हॉंटेल होन्टेड

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कहानी शुरू करने से पहले मैं बता दू की इस कहानी के Plot का Credit मैं Harshit को देना चाहता हू,उसी plot के साथ मैं अपने point of view के साथ हॉरर,suspence,प्यार और दोस्ती को एक कहानी में ढालकर आपके सामने इस कहानी को present कर रहा हूं|......रात का खामोशी से भरा अंधेरा काला साया, हल्की हल्की गिरती बारिश की बूंदे ,एक पतली सी सड़क और उसके दोनों तरफ घना जंगल।बारिश की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी,तभी उस सुनसान सड़क पर एक इंसान नजर आया जो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।उसने काले रंग का लंबा सा कोट पहना हुआ था

Full Novel

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 1

रात का खामोशी से भरा अंधेरा काला साया, हल्की हल्की गिरती बारिश की बूंदे ,एक पतली सी सड़क और दोनों तरफ घना जंगल।बारिश की वजह से सड़क गीली हो चुकी थी,तभी उस सुनसान सड़क पर एक इंसान नजर आया जो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।उसने काले रंग का लंबा सा कोट पहना हुआ था, गर्दन में मोटा सा मफलर और हाथों में ब्लैक कलर के ग्लव्ज पहन रखे थे, उसने बारिश से बचने केेेेे लिए छाता ले रखा था,उसके चलने की वजह से अजीब सी आवाज आ रही थी और उस जगह पर इतनी शांति थी की वह उस ...और पढ़े

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होटेल होन्टेड - भाग - 2

मौत का नाम सुनकर उस आदमी की आंखें बड़ी हो गई और कमरे में सन्नाटा छा गया उस आदमी फिर आगे कहना शुरू किया।सुबह का समय था अच्छी खासी धूप निकली हुई थी, सूरज ने उस जगह अपनी अच्छी छाप छोड़ रखी थी,वातावरण भी खुशनुमा था जंगल वाला पहाड़ी इलाका और बहुत सारे घने पेड़ थे।सूरज की रोशनी उन पेड़ों के बीच मेंं से निकलती हुई आ रही थी।उसकी थोड़ी दूरी पर पेड़ काटकर एक बड़ी जगह बनाई गई थी और वह जगह काफी खुली थी,उस जगह पर सब सामान इधर-उधर बिखरा हुआ था और सभी तरफ काम होने ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 3

लाश का नाम सुनकर राजीव कुछ देर के लिए सन्न हो गया।वह बस कुछ देर तक अजय के सामने नजरों से देखता रहा।पूरे हॉल में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया।बाहर से बस तेज हवाएं चलने की आवाज आ रही थी आखिर कार राजीव ने उस सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा,' यह क्या कह रहे हो तुम इन सब मजदूरों ने तो कहा था कि लाश अब तक नहीं मिली है।'उन सब को कुछ पता नहीं है,अगर पता चल जाता तो अभी तक बहुत बड़ा बवाल मचा देते और वैसे भी मुझे जिस हालत में वह लाश मिली है ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 4

अजय को कंधे पर किसी का हाथ महसूस होते ही वह सहमकर पीछे हट गया। अजय को अंधेरे में का साया दिखाई दिया,जिसे देख कर उसका गला सूख गया, 'कौन........कौन हो तुम? देखो चले जाओ नहीं तो मैं......' बोलते हुए वह जमीन पर कुछ ढूंढने लगा,लेकिन तभी उसके कान में आवाज पड़ी ,' साहब मैं हूं ' जिसे सुनकर उसने अपनी सामने की तरफ देखा तो रघु खड़ा था ,जिसे देखकर उसे कुछ राहत महसूस हुई।' तू यहां क्या कर रहा है रघु 'अजय ने अपना चेहरा साफ करते हुए कहा।' साहब आपने जब यहां आने का फैसला किया ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 5

दूसरे दिन सब लोग उसी जगह पर खड़े थे पिछली रात जो कुछ भी हुआ उसके बारे में किसी कुछ भी पता नहीं चला। इंसान स्वार्थ और लालच में इतना अंधा हो जाता है कि उसे अपने अलावा और कुछ भी दिखाई नहीं देता और एक दिन वही लालच उस इंसान को ले डूबती है। देखो यहां पर कुछ भी नहीं है तुुम लोग डरना बंद करो और काम शुरू करो राजीव ने सामनेे खड़ी सभी मजदूरों से कहा। तो फिर अजय साहब कहां गए वहां खड़े मजदूरों में से एक आदमी आगे आते हुए बोला। रही बात उस अजय की तो वहां ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 6

'Film Reel कहां गई?' निकुंज की आवाज में परेशानी थी क्योंकि फिल्म जो प्रोजेक्टर में होनी चाहिए थी वह पर नहीं थी। निकुंज ने वहां रूम में ढूंढना शुरू किया पर वह Reel उसे कहीं दिखाई नहीं दी। नीचे सब इंतजार कर रहे थे कि तभी वहां चल रही सभी लाइट्स ऑफ हो गई और रूम में अंधेरा छा गया। एक अजीब सी आवाज के साथ प्रोजेक्टर स्टार्ट हो गया,उसने से रोशनी निकली जो सामने स्क्रीन पर जा टकराई और सभी के सामने एक पिक्चर ऊपर कर आ गई।स्क्रीन पर सभी को सामने एक पुरानी सी हवेली दिखाई दी।सामनेेे ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 7

'क्या मजाक है यह??... दिल कहां है इनका?'राजीव की बात सुनकर संजय कुछ देर तक उसे देखता ही रह नेेेेे राजीव के चेहरे की और देखा राजीव अपनेेे सवाल के जवाब की उम्मीद में संजय की तरफ़ ही देख रहा था।'यही तो में जान नहीं पाया आज तक.....'संजय ने एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहा।'क्या मतलब?..आपको नहीं पता कि उनके साथ यह सब कैसे हुआ? बिना शरीर पर एक भी खरोच आए उनकी इस तरह से मौत कैसे हुई?'आपके होटल का काम शुरू हुआ तब मैंने उस समय जिन लोगों के पोस्टमार्टम किए थे,उनकी मौत की बिल्कुल इसी तरीके ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 8

एक अजीब सी आवाज आई और उसके साथ होटल का दरवाजा खुल गया। यह देख कर निकुंज की सांस में अटक गई।वह कुछ देर तक बस ऐसे ही खड़ा रहा, उसे देखकर पीछे खड़ा पाटिल घबरा गया, उसने सिगरेट नीचे फेंकी और उसे पैरों से बुझा दिया।वह चलते हुए निकुंज के पास आया और आते ही उसने अपना सवाल किया।'तुमने तो कहा था कि होटल बंद है,फिर यह दरवाजा कैसे खुल गया?'पर निकुंज ने पाटिल को सुना नहीं,जैसे वह अपने ही ख्यालों में खोया हुआ हो। उसे इस तरह से देखकर पाटिल ने उसके कंधे को पकड़कर उसे हिलाया,' ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 9

पाटिल के जाने के बाद राजीव उन्हीं सब बातों के बारे में सोचता रह गया, उसे अभी भी इसी का डर था कि कहीं होटल के Reputation कोई नुकसान ना हो क्योंकि अगर यह बातें कहीं किसी भी तरह से बाहर आई तो होटल की image पर बहुत बड़ा effect हो सकता था और वैसे भी होटल को opening के दिन जो कुछ भी हुआ उस चीज को लेकर वैसे भी लोग बहुत सारी बातें बना रहे थे।इन्हीं सब बातों के बारे में सोचकर राजीव वहीं सोफे पर बैठ गया,बाहर बादलों के गरजने की अभी भी आवाज आ रही थी। ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 10

जयदीप के जाते ही मनीष ने तुरंत ही रूम का दरवाजा जल्दी से बंद कर दिया, क्योंकि अगर जयदीप देर ओर यहां रुकता तो मनीष पक्का उस से लड़ पड़ता। पर मनीष को एक बात समझ नहीं आ रही थी कि "इस होटल के स्टाफ का एक मेंबर होकर, इसी होटल में ही काम करते हुए,कोई होटेल के बारे में ऐसी बातें क्यों करेगा?जिससे इसी की होटल वालों को नुकसान हो। ऐसी बात करने से जो लोग यहां आए हैं, वह भी दोबारा डर की वजह से नहीं आएंगे।"पर उसे जयदीप की एक बात याद आती है उसने कहा था कि यह होटल का Theme ही Horror सिलेक्ट किया गया था, यह ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 11

अंकिता मनीष से अलग होती है उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी। मनीष उसके चेहरे को देखता है,वह खुश कि अंकिता को यहां आकर अच्छा लग रहा था।अंकिता वापस कमरे में आकर फ्रेश होने के लिए चली जाती है और मनीष एक बार फिर वादियों की ओर देखने लगता है। यहां का मौसम उसे एक अलग तरह का सुकून दे रहा थी वह इन सब खयालों में कितनी देर वहां खड़ा रहता है उसे पता ही नहीं चलता कि तभी अंकिता पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहती है "अरे तुम अभी तक यहीं पर खड़े हो!" ...और पढ़े

12

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 12

मनीष और अंकिता चलते हुए पार्टी में ही जा रहे थे। पार्टी रखी थी वह हॉल होटल में पीछे तरफ गार्डन के बिल्कुल बगल में ही था। वहां एक दरवाजा जिसे खोलकर बाहर जाने पर वह लोग सीधा गार्डन में पहुंचे जाते थे। मनीष और अंकिता हॉल में पहुंचे दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए चल रहे थे।पूरा हॉल रोशनी में जगमगा रहा था।होल की साइड में बैठने के लिए Arrangement किया गया था और left side में सभी तरह के drinks भी रखे हुए थे। ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 13

अंकिता की चीख सुनकर वह तीनों चौंक चाहते हैं और आवाज की दिशा में दौड़ने लगते हैं।वहां पहुंचकर देखते तो अंकिता जमीन पर बैठी हुई थी, उसकी आंखें डर की वजह से खुली की खुली रह गई थी,इतने ठंडे मौसम में भी उसका चेहरा पसीने से तरबतर था, उसके चेहरे पर डर साफ साफ दिख रहा था। मनीष तुरंत दौड़ते हुए अंकिता के पास पहुंचता है और अंकिता से पूछता है "क्या हुआ अंकिता! तुम चिल्लाई क्यों?" पर अंकिता ने अभी भी मनीष के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया वह बस उन झाड़ियों की ओर अपना मुंह करके बैठी हुई थी ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 14

मनीष और राज दोनों बातें कर ही रहे थे कि तभी उन्हें पीछे से आवाज सुनाई देती है "क्या लोग उस भूतिया जगह में ठहरे हैं?"यह आवाज सुनकर वह चारों चौक जाते हैं और पीछे मुड़कर देखने लगते हैं। वह पीछे देखते हैं तो पाते हैं कि एक आदमी उन लोगों के पीछे खड़ा था उसके कपड़े को देखकर यह कह सकते हैं कि कोई आम आदमी होगा, वह चलते हुए उन चारों के पास आता है। ...और पढ़े

15

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 15

सभी लोग अंदर जंगल की ओर बढ़ने लगते हैं पर तभी मनीष को अंकिता के पैरों की आवाज सुनाई बंद हो जाती है इसलिए वहां पीछे मुड़कर देखता है तो पाता है कि अंकिता उसके पीछे नहीं है इसलिए वह चौकते हुए बोल पड़ता है,'अंकिता..!!??!!अरे अंकिता कहां गई?' मनीष की आवाज सुनकर राज और रिया भी रूक जाते हैं और इधर उधर देखने लगते हैं, पर उन्हें अंकिता कहीं नहीं दिखाई देती। तीनों मिलकर अंकिता को जंगल में ढूंढने लगते हैं,वह तीनों दौड़ते हुए जंगल के बाएं हिस्से की ओर बढ़ने लगते हैं। जंगल का यह हिस्सा ज्यादा गहरा ...और पढ़े

16

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 16

मनीष अभी वापस सोने की कोशिश ही कर रहा था कि तभी उनके रूम के दरवाजे पर दस्तक होती उसकी आवाज सुनकर मनीष और अंकिता दोनों की नींद उड़ जाती है। मनीष अंकिता की ओर देखते हुए कहता है, 'इतनी सुबह सुबह-सुबह इस वक्त कौन हो सकता है?' अंकिता भी हैरानी भरी नजरों से दरवाजे की ओर देखते हुए कहती है 'पता नहीं मनीष?' बेड पर से उठते हुए मनीष कहता है 'तुम बैठो मैं जा कर देखता हूं।' इतना कहकर मनीष रूम का दरवाजा खोलता है तो उसके सामने राज खड़ा था वह बहुत डरा और सहमा हुआ ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 17

'हेलो मैं ऊंटी के सिविल हॉस्पिटल से बोल रही हूं,आपकी पत्नी रिया की हालत बहुत खराब ह,आप जल्द से यहां आ जाईए' इतना कहने के बाद फोन कट हो जाता है। नर्स की बात सुनकर राज जैसे पत्थर का हो गया था। वह कुछ बोल नहीं रहा था उसके हाथ में फोन था। उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी। दोनों इस वक्त रोड के साइड पर खड़े थे, हवाएं इस वक्त बहुत तेज चल रही थी और ऊपर से बादलों के गरजने की भी आवाज आ रही थी। इन सब माहौल के बीच पास से गुजरती गाड़ियों ...और पढ़े

18

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 18

रोज वो English के शब्दो की रट्टेबाजी और उस अजीब से टेंशन भरे माहौल से गुजरते हुए आज मेरी खत्म हुई। रात में घर की छत पर बैठे हुए आसमान में बरसाती बादल को जाते हुए देख रहा था और ठंडी हवाओं को महसूस करके अपनी मातृभाषा में कहानी लिखते हुए आज दिल को एक अलग ही सुकून मिला,वो भाषा जो दिल और दिमाग़ दोनो को भाती है तो फिर चलिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं।...................................................................................रिया की मौत हो चुकी थी, उसका बेजान पड़ा शरीर इस वक्त बेड पर पड़ा हुआ था और उसके बगल में ही राज रिया ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 19

पाटिल और राजीव अभी बात ही कर रहे थे कि तभी निकुंज का कॉल आता है 'हेलो सर....आप लोग से होटेल पर आ जाइए, मुझे आप लोगों को से कुछ जरूरी बात करनी है।' निकुंज की यह बात सुनकर राजीव उससे पूछता है 'ऐसी क्या बात करनी है निकुंज जो तुम हमें फोन पर नहीं बता सकते?''नही सर यह बात मैं आपको फोन पर नहीं बता सकता, आपको यहां आना पड़ेगा और सर साथ में राज और मनीष को भी साथ लेते आना क्योंकि यह बात उन से भी जुड़ी हुई है।' निकुंज उसके जवाब में कहता है।'ठीक है....मैं ...और पढ़े

20

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 20

जयदीप के बारे में जानकर उसकी आंखों में खून उतर आता है, उसे अपने गुस्से पर कंट्रोल नहीं रहता। मिस्टर पाटिल को जल्द से जल्द जयदीप को पकड़ने के लिए कहता है। वह सभी लोग अभी बातें कर ही रहे थे कि तभी एक स्टाफ बॉय दौड़ते हुए कमरे के अंदर आता है और निकुंज की ओर देखते हुए कहता है 'सर वह पीछे जंगल में जयदीप की लाश मिली है।'उसकी बात सुनकर सभी लोगों को एक ओर झटका मिलता है क्योंकि रिया की मौत के बाद जयदीप के बारे में जानकर इंस्पेक्टर पाटिल को आगे इन्वेस्टिगेशन करने के ...और पढ़े

21

हॉंटेल होन्टेड - भाग - 21

गार्ड्न में एक स्टाफ बॉय की लाश मिलने के बाद सभी लोग काफी डर गए थे। अब वहां रुक कोई भी अपनी जान खतरे में नहीं डालना चाहता था और कुछ लोग तो उसी रात वहां से चले गए ,तभी एक लड़की रिसेप्शनिस्ट सोहम के पास आकर कहती है 'मुझे एक वीक के लिए रूम बुक करना है।' उस लड़की की बात सुनकर सोहम एक पल के लिए उसे देखता ही रहता है क्योंकि डर की वजह से हम लोग यहां रुकने के लिए तैयार नहीं थे और कुछ लोग तो उसके सामने से ही होटल के बाहर निकल ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 22

कविता अपने रूम का दरवाजा खोल कर कॉरिडर में देख रही थी कि तभी कमरे के कोने में रखे कैमरे में कुछ हलचल होने लगी, अचानक उस कैमरे पर नाखूनों। के निशान बन गए थे जैसे किसी ने तेज नाखूनों से कैमरे का ऊपर का हिस्सा नोच लिया हो। कविता ने अपने रूम का दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में आकर बाहर की ओर जंगल का नजारा देखने लगी। इस वक्त बाहर के माहौल में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था। होटल से कुछ दूरी पर हाईवे होने की वजह से गाड़ी और ट्रक की आवाजें सुनाई ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 23

वह तीनों अभी बातें ही कर रहे थे कि तभी मनीष का फोन बजता है, वह फोन की स्क्रीन है तो उस पर 'पाटिल' का नाम दिख रहा था। वह फोन रिसीव करता है,"हेलो मनीष तुम राज को लेकर होटल के पिछेवाले जंगल की ओर आ जाओ मुझे आप लोगों से कुछ काम है।" पहले तो मनीष को यह सुनकर चौक जाता है पर फिर वह मिस्टर पाटिल से पूछता है,"आपको इस वक्त ऐसा कौन सा काम है जो आप हमें जंगल की ओर बुला रहे हैं?" मनीष की क्या बात सुनकर राज और अंकिता भी चौक जाते हैं।पाटिल ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 24

मनीष चुपचाप जंगल में बैठा हुआ था, उसे इसी बात का डर था की कहीं वह जो सोच रहा सच ना हो पर अंकिता आखिर ऐसा क्यों करेगी? वह इन्हीं सब खयालों में खोया हुआ था कि तभी पाटिल उस पर दबाव बनाते हुए कहता है "क्या तुम जानते हो कि यह रिंग किसकी है?" मनीष के मुंह से बस एक ही शब्द निकलता है "अंकिता......" अंकिता का नाम सुनकर पाटिल को भी जैसे एक झटका सा लगता है, वह भी यही सोचना लगता है कि आखिर अंकिता ऐसा क्यों और कैसे कर सकती है? अभी वह इस बारे ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 25

इस तरफ कार में नीचे निलेश बैठा हुआ था। बाहर बारिश इतनी जोरो से हो रही थी कि गाड़ी हुए सामने देखना मुश्किल हो जाता, जिसकी वजह से वह घर भी नहीं जा सकता था। तभी उसका ध्यान होटल की ओर गया खिड़कियों से आती हुई लाइट्स की रोशनी की वजह से उसे समझ में आ गया कि लाइट आ चुकी है,उसे एक बार कविता से बात करने का मन हुआ पर शायद वह सो रही होगी इसलिए उसने फोन करने का ख्याल टाल दिया।कुछ देर ऐसे ही बैठे रहने के बाद उसका ध्यान लैपटॉप पर गया। "जरा देखूं ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 26

शाम के 5:00 बज रहे थे राजीव उसी बेड पर पड़ा हुआ था तभी उसका फोन बजा, फोन को अपने कान से लगाया "ओक मैं बस पहुंचता हूं।" इतना कहने के बाद उसने फोन वहीं पर छोड़ कर अपने घर से निकल गया। दूसरी तरफ हॉस्पिटल में पिछले कई दिनों से बेहोश पड़े हुए पाटिल को अचानक होश आया और वह तुरंत ही अपने स्ट्रक्चर पर बैठ गया, उसके सर में दर्द हो रहा था जिसकी वजह से उसने कराहते हुए अपने सर को पकड़ लिया।उसे अचानक उस भयानक रात की याद आ गई जिस रात उसके साथ यह ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 27

पहाड़ा के बीच घिरा हुआ अपने कुदरत की खूबसूरती की छाप छोड़ते हुए बसा हुआ एक खूबसूरत सा शहर। शहर जितना विकसित था, उतना ही खूबसूरत भी था, जैसे यह किसी हिल स्टेशन या वादियों की याद ताजा कर दे। कुदरत के दूसरे तत्वों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए ऐसा डेवलप करना उस शहर के लोगों को कुदरत के प्रति प्यार की गवाही देता था।सुबह का वक्त था पूरी जगह में गिरती ओस उसकी वजह से अच्छी ठंडक फैली हुई थी, पहाड़ों के पीछे से धीरे-धीरे करते हुए सूरज अपनी कोमल किरने उस शहर पर बिखेर रहा था।प्रकृति के ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 28

में घर से निकला और कॉलेज की तरफ चल दिया,चलते-चलते बस दिमाग में कुछ अतीत के पल घूम रहे हमेशा से भाई मुझसे ऐसे ही rude रहते आया है, वजह तो में जानता हु, लेकिन माँ हमेशा कहती हैं की में उनका अपना हु, पर भाई इस बात को नहीं मानता,लेकिन मैं जानता हूं एक दिन वो मुझे खुद अपना कहेगा, मुझे विश्वास है और इंतजार है उस दिन का...बस जिंदगी की कुछ बातों को सोचते हुए सफर कब कट गया पता ही नहीं चला और मैं कॉलेज पहुंच गया ...... रोज की तरह कॉलेज कैंपस में students की ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 29

भाई के कहे शब्दों से मुझे लोगों से घुटन होने लगी, ऐसा लगने लगा मानो जैसे यह जिंदगी चुभ रही हो, इसलिए में क्लास से जितना तेज़ चल सकता था उतनी तेज़ से चलते हुए में कॉरिडोर से निकला और सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर जाने लगा।मै तब तक सीढ़िया चढता गया जब तक मुझे सामने गेट नहीं दिख गया, मैंने गेट खोला और कुछ कदम बड़ा की में उस सुकुन में आ गया जो सुकुन मुझे ये कुदरत देती थी। मेने एक लंबी सांस छोडी, ठंडा हवा मेरे चेहरे पे पढ़ रही थी, में धीरे धीरे चलता हुआ आगे ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 30

"आज मैंने पहली बार उसे इतने करीब से देखा, उसको छूते ही दिल को एक अलग ही बैचेनी महसूस ऐसा लग रहा था मानों कुदरत के दिए हुए कुछ लम्हो को मैने हाथ में बटोर लिया हो, जिंदगी के दिए गए उस एहसास को दिल से कभी नहीं मिटा पाऊंगा....कभी नहीं... "खाली पन्नो को श्रेयस अपनी याद से अपने दिल की सिहाई से भर रहा था। "मुझे याद है वो दिन, मेरे कॉलेज का पहला दिन, जिस दिन मुझे वो मिली थी, उसका चेहरा दिखा था, पहली बार दिल ने कुछ महसूस किया था, उस दिन मेरे दिल ने ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 31

"ये क्या हो रहा है Abhi" आंशिका ने गुस्से भरी आवाज में कहा, उसकी आंखों का गुस्सा उसके शब्दों रूप में बहार निकला रहा था, "ये क्या है... क्यूं मार रहे तुम श्रेयस को?" आंशिका ने एक बार श्रेयस की तरफ देखा जिसकी हालत उसके चेहरे पर अफसोस फिर आया फिर अभिनव की तरफ देखते हुए गुस्से मैं कहा " बोलो, बोलते क्यूं नहीं, क्यूं मार रहे हो उसे...' आंशिका ने चिल्लाते हुए उसके दो हाथ को पकड़ते हुए पूछा...."क्यों मारा मेंने, तुम्हें नहीं पता क्यों मारा मेंने इसे, वाह आंशिका वाह....लगता है इस लल्लू के साथ रहकर थोड़ा ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 32

तेज़ गिरती हुई बारिश मैं 'छप्प....छप्प.... छप्प...." जूतों की आवाज़ पानी में पड़ रही थी और हर्ष भिगता हुआ रहा था, उसके चेहरे पे गुस्से की अलग ही लहर उठी हुई थी......तभी वो दौड़ता - दौड़ता रुक गया और सामने देखने लगा, सामने देखते ही उसके चेहरे पर छाया गुस्सा ओर बढ़ गया क्योंकि सामने अभिनव और उसके दोस्त बाइक स्टैंड पर खड़े आपस में बातें कर रहे थे।"Bloody Bitch थोड़ी खूबसूरत है तो क्या समझती है अपने आप को.....उसकी इतनी हिम्मत की मुझसे ब्रेकअप करे, उसे क्या पता की उसके जैसी कितनी लड़कियां आज भी मुझपे मरती है,वैसे ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 33

आज के दिन हुई घटना के बारे मे सोचते हुए में कब घर पहुंच गया पता ही नहीं चला, पहुचते ही देखा कि घर में शांति है, शायद मां ऊपर अपने कमरे में होगी,मन में यह सोच के शांति मिली की अच्छा हुआ मां होल मैं नही है वरना मेरी ऐसी हालत देखकर बेवजह टेंशन लेती। यह सोच के मैं अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगा, भिगने की वजह से पूरा बदन गिला था तो घर के अंदर आते ही ठंड भी लग रही थी। मैं अपने रूम की तरफ बढ़ ही रहा था कि तभी मेरे कानों में ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 34

"Ouch.....ouch....बहुत मारा साले ने अभी तक दर्द हो रहा है अविनाश बेड पे पेट के बल लेटा दर्द मैं हुआ सामने निधि की तरफ देख रहा था। "ओर लड़, मना कर रही थी, लेकिन मेरी तो उस वक्त सुनी नहीं, अब ऐसे ही पड़ा रह'' निधि ने थोड़ी ऊंची आवाज़ में कहा और किताब में नज़र गड़ाये उसे पढ़ने लगी। "अरे यार.... जो हो गया वो हो गया, अब बहुत दर्द हो रहा है.. आआआह.... माँ..."अविनाश ने फ़िर से निधि की तरफ देखते हुए कहा।अविनाश की दर्द भरी आवाज सुन निधि के चेहरे पर हल्की सी परेशानी छा गई,उसने ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 35

अगली दिन सुबह 6 बजे मेरी नींद खुल गई अपने कमरे से निकल कर नीचे होल मैं आकर देखा कोई नही था, मैं अपने कमरे की और बढ़ रह था की तभी "आज जल्दी उठ गया बेटा मां की आवाज सुन के पीछे मुड़ के उनको देखा तो जैसे मेरी सुबह ही रोशन हो गई।मैने उनकी और देखकर कहा "हां मां, बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा बाहर के सुहावने मौसम का मज़ा उठा लूं , बहुत सुकून मिलता है जब सुबह की ये ठंडी हवाएं जब शरीर को छूती है "मैंने इतना कहा और बालकनी की ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 36

"कल तुमने क्यों कुछ नहीं किया?ऐसी कोनसी वजह थी जो तुम अभिनव से यूं ही मार गए खाते रहे?"आंशिका सवाल से मैं हैरान हो गया, मुझसे यह उम्मीद ही नहीं थी कि आंशिका मुझसे ऐसा कुछ पूछेगी, लेकिन अब उसने मुझसे प्रॉमिस ले लिया था तो मेरे पास बताने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं बचा था।मेने एक गहरी सांस ली और हिम्मत करके बताना शुरू किया।"आंशिका, झगड़ा तो हर रिश्ते मैं होता है तुम्हारा भी हुआ पर उस वक़्त तुम्हारे दिल में कहीं ना कहीं तो अभी के लिए प्यार था, तोह में कैसे उस इंसान को तकलीफ़ ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 37

"आंशिका बार-बार किसको देख रही हो?" प्रिया ने आख़िर आंशिका से सवाल कर ही लिया क्योंकि जबसे आंशिका कैंटीन आई थी तबसे वो बार - बार कैंटीन के गेट की तरफ देख रही थी। "कुछ नहीं बस...." आंशिका ने इतना ही कहा कि तभी कैंटीन में अभिनव अपने दोस्तों के साथ एंटर हुआ , दोनों की नजरें आपस में मिली, कुछ सेकेंड के लिए आंशिका ने उसकी तरफ देखा और फिर अपनी नजरें हटा ली, अभिनव जान बुझ के उनके पास वाली टेबल पर जाकर बैठ गया, उसके साथ साथ अनमोल और समीर भी जाकर बैठ गए।“तू अपने भाई ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 38

मेरे दिमाग़ में सवालों की उथल-पुथल मची हुई थी, एक पल के लिए बिल्कुल शांति छा गई तभी मेने रूम में आंशिका के अंदर आने की आहट सुनी,वो धीरे धीरे चलते हुए अंदर आई और मेरे से थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गई, मेने अपनी नजरें उस पर से हटाई और अपने सामान को उठाने लगा।हर पल यहीं लग रहा था कि आंशिका मेरे बारे मैं क्या सोच रही होगी, इसी सोच में डूबा हुआ अपना और ट्रिश का सामान उठा रहा था कि मेरे हाथ से उसका चार्ट छूट गया और वो ज़मीन पे फिसालता हुआ मुझसे थोड़ी ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 39

गेट के सामने पहुंचकर मैंने Door Knock किया, कुछ ही सेकेंड में अंदर से आवाज आई.. "Come in" आवाज ही जैसे मेने गेट खोला और अंदर गया ही था की तभी ma'am का फोन बजा "एक मिनट श्रेयस..." मैं कुछ कहता उसे पहले ma'am ने मुझे रोक दिया। "sure ma'am" कहते हुए मैं वहीं खड़ा रहा, मैम किसी से फोन पर बात कर रही थी। "हां....शर्मा जी of course, कैसी बातें कर रहे हैं आप, अगर आप नहीं होते तो ये सब कैसे होता?हां हां....सब फिक्स रखिए, I Will Tell You The Fixed Date....That's Not The Issue I Think? ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 40

Hello, दोस्तों सबसे पहले आप सभी को मेरी तरफ से दिवाली की ढेरों शुभकामनाएं,यह रोशनी का त्योंहार आपकी जिंदगी भी नई खुशियां और उमंग लेकर आए और आप सभी लोगों को इतना प्यार देने के लिए बहुत शुक्रिया,आगे भी ऐसा ही Support दिखाते रहिए जिसकी वजह से मैं आपके लिए ओर नई कहानियां लिख सकूं।अगर मेरी Novel के regarding मुझसे कुछ भी पूछना हो तो मेरी instagram id - premr279 पर message कर सकते है......मेरी तरफ से आप सभी को Happy Diwali ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 41

हर्ष, आंशिका, निधि, प्राची और अविनाश कॉलेज के पीछे गार्डन मैं बैठकर अविनाश की बातें सुन के हंस रहे तभी हर्ष हंसते हंसते शांत हो गया, जब उसकी नजर गार्डन मैं एंटर हो रहे अभिनव पे पडी, अभिनव की नज़र भी हर्ष पे पडी तो वो उसकी तरफ देखते हुए अंदर आया, उसको अपना पास आता हुआ देखकर हर्ष अपनी जगह से खड़ा हो गया, उसे खड़ा देख बाकी सब ने भी हंसना बंद कर दिया।सब उसकी तरफ़ हैरानी भरी नज़रों से देखने लगे, अभिनव चलता हुआ हर्ष के पास आया और उसे घूरते हुए कहा "ज्यादा दिन की हंसी नहीं है ये ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 42

"कभी-कभी हम अपनी जिद और ख्वाहिशों मैं इतने अंधे हो जाते है कि हमे पता ही नही चलता की दूसरो के दिलो को कितनी तकलीफ पहुंचा रहे है,उस रात के हादसे के बाद आंटी ने उसे बहुत दूर भेज दिया और इसका असर यह हुआ की उसका दिल जैसे पत्थर सा हो गया,जिस बात को भूलने के लिए,उसको दूर रखने के लिए आंटी ने हमेशा कोशिश की मेरी वजह से वो दर्द एक बार फिर उसकी जिंदगी में आ गया।"आंखो से फिसलते हुए आंसु की एक बूंद मेरे हाथ पर गिरी, उन सब बातो के बारे मैं सोचते हुए ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 43

मैं घर जाने के लिए कॉलेज के Campus से बाहर निकल ही रहा था कि तभी आंशिका मेरी आंखें सामने आ गई "कहां जा रहे हो?"आंशिका ने अपने बालों को खोल के बांधते हुए कहा। "बस घर की ओर ही निकला रहा था" मैंने अपनी बात बेहद आराम आराम से कही। "अच्छा बिना गिफ्ट के लिए ऐसे ही चले जाओगे?" "आंशिका मैंने कहा था ना की में...." इतना ही कह पाया कि उसने अपनी बात कहनी शुरू कर दी।"हा...हा जानती हूं तुम गिफ्ट नहीं लेते लेकिन ट्रिश का गिफ्ट Accept कर लिया तुमने ओर करोगे भी क्यों नहीं वो ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 44

सुबह की गिरती ओस के साथ मौसम मैं ठंडक बिखरी हुई थी।नवंबर महीने की गुलाबी सुबह मैं में कॉलेज गार्डन मैं बैठा अपनी सोच मैं डूबा हुआ था क्योंकि एक हफ्ते बाद आंशिका का बर्थडे आने वाला था उसने मेरे बर्थडे को मेरी जिंदगी का memorable day बनाया था, तो मैं भी उसे कोई ऐसी चीज देना चाहता था जो उसे एक Momentum की तरह हर पल एक खुशी का एहसास कराता रहे पर अभी कोई भी चीज दिमाग़ मैं नही आ रही थी।अभी क्लास शुरू होने मैं डेढ़ घंटे का वक्त था तो गार्डन मैं भी ज्यादा स्टूडेंट्स ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 45

शाम के वक्त शिल्पा अपने कमरे में बैठी हुई पहाड़ों के बीच ढलते हुए सूरज को देखते हुए कुछ में डूबी हुई थी और उस चीज के बारे मैं सोचते हुए उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था,"क्या हुआ शिल्पा क्या सोच रही हो?" पीछे से आकर ध्रुव ने शिल्पा के कंधे पे हाथ रखा तो शिल्पा अपने खयालों की दुनिया से बहार आई,"नहीं बस..ऐसे ही...." शिल्पा ने पलकों को झुकते हुए कहा, पर ध्रुव जानता था की कोई बात है जो उसे परेशान कर रही है, इसलिए ध्रुव भी शिल्पा के हाथो को थामे उसके बगल में ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 46

पापा की बात सुनकर मैने उन्हे हल्का सा धक्का देकर नीचे की तरफ भागा, नीचे पहुंचकर मैं कमरे के जाकर रुका और हांफते हुए जब सामने का मंज़र देखा तो आंखो के आगे अंधेरा छाने लगा, सामने बेड पर माँ लेटी हुई इतनी गहरी गहरी सांसें ले रही थी की उनके सांसों की आवाज पूरे कमरे मैं गूंज रही थी, जिससे उनका पूरा शरीर ऊपर खींच रहा था उन्हे देखकर यह अंदाजा यह लगाया जा सकता था की उनको सांस लेने मैं कितनी दिक्कत हो रही है, उन तेज़ चलती सांसों की आवाज़ सुनकर मेरे दिल की धड़कने पल ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 47

1 हफ़्ते बाद“हैलो मिस्टर शर्मा....हां सर, में मिस. अग्रवाल बोल रही हूं।"jenny कुर्सी पे बैठी फोन पर बात कर थी।"हां मैडम,sorry आपने दूसरे नंबर से कॉल किया इसलिए आपकी आवाज पहचान में नहीं आई।"cottage मैं लकड़ी की फ्लोरिंग वाले कमरे में एक आदमी कुर्सी पर बैठा आदमी फोन पर बात कर रहा था।"जी कोई बात नहीं, वैसे भी मुझे cold हो गया है तो मेरी आवाज़ भी थोड़ी सी बदल गयी है।""जी मैडम तभी मैंने आपको नहीं पहचाना।" कहते हैं हुए मिस्टर शर्मा हंसने लगा।""और बताइये सब तैयारी तो हो गयी है ना?""जी इसमें तैयारी क्या करनी है, सब ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 48

हॉंटल हॉन्टेड - भाग - 48 दोपहर का वक्त था पर मौसम कुछ इस कदर ख़राब था जैसा वो भी के जाने का शोक मना रहा हो,आसमान मैं घने बादल छाए हुए थे, सर्ज हवाएं बह रही थीं,चारो तरफ धुंध की चादर बिछी हुई थी पर एक जगह कॉलेज के compound मैं हलचल मची हुई थी। साले मुझे अभी तक ये समझ नहीं आया कि तू select कैसे हुआ?तेरा प्रोजेक्ट तो महा वाहियाद बना था। हर्ष ने आंशिका के गले में हाथ डालते हुए सामने चॉकलेट खा रहे अविनाश से पूछा। अबे तुझे क्या लगता है ऐसा प्रोजेक्ट में कभी बना सकता हूं, ये प्रोजेक्ट तो निधि ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 49

सब रिसॉर्ट को आंखें फाड़े देख रहे थे मानो ऐसी चीज़ अपनी ज़िंदगी मैं पहली बार देख रहे हो,सब शांत होकर खड़े थे क्योंकि इस वक़्त महोल ही कुछ ऐसा था, रात के करीब 12 बजे सुनसान जगह पे चलती हवाओ के साथ जब कोई जंगल के बीचो-बीच बनी किसी अनजान जगह पे खड़ा हो और वहां किसी के होने का एहसास ही ना हो तो वहा खड़े रहने के लिए काफी हिम्मत चाहिए।"यार यहाँ आकर मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है" हर्ष अविनाश के कान में हल्का सा फुसफुसाया।"अजीब से क्या मतलब है तुम्हारा?""पता नहीं यार वही ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 50

जय श्री राम.....आप सभी को राम जन्मभूमि महोत्सव की ढेरो शुभकामनाएं......हम सारे हॉल के एक कोने में आग के बैठे थे,सब हाथों में कंबल,तकिया या फिर खाने का पैकेट लेकर गर्मी को मेहसूस कर रहे थे,कुछ पल तक सब चुपचाप उस जलती हुई आग को देख रहे थे, शायद इसलिए कि उसकी मिलती गरमी शरीर को बेहद सुकून पहुचा रही थी शांति, खामोशी, सुकून जैसे पलों में सामने जल रही लकड़ियाँ की आवाज़ें भी गूंजती हुई अच्छी लग रही थी तभी शांति के इस सुहाने माहोल को जेनी ने अपनी आवाज से तोड़ा ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 51

मेरे दरवाजा खोलते ही ड्राइवर अंदर आ गया,उसने अपने शरीर पर एक कंबल ओढ़ा हुआ था फिर भी उसने दोनो हाथो अपने शरीर से लपेटकर रखा था,जिससे बाहर की ठंड का एहसास किया जा सकता था।"अगर आप सबको बुरा ना लगे तो क्या अंदर रात गुजर सकता हूं क्योंकि बाहर बहुत ठंड है।""अरे उसमे पूछने की क्या जरूरत है?" उसके अंदर आते ही मैंने कुछ पल बहार देखा जहां ठंडी हवाओं के साथ-साथ कोहरे ने अपने अंदर पूरी जगह को घेरा हुआ था, जिसकी वजह से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए मैंने दरवाजे को बंध कर ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 52

सुबह के 7 बज रहे थे,आसपास चारो तरफ धुंध फैली हुई थी,ठंड अपने पूरे जोर पर थी, इतनी धुंध मानो आसमान के सारे बादल जमीन पर उतर आए हो, उसके साथ बह रही हल्की पर बेहद सर्द हवा सांसों को उखाड़ने के लिए काफी थी, आर्यन और विवेक दोनो रिज़ॉर्ट के गेट पर खड़े बात कर रहे थे,उन्होंने पूरी तरह अपने आप को गर्म कपड़ो से ढका हुआ था फिर भी यह काफी नही था।"All Set, किसी को कुछ पता तो नहीं चला ना?" आर्यन को रिसॉर्ट के गेट से बहार आते हुए देख विवेक ने अपना सवाल किया।“नही ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 53

मैने हॉल मैं नीचे आकर देखा तो कोई नही था इसलिए मैं एक कोने मैं खड़े होकर इंतजार करने तभी मुझे किसी के कदमों की आवाज सुनाई दी मैने उस ओर देखा तो आंशिका सीढ़िया उतरती हुई नीचे आ रही थी पर उसका चेहरा मुरझाया हुआ लग रहा था,उसने हॉल मैं अपनी नजर घुमाई तो एक कोने मैं मेरे अलावा कोई दिखाई नही दिया,वो मेरे पास आई कुछ कहना चाहती थी पर मैने उसकी और ध्यान नहीं दिया इसलिए कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद वो आगे बढ़ गई तभी उसके सर मैं बहुत तेज़ दर्द शुरू हो ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 54

हर्ष ने शराब से भरे ग्लास को मुंह से लगाया ही था कि श्रेयस ने उसका हाथ पकड़ के नीचे कर लिया, हर्ष ने अपनी नजरें उठा के उसकी तरफ देखा,"क्या है?चल हाथ हटा" हर्ष ने लड़खड़ाते हुए कहा लेकिन श्रेयस ने अपना हाथ नहीं हटाया बल्की वो हमसे अपने गुस्से से भर्री आँखों से घूरता रहा,"तुझे कहा ना हाथ हटा, सुना नहीं क्या?" हर्ष ने चिल्लाते हुए अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं कर पाया,यह देखकर श्रेयस ने उसका हाथ ओर कसकर पकड़ लिया,जिसकी वजह से हर्ष के हाथ से ग्लास छूटकर फर्श पर गिर ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 55

अंधेरा होने के साथ ही सब students रिजॉर्ट मैं वापस आ गए थे,थोड़ी देर बाद मिस भी रिजॉर्ट आ लोग हॉल मैं खड़े होकर वही बातें करने मैं व्यस्त थे पर उन्हे पता नही था कि उनके पीछे इस रिजॉर्ट मैं क्या घट चुका है जिसकी गवाह यह दीवार बन चुकी है पर इस वक्त वहा पर सब कुछ ठीक था ना दीवार मैं कोई दर्रारे और ना ही चीज़ जमीन पर बिखरी हुई थी, सब चीज ठीक से वही रखी हुई थी,"Relax कर यार,ज्यादा मत सोच उसके बारे मैं" अविनाश हर्ष को समझा रहा था पर पता नही ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 56

कुछ पल के लिए सब उस खिड़की की तरफ ऐसे देखें रहे थे मानो वक्त ने सबको उसी पल कैद कर दिया हो फिर श्रेयस ने अपने घाव पर हाथ रखते हुए अपने कदम उस खिड़की की तरफ बढ़ाए जिसकी आहट से सब होश मैं आए और उसे देखते रहे,वो जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा था जमीन पर उसके खून की बूंदे गिर रही थी,मैं खिड़की के पास पहुंचा तो ठंडी बहती हवा मेरे शरीर को ठंडा कर रही थी वहा से खड़े होकर उस ऊंचाई से मैने नीचे देखा और एक गर्म सांस छोड़ी जो मेरे घाव तक मेहसूस ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 57

"सर पे लगी चोट गहरी तो है लेकिन श्रेयस ठीक है क्योंकि वो दिमाग के हिस्से पे नहीं लगी।" और अविनाश सामने खड़े बातें कर रहे थे और उनकी आवाज मेरे कानों में पड़ रही थी, आंखें हल्की खुली थी और ढूंढते हुए उनको चेहरे को देख रही थी।"तुझे इतना सब कैसे पता अवि?""डैड डॉक्टर है इसलिए थोड़ा बहुत पता है।" अविनाश ने शांति भरे लहजे में कहा,"ट्रिश..." मैंने आवाज लगाई तो उसने मेरी तरफ देखा और वो मेरे पास आई,"अब कैसा लग रहा है?"उसने मेरे माथे को सहलाते हुए कहा?"पानी...." मेरे कहते ही उसने मुझे पानी पिलाया और ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 58

"शांत हो जा लड़के....शांत हो जा...." उन्होने मूड कर मेरी तरफ देखते हुए कहा,"जानता हूं बहुत से सवाल है पास जिनका तुझे जवाब चाहिए, पर कुछ सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब तुझे पहले जानना ज्यादा जरूरी है।'' उनकी बात ने फिर एक नया सवाल खड़ा कर दिया, एक के बाद एक सवाल खड़े हो रहे थे और जवाब एक का भी नहीं मिल रहा था।"मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं कि आप क्या कहना चाहते हैं मुझे बस मेरी आंशिका को बचाना है....क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं बस इतना बताइये?"सवालों के इस खेल ने मुझे पागल ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 59

कपड़ों में गाँठ बाँधते हुए मुझे लगभग 2 घंटे लग गए थे और अब बारी थी ये देखने की लम्बाई उतनी हुई है जितनी मुझे चाहिए थी? मेंने एक छोर से कपड़े को सीड़ियों की बाउंड्री से बाँध दिया और दूसरे छोर को लेकर कॉरिडोर की तरफ बढ़ने लगा और बढ़ते हुए दिमाग में फिर वही बातें घूमने लगी जो मैने वहां से निकलने के पहले की थी।"याद रखना लड़के उसके पास शैतानी ताक़त जरूर है पर उसकी भी कुछ सीमाएं है,उसने उस निर्दोष लड़की के शरीर पर कब्ज़ा तो कर लिया पर उस लड़की को भी इस मूर्ति ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 60

मैं दौड़ते हुए उनकी तरफ गया और उनका रास्ता रोक के अपना सवाल किया,"तुम सब वापिस क्यों आ गए?""क्यों ये जगह तूने खरीद ली है क्या?" अनमोल ने अपने उसी रवैए के साथ कहा।"तुम समझ नहीं रहे, मिस. आप तो जानती हैं कि सब क्या हुआ कल,उसके बाद भी आप सब यह वापस आ गए,सब लोग अभी के अभी इस जगह से हो सके उतना दूर चले जाओ।""पर श्रेयस आखिर क्या हुआ है तुम इतने क्यूं घबराए हुए क्यूँ लग रहे हो? " मिस के कहते ही श्रेयस उन्हें घूरने लगा जैसे वो कुछ कहना चाहता हो पर शब्द ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 61

वो लकड़ी का टुकड़ा श्रेयस से कुछ ही दूरी पर हवा में लहरा रहा था,ये देखकर आंशिका के चेहरे मुस्कान गायब हो गई,उसकी आँखें फैल गई और माथे पे शिकन उभर आई,वो फुर्ती के साथ दौड़ते हुए और उस टुकड़े को श्रेयस के शरीर की ओर बढ़ाने की कोशिश करने लगी,उसने इतनी ताक़त लगा दी कि उसकी वजह से उस टुकड़े को पकड़ा था वहां दरारें पड़ने लगी और इतना जोर लगाने की वजह से उसके हाथ से भी खून आने लगा था लेकिन वो लकड़ी का टुकड़ा टस से मस नहीं हुआ, धीरे-धीरे आंशिका के माथे पर शिकन ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 62

प्राची जमीन पर लेती हुई सबकी ओर एक उम्मीद के साथ देख रही थी वो घेरे से 9 फीट दूरी पर ही गिरी हुई थी इसलिए वो हाथो का इस्तेमाल करके जमीन पर लेटे हुए ही हमारी तरफ बढ़ने लगी,मिस घेरे के अंदर खड़े होकर अपना हाथ बढ़ाएं प्राची की ओर देख रही थी,मैं बस सही मौके की तलाश में था की तभी आंशिका ने दौड़कर हवा में 10 फीट छलांग लगाई और अपनी पूरी ताक़त के साथ दोनों पैरो से प्राची की कमर पर वार किया 'धड़ाम....' की एक पूरी आवाज़ पूरे हॉल में गूंज उठी और इस ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 63

अचानक इतनी ताक़त से वार करने की वजह से श्रेयस के हाथ में झटका लगा था जिसकी वजह से दाया हाथ कांप रहा था, घेरे मैं खड़े सब लोग यह देखकर हैरान थे कि कुछ देर पहले आंशिका जो इतनी ताक़तवर थी उसे श्रेयस ने एक ही वार में इतनी दूर कैसे फेंक दिया,सब लोग अपने ख्यालों में खोए हुए थे कि आंशिका दीवार से निकलकर लड़खड़ाते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी,वो अपना पूरा जोर लगा रही थी पर उसका शरीर थका हुआ लग रहा था,वो अभी कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी कि जमीन पर धड़ाम से गिर ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 64

ट्रिश की बात सुनकर सब हैरान होकर मेरे सामने देख रहे थे,मानो बहते हुए वक्त का एक लम्हा उनकी के सामने से निकल गया हो,सबके मन मैबस एक ही सवाल चल रहा था कि आखिर कौन हो सकता है वो इंसान? अभी सब उसी के बारे में सोच रहे थे कि ट्रिश ने फिर एक झटका हर्ष को दे दिया,"और तुम हर्ष श्रेयस से इतने सवाल कर रहे हो,तुम्हारा अतीत भी इस रिजॉर्ट से कही जुड़ा हुआ है जिसका तुम्हे पता नहीं है।" ट्रिश की बात सुनकर हर्ष हैरान होते हुए श्रेयस के पास आया वो अपनी नजरे झुकाए ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 65

"पापा के यहां आने के बाद मेरी अक्सर उनसे बातें होती रहती थी,उन्होंने कहा था कि वो यह किसी में ठहरे है,पर आगे जाकर केस ज्यादा पेंचीदा होने की वजह से हमने अपने सारे contact बंध कर दिए थे ताकि हमे कोई खतरा ना हो पर मुझे पापा की चिंता नहीं थी क्योंकि निशा भी उनके कॉन्टैक्ट में रहती थी,हम जल्द से जल्द केस खत्म करके घर वापस आए तो देखा कि निशा किसी tension में है और पूछने पर पता चला कि पापा 2 हफ्तों से लापता है,हमारे न रहते निशा ने वह लोकल एरिया में पूछताछ की ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 66

मैं जल्दी से दौड़ते हुए ऊपर गया क्योंकि वो आवाज आंशिका के कमरे से आई थी,ऊपर पहुंचकर देखा तो वैसे ही बंद था जैसे हम उसे छोड़कर गए थे और उस पर वही कलावा बंधा हुआ था जो उस आत्मा की शक्तियों को रोकने के लिए था,मैंने थोड़ा आगे बढ़ाकर उस कमरे की खिड़की से अंदर देखा तो आंशिका होश मैं आ चुकी थी पर उसके अंदर का वो शैतान बाहर निकलने के लिए पूरी कोशिश कर रहा था, मैं हर पल उसके मासूम चेहरे को देख रहा था जो हमेशा प्यार से खिला रहता था,उस पर एक शैतान ...और पढ़े

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हॉंटेल होन्टेड - भाग - 67

तेज चलनेवाले गिले रास्तों से गुजरते हुए मैने अपनी कार मेरे घर के सामने आकर रोक दी,बारिश इतनी तेज के सामने देखना मुश्किल था,पूरा शहर इस वक्त बारिश के फुहार में भीगा हुआ था,मैं गाड़ी से बाहर निकाला और गेट के सामने आकर खड़ा हो गया।मैंने बैल बजाई तो थोड़ी देर के बाद रमण ने आकर गेट खोला,मुझे इतनी रात को पूरे भीगे हुए कपड़ों में देखकर वो हैरान रह गया, अभी वो आगे कुछ बोलता उससे पहले मैं तेज कदमों से चलते हुए सीधा अंदर घुस गया,घर के हॉल मैं पहुंचा तो दिल को जंजोडकर रख देने वाली ...और पढ़े

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