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चरैवेति

चरैवेति

निशान्त, अराध्या के बारे में गूगल की सहायता से खोजने का प्रयत्न करता है| फिर फेसबुक में ढूंढने की कोशिश करता है| पहले सफल नहीं होता है लेकिन एक दिन किसी अन्य महिला द्वारा उसे उसका फोन नम्बर पता लग जाता है| फेसबुक पर वह जिसका मित्र होता है उसकी मित्र महिला उसके संदेश का उत्तर देती है| और लगभग दो माह के बाद सही फोन नम्बर मिल पाता है| पहले तीन नम्बर गलत होते हैं| क्योंकि अल्मोड़ा कालेज में जहाँ वे पढ़े होते हैं वे नम्बर के लोगों का अल्मोड़ा कालेज से कोई सम्बंध नहीं होता है| अतः वह फिर सही फोन नम्बर का अनुरोध करता है| अन्त में सही नंबर प्राप्त करने में वह सफल हो जाता है

चालीस साल पहले दोनों घनिष्ठ दोस्त हुआ करते थे| उसका नम्बर मिलते ही निशान्त अतीत के पन्ने खोलने लगता है| वह व्हाइटस एप्प पर अनेक संदेश भेजता है लेकिन अराध्या की ओर से कोई उत्तर नहीं मिलता है| मित्र दिवस पर उसका एक संदेश मिलता है| जिसमें लिखा होता है - "अच्छे दोस्त मिलना कठिन है| अच्छे दोस्तों को छोड़ना और भी कठिन होता है और उन्हें भुलाना असंभव है| " निशान्त संदेश को पढ़कर लम्बी सांस लेता है| वह तीन चार बार लिखता है," कैसी हो?" अराध्या कुछ उत्तर नहीं देती है| फिर एक दिन उसका उत्तर आता है," अच्छी हूँ|" निशान्त व्हाइटस एप्प पर कुछ न कुछ भेजता रहता है| छब्बीस जनवरी और होली में वह शुभकामनाएं भेजती है| ऐसा लगता है, साठ साल के दो मित्रों के अंतरंग क्षणों का संक्षिप्त वार्तालाप अपनी सुगंध खोया नहीं है| निशांत इस बीच अराध्या को एक यात्रा वृतान्त व्हाइटस एप्प पर पोस्ट करता है-

पेरिस:पेरिस में डिजनी पार्क देखने गये| रिमझिम बारिश हो रही थी| ठंड चुभ रही थी| डिजनी आर्ट में लंदन से आये बच्चों का कार्यक्रम देखा| एक दो जगह और कार्यक्रम भी देखे| शाम को एफेल टावर देखा| वहाँ पर टावर के मोडल एक इरो में बिक रहे थे| रिक्शे भी वहाँ पर दिखे जो ई- रिक्शा रहे होंगे| पेरिस घूमाते समय जो महिला गाईड थी उसकी भाषा सुन्दर और आवाज प्रभावशाली थी| नेपोलियन बोर्नापाटा के बारे में उसने लगभग तीन-चार मिनट बोला| नेपोलियन का लोग फ्रांस में कितना सम्मान है उसकी बातों में झलक रहा था| नेपोलियन को उसकी इच्छा के अनुसार पेरिस में मृत्यु के कई साल बाद दफनाया गया| क्योंकि उसके एसेज को सेंट हेलेना द्वीप से लाया गया था और तब मान्यता थी कि समुद्र पार से एसेज आने पर छ कोफिन में एसेज को दफनाया जाता है| अतः इसी परंपरा का अनुसरण किया गया(गाईड के अनुसार)| फ्रांस की क्रांति, सीन नदी, वहाँ की संसद, राष्ट्रपति भवन , म्यूजियम आदि के बारे में प्रभावी ढंग से उसने बताया| पेरिस जो हमें दिखाया गया वह सुन्दर,साफ सुथरा था| अन्य भाषा बोलने पर "फ्रेंच" कहते पाये जाते हैं लोग और आगे बढ़ जाते हैं| अन्त में गाईड "नमस्ते" और "अच्छा" बोलकर विदा हुई| शायद कुछ कुछ हिन्दी वह सीख गयी थी भारत से आने वाले पर्यटकों के साथ|

पेरिस से जनेवा : पेरिस से जनेवा जाते समय मौसम सुहावना हो चुका था| यात्रा भावों के उतार चढ़ाव के साथ चल रही थी| बीच में एक जगह खाना खाने रूके| खाना खाने के बाद एक फूल के पेड़ के पास फोटो ले रहा था| तभी वहाँ से स्थानीय आदमी दुकान की ओर जा रहा था उसने मेरे हाथ से मोबाइल लिया और मेरी दो फोटो खींच कर मुस्कराते हुए मेरे धन्यवाद के साथ विदा ली| वहाँ अभी पतझड़ ही चल रहा है| हमारे यहाँ तो वसंत खिल रहा है| उत्तराखंड में फूलों का त्योहार(फूलधैयी) मना चुके हैं| शाम को लगभग चार बजे जनेवा पहुंचे| जनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के अवस्थित केन्द्रों के साथ साथ जनेवा शहर देखा| उसे देख नैनीताल की याद आ गयी| झील यहाँ कृत्रिम है| फौव्वारा लगभग 459 फीट ऊँचा पानी फेंकता है| पैदल चलने वाले जब सड़क पार करते हैं तो गाड़ी वाले अपनी गाड़ी रोक कर उन्हें वरीयता देते हैं, विशेष कर उन स्थानों पर जहाँ सिग्नल नहीं होते हैं केवल सड़क चिह्नित होती है| रात को एक पहाड़ी शहर लेईसिन में रूके| सामने हिमाच्छादित पहाड़ दिख रहे थे| जितना हो सका उतना मन ने समेटा | शेष छोड़ दिया | "दूरदेशों से निकल कर यादें लौट आती हैं जीवन बर्फ की तरह जमता- पिघलता पगडण्डियों सड़कों से निकलता इतने संघर्षों के बीच वृक्षों की तरह कटता कुछ क्षण प्यार की सांसों में लौट जाता है, कहानियां बनती बिगड़ती देवासुर संग्राम सी चलती रहती हैं| "

लेयसीन (स्विट्जरलैंड)

के पास माऊंट कोक्स और किंग पर कैबल कार से पहुंचे| शरीर को काटने वाली ठंड थी| जाड़ों का नैनीताल याद आ रहा था| थोड़ी देर बर्फ पर चलने पर सुन्दर होटल था| बर्फ पर फिसलन थी| लेकिन चलने में अच्छा लग रहा था| लगभग चालीस साल बाद बर्फ पर चलने का अवसर आया था| होटल में तापमान सामान्य लग रहा था| खाने की व्यवस्था थी साथ में शराब भी ले सकते थे| खाने की व्यवस्था में दो भारतीय लड़के थे और एक स्थानीय व्यक्ति और एक स्थानीय सुन्दर युवती| शराब पीने वाले सब लोग एक किनारे हो लिये| पीते पीते हिन्दी गानों पर नाच भी कर रहे थे| दो तीन महिलाएं भी पी रहीं थीं, अपनी टेबल पर| मैं नहीं पीने वालों में था अत: अपनी टेबल पर खाना लेकर खा रहा था| वह लड़की बहुत फुर्ती, चपलता से काम कर रही थी| वह दो बार मेरे पास आयी| पहली बार उसने कुछ बोला, मेरे समझ में नहीं आया| फिर दूसरी बार कुछ कहा मैं ठीक से सुन नहीं सुन पाया| वह फ्रेंच में बोल रही थी या फ्रेंच भाषी होने के कारण उसकी अंग्रेजी मेरी समझ में नहीं आ रही थी, पता नहीं| शायद पूछ रही हो," खाना कैसा है| " या," शराब नहीं पीना है?" जब संवाद ठीक से नहीं हो पाया वह मुस्कराते हुये ओ. के. कह कर अपने काम में जुट गयी| मैं सोच रहा था अभी शायद उसकी उम्र उच्च पढ़ाई करने की है| यहाँ काम क्यों कर रही होगी?वह इतनी सुन्दर,सरल और कर्मठ थी कि यादों में बस गयी|

ग्लैशियर 3000 (स्विट्जरलैंड):

ग्लैशियर 3000 (स्विट्जरलैंड) जाते समय कुछ कुछ ऐसा लगता है जैसे हम भवाली से अल्मोड़ा को जा रहे हैं या चौखुटिया(मालूशाही और राजुला की कथा के लिये जाना जाता है) से केदार को| वृक्ष फर(क्रिसमस ) के हैं| छोटी नदी जिसे वहाँ की भाषा में ब्रुक कहते हैं और कुमाऊँनी भाषा में गधेरा, शान्त होकर अपने सुर- लय में सौन्दर्य बिखेरती बही जा रही है| ग्लैशियर 3000 के आधार स्टेशन पर पहुंचने पर बर्फ पर प्रयोग होने वाले चश्मे सबको दिये जाते हैं| वहाँ से कैबल कार से पहले स्टेशन तक फिर कैबल कार बदल कर दूसरी कैबल कार लेते हैं| चारों ओर बर्फ से ढके पहाड़ देखकर शिवजी की याद आ जाती है| कितना आनंद कैलाश में लेते होंगे| कुछ का कहना है पहाड़ दूर से ही अच्छे लगते हैं, जब वहाँ रहो तो कठिन जीवन के लिये जाने जाते हैं| बहरहाल, अच्छा अनुभव हो रहा था| हिम स्केटिंग करने वाले लड़के भी दिख रहे थे| रज्जु मार्ग से पहाड़ से नीचे ले जाकर समतल स्थान पर उतारा है| बर्फ पर चलने का आनंद आ रहा है| गजब की ठंड है| मनुष्य या कहें जीवन आनंद कठिन परिस्थितियों में भी ढूंढ लेता है| बच्चे बर्फ से खेल रहे हैं| एक दूसरे पर उसे फेंक रहे हैं| बर्फ पर चलने वाली गाड़ी पर आधा घंटा घूमते हैं| टैंक की तरह वह वह चलती है,बिना तोप के| रज्जु मार्ग से ऊपर आते हैं| लगभग सौ सीढ़ियां चढ़कर एक हिलता डुलता पुल है| उसको पार कर हिमाच्छादित पर्वत शिखरों का विहंगम दृश्य का सौन्दर्य मन में लिया जाता है| वहाँ एक चीनी, फोटो लेने के लिये अनुरोध करता है, इशारों में| फिर मैंने भी उससे अनुरोध किया, इशारे में| हिन्दी गाना याद आ रहा है- "इशारों इशारों में दिल लेने वाले..| "पुल पर इतनी जोरों से हवा चल रही है कि मफलर खुल गया| कोट पंख बन गया जल्दी से फिर बटन लगाये| हीरोगिरी फड़फड़ाने लगी| बहुत से लोग पुल के किनारे से ही लौट गये क्योंकि तेज हवा में पुल हिल रहा था और ठंड काट खा रही थी| हमसे दस दिन पहले जो समूह आया था उसे यहाँ जाने की अनुमति नहीं मिली थी, खराब मौसम के कारण| ऊपर ही अच्छा खासा होटल था, वहाँ तापमान सामान्य रखा हुआ था| खाने में देरी थी अतः सोचा चाय पी ली जाय| पूछा तो कीमत है साढ़े तीन यूरो मतलब 250 रुपये| कार्ड है, पैसे हाथ से नहीं देने हैं अतः पी ली| स्वाद चाय का बेहद अच्छा है| वैसे है, लिपटन चाय ही| खाना खाकर कैबल कार से उतरे और होटल की ओर यात्रा बढ़े जा रही है| बैठे बैठे गत वर्ष एक महिला से सुने शब्द याद आ रहे हैं," सज(आराम) तो अपने घर में ही आती है| "

लिचटेंसटिन(देश):वाडुज में हूँ जो यूरोप के एक छोटे देश लिचटेंसटिन की राजधानी है| एल्प्स से घिरा है| देश का कुल क्षेत्रफल लगभग 17.5 वर्ग किलोमीटर है, जनसंख्या चालीस हजार| राजकुमार का महल ऊँचाई पर है| नीचे से उसका एक भाग दिख रहा है| वहाँ जाने की अनुमति नहीं है| दुकान में चोकलेट खरीद रहा हूँ| एक लड़की काउंटर पर है, मुझे बता रही है," इसके साथ ये, ये मुफ्त है| " इतने में एक व्यक्ति(शायद दुकान का मालिक है) मेरे बगल से दुकान में यह कहते प्रवेश करता है कि ," यह लड़की तुमसे प्यार करती है,यंग मैन| " मैं मंद मंद मुस्कराया और वह लड़की भी| अच्छा लगा सबको बताने में|

इंटरलेकन:इंटरलेकन(स्विट्जरलैंड) में यशराज चोपड़ा की मूर्ति लगी है| उन्होंने अपनी बहुत सी फिल्मों की शूटिंग यहाँ की थी अत: उनके सम्मान में यह मूर्ति स्थानीय प्रशासन ने लगायी है| उसके सामने कैसीनो है| घड़ियों की बहुत सी दुकानें थीं| कोई-कोई घड़ी छ,सात लाख रुपये की थी| पेड वास रूम का प्रयोग एक इरो में कर सकते हैं अर्थात 72 रुपये| स्विट्जरलैंड में घूमते समय लगता है जैसे कुछ कुछ उत्तराखंड, हिमाचल आदि पहाड़ी राज्यों में हैं| लेकिन यहाँ सड़कों पर बहुत अधिक सुरंगें हैं, मजबूत पहाड़ों के कारण| लूजर्न(स्विट्जरलैंड) में छोटे पहाड़ पर मूर्तिकार ने रोते शेर की मूर्ति बनायी है| गाइड के अनुसार फ्रांस की क्रांति के समय यहाँ के सुरक्षा कर्मियों (स्विस गार्डस) के कत्लेआम को इंगित करती यह मूर्ति है| मार्क ट्वैन ने इस सजीव चित्रण को दुनिया का सबसे मार्मिक चित्रण कहा है| कुछ दूरी पर एक आदमी और एक महिला बाइबिल बांट रहे थे| पीने के लिये काफी भी रखे हुये थे|

इन्नसब्रुक:आस्ट्रिया के शहर इन्नसब्रुक में हूँ| शहर में अच्छी साफ सफाई है| कहीं प्लास्टिक, कागज आदि नहीं दिखते हैं| पुराने समय की सुन्दर इमारतें हैं| एक गली से गुजर रहा हूँ| शाम के आठ बजे हैं| आगे गली में दो हट्टे कट्टे भीखारी स्लीपिंग किट में घुसे हैं| एक नींद में है और दूसरा जगा है और किसी राहगीर को ईशारे कर बुला रहा है| राहगीर उसकी उपेक्षा कर चलता रहता है| थोड़ा आगे बढ़ता हूँ एक युवक और एक युवती खड़े खड़े एक दूसरे को चूम रहे हैं जैसे दो कबूतर आपस में चोंच लड़ाते हैं| उन्हें. देखने की जिज्ञासा किसी को नहीं है| भीड़ अच्छी खासी है| आगे एक बिल्डिंग है, गाइड के अनुसार किसी राजा ने रानी को शादी की सालगिरह पर भेंट की थी, गोल्ड प्लेटेड है|

वाटन्स:वाटन्स( आस्ट्रिया) में स्वोरस्की क्रिस्टलस देखने गये| गाइड के अनुसार स्वोरस्की क्रिस्टलस ने इस शहर के बहुत से लोगों को रोजगार दिया है| कुछ सामान भी वहाँ खरीदा| वहाँ से खरीदे सामान/आभूषण पर कस्टम ड्यूटी की छूट है जो हवाई अड्डे पर वापिस होती है| कस्टम का नाम सुनते ही मेरे दोस्त ने कहा," नहीं खरीदना है| कस्टम के चक्कर में नहीं पड़ना है| " मैंने खरीदने पर जोर दिया और हमें एक फार्म भर कर दिया और पासपोर्ट का नम्बर भी उसमें दर्ज कर दिया| एयरपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी वापिस मिल गयी| भारत में जब स्वोरस्की के बारे में बताने लगा तो वे बोले, "हम स्वोरस्की के बारे में जानते हैं| हमारे दोस्त की शादी में उसके आभूषण प्रयोग हुये थे| " यूरोप में कहीं भी हार्न गाड़ी वाले नहीं बजाते हैं, जबकि हम लोग भारत में जरूरत न होने पर भी हार्न बजाते हैं| अमेरिका में भी यही अनुशासन मिलता है| गुलामी के बहुत से अवगुण तो हमने लिये पर उनकी अच्छी बातों को छोड़ दिया| अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों में, सुरक्षा जाँच मेरी नहीं होती है पता नहीं क्यों? घरेलू उड़ानों में होती है| 1999 में अमेरिका जाते समय भी ऐसा ही हुआ था| मुझे उस खान की याद आ गयी जिसे दो घंटे एअरपोर्ट पर सुरक्षा कारणों से बैठा दिया था| आगे- "तब समय इतना भोला था भोले बाबा जैसा था, इधर पलटता उधर पलटता, तपा हुआ था पर तप भी था|"

म्मूनिख:म्मूनिख में ओलम्पिक स्टेडियम, कार कम्पनी का आफिस, शहर की चहल पहल| संगीत के साथ लोगों का खाना पीना,एक भिखारी| म्यूनिख (जर्मनी) से उड़ान रद्द हो गयी है| हवाई जहाज पर सामान चढ़ चुका था| जहाज में तकनीकी खराबी आ गयी थी,उसे ठीक करने की कोशिश की गयी| यह सब होते होते रात के साढ़े ग्यारह बज गये| तब उद् घोषणा हुई कि उड़ान रद्द की जाती है| सब यात्री अपना सामना वापिस ले लें| जिस कंपनी का जहाज था उसके कर्मचारी आवश्यक कार्यवाही में जुट गये| काउंटर पर बहुत से लोग जमा हो गये| दूसरी एअर लाइंस से टिकट बुक करने की प्रक्रिया शुरु हुई| कुछ ग्रुप में सब लोग विदेशी भाषा नहीं जानते थे| मैंने बंगाल के एक समूह को उनसे हिन्दी में बात करते पाया| वे उन्हें समझाते जा रहे थे और एअर लाइंस वाले भौंचके उन्हें देख रहे थे| फिर बीच का रास्ता निकाला गया| लेकिन बीच के लोग अपनी बुकिंग पहले कर रहे थे| फिर होटल बुकिंग का नम्बर आया| उसमें भी यही सब हुआ| आखिर रात ढ़ाई बजे हमें होटल मिला| हिन्दी ने गति पकड़ी हुई है यह जान कर खुशी हुई| लुफ्तहंसा में उद् घोषणाएं जर्मन और हिन्दी में होती हैं(भारत-जर्मनी की उड़ानों में)| और हिन्दी फिल्में भी देखने को मिल जाती हैं| नमस्ते कहने वाले तो बहुत लोग मिलते हैं| कुछ सफेद बालों और भारतीय होने के कारण| हाँ, लेकिन महिलायें नमस्ते कहते नहीं मिलीं|

शेष फिर|

महेश रौतेला

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