मैं जाग उठी हूँ. Ashish Khare द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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मैं जाग उठी हूँ.

कहानी का नाम. मैं जगा उठी हूँ..
..
यह कहानी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के पास की है
आज से 2 साल पहले की बात है..

बुधनी के जगालो में एक आदिवासी वो के
देवी का मंदिर था जो कि
वह कुछ आदिवासी पूजा करके वहा की आदिम औरत सब की मनो कमान पूरी होती थी
यहाँ सिला सिला बहुत समय से चल रहा था पर कुछ समय बाद वहा कुछ चोर आज ते है जो वहा मंदिर के देवी के जेवर ले जाते है
या देवी की मूर्ति को खंडित कर देते है..
या वहा की पूजा करने वाली औरत को मार दे ते है यह काम सारा बगल के गाँव के कुछ दारू पाइन वाले कर ते है वहा की पुजारी को भी मार दे ते है वहा पुजारी मर ते मर ते यहा के लोग एक एक करके मर जायेगे गांव के लोग की मरुत हो जायेगी ..

धीरे धीरे गांव के लोग मर ने लग ते है ..

जब यह बात गांव के दूसरे पुजारी को पता चली की गांव में लोग की किसी किसी करदा से मरुत
हो रही है...

तब इन लोग
ने अपनी शक्ति से उस से ..

मारी हुई पुजारी की आत्मा से बात की हम को इस सरप से छुटकारे कैसे मिले गा वो मारी हुई आत्मा नहीं मानी थी पर जब बहुत बंटी कर ने प्र बट्या अगर कोई कुमारी लड़की जिस कि उमर 22 साल हो या अम्मास को भुगतान हुआ हो उसकी बाली देने से ये गांव मेरे सरप से मुक्कत हो जाए गा..
तब उन गांव वाली ने एक पालन बनाया कि जो यहां से रात में निकल जाएगा उसको
आप ना सीकर बनाएंगे..

रात में वहां से निकाल ते उनकी कार.बाइक को खराब कर दे ते थे या पास ही एक आदिवासी का कविला था..जो भी उनसे मदद मांगने के लिए आत उसे बहाल कर दे
ने साथ में कवाइल ले जाते..या पानी
दे ने.के नाम पर बुरी तरह दवा दे देते या. उनको बिहोसा कर दिया ते
फिर उनकी वाली दे देते थे

यहाँ सिला सिला लगातर हर आमावाश की रात में होता था

उन कवीलो बालो को उस गवा की एक
ओरता का श्राप था। कि जब तक कोई
आमवाश की रात में पैदा हुई लड़की की जो 22 साल की हो बाली ना दे दे तब तक उनको इस सरप से छुटकर नहीं मिलगा...
2 साल बाद मैं या मेरे 4 दोस्त
मैं आशीष अनिल.गोलू या पूजा दीपिका.सोनाली. कोमल
चले पिकनिक मनाने सीहोर.तो
हम सारे दोस्त निकल पड़े हैं पिकनिक मनाने के लिए बुधनी जंगल में
.शाम का समय था धीरे-धीरे रात हो रही थी
8:00 बजे चुके थे।
अचानक हमारी गाड़ी के पीछे एक टायर पंचर हो जाता है और हमारे दूसरे टायर नहीं होते.
पास में मुझे एक गांव दिखाया देता है.
दोस्तो से बात करता हू के पास ही एक गांव दिखा दे रहा चलो हेल्प लेते है यहां वही गांव है ..
वही पास पर एक बुधिया बैठी हुई थी जिसकी उम्र 80 साल से ज्यादा थी।
आगे की कहानी
अगले एपिसोड में
धन्यवाद..

आशीष खरे