जैसे हर कहानी में एक विलेन होता है,वैसा सा ही एक विलेन इस कहानी में भी हैं। अगर आप वीरेंद्र प्रताप को इस कहानी का विलेन समझ रहे है तो जी आप बिलकुल गलत है। क्योंकि हर फील्ड में कुछ कॉम्पिटीटर होते है,वैसा ही वीरेंद्र प्रताप और अर्जुन रॉय है जिसे हम विलेन नहीं कह सकते।
खैर चलिए मैं आपको इस कहानी के विलेन से मिलवाता हूं।जिसका नाम है, जगीरा बिश्नोई जिसका दबदबा आज भी बॉलीवुड पर चलता है। बॉलीवुड के बड़े बड़े स्टार्स के साथ इस का उठना बैठना होता है।
जैसे हर गली मोहल्ले में एक ऐसा गैंग होता है जो हर दुकानों से हफ्ते वसूली जैसा काम करते है और उन्हें डराते धमकाते है बिलकुल वैसा ही काम जगीरा बिश्नोई करता है।पर,,,पर किसी गली मोहल्ले के दुकानों पर नहीं बड़े बड़े स्टार्स के साथ।
जगीरा का कॉल जिस भी हीरो हिरोइन के पास आ जाता और वो पैसे देने से इंकार कर देता तो फिर उसके साथ क्या होता किसी को भी पता नहीं चलता और पता भी चल जाए तो कोई कुछ नहीं कहता। याहां तक की पुलिस भी कुछ एक्शन नहीं लेती और इसकी सबसे बड़ी वजह ये है, कि आज तक किसी ने भी जगीरा को देखा नहीं था।बस उसके नाम से ही पूरा बॉलीवुड कांपता था।
एक अंधेरे कमरे में चेयर पर एक आदमी बैठा हुआ होता हैं,और उसके सामने एक दूसरा आदमी घुटनों के बल बैठा हुआ होता हैं ओ रोते हुए कहता है"देखो तुम जो भी कर रहे हो वो गलत है,शायद तुम मुझे नहीं जानते कि मैं कौन हूं!!"तभी सामने बैठा जगीरा हँसते हुए बोलता है"हां हां देखो रे सामने मौत है और इसे कोई डर ही नहीं हैं।"तभी वो नीचे बैठा आदमी गुर्राते हुए बोलता है अगर हिम्मत है तो हाथ खोल के दिखा ।"
जगीरा उसे बड़े ही ध्यान से देखता है,और अपना माथा खुजलाते हुए कहता है,"अरे ओए खान चल इसके हाथ खोल जरा मैं भी तो देखूं ये क्या करना चाहता है!"आस पास कुछ लोग खड़े होते हैं,जो की देखने में थोड़े बहुत डरावने टाइप के होते है। लंबी दाढ़ी और हाथों में गन, चाकू और हॉकी स्टीक।
जगीरा के कहने पर खान उसका हाथ खोल देता है।जैसे ही उसका हाथ खुलता है,वो पीछे मुड़ कर खान के हाथ से चाकू छिन कर जगीरा को मरने ही जाने वाला होता है की तभी जगीरा अपने कमर से गन निकालता है और उसे शूट कर देता है।
उसे गुस्से से देखते हुए जगीरा कहता है"ओह,कितना पागल इन्सान है रे तू ।तेरे स्पीड से ज्यादा मेरी बुलेट की स्पीड निकली।"ये कहते हुए जगीरा हँसने लगता है।तभी वहां मौजुद एक आदमी बोलता है"पर भाई हम इंसानों की स्पीड से बुलेट की स्पीड ज्यादा ही होती है। अब चाहे वो गन आपकी हो या मेरी।"..
जगीरा उसके तरफ गुस्से से देखते हुए कहता है।"अच्छा चल तू मुझे गोली मर और मैं तुझे मैं भी तो देखूं इस जगीरा बिश्नोई के गन से ज्यादा आखिर किसकी गन तेज है।"
ये सुनते ही वहा बाकी के खड़े लोग भी एक दम से चौक जाते है, वो आदमी घबराहट भरी आवाज में कहता हैं "भाई म,, मैं आप पर गन कैसे चला सकता हू?"
तभी जगीरा पास में ही खड़े एक आदमी को गोली मारते हुए कहता है"ऐसे ,,जैसे मैने अभी अभी इसको मारा!"जगीरा जैसे ही ये बात बोलता है।वो आदमी जगीरा पर गन तान देता हैं,जब तक गन लोड करता उससे पहले जगीरा उसे ही शूट कर देता है।
ये देख कर वहां मौजुद सब लोग डर जाते है,तभी जगीरा अपना माथा खुजलाते हुए कहता है"पता है, मैं इसे नहीं मारता पर इसने मुझ पर गन तान कर बहुत बड़ी गलती कर दी। और कोई है ऐसा यहां जिसे जगीरा यानी मेरे गन के स्पीड पर शक है?"
जगीरा का गुस्से से भरा डरावना आवाज सुन कर सब अपने अपने नजरों को नीचे कर लेते है।ये देख कर हँसने लगता है और वापस से अपने चेयर पर बैठ जाता है।
रेस्टुरेंट;:
"अभय और त्रिशा दोनो एक रेस्टुरेंट में एक ही टेबल पर बैठे हुए थे,अभय के चेहरे पर स्माइल थी,वही त्रिशा के चेहरे पर एक घबराहट सी थी।त्रिशा का हाथ टेबल पर ही था वो अपने उंगलियों को आपस में रगड़े जा रही थी ।
तभी अभय अपना हाथ अचानक से त्रिशा के हाथ पर रख देता है,अभय जैसे ही हाथ त्रिशा के हाथ पर रखता है त्रिशा की धड़कने बढ़ जाती है।"क्या हुआ?तुम कुछ परेशान दिख रही हो, आर यू ओके??"..त्रिशा थोड़ा हिचकिचाकर कर जवाब देती है"हां, मैं ठीक हूं"इतना कह कर त्रिशा अपना हाथ टेबल पर से पीछे कर लेती है।
तभी वहां वेटर आता है"हेलो सर, हेलो मैडम what would you like to have ?"त्रिशा अभय के तरफ देखने लगती है,तभी अभय त्रिशा से कहता है"त्रिशा आज तुम ऑर्डर करो आज डिनर तुम्हारी पसंद का करूंगा।" त्रिशा अभय से थोड़ी शाय होते हुए कहती है"पर मैं,कैसे ? मतलब क्या पता जो मुझे पसंद हो वो तुम्हे न पसंद हो।"..
अभय हँसते हुए कहता है, हां इसी लिए तो बोल रहा हूं देखता हु हमारी पसंद कितने हद तक एक जैसे है । अब ऑर्डर दो,त्रिशा टेबल पर पड़े मेनू कार्ड उठाकर ऑर्डर करती है।वेटर ऑर्डर लेकर वहा से चला जाता है।
अभय स्माइल करते हुए बस त्रिशा के तरफ़ ही देखे जा रहा होता है।त्रिशा अभय को ऐसे देखते हुए देख कर अभय के सामने हाथ हिलाते हुए कहती है"अभय ??ऐसे स्माइल क्यो कर रहे हों मेरे फेस पर कुछ हुआ है क्या??"
अभय झट से कहता है,"हां ,लगा तो है।"त्रिशा झट से अपना फेस अपने हैंकी से साफ करने लगती है।और अभय से वापस से पुछती है"अब कैसी लग रही हू, ठीक हो गया ना?"..
अभय उदास मन से कहता है"ओह क्या तुम भी यार अब तो पूरे चेहरे पर फेल गया ।"अभय के इतना बोलते ही त्रिशा झट से अपना फोन टेबल पर से उठते हुए अपना फेस देखती है।पर उसके फेस पर कुछ भी नही लगा हुआ होता है।त्रिशा अभय से पुछती है"क्या अभय मेरे चेहरे पर तो कुछ भी नही लगा है।"
तभी अभय कहता है, हां वो तो क्यूटनेंस है ना इसीलिए तुम्हे नही दिख रहा हैं सिर्फ मुझे दिख रहा है।"त्रिशा थोड़ी देर तक सोचती है,और फ़िर चौक कर मुस्कुराते हुए कहती है"ओ अभय सच में तुम बहुत फनी हो !!!"हां सब यही कहते है!!" दोनो ऐसे ही बातें करते करते हँसने रहे होते है।
To be continue