહેશ ઠાકર #त्रिशूलजिसे पश्चिम में कहा गया '#ट्राइडेंट'। ग्रीक पौराणिक इतिहास के अनुसार यह ग्रीक देवता '#पोसाइडन' का हथियार है जो हिंदुओं के वरुण देव के तुल्य देवता है। लेकिन #वरुणदेव ... THOUGHTS OF APR. 2022 द्वारा Rudra S. Sharma 22 FEB. 2022 AT 15:21“मेरी अभिव्यक्ति केवल मेरे लियें हैं यानी मेरी जितनी समझ के स्तर के लियें और यह मेरे अतिरिक्त उनके लियें भी हो सकती हैं जो ... THOUGHTS OF MAR. 2022 द्वारा Rudra S. Sharma 01 MAR. 2022 AT 13:24“ जब चैतन्य के द्वारा तर्क कर्ता मन से न कोई विचार होगा और भावनात्मक मन से न कोई भाव होगा यानी कल्पना पर लेश ... THOUGHTS OF FEB. 2022 द्वारा Rudra S. Sharma 1 FEB. 2022 AT 01:35“एक समय था जब मैं आत्म अनुभूति नहीं होने पर परमात्मा को जानता नहीं था वरन इसके उसे मानता ही था क्योंकि यह सिद्ध नहीं ... समानता द्वारा amit kumar mall इलाहाबाद विश्वविद्यालय से समाज शास्त्र से एम 0 ए 0 करते करते इतना आत्म विश्वास आ गया कि अब हमने समाज के बारे में , बहुत कुछ ... THOUGHTS OF JAN. 2022 द्वारा Rudra S. Sharma 3 JAN. 2022 AT 11:32 कोई किसी अन्य के महत्व की पूर्ति नहीं कर सकता। यदि अपना कोई प्रियजन भौतिक शरीर छोड़ देता हैं तो इस बात की तो ... THOUGHTS OF DEC. 2021 द्वारा Rudra S. Sharma 1 DEC. 2021 AT 19/20 परम् या सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क वही हैं या उसी आत्मा का हैं जो सभी मस्तिष्क को समान महत्व दें; वह आत्मा का मस्तिष्क अपना कर्म करें, ... मनोभाव-रामगोपाल भावुक द्वारा ramgopal bhavuk आलेख मनोभाव ...