१-
"पगली बदली"
है समां बारिश का, धरती का आँचल झूम रहा,
मौसम-ए-बसंत में नटखट सा अली घूम रहा।।
फुहार बूँदों की इस वसुंधरा को सिंचित करें,
कोपलें हँसने लगी खग मिल वन को गुंजित करें,
पेडों पेडों की डालियों में इक आहत सी जगी,
सारी कुम्हिलाई हुई कलियों की सब नींद भगी,
नई आशाएं, नए सपनें चमन बुन रहा,
मौसम-ए-बसंत में नटखट सा अली घूम रहा।।
भीनी भीनी सी ये खुशबू मन को महकाए,
लहलहाती सी फसल,जैसे कोई गीत सुनाए,
जन जन हंसने लगे, सोये हुए अरमान जगे,
आएंगी खुशियाँ अपने घरों में कहने लगे,
शुष्क मौसम गया, बरसात की ऋतु आयी है,
"पगली बदली" ये कैसी सौगात लायी है,
हर्ष इतना कि जैसे आसमाँ को चूम रहा,
मौसम-ए-बसंत में नटखट सा अली घूम रहा।।
२-
"खुदा जाने फिर कब मुलाकात होगी"
खुदा जाने फिर कब मुलाकात होगी,
अकेले, अकेले में क्या बात होगी,
चले जाते हो साथ रहती हैं यादें,
यकीं है मुझे फिर हँसी रात होगी।।
झील सी आँखों में खोता ये मन है,
तेरे बाजुओं में सिमटता ये तन है,
अगर थोड़ी सी छाँव मिल जाए जालिम,
तेरे गेसुओं में बहकता ये मन है,
बिखर जाएं लहरें गुलाबी लवों पर,
खुदा की कसम कैसी सौगात होगी,
चले जाते हो साथ रहती हैं यादें,
यकीं है मुझे फिर हँसी रात होगी।।
गुलाबी गालों पर बहकता है चंदा,
ये माथे की बिंदिया बनी दिल की फंदा,
यौवन की नदियाँ हिलोरें हैं लेती,
दिल की सदायें दुआएं हैं देती,
आओगे जब तुम दिल की बगिया में"सागर"
मुहब्बत भरी फिर वो बरसात होगी,
चले जाते हो साथ रहती हैं यादें,
यकीं है मुझे फिर हँसी रात होगी,
खुदा जाने फिर कब मुलाकात होगी।।
३-
"ऐसे में गर आ जाओ तो क्या बात होगी"
चाँदनी रात समा सुहानी है,
ऐसे में गर आ जाओ तो क्या बात होगी।।
तारों की महफ़िल सजी पंक्तियों में,
मन ये खोने लगा यादों की बस्तियों में,
भीनी भीनी है खुशबू आसमाँ खिल उठा,
इक हवा सी लगी दिल ये कहने लगा,
शुष्क जमीं में कितनी तपन है,
ऐसे में गर बरसात हो तो क्या बात होगी।।
फूल खिलने लगते हैं चुराकर रंग गुलाबी गालों से,
घटाएँ घिरने लगती हैं चुरा कर रंग काले बालों से,
सांवलेपन की मस्ती से गुलाब भी शरमा गया,
मदहोश करती बातें, ऐसा लगा कोई नींद से जगा गया,
"सागर" दिल में धड़कनें जवाँ हैं,
ऐसे में कोई पास हो तो क्या बात होगी।।
४-
"तुम हमारी कहानी बनो"
तुम हमारी बनो, दिल की हारी बनो,
प्रीत का रंग बनकर,हमीं पर चढ़ो,
जिंदगी ये सम्भल जाएगी,
तुम हमारी कहानी बनो, खुद कहानी बदल जाएगी।।
सुने मन में उम्मीदों का दीपक सजा,
प्यार की बाती दिल में जला दीजिए,
कब से सूखा है दरिया भरा प्यार का,
बन के बारिश उसे लबलबा दीजिए,
फुल के बाग में, हर कली आस में,
बन के खुशबू बिखर जाएगी,
तुम हमारी कहानी बनो, खुद कहानी बदल जाएगी।।
तुम हो यौवन की मलिका, हो मंदाकिनी,
रूप लावण्य मन ये मचल जाएगा,
तुम तपिश हो, ये कोमल सा दिल है मेरा,
मृगनयन से तुम्हारे ये जल जाएगा,
रूप की दामिनी, तुम हो कामायनी,
बर्फ खुद ही पिघल जाएगी,
तुम हमारी कहानी बनो, खुद कहानी बदल जाएगी।।
५-
"नाजुक बहुत है"
मुहब्बत के रस्ते कठिन हैं ये सच है,
सम्भल करके जाना ये नाजुक बहुत हैं,
बड़ा मन है चंचल समझ कुछ न पाए,
न दिल तोड़ जाना, ये नाजुक बहुत है।।
मिलेंगे तुम्हें फुल ही फुल लेकिन,
इन्हीं में छुपे ढेरों काँटें बहुत हैं,
हँसी चाँदनी रातें आएंगी अक्सर,
मगर दिल जलाती बिसातें बहुत हैं,
इन आँखों की झीलों में जाना है जाओ,
ना डुबकी लगाना, ये नाजुक बहुत है।।
घनी जुल्फ की छाँव तुमको मिलेंगी,
ना बिस्तर लगाकर के तुम उसमें सोना,
ललचाएँगी कलियाँ भौरों को जैसे,
ना फूलों की गलियों में तुम जाके खोना,
मुहब्बत की बगिया में, झूले हैं लेकिन,
न तुम झूल जाना, ये नाजुक बहुत है।।
नशा है अजब सा चढ़े फिर ना उतरे,
है कितना मजा जो सनम दिल से गुजरे,
बता ना सकूँ इश्क में कितना पागल,
खनक पायलों की ये आंखों का काजल,
इन आँखों की मस्ती में डूबा है"सागर"
ना तुम डूब जाना ये नाजुक बहुत है।।
धन्यवाद-
राकेश कुमार पाण्डेय"सागर"
आज़मगढ, उत्तर प्रदेश