अंडमान एक लघुकथा:
मैं अंडमान निकोबार जाने की तैयारी कर रहा था। गूगल पर वहाँ का तापमान देखा 29 डिग्री सेल्सियस दिखा रहा था। रेडियो पर गाना चल रहा था " पहाड़ों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है, सुरमयी उजाला है---।" इसी बीच बचपन की याद आ गयी। तब हमारे गाँव के पास के गाँव में एक पिता और उसके बेटे को काले पानी की सजा हुई थी। तभी यह शब्द सुना था। उस सजा के बाद उनका परिवार आर्थिक परेशानी और सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलने लगा। उन दोनों के हाथ उनके पड़ोसी की हत्या हो गयी थी, जमीन के झगड़े में। तब काले पानी की सजा जिसे होती थी उसे अंडमान ही भेजा जाता था। अंग्रेजों के समय का सेल्युलर जेल स्वतंत्रता संग्राम में बहुत चर्चित था। लेकिन अभी अंडमान पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है। इसके समुद्री तट लोगों को आकर्षित करते हैं। टेलीविजन खोलता हूँ तो सीबीआई की चर्चा है। उसमें कोई कह रहा है फलाने का स्थानांतरण काला पानी कर दिया है, पोर्ट ब्लेयर। सुनकर बुरा लगा। हम अभी भी पुरानी मान्यताओं और गुलामी के अवशेषों से आजाद नहीं हुए हैं। व्हट्सएप पर एक पोस्ट चल रही है" कीड़े की दवा पर कीड़े पड़ गये हैं", सीबीआई के संदर्भ में। टेलीविजन चर्चा में भी इसे कोट किया जा रहा है। फेसबुक खोलता हूँ, तल्लीताल का चित्र देखकर कुछ विचार घूमने लगे और लिखाता हूँ-
" नैनीताल:
ओ झील, मेरी ओर झांको,
मेरा प्यार तुम्हें पुकार रहा है,
तुम्हारे पास शायद समय न हो
पर मेरे पास समय ही समय है।
तुम वैसे ही छलकती हो
हवाओं को लपेटती हो,
ओ झील, मेरी ओर देखो,
मैं अतीत को दोहराने आया हूँ।
तुम जागे रहना, सोना नहीं,
क्योंकि मैं सोया नहीं हूँ अभी,
मेरे काँपते हाथ,
अभी भी दोहरा सकते हैं प्यार।
नावें जो चल रही हैं,
कोई गरीब चला रहा उन्हें,
तुम देखना आमदनी कम न हो किसी की,
क्योंकि मेरे प्यार जैसा उनका प्यार भी है मजबूत।"
पोर्ट ब्लेयर उतरते ही बारिश आरम्भ हो गयी थी। जोरहट, असम की यादें सजीव हो गयीं। हवाई अड्डा भी लगभग उतना ही छोटा है। सेना के अतिथि गृह में रूका हूँ। सेना का अपना सनेमा हाल है। दो सनेमा भी देख चुका हूँ,सोते-जागते।हरियाली बहुत है।
संग्रहालय सुन्दर बना है। लगभग १५० मिलियन साल पुराना, अंडमान हो सकता है। पहले माना जाता था कि मलेशिया और इंडोनेशिया से यहाँ मनुष्य सबसे पहले आये लेकिन वर्तमान डीएनए मिलान से लगता है कि अफ्रीका से आदिवासी यहाँ आकर बसे थे। कोरल जीवों, मछलियों आदि का विचित्र और अद्भुत संसार देखने को मिलता है। एक मछली का नाम लाइओन मछली लिखा है लेकिन मुझे वह देखने में बाघ मछली लग रही है, क्योंकि बाघ जैसी धारियां उस पर हैं। यहाँ छ सौ से अधिक द्वीप हैं लेकिन मनुष्य २६ द्वीपों में रहते हैं। चिड़िया टापू देखने सुबह गया। भीड़ से दूर। चिड़िया टापू पर एक लड़की सफेद स्कूल ड्रेस में खड़ी थी। मैंने उससे पूछा," यह चिड़िया टापू है क्या?" उसने कहा हाँ। मैंने फिर पूछा," कितने में पढ़ती हो?" उसने कहा," ग्यारहवीं में।" रास्ते में घना जंगल है। सूरज की किरणें सरलता से जमीन तक नहीं आ पाती हैं। जंगल, समुद्र, बालू , पक्षियों की आवाज अनिर्वचनीय सौन्दर्य को जन्म दे रही हैं। जंगल को देख कर बच्ची को कहानी याद आ रही है। एक लड़की है अनायशा और दूसरी आश्वी। दोनों जंगल में गये। जंगल में उन्हें शेर मिला। शेर ने उनसे पूछा," कहाँ जा रहे हो?" वे शेर को देखकर लौटने लगे तो शेर उनके पीछे-पीछे चलने लगा। वह उनसे कुछ अबोधता और प्यार लेना चाह रहा था। इतना लिखने के बाद फोन आया कि गांधीनगर, सचिवालय में तेंदुआ घुस आया है।
समुद्र तट पर तीन मोटे पेड़ों के ठूंठ हैं। सभी बैठने के स्थान मोटे पेड़ों के गिन्डों पर बने हैं। बहुत अच्छा दृश्य है।
धरती है, समुद्र है, जंगल है। कुल मिला कर शान्ति ही शान्ति। पर इस शान्ति में कितनी देर रह सकते हैं! परिवर्तन ही हमें लाता है और परिवर्तन ही हमें ले जाता है।
हैवलॉक द्वीप:
हैवलॉक जाने के लिए पानी के जहाज चलते हैं, सरकारी और निजी। काला पत्थर समुद्र तट (बीच) पर आप नारियल पानी पी सकते हैं। समुद्र में नहा सकते हैं। बालू पर चलह कदमी कर सकते हैं। पेड़ों की छाया का आनंद ले सकते हैं। वहाँ पर सुरक्षाकर्मी कुछ लोगों एक सीमा से परे जाने से रोक रहा है। मैंने उससे पूछा," यहाँ कभी कोई डूबा है क्या?" उसने कहा ,"नहीं। हम लोग एक सीमा के बाद लोगों को दूर नहीं जाने देते हैं।" नारियल पानी पीने के बाद विजयनगर में बुक किये रिजार्ट में आ जाता हूँ। खाना खाने के बाद गहरी नींद आ जाती है। तीन बजे राधा नगर समुद्र तट(बीच) जाना है। नींद के कारण देरी हो गयी है। ऐसी ही नींद म्यूनिख(जर्मनी) में आयी थी। गहरी नींद का अपना अलग आनंद होता है,चाहे वह एक-दो घंटे की ही क्यों न हो। राधानगर समुद्र तट सुन्दर समुद्र तट है। इसे एशिया का सबसे सुन्दर समुद्र तट भी टाइम्स मैंगजीन ने बताया था। विदेशी लोग भी दिख रहे हैं। कुछ लेटे हैं। एक लेटे-लेटे मोटी किताब पढ़ रही थी। उछलता समुद्र ,वृक्षाच्छादित जमीन और डूबता सूरज अपूर्व छटा की सृष्टि करते हैं। फिर,परिवर्तन ही हमें लाता है और परिवर्तन ही हमें ले जाता है।
दूसरे दिन एलिफेंटा समुद्र तट पर विभिन्न खेलों को देखना अच्छा लगता है। शीशे की नाव से प्रवाल(कोरल), मछलियां आदि समुद्री जीवों को देख सकते हैं।
पोर्ट ब्लेयर से रेड स्किन द्वीप जाकर उसके समुद्र तट पर प्रवाल(कोरल), मछलियां आदि समुद्री जीवों को देख सकते हैं। नाव पर बैठने से पहले समुद्री जीवों को प्रदर्शित करने वाला छोटा संग्रहालय है और बगल के कमरे में समुद्री जीवों और वनस्पतियों पर फिल्म दिखाने की व्यवस्था है। यहाँ पानी शान्त और साफ है। शीशे की नाव में एक घंटा घूम कर अद्भुत दृश्य देख सकते हैं।
ग्लास बोट(शीशे की नाव) में लोग बोलते हैं," अरे देखो, जेबरा मछली, तितली मछली, बड़ी मछली, नन्हीं रंगीन मछलियां, कोरल, मसरूम प्रवाल ,अचरिन आदि, आदि" । आजकल फोटो या वीडियो लेना तकनीक ने सरल कर दिया है अत: इस सब में सब व्यस्त हैं। कुछ लोग समुद्र तट पर बैठ कर अपने सुख-दुख बांट रहे हैं। एक महिला कह रही है," मुझे तो अपने घर में ही अच्छा लगता है। जोड़ा नहीं हो तो ये सब में मन नहीं लगता है। पति को गुजरे दस साल हो गये हैं। बच्चों के साथ आ गयी।" एक स्थान पर एक महिला बता रही है," मेरे पिताजी पचहत्तर साल के हैं, माँ को मरे सात साल हो गये हैं। एक दिन पिता जी को फोन कर रही थी तो पति बोले," गम्भीर(सीरियस)हैं क्या? " फिर एक दिन वे अपनी बहिन से बात कर रहे थे तो मेरे को बोले," तुम भी बात कर लो।" मैं बोली," सीरियस है क्या?" वे समझ गये। आदमी ऐसे ही होते हैं।"
एक छोटी बच्ची है, जो सबसे घुलमिल जाती है, चुलबुली है। उसको गोद में रख बहुत सी महिलाएं फोटो खींच रही हैं। उसकी नानी कहती है," इसे नजर न लग जाय आज!"।
नानी एक पेड़ की छाया में उसे ले जा, गाती है-
"मिला रे मिला, मिला रे मिला, हमारी सियू को मिल गया,
एक तारा, एक चंदा, एक सूरज मिल गया,
एक सुबह,एक शाम, एक संसार मिल गया,
एक घोड़ा, एक हाथी,एक शेर मिल गया,
एक फूल,एक फल, एक बाग मिल गया,
एक खेत, एक खलिहान, एक खरगोश मिल गया,
मिला रे मिला, मिला रे मिला, हमारी सियू को मिल गया।"
अंडमान प्रवास के अन्तिम चार दिन मूसलाधार बारिश का आनन्द लिया। जो अधिकतर दोपहर बाद आरम्भ होती थी। सेलुलर जेल में शाम को कार्यक्रम दिखाया जाता है,स्वतंत्रता सेनानियों पर। लोग इस कार्यक्रम को देखने पंक्ति में लगे थे।
अंडमान छोड़ने का समय आ गया था। फिर विचार आया,परिवर्तन ही हमें लाता है और परिवर्तन ही हमें ले जाता है।
*****महेश रौतेला